Author : Don McLain Gill

Published on Sep 14, 2023 Updated 0 Hours ago

ये उम्मीद पूरी होने की संभावना बहुत कम है कि साझा युद्ध अभ्यास से इन दोनों देशों के सामरिक संबंध और गहरे होंगे. क्योंकि चीन, दक्षिणी चीन सागर में अपनी आक्रामक महत्वाकांक्षाओं पर लगाम लगाने के लिए तैयार नहीं है.

क्या साझा युद्धाभ्यास से सुधरेंगे चीन और फिलीपींस के रिश्ते?

फिलीपींस के मंडालूयोंग शहर में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की 96वीं सालगिरह के जश्न के दौरान, फिलीपींस में चीन के राजदूत  हुयांग शिलियान ने फिलीपींस के साथ साझा सैन्य अभ्यास करने का प्रस्ताव रखा था. जैसा कि फिलीपींस के सैन्य बलों (AFP) के प्रमुख जनरल रोमियो ब्रॉनर जूनियर ने बताया कि वैसे तो ये प्रस्ताव अनाधिकारिक  और अनौपचारिक तरीक़े से रखा गया था. लेकिन, ये भी बताया गया था कि फिलीपींस के सैन्य बलों ने चीन के इस प्रस्ताव को पूरी तरह से नकारा भी नहीं है.

सबसे अहम सवाल तो ये है कि- अगर चीन और फिलीपींस मिलकर सैन्य अभ्यास करते भी हैं, तो क्या इससे दोनों देशों के आपसी सुरक्षा संबंधों में कोई बड़ा सुधार आएगा?

वैसे तो इस प्रस्ताव को लेकर तरह तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या फिलीपींस के मौजूदा राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर के शासनकाल में चीन के साथ कोई युद्ध अभ्यास हो सकता है. लेकिन, सबसे अहम सवाल तो ये है किअगर चीन और फिलीपींस मिलकर सैन्य अभ्यास करते भी हैं, तो क्या इससे दोनों देशों के आपसी सुरक्षा संबंधों में कोई बड़ा सुधार आएगा?

 

साझा सैन्य अभ्यासों की अहमियत

 

साझा युद्धाभ्यास  एक तरह की रक्षा कूटनीति होते हैं. आज के दौर में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के मंज़र में जहां तरह तरह की नई पारंपरिक और ग़ैर पारंपरिक चुनौतिया खड़ी हो रही हैं, तो इन साझा युद्ध अभ्यासों की महत्ता और बढ़ गई है. ज़मीनी स्तर पर दो देशों की सेनाएं मिलकर अभ्यास करती हैं, तो इससे दोनों को एक दूसरे के बारे में जानकारी बढ़ाने का मौक़ा मिलता है. दोनों सेनाएं अभ्यास के दौरान एक दूसरे की सैन्य प्रक्रिया और रक्षा तकनीकों (हथियार और दूसरे साज़सामान) से परिचित हो जाती हैं. साझा युद्ध अभ्यासों से दो देशों को एक दूसरे की सेनाओं के साथ असरदार तरीक़े से प्रशिक्षित होने का मौक़ा मिलता है. कभी अगर युद्ध छिड़ जाए या फिर दोनों देशों की सेनाएं अगर मिलकर ग़ैर पारंपरिक मसलों जैसे कि मानवीय आपदा में मदद कर रहे हैं तो साझा युद्धाभ्यास  का तजुर्बा बहुत काम आता है; इसके अलावा, मिलकर सैन्य अभ्यास करने से दो देशों की सेनाओं को समुद्री डकैतीअवैध, बिना जानकारी के अनियमित रूप से मछली मारने जैसी गतिविधियों पर लगाम लगाने में भी मदद मिलती है.

राष्ट्रीय सुरक्षा के समीकरणों में इनकी संवेदनशीलता को देखते हुए, ये साझा युद्ध अभ्यास ये भी दिखाते हैं कि किस तरह दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे पर बहुत अधिक भरोसा करती हैं, और क्षेत्र को लेकर साझा मक़सद में दोनों का कितना आपसी विश्वास है. 

