Issue BriefsPublished on Jun 08, 2023
ballistic missiles,Defense,Doctrine,North Korea,Nuclear,PLA,SLBM,Submarines

उपभोक्‍ता वस्‍तुओं को टिकाऊ बनाने के लिये नीतिगत उपाय

ऐतिहासिक रूप से, पर्यावरण नीति ने ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में ख़पत के प्रभावों को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया है. 'सर्कुलर इकोनॉमी’ की अवधारणा के उद्भव के साथ, यूरोपीय संघ (EU) ने फर्नीचर, व्हाइट गुड्‌स, IT उत्पादों और वस्त्र जैसी टिकाऊ और मरम्मत योग्य उपभोक्ता वस्तुओं को डिजाइन करके उनकी प्रोडक्ट लाइफ बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है. यह आलेख G20 देशों के बीच व्यापक रूप से प्रोडक्ट लाइफ को बढ़ाने के लिए अपनाने जाने वाले पांच नीतिगत उपाय प्रस्तुत करता हैं: रिपेयर वाउचर और रिपेयर फंड; प्रोडक्ट्स की सर्विस लाइफ और मरम्मत योग्यता पर जानकारी; न्यूनतम उत्पादन मरम्मत योग्यता संबंधी आवश्यकताएं; अप्रयुक्त वस्तुओं को नष्ट करने पर प्रतिबंध; और योजनाबद्ध तरीके से वस्तुओं को प्रचलन से हटाने का अपराधीकरण. पहली तीन नीतियों का उद्देश्य उत्पाद की उम्र बढ़ाने के लिए उत्पाद की मरम्मत को बढ़ावा देकर नए उत्पादों की ख़रीद को कम करना है ताकि इन उत्पादों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सके. शेष दो नीतियां बाज़ार के खिलाड़ियों को नियामक संकेत भेजने का इरादा रखती हैं. ये संकेत ऐसे खिलाड़ियों को दिया जाना है जो जानबूझकर नए उत्पादों को नष्ट कर देते हैं या उत्पादों को योजनाबद्ध रूप से प्रचलन से बाहर करने के बहाने उत्पाद के जीवन काल को कम करते हैं. G20 देश टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के प्रभावों को कम करने के लिए समान नीतियां विकसित करने की व्यवहार्यता का पता लगा सकते हैं.

Attribution:

कार्ल डलहमर, et al., ‘‘पॉलिसी इन्स्ट्रूमेंट्‌स टू एक्सटेंड द लाइफ ऑफ कंज्यूमर ड्यूरेबल्स,’’ T20 पॉलिसी ब्रीफ, मई 2023.

टास्क फोर्स 3: लाइफ, रेसिलियंस, एंड वैल्यूज फॉर वेलबिइंग


1. उपभोग चुनौती


वैज्ञानिक इस बात से सहमत हैं कि पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के स्तर को कम करने के लिए अकेले कुशलता या कार्यक्षमता में सुधार और टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन संभवतः अपर्याप्त साबित होंगे.[1] इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए उपरोक्त दो उपायों के अलावा ख़पत पैटर्न और ख़पत के स्तरों में बदलाव भी लाना होगा.[2],[3] इसी तरह, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर अंतर-सरकारी विज्ञान-नीति मंच इस बात पर ज़ोर देता है कि सामग्री की ख़पत में कमी जैव विविधता पर दबाव को कम करने के लिए एक मौलिक फायदेमंद बिंदु है.[4]

जब बात आयातित वस्तुओं के उपभोग-आधारित उत्सर्जन की आती हैं, उस समय SDG रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन करने वाले अनेक देश, जैसे कि नॉर्डिक देश, SDG 12 ('ज़िम्मेदारीपूर्ण ख़पत और उत्पादन') के तहत उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं करते है.[5] यूरोपीय पर्यावरण नीतियां ऐतिहासिक रूप से ऊर्जा और परिवहन ख़पत प्रभावों के आसपास केंद्रित रही हैं, लेकिन वे अब तेज़ी से विविध उपभोक्ता वस्तुओं के लाइफ-साइकिल प्रभावों को लक्षित करती दिखाई देती हैं.[6] उत्पादों और सेवाओं को अधिक पर्यावरण और सामाजिक रूप से टिकाऊ बनाया जाना ज़रूरी है. इसी प्रकार संसाधनों और ऊर्जा ख़पत के समग्र स्तर को भी कम किया जाना आवश्यक है.[7]

