Author : Harsh V. Pant

Originally Published नवभारत टाइम्स Published on Oct 24, 2024 Commentaries 0 Hours ago

इस्लामाबाद का दौरा कर जयशंकर ने SCO सदस्यों को संदेश दिया है कि नई दिल्ली इस मंच को लेकर गंभीर है. पाकिस्तान तो निमित्त मात्र था.

भारतीय विदेश मंत्री की यात्रा SCO के लिए, पाकिस्तान से रिश्तों में बदलाव के आसार नहीं

हफ्तों मीडिया में सनसनी फैलाए रहने के बाद आखिरकार शांघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की शिखर बैठक विदेश मंत्री एस जयशंकर की संक्षिप्त इस्लामाबाद यात्रा के साथ पूरी हुई. भारत-पाक रिश्तों को लेकर चाहे जो भी अटकलें लगाई जाती रही हों, SCO की यह 23वीं बैठक जिस चीज के लिए याद रखी जाएगी वह है – जयशंकर का काला चश्मा. सोशल मीडिया के दौर में जयशंकर का काला चश्मा लगाना पाकिस्तान के मामले में भारत के आत्मविश्वास का प्रतीक बन गया. पहली नजर में बात भले हास्यास्पद लगे, लेकिन हकीकत यही है कि पाकिस्तान को लेकर भारतीय विदेश नीति में देखने-विचारने लायक बात अब बस राजनयिकों का बॉडी लैंग्वेज और उनकी स्टाइल ही रह गई है.

शिखर बैठक के लिए जयशंकर को इस्लामाबाद भेजकर भारत ने संकेत दिया कि वह SCO के साथ अपने जुड़ाव को बरकरार रखना चाहता है.

SCO की अहमियत

शिखर बैठक के लिए जयशंकर को इस्लामाबाद भेजकर भारत ने संकेत दिया कि वह SCO के साथ अपने जुड़ाव को बरकरार रखना चाहता है. पिछले साल जब SCO बैठक में शामिल होने बिलावट भुट्टो जरदारी गोवा आए थे, तो वह 2011 के बाद भारत आने वाले पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्री थे. ऐसे ही इस बार जयशंकर करीब एक दशक की अवधि में पाकिस्तान जाने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री बने. लेकिन ये दोनों ही यात्राएं द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज से बेनतीजा रहीं.

 

सुरक्षा चुनौतियों पर फोकस

2001 में स्थापित रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और ईरान जैसे देशों की सदस्यता वाला यह संगठन ऐसा यूरेशियाई समूह है जो उग्रवाद और आतंकवाद जैसी क्षेत्रीय सुरक्षा संबंधी चुनौतियों से निपटने के एक मंच के रूप में शुरू हुआ था. व्यापार और निवेश को सुविधाजनक बनाने और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने जैसे लक्ष्य बाद में इसके दायरे में शामिल किए गए.

सदस्य देशों के बदलते भू-राजनीतिक हितों ने राज्य प्रायोजित आतंकवाद से निपटने की SCO की क्षमता को प्रभावित किया है. भारत जरूर आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने की जरूरत पर लगातार जोर देता है और खास तौर पर पाकिस्तान में पलते-बढ़ते राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर चिंता भी जताता है, लेकिन उसे खास सफलता नहीं मिली है. यही नहीं, शांतिपूर्ण, समृद्ध और स्थिर अफगानिस्तान के सवाल पर इस समूह में जिस तरह के मतभेद उभरे, वे भी इसकी राह में आने वाली चुनौतियों को रेखांकित करते हैं. ये बताते हैं कि सदस्य देश अक्सर क्षेत्र में शांति के लिए सामूहिक दृष्टिकोण के ऊपर अपने संकीर्ण हितों को प्रधानता देते हैं.

जयशंकर ने इस अवसर पर स्पष्ट किया कि ‘यदि सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से वास्ता रखती हैं, तो समानांतर रूप से व्यापार, कारोबार और आम लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता.’

इस्लामाबाद में बैठक के दौरान जयशंकर ने SCO को उसके मूल उद्देश्यों की याद दिलाते हुए बुनियादी बातों पर टिके रहने की जरूरत बताई. उन्होंने कहा- यह अलग से बताना जरूरी नहीं कि विकास और आर्थिक वृद्धि के लिए शांति और स्थिरता की जरूरत होती है. और जैसा कि चार्टर में भी स्पष्ट किया गया है, इसका अर्थ है कि ‘तीन बुराइयों’ का मुकाबला करने में दृढ़ और अडिग रवैया अपनाना होगा. जयशंकर ने इस अवसर पर स्पष्ट किया कि ‘यदि सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से वास्ता रखती हैं, तो समानांतर रूप से व्यापार, कारोबार और आम लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता.’

एकतरफा अजेंडा नुकसानदेह

यदि पाकिस्तान पर स्पष्ट निशाना था, तो चीन को भी बख्शा नहीं गया. उन्होंने कहा कि ‘इकतरफा अजेंडा के आधार पर सहयोग नहीं बढ़ाया जा सकता. जरूरी है कि यह परस्पर सम्मान और संप्रभु राष्ट्रों की समानता के सिद्धांत पर आधारित हो, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को स्वीकार करे और वास्तविक साझेदारी के जरिए आगे बढ़े. यदि हम व्यापार और पारगमन से जुड़े वैश्विक चलन को अपने हिसाब से चुनेंगे तो SCO आगे नहीं बढ़ सकता.’ अपनी घोषित नीति के अनुरूप ही भारत ने चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल का समर्थन करने से इनकार कर दिया. इस मसले पर वह SCO में अलग खड़ा नजर आया, क्योंकि अन्य सदस्यों ने चीन की इस संपर्क पहल का समर्थन किया.

 

पाकिस्तान और चीन की चुनौतियों के बावजूद मध्य एशिया भारत के लिए प्राथमिकता बना हुआ है. जयशंकर की इस्लामाबाद यात्रा इसका सबूत थी. 2017 में पूर्ण सदस्य बनने के बाद से भारत ने आतंकवाद से निपटने को प्राथमिकता दी है और यह इसके लिए सदस्य देशों के बीच और अधिक सहयोग की वकालत करता रहा है. भारत यूरेशिया में कनेक्टिविटी और सामाजिक-आर्थिक विकास पर भी जोर देता है. इंटरनैशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर और चाबहार पोर्ट प्रॉजेक्ट जैसी पहल इस क्षेत्र में ट्रेड और कनेक्टिविटी बढ़ाने को लेकर भारत की प्रतिबद्धता प्रदर्शित करती हैं.

 

पाकिस्तान के साथ रिश्ते में जल्द कोई बदलाव आने के आसार नहीं हैं. कुछ महीने पहले ही जयशंकर ने घोषणा की थी कि पाकिस्तान के साथ ‘निर्बाध बातचीत का युग’ समाप्त हो गया है. इस्लामाबाद का दौरा कर जयशंकर ने SCO सदस्यों को संदेश दिया है कि नई दिल्ली इस मंच को लेकर गंभीर है. पाकिस्तान तो निमित्त मात्र था.

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