वहीं अधिक प्रतीकात्मक मोर्चे पर सैन्य अभ्यास सामरिक संकेत देने का एक बड़ा माध्यम बनते हैं. कई बार दो देश मिलकर, ख़तरा समझे जाने वाले किसी तीसरे और साझा दुश्मन देश को संकेत देने के लिए सैन्य अभ्यास करते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा के समीकरणों में इनकी संवेदनशीलता को देखते हुए, ये साझा युद्ध अभ्यास ये भी दिखाते हैं कि किस तरह दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे पर बहुत अधिक भरोसा करती हैं, और क्षेत्र को लेकर साझा मक़सद में दोनों का कितना आपसी विश्वास है. आपसी भरोसा बढ़ाने वाले ये उपाय दो अलग भाषाएं, संस्कृति और नस्लों वाले देशों के एक दूसरे पर यक़ीन को भी दर्शाते हैं. ख़ास तौर से उस दौर में जब उभरती अंतरराष्ट्रीय भूराजनीति से देशों के बीच आपसी अविश्वास और गहरा हो रहा है.

 

हालांकि, ऐसा नहीं है कि साझा युद्धाभ्यास  करने वाले देशों को ख़ुद ख़ुद ऐसे लाभ हासिल हो जाते हैं. इसके बजाय, ये फ़ायदे तभी होते हैं, जब दोनों देशों के बीच मौजूदा द्विपक्षीय रिश्ते ऐसे हों कि दोस्ताना माहौल में दोनों देशों के बीच सामरिक संबंध और गहरे हो सकें. इसीलिए, ये शर्त फिलीपींस और चीन के आपसी सुरक्षा संबंधों की मौजूदा स्थिति पर सवाल खड़े करती है. क्योंकि चीन, साउथ चाइना सी में केवल भौगोलिक सीमाएं बल्कि शक्ति का संतुलन अपने पक्ष में बदलने पर भी आमादा है. चीन इसके लिए साउथ चाइना सी में दूसरे देशों की पहुंच सीमित करने, उनको रोकने (A2/AD) के उपाय तो बढ़ा ही रहा है. इसके अलावा वो साउथ चाइना सी के विवादित इलाक़ों में आधुनिक संसाधनों से लैस सैनिक अड्डे भी बना रहा है. चीन की ये गतिविधियां सीधे तौर पर फिलीपींस की संप्रभुता और उसके संप्रभु अधिकारों को चोट पहुंचाने वाली हैं.

 

फिलीपींस और चीन के मौजूदा आपसी रिश्ते

 

चीन के तटरक्षक (Coast Guards) नियमित रूप से विवादित इलाक़ों में दादागिरी  दिखाते रहते हैं. जैसे कि वो फिलीपींस के कोस्ट गार्ड्स (PCG) और फिलीपींस की मछली मारने की नौकाओं को परेशान करते रहते हैं. चीन अपनी इस समुद्री बल का इस्तेमाल, फिलीपींस के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में घुसपैठ के लिए भी करता रहा है. सबसे अहम बात, फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर बार बार ये कहते रहे हैं कि वो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ कूटनीतिक बातचीत को तरज़ीह देते हैं. लेकिन, चीन की तरफ़ से इस बात का कोई संकेत नहीं मिलता कि वो इस क्षेत्र में अपनी दादागिरी  और संकुचित नज़रिए को दुरुस्त करने का इच्छुक है. सच तो ये है कि कई बार चीन, फिलीपींस और अपनी सरकार के बीच हुए आधिकारिक समझौते के उलट जाकर बर्ताव करता है. जनवरी में मार्कोस जूनियर और शी जिनपिंग बीजिंग में मिले थे, ताकि मौजूदा समुद्री विवाद को सुलझा सकें. इस बैठक के बाद कई राजनीतिक वायदे किए गए, जिनको आख़िर में आपसी सुरक्षा के मसलों को सुलझाने के लिए इस्तेमाल किया जाना था.

 