शुरुआती उत्पाद-उन्मुख नीतियां जहरीले पदार्थों को हटाने, उत्पादों को अधिक ऊर्जा कुशल बनाने और उपयोग किए गए उत्पादों के संग्रह और पुनर्चक्रण को सुनिश्चित करने पर केंद्रित थी. अब सर्कुलर इकोनॉमी के सिद्धांतों के बारे में बढ़ती जागरूकता की वज़ह से ऐसी नीतियों को अपनाया जा रहा है या प्रस्तावित किया गया है, जिनका उद्देश्य उत्पादों के लाइफ साइकिल को स्थायित्व और मरम्मत योग्यता के माध्यम से बढ़ाना है.[8]  उदाहरण के लिए, यूरोपीय संघ (EU) ने लाइटिंग प्रोडक्ट और वैक्यूम क्लीनर के लिए न्यूनतम लाइफटाइम आवश्यकताएं निर्धारित की हैं. फ़्रांस और EU ने ऐसी नीतियां अपनाई हैं जो उपभोक्ताओं को टूटे हुए उत्पादों को फेंकने के बजाय उनकी मरम्मत करने के साथ ही मरम्मत किए हुए और मरम्मत योग्य उत्पादों को ख़रीदने के लिए प्रोत्साहित करती हैं.

उत्पाद लाइफटाइम यानी जीवन काल पर ध्यान

अनुसंधान इस बात की ओर इशारा करता है कि अक्सर अधिकांश उत्पादों के जीवनकाल को बढ़ाना पर्यावरण की दृष्टि से फ़ायदेमंद होता है,[9]  विशेषतः निष्क्रिय उत्पाद जैसे कि फर्नीचर और वस्त्र और IT उत्पाद. EU में कुछ उत्पाद समूहों के जीवनकाल को पांच साल तक बढ़ाने से 2030 तक सालाना लगभग 10 MtCO2 की बचत हो सकती है, जो एक साल में 5 मिलियन से अधिक कारों को सड़कों से हटाने के बराबर है.[10]

उत्पादों के जीवन काल का विस्तार करने के साथ ही यह सुनिश्चित करना भी चुनौतीपूर्ण है कि उनके पास 'लाइफ' है. EU और अमेरिका (US) में, कई उत्पादों को कभी बेचा या उपयोग नहीं किया जाता है, लेकिन फिर भी उन्हें नष्ट कर दिया जाता है.[11] उत्पादों को नष्ट करने के अनेक कारण होते हैं. ओवरस्टॉकिंग और ओवरप्रोडक्शन के कारण बड़ी मात्रा में सामान बिक नहीं पाते हैं. कस्टमर रिटर्न्स (भौतिक स्टोर या ई-रिटर्न) की हमेशा पुन: बिक्री संभव नहीं होती, क्योंकि पुन: पैकेजिंग और उसे दोबारा बेचने पर आने वाली लागत उत्पाद को पुन: बेचे जाने से मिलने वाले राजस्व से अधिक होती है. एक अनुमान है कि EU में सालाना 20 बिलियन यूरो तक के कुल खुदरा मूल्य वाले बिना बिके कपड़े और IT उत्पाद नष्ट किए जाते हैं.[12]

2. जी20 की भूमिका

ऊपर वर्णित स्थिति को देखते हुए, विशेष रूप से यूरोप में उत्पाद से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए सार्वजनिक नीतियों को विकसित करने को लेकर रुचि बढ़ी है.  EU ने उत्पादों के टिकाऊपन और मरम्मत की क्षमता को बढ़ाने के लिए मरम्मत के अधिकार और कानूनी प्रस्तावों पर नीतियां को विकसित करना शुरू कर दिया है, जबकि कई EU सदस्य देशों ने इन मुद्दों को हल करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीतियों को अपना लिया है.[13]

निम्नलिखित अनुच्छेदों में, यह आलेख एक प्रोजेक्ट के परिणामों को प्रस्तुत करता है, जिसने विभिन्न यूरोपीय राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय स्तरों पर लाइफटाइम एक्सटेंशन नीतियों की समीक्षा की है. इसमें ध्यान उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं पर केंद्रित किया गया था - यानी, दैनिक सामानों की तुलना में कम बार ख़रीदे जाने वाले सामान, जैसे कि भोजन और व्यक्तिगत स्वच्छता उत्पाद. टिकाऊ वस्तुओं में फर्नीचर, व्हाइट गुड्‌स, IT उत्पाद और वस्त्र शामिल हैं. इन प्रोजेक्ट में नियोजित मुख्य विधियों में लिटरेचर रिव्यू, एक्सपर्ट वर्कशॉप और दस्तावेज़ विश्लेषण थे. पांच संभावित नीति उपाय आशाजनक पाए गए. इन उपायों का उनके डिजाइन, संभावित पर्यावरणीय लाभ, लागत और कानूनी पहलुओं पर विश्लेषण किया गया. नीति उपाय इस प्रकार थे:

