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ऐसे में सवाल उठता है कि क्या चीन और ताइवान के बीच युद्ध होगा. अगर यह युद्ध हुआ तो इसमें अमेरिका जापान और पश्चिमी देशों की क्या भूमिका होगी. क्या यह जंग अब चीन और ताइवान से आगे निकल जाएगा. क्या होगी क्वाड देशों की भूमिका.
अमेरिकी कांग्रेस की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन और ताइवान के बीच जंग जैसे हालात हैं. चीन अपने सैन्य अभ्यास के ज़रिए ताइवान को डराने के लिए भरसक प्रयास में जुटा है, हालांकि ताइवान किसी भी हाल में झुकने को तैयार नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या चीन और ताइवान के बीच युद्ध होगा. अगर यह युद्ध हुआ तो इसमें अमेरिका, जापान और पश्चिमी देशों की क्या भूमिका होगी. एक सवाल और कि जिस तरह से जापान और क्वाड के अन्य देशों ने ताइवान के प्रति अपनी दिलचस्पी दिखाई है, उससे यह तय माना जा रहा है कि अब यह जंग चीन और ताइवान तक सीमित नहीं रहेगी. क्या ऐसे में दुनिया एक और महायुद्ध की दिशा में आगे बढ़ रही है. आइए जानते हैं कि इस पर विशेषज्ञों की क्या राय है.
चीन अपने सैन्य अभ्यास के ज़रिए ताइवान को डराने के लिए भरसक प्रयास में जुटा है, हालांकि ताइवान किसी भी हाल में झुकने को तैयार नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या चीन और ताइवान के बीच युद्ध होगा.
अमेरिका और पश्चिमी देशों की मदद के चलते यूक्रेन रूस के खिलाफ़ डटा हुआ है. इसलिए चीन कभी नहीं चाहेगा कि यूक्रेन जैसी स्थिति बने.
उधर, ताइवान से जारी तनाव के बीच चीन की सेना ने पूर्वी कमान में ज्यादा भर्ती करने की तैयारी कर ली है. इसके लिए भर्ती की अधिकतम आयुसीमा में दो वर्ष की छूट दी गई है. अब इसे 24 वर्ष से बढ़ा कर 26 वर्ष कर दिया गया है. यानी अब ज्यादा से ज्यादा लोग सेना में शामिल होने के लिए आवेदन कर सकेंगे. बता दें कि पूर्वी कमान ताइवान समेत दक्षिण चीन सागर में आने वाले कई देशों की सीमाओं पर तैनात रहती है. फिलहाल चीन की सेना में 23 लाख सैनिक हैं. चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी सेना है. इसके बावजूद चीन और ज्यादा सैनिक भर्ती करना चाहता है तो इससे उसके इरादों की झलक भी मिल जाती है.
यह लेख जागरण में प्रकाशित हो चुका है
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Professor Harsh V. Pant is Vice President – Studies and Foreign Policy at Observer Research Foundation, New Delhi. He is a Professor of International Relations ...
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