हालांकि, फिलीपींस के राष्ट्रपति के बीजिंग दौरे के कुछ हफ़्तों के बाद ही चीन के कोस्ट गार्ड्स के एक जहाज़ ने फिलीपींस के तटरक्षक जहाज़ की तरफ़ एक मिलिट्री ग्रेड का लेज़र तान दिया था, ताकि वो जहाज़ अपने विशेष समुद्री क्षेत्र में मौजूद एक एक और जहाज़ BRB सिएरा माद्रे को ज़रूरी सामान पहुंचा सके. यही नहीं, फरवरी में चीन के तटरक्षकों के 26 जहाज़, फिलीपींस के आर्थिक क्षेत्र के दायरे में आने वाले आइयुंगिन और सबीना द्वीपों के पास देखे गए थे. इसी तरह, चीन के 44 तटरक्षक जहाज़ फिलीपींस के कलायान ग्रुप ऑफ आइलैंड्स (KGI) के सबसे बड़े द्वीप पगअसा के क़रीब देखे गए थे. सच तो ये है कि अप्रैल में जब चीन के तत्कालीन विदेश मंत्री छिन गांग ने फिलीपींस का दौरा किया था, तो उन्होंने भी फिलीपींस के साथ विवादित मसले सुलझाने के वैसे ही वादे किए, जैसे शी जिनपिंग ने मार्कोस जूनियर से किए थे. फिर भी उनके दौरे के कुछ दिनों बाद ही चीन के कोस्ट गार्ड्स के एक जहाज़ ने फिलीपींस की समुद्री सीमा में घुसकर उसके तटरक्षकों को ख़तरनाक तरीक़े से धमकाने की कोशिश की थी.

फिलीपींस के राष्ट्रपति के बीजिंग दौरे के कुछ हफ़्तों के बाद ही चीन के कोस्ट गार्ड्स के एक जहाज़ ने फिलीपींस के तटरक्षक जहाज़ की तरफ़ एक मिलिट्री ग्रेड का लेज़र तान दिया था, ताकि वो जहाज़ अपने विशेष समुद्री क्षेत्र में मौजूद एक एक और जहाज़ BRB सिएरा माद्रे को ज़रूरी सामान न पहुंचा सके. 

चीन की वजह से अपने देश के लिए ख़तरे को समझते हुए राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर ने तुरंत अपने रक्षा नेटवर्क को सक्रिय किया, बल्कि उन्होंने अपने इकलौते सुरक्षा साझीदार अमेरिका के साथ सहयोग का दायरा बढ़ाते हुए बढ़े हुए आपसी रक्षा सहयोग के समझौते (EDCA) के तहत चार सैनिक अड्डे भी बढ़ा दिए. इसके अलावा फिलीपींस ने जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भी सैन्य सहयोग बढ़ा दिया है, ताकि पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के सुरक्षा ढांचे की कमियों को पूरा कर सके. ये उभरता हुआ चहुंमुखी सहयोग फिलीपींस को, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ मिलकर समुद्र में गश्त लगाने का मौक़ा भी देता है. ऐसे अभ्यासों से फिलीपींस को अपने समान विचारधारा वाले साझीदारों के साथ रणनीतिक तालमेल बढ़ाने में मदद मिलती है.

 

हालांकि, फिलीपींस की इन गतिविधियों ने चीन की चिंता बढ़ा दी है. चीन को इस बात की फ़िक्र है कि इन क़दमों से दक्षिणी पूर्वी एशिया में उसके दबदबा क़ायम करने की महत्वाकांक्षा पर क्या असर पड़ेगा. इसीलिए, एक सुरक्षा साझीदार के तौर पर अपनी छवि सुधारने के मक़सद से चीन ने कई दक्षिणी पूर्वी एशियाई देशों के साथ उल्लेखनीय युद्ध अभ्यास किए हैं. इनमें मार्च में कंबोडिया के साथ पहला नौसैनिक युद्ध अभ्यास, मई में सिंगापुर के साथ दूसरा साझा नौसैनिक अभ्यास और इस साल के आख़िर में कंबोडिया, लाओस, मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम के साथ मिलकर अमन यूयूई नाम से प्रस्तावित बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास शामिल है.

 

जहां तक फिलीपींस की बात है तो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की नौसेना का प्रशिक्षण जहाज़ छी जिगुआंग हाल ही में सौहार्द यात्रा पर मनीला पहुंचा था, ताकि फिलीपींस की जनता के बीच चीन की छवि बेहतर की जा सके. हालांकि ऐसे प्रयासों का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि फिलीपींस और पूरी दुनिया को पता है कि चीन नीतिगत बातचीत में तो कुछ और कहता है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर उसका रवैया कुछ और ही होता है. सच तो ये है कि चीन के जहाज़ के इस सौहार्द बढ़ाने वाले दौरे से सिर्फ़ दो महीने पहले चीन के राजदूत ने दबेढके शब्दों में ताइवान में रह रहे फिलीपींस के कामगारों की सुरक्षा के ख़िलाफ़ धमकी दी थी, क्योंकि चीन को अमेरिका और फिलीपींस के बीच बढ़ती सामरिक साझेदारी पसंद नहीं रही थी.