  • रिपेयर वाउचर और रिपेयर फंड
  • सर्विस लाइफ और उत्पादों की मरम्मत योग्यता पर जानकारी
  • न्यूनतम उत्पाद मरम्मत योग्यता संबंधी आवश्यकताएं
  • अनुपयोगी वस्तुओं को नष्ट करने पर रोक
  • उत्पादों को प्रचलन से बाहर करने पर नियोजित प्रतिबंध

पहली तीन नीतियों का उद्देश्य उत्पाद की उम्र बढ़ाने के लिए उत्पाद की मरम्मत को बढ़ावा देकर नए उत्पादों की ख़रीद को कम करके पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है. अन्य नीतियां प्रतिबंध संबंधी हैं, जो बाज़ार के ऐसे खिलाड़ियों को चेताती हैं, जो जानबूझकर नए उत्पादों को नष्ट कर देते हैं या उत्पाद लाइफस्पैन यानी उत्पाद के जीवन काल (योजनाबद्ध तरीके से उत्पादों को प्रचलन से बाहर करना) को कम करते हैं.

  1. रिपेयर वाउचर और रिपेयर फंड

ऑस्ट्रियाई शहरों वियना और ग्राज़ ने रिपेयर वाउचर पेश किए हैं. 2022 में योजना के पहले वर्ष के दौरान अकेले वियना में मरम्मत के 8,000 मामले देखे गए थे. वहां नागरिकों को एक वाउचर मिलता है, जो उन्हें प्रति वर्ष लगभग 1000 यूरो की अधिकतम सब्सिडी के साथ मरम्मत मूल्य में 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी देता है.[14],[15],[16] योजनाओं के प्रारंभिक मूल्यांकन से पता चलता है कि वाउचर मरम्मत की वज़ह से उपभोक्ताओं की धारणाओं को बदलने में सहायता मिल सकती है. इस प्रकार के संकेत भी मिले हैं कि उपभोक्ता अक्सर उस वक़्त उच्च गुणवत्ता वाले स्पेयर पार्ट्स की मरम्मत में निवेश करते हैं, जब सार्वजनिक धन से उन्हें लगने वाली लागतों को सब्सिडी मिलती है. मुख्य रूप से अनेक ब्रांड का काम करने वाले स्थानीय मरम्मत करने वालों के द्वारा ही वाउचर का उपयोग किया जा रहा है. अत: इस नीति का उद्देश्य छोटे मरम्मत करने वालों का समर्थन करना है जो अक्सर आर्थिक रूप से संघर्ष करते दिखाई देते हैं. इस योजना की प्रतियोगिता को प्रतिबंधित करने के लिए आलोचना की गई, क्योंकि योजना के तहत केवल छोटे मरम्मत कर्ता ही वाउचर का उपयोग कर सकते हैं.

हो सकता है कि सभी शहर या देश मरम्मत के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग करने के लिए तैयार न हों. इसके बजाय, मरम्मत को सब्सिडी देने के लिए उत्पाद निर्माताओं, आयातकों या खुदरा विक्रेताओं के पैसे का उपयोग किया जा सकता है. फ़्रांस एक मरम्मत कोष शुरू करने की योजना बना रहा है, जहां निर्माता उन उत्पादों की मरम्मत की लागत का भुगतान करेंगे, जिनकी वारंटी समाप्त हो चुकी हैं.[17]

  1. प्रोडक्ट की सर्विस लाइफ और उत्पादों की मरम्मत योग्यता पर जानकारी

फ़्रांस ने एक अनिवार्य रिपेयर इंडेक्स लागू किया है. इस इंडेक्स में शुरू में पांच उत्पाद समूहों को कवर किया गया है.[18] सूचकांक पांच कसौटियों का उपयोग करता है जो इंगित करती हैं कि उत्पाद कितना 'रिपेयरेबल यानी मरम्मत योग्य' है: दस्तावेज़ीकरण; डिस्असेंबली यानी बिखेरना; स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता; स्पेयर पार्ट्स की कीमत; और उत्पाद-विशिष्ट पहलू. प्रत्येक उत्पाद को प्रत्येक कसौटी के लिए 1 से 10 तक का अंक दिए जाते है. योजना के लागू होने के एक साल बाद, एक NGO द्वारा किए गए मूल्यांकन से पता चला कि अधिकांश फ्रांसीसी उपभोक्ता इंडेक्स के बारे में जानते हैं और इसे ख़रीदारी की स्थितियों में मददगार पाते हैं.[19] कई अन्य यूरोपीय देश इसी तरह का इंडेक्स लागू करने पर विचार कर रहे हैं. फ़्रांस भी 2024 तक ड्यूरेबिलिटी इंडेक्स पेश करने की योजना बना रहा है, जो किसी उत्पाद के स्थायित्व के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करेगा. यह इंडेक्स तैयार होने के बाद दोनों इंडेक्स को एकीकृत कर दिया जाएगा.[20]

