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चीन ताइवान संघर्ष के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या उसका अगला निशाना कौन. क्या यह भारत के लिए खतरे की घंटी है. भारत चीन सीमा विवाद को लेकर यह सवाल लाजमी है. ऐसे में चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए भारत की क्या तैयारी है.
चीन की आक्रामकता का सामना ताइवान को करना पड़ रहा है. चीन ने ताइवान के खिलाफ पूरा सैन्य मोर्चा खोल रखा है. इसकी आंच अमेरिका तक पहुंच रही है. दक्षिण चीन सागर, हिंद प्रशांत महासागर समेत कई देश चीन के इस आक्रामक रवैये से चिंतित है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ताइवान के बाद चीन की नजर अरुणाचल प्रदेश पर होगी. यह सवाल तब और अहम हो जाता है जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक मंच को साझा करने वाले हैं.ऐसे में भारत को क्या रणनीति बनानी चाहिए. कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर भारत की क्या तैयारी है. इन सब मामलों में क्या है विशेषज्ञ की क्या राय.
दक्षिण चीन सागर, हिंद प्रशांत महासागर समेत कई देश चीन के इस आक्रामक रवैये से चिंतित है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ताइवान के बाद चीन की नजर अरुणाचल प्रदेश पर होगी.
प्रो पंत ने कहा कि चीन के तेवर और रणनीति को देखते हुए इसमें कोई संदेह नहीं लगता है. पूर्वी लद्दाख में वह अपने अवैध कब्ज़े को जिस तरह से जायज़ ठहरा रहा है, उससे चीन की मंशा पर शक होता है.
प्रो पंत ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत अपनी सीमा सुरक्षा को लेकर ज्यादा संवेदनशील हुआ है. भारतीय सेना ने अपनी जरूरतों के मुताबिक कई तरह के हथियारों को सैन्य बेड़े में शामिल किया है. इसके लिए भारत ने रूस और अमेरिका के अलावा अन्य देशों की मदद ली है.
उधर, ताइवान संकट पर भारत ने बहुत सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. भारत ने यथास्थिति को बदलने के किसी एकतरफ़ा प्रयास से बचने का अनुरोध किया है. यही नहीं भारत ने चीन की मांग के बाद भी ‘एक चीन नीति’ के समर्थन में साल 2010 के बाद अब तक कोई बयान नहीं दिया है. प्रो पंत ने कहा कि यह भारत की ओर से चीन के कदमों की एक तरह से निंदा है. चीन के दबाव के बाद दुनिया के दर्जनों देशों ने ‘एक चीन नीति’ को दोहराया है. इसमें भारत के सभी पड़ोसी देश शामिल हैं. दरअसल, चीन ने अपनी एक चीन नीति में भारत के अरुणाचल प्रदेश को भी शामिल किया है जिसका भारत कड़ा विरोध करता है. यही वजह है कि अब खुलकर एक चीन नीति का समर्थन नहीं करता है. भारत के इस रुख के बाद चीन के राजदूत ने मांग की है कि भारत ‘एक चीन नीति’ को दिए अपने समर्थन को फिर से दोहराए.
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यह लेख जागरण में प्रकाशित हो चुका है
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Professor Harsh V. Pant is Vice President – Studies and Foreign Policy at Observer Research Foundation, New Delhi. He is a Professor of International Relations ...
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