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अभेद्य क़िला बनता अमेरिका: विश्व व्यवस्था को बदलते ट्रंप के नये दिशा निर्देश
वैश्विक उत्तर और दक्षिण के विवाद से आगे: भारत और विकास का भविष्य
जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में विकसित देशों की भागीदारी क्यों है ज़रूरी?
एक बहुध्रुवीय विश्व की ओर: 2025 में आगे का रास्ता
21वीं सदी में वैश्विक सहयोग: एक नई सोच की जरूरत
भारताची जागतिक प्रतिमा आणि कूटनीतीतील यश
कूटनीतिक कामयाबी का बढ़ता कारवां
अगर हमें SDGs को दोबारा जीवन देना है, तो G20 डेवलपमेंट बैंक का निर्माण करना होगा!
भारत के पहाड़ी इलाक़ों में शहरीकरण: अलग-अलग चुनौतियों और उपायों का विश्लेषण
यूरोपीय साझेदारी से विदेश नीति को नई दिशा
क्या सभी बाधाओं को दूरकर भारत-जर्मनी साझेदारी अब रफ़्तार पकड़ने को तैयार है?
भारत की शांति बहाल करने की ‘कूटनीति’ कितना कारगर साबित होगा?
बिग डेटा और जलवायु लचीलापन: लोगों से जुड़े व्यापक आंकड़ों का सटीक विश्लेषण बेहद महत्वपूर्ण
#Network के ज़रिये आपस में जुड़े शहर: टिकाऊ विकास के लिए शहरी बहुपक्षीयवाद का विकल्प!
मोदी बन सकते हैं शांतिदूत
संख्या से परे: महिला नेतृत्व की नये सिरे से व्याख्या की ज़रूरत!
दक्षिण की ओर से दुनिया के लिए: भारत का डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर
जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य के अधिकार और लैंगिक समानता के बीच संतुलन बनाने की जद्दोजहद!
असमानता की खाइयों को पाटकर भविष्य का निर्माण: स्थायी विकास का लक्ष्य (SDG) 3 और युवा पूंजी
कार्बन उत्सर्जन का वर्गीकरण : उचित और अनुचित उत्सर्जन
ग्रीन डील पर सहयोगियों को समझाना यूरोपियन यूनियन (EU) के लिए बड़ी चुनौती
डेटा की संप्रभुता को नष्ट कर सकता है जलवायु में परिवर्तन
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) के प्रशासन का भविष्य: ग्लोबल साउथ का नज़रिया
समुद्री जहाज़ों पर हूती के हमले ने ड्रोन से जुड़ी चिंताओं को फिर से बढ़ाया!
दुबई COP28: बयानबाज़ियों से परे ठोस कार्रवाई पर ज़ोर
पश्चिम एशिया में युद्ध: 2024 के लिए उम्मीदें और आगे की राह
कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट की व्यवस्था: एक “अनुचित” परिवर्तन का प्रतीक?
कॉप-28 शिखर सम्मेलन: वैश्विक दक्षिणी देशों (ग्लोबल साउथ) के सशक्तिकरण का आह्वान