इंडेक्स का एक संभावित नुक़सान यह है कि यदि निर्माता अपने उत्पादों पर अलग-अलग देशों में अलग-अलग लेबल लगाएंगे तो वे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को विकृत कर देंगे. EU से उम्मीद की जाती है कि वह एक EU-व्यापी लेबल,[21] पेश करके राष्ट्रीय पहलों का सामंजस्य स्थापित करेगा, जो उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए एक वैश्विक साधन बन सकता है.

  1. न्यूनतम उत्पाद मरम्मत योग्यता आवश्यकताएं

हाल ही में, EU ने कुछ उत्पाद समूहों, विशेष रूप से व्हाइट गुड्‌स के लिए मरम्मत योग्यता के विभिन्न पहलुओं को विनियमित करना शुरू कर दिया है.[22] उदाहरण के लिए, निर्माताओं और उत्पादकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पेशेवर मरम्मत करने वालों के लिए स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध हों, और स्पेयर पार्ट्स के कुछ हिस्से उपभोक्ताओं के लिए भी उपलब्ध होने चाहिए.

स्पेयर पार्ट्स को निर्दिष्ट कार्य दिवसों के भीतर वितरित किया जाना चाहिए और मरम्मत करने वालों पेशेवरों की मरम्मत के लिए आवश्यक सॉफ़्टवेयर तक पहुंच होनी चाहिए. सामान्य रूप से उपलब्ध उपकरणों के साथ उत्पाद के प्रमुख पुर्जों को अलग-अलग करना संभव होना चाहिए. इस तरह के और नियम आने वाले हैं: सेल फोन की मरम्मत पर EU के नियम और उपभोक्ता उत्पादों में बदली जाने वाली बैटरी के बारे में कानूनी प्रावधान निकट भविष्य में होने की उम्मीद है.

  1. अनुपयोगी सामान को नष्ट करने पर रोक

नीति निर्माता उन उत्पादों को लेकर चिंतित है जो बड़ी मात्रा में अप्रयुक्त रहते हैं और सीधे लैंडफिल, भस्मीकरण या, सबसे अच्छे मामले में, रीसाइक्लिंग के लिए जाते हैं. कई यूरोपीय देशों ने इस समस्या का समाधान करना शुरू कर दिया है: फ्रांस ने बिना बिके सामानों को नष्ट करने पर प्रतिबंध लगा दिया है,[23],[24] जर्मनी ने नष्ट किए गए सामानों की मात्रा की अनिवार्य रूप से जानकारी देने को लेकर व्यवस्था बनाई है, और बेल्जियम ने परोपकार में दान में दिए जाने वाले उत्पादों के लिए मूल्य वर्धित कर (VAT) कम कर दिया है.[25],[26]

ये नीतियां अपेक्षाकृत नई हैं और इनका मूल्यांकन नहीं किया गया है. हालांकि, प्रारंभिक शोध इंगित करता है कि सीमित रिपोर्टिंग दायित्वों और बड़ी मात्रा में वस्तुओं के दान से जुड़ी व्यावहारिक समस्याओं के कारण फ्रांसीसी प्रतिबंध अप्रभावी है.[27] मार्च 2022 में, EU ने अप्रयुक्त वस्तुओं के संबंध में यूरोपीय आर्थिक ऑपरेटरों के लिए रिपोर्टिंग दायित्वों का प्रस्ताव दिया है और विनाश के नियम बनाए है जो EU में बिना बिके सामानों के विनाश पर प्रतिबंध लगाना संभव करेगा.[28]

