Author : Kabir Taneja

Published on May 15, 2019 Updated 0 Hours ago

दुनिया के सबसे वांछित शख्स़ अबू बकर अल-बग़दादी को एक वीडियो संदेश के ज़रिये पांच साल बाद अगर दुनिया के सामने आना पड़ा है, तो इसका कारण बघौज का तथाकथित इस्लामिक स्टेट के हाथ से निकल जाना हो सकता है.

वो क्या वजह रही जिसने 5 साल बाद बग़दादी को दुनिया के सामने आने के लिए मजबूर कर दिया!

सीरिया के रेगिस्तानी इलाके दर इज्जोर का एक नामालूम छोटा सा शहर बघौज तथाकथित इस्लामिक स्टेट के हाथ से निकल गया है. यही वजह हो सकती है, जिसने पाँच साल लंबे अंतराल के बाद दुनिया के सबसे बड़े वांछित शख्स़ को वीडियो संदेश के ज़रिये सबके सामने आने पर मजबूर कर दिया. गुज़रे चार सालों में कभी पश्चिमी सुरक्षा बल, तो कभी रूस की सेना इस तरह की खुफिया जानकारियों के साथ सामने आती रही थीं कि आईएसआईएस सरगना अबू बकर अल-बगदादी की हवाई हमलों या सैन्य अभियानों में मौत हो चुकी है.

आईएसआईएस के मीडिया विंग अल फुरकान की जिम्मेदारी हाई प्रोफाइल प्रचार सामग्री जारी करने की है. 29 अप्रैल को इसने सफेद झक दीवारों वाले कमरे में बैठे अबू बकर अल-बगदादी का वीडियो अपलोड किया. इस इमारत पर किसी किस्म की टूट-फूट के निशान नज़र नहीं आते. वीडियो में वह तीन लोगों से बातचीत कर रहा है, जिनके चेहरे ढके हुए हैं. ताजा वीडियो इसलिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि जून 2014 में वह आख़िरी बार किसी सार्वजनिक वीडियो में नज़र आया था. इस वीडियो में उसने इराकी शहर मोसूल की अल नूरी मस्जिद में खड़े होकर ख़िलाफ़त की स्थापना का ऐलान किया था.

बगदादी ने अभी क्यों इस वीडियो को जारी करने का फैसला किया, इसके पीछे गुज़रे कुछ हफ्तों की दो महत्वपूर्ण घटनाएं हो सकती हैं. पहली और सबसे महत्वपूर्ण ‘बघौज’ का आईएसआईएस के हाथ से निकल जाना. यह सीरिया में उसके नियंत्रण वाला आख़िरी इलाक़ा था और इसके पतन के साथ ही इस्लामिक स्टेट की भौगोलिक उपस्थिति समाप्त हो गई. इस नुकसान का नतीजा स्पष्ट था. आईएसआईएस समर्थक सैंकड़ों लड़ाके रेगिस्तान के रास्ते भाग निकले, जबकि बहुत से या तो पकड़ लिए गए या फिर उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया. इन्हें कुर्दों की हिरासत में रखा गया है. आईएसआईएस के मुकाबले यह कुर्दों और उनका समर्थन करने वाली पश्चिमी गठबंधन के लिए ज्य़ादा समस्या की बात है. हालांकि आईएसआईएस को नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन उसके लिए राहत की बात ये है कि इलाके पर किसी सामंजस्यपूर्ण और सुपरिभाषित राजनीतिक शक्ति का कब्ज़ा नहीं हुआ है. बल्कि टुकड़ों में बंटे, जबरन साथ लाए गए गठबंधन ने उसकी जगह ली है. बघौज के पतन के बाद आईएसआईएस के कई लड़ाकों के इंटरव्यू सामने आए हैं, जिनमें महिलाएं भी हैं. जिस खिलाफ़त की स्थापना के उद्देश्य के लिए ये लोग लड़े थे, उसमें अपने विश्वास को उन्होंने अब भी अटूट बताया.

सीरिया में आईएसआईएस के नियंत्रण वाला आखिरी ठिकाना बघौज था. इसके पतन के साथ ही इस्लामिक स्टेट की भौगोलिक उपस्थिति समाप्त हो गई.

इस बीच, आईएसआईएस के खिलाफ अभियान में दरारें उभरने लगी हैं. इस साल के शुरू में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एकतरफा तरीके से ऐलान किया कि आईएसआईएस पराजित हो चुका है और उन्होंने इस अभियान से बड़ी संख्य़ा में सैनिकों की वापसी की भी घोषणा कर दी.