 

अभी हाल ही में चीन के कोस्ट गार्ड्स के एक जहाज़ ने फिलीपींस के तटरक्षक जहाज़ को पश्चिमी फिलीपींस सागर में, अयुनजिन द्वीप के क़रीब अपने दूसरे जहाज़ के पास जाने से रोक लिया था. इसके अलावा, चीन के तटरक्षकों ने उकसावे वाली कार्रवाई करते हुए अपनी पानी फेंकने वाली तोपों का रुख़ फिलीपींस के जहाज़ की तरफ़ कर दिया था. ये घटना तब हुई थी जब चीन ने अयुनजिन द्वीप पर अपनी दावेदारी फिर से ठोकी थी. जबकि कलायान द्वीप समूह (KGI) में स्थित ये द्वीप, फिलीपींस के पलावान सूबे से 200 समुद्री मील से भी कम दूरी पर स्थित है. दिलचस्प बात ये है कि ये घटना, फिलीपींस के पूर्व राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते  और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाक़ात के कुछ ही दिनों बाद हुई थी. इस मुलाक़ात में शी ने दुतर्ते से कहा था कि वो दोनों देशों के रिश्ते सौहार्दपूर्ण बनाने के लिए कोशिश करें. इस मसले के बाद चीन ने ये दावा करना शुरू कर दिया था कि फिलीपींस ने इस द्वीप से अपना जहाज़ हटाने का वादा किया था. हालांकि फिलीपींस ने चीन के इस दावे को ये कहते हुए तुरंत ख़ारिज कर दिया कि इस बात का तो कोई सबूत है और ही दस्तावेज़.

 

निष्कर्ष

 

इसीलिए, ये माना जा सकता है कि चीन के साथ साझा युद्धाभ्यास  करने से फिलीपींस और उसके सुरक्षा संबंधों में कोई ख़ास बदलाव आने की उम्मीद कम ही है. क्योंकि, आज के दौर में दोनों देशों के संबंध भरोसे की कमी और अनिश्चितता के शिकार हैं और इन रिश्तों के भविष्य पर भी सवालिया निशान लगा है. वैसे तो ये तर्क दिया जा सकता है कि मिलकर युद्ध अभ्यास करने को पश्चिमी फिलीपींस सागर से दूर ग़ैर पारंपरिक क्षेत्रों में रखा जा सकता है. फिलीपींस के लिए ये ज़रूरी है कि वो इस बात का आकलन कर ले कि चीन के साथ ऐसे युद्ध अभ्यासों से उसकी सुरक्षा को कोई दूरगामी फ़ायदा होगा या फिर इससे चीन के साथ उसका तनाव केवल अस्थायी तौर पर कम होगा. अगर ऐसे अभ्यास से अस्थायी फ़ायदा होता है, तो फिलीपींस के पास ऐसे टिकाऊ सुरक्षा साझीदार हैं, जिनके साथ मिलकर वो सैन्य अभ्यास कर सकता है.

चीन के साथ फिलीपींस का सैन्य अभ्यास करना सैद्धांतिक तौर पर तो मुमकिन है. लेकिन, ऐसे अभ्यासों से दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ने और उनके सामरिक संबंध में गहराई आने की उम्मीद कम ही है.

सच तो ये है कि पूर्व राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते  के कार्यकाल में जब चीन के प्रति नरमी रखी जा रही थी, तब भी दोनों देशों के साझा युद्धाभ्यास  का प्रस्ताव दिया गया था. लेकिन, फिलीपींस के रक्षा और विदेश नीति के तंत्र ने चीन के प्रति आशंकाओं को देखते हुए ये प्रस्ताव कभी परवान नहीं चढ़ सका. इसीलिए, चीन के साथ फिलीपींस का सैन्य अभ्यास करना सैद्धांतिक तौर पर तो मुमकिन है. लेकिन, ऐसे अभ्यासों से दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ने और उनके सामरिक संबंध में गहराई आने की उम्मीद कम ही है. क्योंकि चीन अपनी क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं पर लगाम लगाने के लिए तैयार नहीं है, और उसकी महत्वाकांक्षाएं फिलीपींस की संप्रभुता और उसके क्षेत्राधिकार को नुक़सान पहुंचाने वाली हैं.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.