  1. योजनाबद्ध तरीके से वस्तुओं को प्रचलन से बाहर करने को गैरकानूनी घोषित करना

फ़्रांस के कन्जूमर कोड में, योजनाबद्ध तरीके से वस्तुओं को प्रचलन से बाहर करने को "... तकनीकों का एक समूह जिसके माध्यम से एक मैन्युफैक्चरर या मार्केट से किसी उत्पाद के जीवन चक्र को जानबूझकर कम करने की कोशिश करता है, ताकि इसकी प्रतिस्थापन दर को बढ़ाया जा सके" के रूप में परिभाषित किया गया है.[29] फ्रांस ने योजनाबद्ध तरीके से वस्तुओं को प्रचलन से बाहर करने को गैरकानूनी घोषित किया है. कानूनी पाठ का उद्देश्य उत्पाद प्रदर्शन को कम करने के तरीके के रूप में उत्पाद डिज़ाइन और सॉफ़्टवेयर अपडेट के उपयोग दोनों को कवर करना है. योजनाबद्ध तरीके से वस्तुओं को प्रचलन से बाहर करने पर दो साल के कारावास और 300,000 यूरो के जुर्माने से दंडनीय किया गया है. इस जुर्माने को उल्लंघन से निकाले गए लाभों के अनुपात में औसत वार्षिक कारोबार के 5 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है, जिसकी गिनती उल्लंघन की तारीख से पहले के तीन वर्ष में हुए सालाना कारोबार से की जाती है. हालांकि इस अपराध को साबित करना मुश्किल है, लेकिन योजनाबद्ध तरीके से वस्तुओं को प्रचलन के बाहर करने को गैरकानूनी किए जाने से बाज़ार को एक स्पष्ट संकेत मिलता है.

G20 के लिए सिफारिशें

ऊपर उल्लिखित सभी नीतियां यूरोपीय हैं. यूरोपीय उत्पाद नीति अन्य देशों को भी महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है क्योंकि दुनिया भर में अनेक निर्माता EU के कानूनों का पालन करना चाहते हैं.[30] हालांकि, यूरोप में भी राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व उभर सकता है, जैसा कि फ्रांसीसी नीतियों या स्थानीय स्तर पर, जैसा कि वियना और ग्राज़ में उपयोग किए जाने वाले रिपेयर वाउचर के मामले में देखा गया है. अंतर्राष्ट्रीय नीतियां विकसित करते वक़्त तो यह विचार करना आवश्यक है कि इको-लेबलिंग योजनाएं, उपभोक्ताओं की हरित उत्पादों के लिए भुगतान करने की इच्छा और मरम्मत करने वालों को प्रमाणित करने के लिए मौजूदा सिस्टम विभिन्न देशों के बीच अलग-अलग हो सकते हैं.

नीति निर्माण और सहयोग के अनेक मुद्दे G20 के संदर्भ में प्रासंगिक हैं. सबसे पहले, उत्पाद स्थायित्व और मरम्मत पर EU की नीतियां उत्पाद डिजाइन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं, जो यूरोप के बाहर के उपभोक्ताओं के लिए भी सहायक हो सकती हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि EU के बाहर अनेक निर्माता यूरोपीय कानूनों का पालन करने वाले उत्पाद डिजाइन विकसित करते हैं, और इनमें से कुछ उत्पाद अन्य बाज़ारों में भी बेचे जाते हैं. दूसरा, G20 देश एक दूसरे से और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से भी सीख सकते हैं; कुछ देश आर्थिक कारणों से उत्पादों की मरम्मत में बेहतर हो सकते हैं और उनके पास प्रासंगिक कौशल के साथ अधिक मरम्मत की दुकान और श्रमिक उपलब्ध हैं.[31] तीसरा, उच्च आय वाले देशों के लिए मरम्मत के सामुदायिक पहलुओं को बेहतर ढंग से तलाशने और विकसित करने का कारण भी हो सकता है.[32] सामुदायिक मरम्मत अक्सर गैर-लाभकारी होती है और एक साथ सीखने और ज्ञान साझा करने, उत्पाद जीवन का विस्तार करने और उत्पादों के प्रति लगाव बढ़ाने के विचारों पर निर्मित होती है, जिससे उत्पाद निपटान और कचरे की मात्रा कम हो जाती है.

एक अन्य पहलू स्थानीय पहलों का महत्व है. ऑस्ट्रियाई शहरों द्वारा उपयोग किए जाने वाले रिपेयर वाउचर स्थानीय, छोटे स्तर के मरम्मत कर्ताओं के नेटवर्क से जुड़े थे. इसमें स्थानीय स्तर पर प्रणाली के विकास और प्रसार पर काफ़ी ध्यान दिया गया था. ऐसी प्रणाली स्थानीय साझाकरण अर्थव्यवस्था की आधारशिला भी हो सकती है जहां साथियों और संगठनों के बीच सामान साझा किया जाता है और इन सामानों की कभी-कभी मरम्मत भी की जाती है. अंततः, मरम्मत भी सर्कुलर इकोनॉमी में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, ख़ासकर जब बात पुन: उपयोग का समर्थन करने की आती है.[33]

इस लेख में बताए गए पांच विकल्पों के अलावा कई अन्य नीतिगत विकल्प हैं जो लंबे समय तक उत्पाद के जीवन काल का समर्थन कर सकते हैं. आगे बढ़ने का एक आशाजनक तरीका नीतिगत पैकेजों को लागू करना है, जो पर्याप्त प्रभाव प्राप्त करने के लिए नीतियों का मिश्रण होगा. ऐसा इसलिए है, क्योंकि उपभोग की आदतें जटिल हैं और एक विशेष संदर्भ में होती हैं, जो विभिन्न संस्थागत, ढांचागत और सांस्कृतिक ताकतों से उत्पन्न होती हैं. नीति पैकेज उपकरणों का एक संयोजन है जो एक साथ निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने की संभावना को बढ़ाता है और प्रतिकूल दुष्प्रभावों को कम करते हुए नीति के कार्यान्वयन और वैधता को आसान बनाता है.[34]

निम्नलिखित नीति पैकेज का एक उदाहरण है जो उत्पाद की मरम्मत का समर्थन कर सकता है और इस प्रकार विनियामक, आर्थिक और सूचना-आधारित उपकरणों को एक साथ लाकर स्थायी ख़पत को बढ़ावा दे सकता है:

  1. ‘राइट टू रिपेयर’ नीति: इस नीति के तहत निर्माताओं को उपभोक्ताओं और स्वतंत्र मरम्मत की दुकानों के लिए मरम्मत की जानकारी, पुर्जे और उपकरण उपलब्ध कराने होंगे. इसके साथ ही तीसरे पक्ष की मरम्मत को रोकने के लिए निर्माताओं को सॉफ़्टवेयर या अन्य युक्तियों का उपयोग करने से रोकना होगा.
  2. मिनिमम प्रोडक्ट रिपेयरेबिलिटी रिक्वायरमेंट : इस नीति के लिए निर्माताओं को आसानी से अलग करने योग्य, मरम्मत योग्य और टिकाऊ उत्पादों को डिजाइन करना होगा. यह मरम्मत के लिए न्यूनतम मानक जैसे बैटरी या अन्य घटकों को बदलने की क्षमता निर्धारित करेगा.
  3. इंर्फोमेशन ऑन द सर्विस लाइफ एंड रिपेयरेबिलिटी ऑफ प्रोडक्ट : इस नीति के लिए निर्माताओं को उपभोक्ताओं को अपेक्षित सर्विस लाइफ और उत्पादों की मरम्मत योग्यता के बारे में जानकारी जैसे कि लेबल या ऑनलाइन डेटाबेस के माध्यम से, प्रदान करनी होगी. इससे उपभोक्ताओं को ख़रीदारी करते वक़्त अधिक सूचित निर्णय लेने में मदद मिलेगी और निर्माताओं को बेहतर उत्पाद डिजाइन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा.
  4. मरम्मत के लिए वित्तीय प्रोत्साहन: यह नीति उपभोक्ताओं को अपने उत्पादों को बदलने के बजाय मरम्मत करने के लिए प्रोत्साहित करेगी. इसमें मरम्मत व्यय, रिपेयर वाउचर, या मरम्मत सेवाओं और उपकरणों के लिए सब्सिडी या टैक्स क्रेडिट शामिल हो सकते हैं.
  5. सार्वजनिक जागरूकता, शिक्षा और आउटरीच: इस नीति में मरम्मत और टिकाऊ ख़पत के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक शिक्षा अभियान और आउटरीच कार्यक्रम शामिल होंगे. मरम्मत संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक कार्यक्रमों और विज्ञापन अभियानों के आयोजन के अलावा, इन प्रयासों में मरम्मत कार्यशालाएं और मरम्मत कौशल सीखने के लिए प्रशिक्षण सत्र शामिल हो सकते हैं.

इन नीतियों को एक व्यापक नीति पैकेज में संयोजित करने से विभिन्न नीतिगत उद्देश्यों के बीच तालमेल स्थापित कर ट्रेड-ऑफ को कम करना संभव हो जाता है. इसके साथ में, ये नीतियां उपभोक्ता की पसंद का समर्थन करते हुए और अधिक स्थायी अर्थव्यवस्था विकसित कर मरम्मत को बढ़ावा देने और कचरे को कम करने में सहायक साबित हो सकती हैं.

अनुसंधान से पता चलता है कि ख़पत के पैटर्न को बदलने में सूचनात्मक उपकरणों की तुलना में प्रशासनिक और आर्थिक उपकरण अधिक प्रभावी होते हैं, लेकिन सूचनात्मक उपकरण उनकी स्वीकृति में मदद और वृद्धि कर सकते हैं.[35] नीति पैकेज में विभिन्न उपकरण खिलाड़ियों जैसे, निर्माता/निर्माता, खुदरा विक्रेता और उपभोक्ता को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करते हैं.[36] एक ही पैकेज में नीतियों को एकत्रित करने से ये नीतियां, रिबाउंड इफेक्ट्‌स का प्रतिकार कर सकती हैं जो अक्सर स्टैंडअलोन यानी स्वतंत्र नीतियों की प्रभावशीलता और परिणाम को कमज़ोर करते हैं.[37] इस लेख में उल्लेखित नीतियों से पता चलता है कि एक नीति मिश्रण: 1) विभिन्न प्रोत्साहनों का उपयोग कर सकता है - उदाहरण के लिए, बिना बिके सामानों के विनाश पर प्रतिबंध या मरम्मत वाउचर जो उपभोक्ताओं के बीच मरम्मत को प्रोत्साहित करते हैं; 2) नीति मिश्रण को विभिन्न स्तरों पर अपनाया जाना चाहिए—जैसे, EU स्तर, राष्ट्रीय स्तर और स्थानीय स्तर; और 3) ये नीति मिश्रण विभिन्न खिलाड़ियों - जैसे, उपभोक्ता और निर्माता को संबोधित करते हैं.

देशों के बीच नीतिगत पैकेजों को लागू करने की क्षमता भिन्न हो सकती है. उदाहरण के लिए, EU की तुलना में अनेक विकासशील देशों में मरम्मत अधिक सामान्य और सस्ती है, लेकिन वहां उपभोक्ता कानून कम विकसित है और उपभोक्ता संरक्षण कमज़ोर है. देशों के बीच सार्वजनिक धन के साथ मरम्मत गतिविधियों का समर्थन करने की क्षमता भी भिन्न हो सकती है. निकट भविष्य में, यूरोपीय उपभोक्ताओं के पास विकासशील देशों के उपभोक्ताओं की तुलना में स्पेयर पार्ट्स की बेहतर पहुंच होगी, क्योंकि निर्माताओं को यूरोप में स्पेयर पार्ट की आपूर्ति करना अनिवार्य होगा. कई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में ऐसा करने की कोई समान बाध्यता नहीं है. यहां तक ​​कि जब निर्माता स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति करना चाहते हैं, तो उन्हें अक्सर बाधाओं का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उन्हें सस्ते, नकली स्पेयर पार्ट्‌स के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है, और अनेक विकासशील देशों को आयातित स्पेयर पार्ट्‌स के महंगे प्रमाणन की ज़रूरत होती है. इस प्रकार, देशों को कानूनों और मानकों के सामंजस्य और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर सहयोग करने की आवश्यकता है. इसके लिए यह स्वीकार करना होगा कि लंबे जीवन काल और मरम्मत को बढ़ावा देने के लिए नीति पैकेज का विशिष्ट डिजाइन राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय संदर्भों पर निर्भर करता है.


एट्रीब्यूशन : कार्ल डलहमर, et al., ‘‘पॉलिसी इन्स्ट्रूमेंट्‌स टू एक्सटेंड द लाइफ ऑफ कंज्यूमर ड्यूरेबल्स,’’ T20 पॉलिसी ब्रीफ, मई 2023.


Endnotes

[1] IPCC, “Climate Change 2022: Impacts, Adaptation and Vulnerability. Working Group II Contribution to the Sixth Assessment Report of the Intergovernmental Panel on Climate Change,” 2022, 10.1017/9781009325844.

[2]  L. Akenji et al., “1.5-Degree Lifestyles: Towards A Fair Consumption Space for All,” Hot or Cool Institute, 2021.

[3] E. Fauré et al., “Environmental Pressure from Swedish Consumption–The Largest Contributing Producer Countries, Products and Services’, J. Clean. Prod. 231: 698–713 (2019).

[4]  IPBES, “Summary for Policymakers of the Global Assessment Report on Biodiversity and Ecosystem Services of the Intergovernmental Science-Policy Platform on Biodiversity and Ecosystem Services,” 2019.

[5] C. Dalhammar, G. Finnveden, and A. Ekvall, “Making Governance Better for Fair and Sustainable Consumption,” Stockholm Environment Institute, May 2022.

[6]  D. Monciardini, E. Maitre-Ekern, C. Dalhammar, and R. Malcolm, “Circular Economy Regulation: An Emerging Research Agenda,” in Handbook of the Circular Economy Transitions and Transformation, eds. A. Alexander, S. Pascucci, and F. Charnley (De Gruyter, 2023).

[7]  O. Mont, M. Lehner, and C. Dalhammar, “Sustainable Consumption Through Policy Intervention—A Review of Research Themes,” Front. Sustain. 3 (2022).

[8] C. Dalhammar, L. Milios, and J. L. Richter, “Increasing the Lifespan of Products: Policies and Consumer Perspectives,” Swedish Energy Agency, ER 25 (2021).

[9] Ökopol and EEB, “Prohibiting the Destruction of Unsold Goods’,” Policy Brief, European Environmental Bureau, 2021.

[10] M. Jaeger-Erben, H. Wieser, M. Marwede, and F. Hofmann, Eds., “Durable Economies: Managing the Material Foundations of Wealth and Prosperity,” in Durable Economies.

[11] European Commission. ”Proposal for Ecodesign for Sustainable Products Regulation”, 2022.

[12] H. Roberts, L. Milios, O. Mont, and C. Dalhammar, “Product Destruction: Exploring Unsustainable Production-Consumption Systems and Appropriate Policy Responses,” Sustain. Prod. Consum. 35 (January 2023): 300–312, 10.1016/j.spc.2022.11.009.

[13] C. Dalhammar, “Making Sustainable Products the Norm on the Internal Market: An Assessment of the Proposal for a New Ecodesign Regulation,” Eur. Tidskr. 1 (2023).

[14] J. Almén, C. Dalhammar, L. Milios, and J. L. Richter, “Repair in the Circular Economy: Towards a National Swedish Strategy,” doi: 10.3217/978-3-85125-842-4-15.

[15] O. Butler, “Austria Launches a Nation-Wide Repair Bonus Scheme,” Right to Repair Europe, May 05, 2022.

[16] G. Lechner, M. J. Wagner, A. Diaz Tena, C. Fleck, and M. Reimann, “Exploring a Regional Repair Network With a Public Funding Scheme for Customer Repairs: The ‘GRAZ Repariert’-Case,” J. Clean. Prod. 288 (March 2021): 125588, doi: 10.1016/j.jclepro.2020.125588.

[17]  H. Thompson, “France to Launch Grants for People to Repair Home Electronic Goods,” November 15, 2022.

[18] HOP, “The French Repairability Index. A First Assessment – One Year After its Implementation,” 2022.

[19] HOP, “The French Repairability Index. A First Assessment – One Year After its Implementation”

[20] ADEME, “Preparatory Study for the Introduction of a Durability Index,” July 2021.

[21] Dalhammar, “Making Sustainable Products the Norm on the Internal Market: An Assessment of the Proposal for a New Ecodesign Regulation”

[22] Mont, Lehner, and Dalhammar, “Sustainable Consumption Through Policy Intervention—A Review of Research Themes”

[23] EMF, “France’s Anti-Waste and Circular Economy Law: Eliminating Waste and Promoting Social Inclusion,” 2021.

[24] Roberts et al., “Product Destruction: Exploring Unsustainable Production-Consumption Systems and Appropriate Policy Responses,”

[25]Donations of Unsold Non-Food Products are Now VAT Exempt,” The Brussels Times, 2019.

[26] Roberts et al., “Product Destruction: Exploring Unsustainable Production-Consumption Systems and Appropriate Policy Responses”

[27] Roberts et al., “Product Destruction: Exploring Unsustainable Production-Consumption Systems and Appropriate Policy Responses”

[28] European Commission. ”Proposal for Ecodesign for Sustainable Products Regulation”

[29] HOP, “Stop Planned Obsolescence,” 2023.

[30]  A. Bradford, The Brussels Effect: How the European Union Rules the World (USA: Oxford University Press, 2020).

[31] I. Khan, “Repair or Replace: Sustainable Practice in the Developing World,” Springer Nature, 2022.

[32] M. van der Velden, ‘“Fixing the World One Thing at a Time”: Community Repair and a Sustainable Circular Economy,” J. Clean. Prod. 304 (July 2021): 127151, doi: 10.1016/j.jclepro.2021.127151.

[33] O. Mont and E. Heiskanen, “Breaking the Stalemate of Sustainable Consumption with Industrial Ecology and a Circular Economy,” in Handbook of Research on Sustainable Consumption, eds. L. Reisch and J. Thøgersen (Edward Elgar Publishing, 2015).

[34] M. Givoni, J. Macmillen, D. Banister, and E. Feitelson, “From Policy Measures to Policy Packages,” Transp. Rev. Transnatl. Transdiscipl. J. 33, no. 1 (2013): 1–20.

[35] M. Dijk, M. Givoni, and K. Diederiks, ‘Piling Up Or Packaging Policies? An Ex-Post Analysis of Modal Shift in Four Cities,” Energies 11, no. 6 (2018): 1400.

[36] C. Dalhammar, C. Hartman, J. Larsson, J. Jarelin, and O. Mont, “Avveckla köp-och-slängsamhället Fem politiska styrmedel för ökad livslängd hos konsumentprodukter,” Chalmers tekniska högskola, 2022.

[37]  M. Malmaeus, Å. Nyblom, A. Mellin, L. Hasselström, and J. Åkerman, “Rekyleffekter och utformning av styrmedel,” IVL Svenska Miljöinstitutet, February 2021.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.