गठबंधन के अंदर ही इससे उठा-पटक मच गई. आईएसआईएस विरोधी सैन्य गठबंधन का नेतृत्व कर रहे अमेरिकी मुखिया ब्ररेट मैकगर्क को जब पता चला कि सैनिकों की वापसी के फैसले में उनकी राय नहीं ली गई, तो उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया. सबसे बड़ा विश्वासघात शायद कुर्द जनरल मजलूम कोबानी आब्दी के साथ हुआ है. उनके हजारों लोगों ने आईएसआईएस से लड़ते हुए जान गंवा दीं. यह किसी संगठन द्वारा दुनिया की भलाई के लिए किया गया बहुत बड़ा बलिदान था. इनाम में उन्हें ऐसे हालात में डाल दिया गया, जहां कुर्दों को ख़ुद को उनके हालात पर छोड़ दिया गया. आज आईएसआईएस लड़ाकों को हिरासत में रखने वाले कुर्द बंधक की स्थिति में हैं. यहां तक कि उन्होंने आईएसआईएस में शामिल होने वाले नागरिकों को उनके देशों से वापस लेने की अपील की है. जंग में तपे इन इस्लामिक लड़ाकों को उनके देश यदि वापस नहीं लेते हैं, तो कुर्द इन्हें रिहा करने पर मजबूर होंगे.

दूसरा कारण श्रीलंका पर हुआ आतंकवादी हमला है. इस हमले में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. यह हमला आईएसआईएस की विचारधारा को दुनिया को दिखाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. साथ ही इस दावे का खंडन करने का भी काम कर रहा है कि आईएसआईएस का नामो-निशान मिट चुका है. खिलाफ़त के ढह जाने का सीरिया में मौजूद आईएसआईएस के लड़ाकों पर प्रतिकूल असर पड़ा है, साथ ही अन्य देशों में इसके समर्थक भी निराश हुए हैं. श्रीलंका हमलों के बाद कमान पूरी तरह हाथ में लिए तंदरुस्त नजर आ रहा बगदादी आईएसआईएस के समर्थकों का हौंसला बढ़ाने वाला साबित हो सकता है.

एक तो श्रीलंका पर हमले और उसके तुरंत बाद कमान एक पूरी तरह हाथ में थामे तंदुरुस्त नजर आ रहा बगदादी आईएसआईएस के समर्थकों का हौसला बढ़ाने वाला साबित हो सकता है. 18 मिनट लंबे इस वीडियो में लंबी दाढ़ी रखे बग़दादी 2014 के मुकाबले ज्य़ादा बुज़ुर्ग और जीर्ण-शीर्ण नजर आ रहा है. वह श्रीलंका से लेकर हाल ही में सूडान और अल्जीरिया में सरकारों के पतन जैसे तमाम मुद्दों पर बात करता नजर आ रहा है. सूडान और अल्जीरिया में सरकारों के पतन को कुछ लोग अरब स्र्पिंग का दूसरा भाग करार दे रहे हैं. इस नजरिये से पूरे मसले को देखना बेहद जरूरी है कि 2011 में अरब देशों में शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के सिलसिले के बाद जो राजनीतिक खालीपन पैदा हुआ, उसमें आईएसआईएस ने खुद को स्थापित कर लिया था. सीरिया का गृह युद्ध हो या इराक में फैली बदअमनी, ये आईएसआईएस की करतूत नहीं थीं, लेकिन उसने इस अराजकता की स्थिति का भरपूर फायदा उठाया. वीडियो में बगदादी मीडिया प्रचार और आईएसआईएस के लिए इस काम में लगे लोगों के महत्व को भी स्वीकार कर रहा है. वह आस्ट्रेलिया के अब्द अल-इलाह अल-आस्ट्रेली और मारे गए फ्रेंच भाइयों फाबिन व जीन माइकल क्लेन को मीडिया के सिरमौर बताकर तारीफ़ कर रहा है. आईएसआईएस ने अपने शुरुआती दिनों से पदानुक्रम के साथ-साथ मूल ढांचे में भी ऑनलाइन प्रचार अभियान में लगे लोगों को मैदान में आमने-सामने लड़ने वाले लड़कों जितना ही सम्मान देने की रणनीति बना रखी है. इसी का नतीजा है कि यह संगठन ऑनलाइन विचारकों का एक मज़बूत नेटवर्क खड़ा करने में कामयाब रहा है, जो लगातार आईएसआईएस के समर्थन में वीडियो, तस्वीरें, पोस्टर, मीम्स, आडियो और इसी प्रकार की तमाम प्रचार सामग्री जारी करते रहते हैं. माली, बुरकिना फासो और अफगानिस्तान के इस्लामिक संगठनों के साथ बग़दादी श्रीलंका के उन श्रीलंकाई हमलावरों का समर्थन करता नज़र आ रहा है, जिन्होंने ईस्टर पर आतंकवादी हमले किए थे. साथ ही वह पश्चिमी देशों पर आगे के आतंकवादी हमलों के लिए उकसा भी रहा है.

वीडियो में बग़दादी प्रचार और आईएसआईएस के लिए काम में लगे लोगों के महत्व को भी स्वीकार कर रहा है. आईएसएस ने अपने शुरूआती दिनों से पदानुक्रम के साथ मूल ढांचे में भी ऑनलाइन प्रचार अभियान में लगे लोगों को मैदान में आमने-सामने लड़ने वाले लड़कों जितना ही सम्मान देने की रणनीति बना रखी है.

जहां तक आईएसआईएस की विचारधारा का सवाल है, वीडियो स्वयं में साधारण से हटकर कुछ नहीं है. इसकी कारगुजारियों के बारे में भी ऐसा ही कहा जा सकता है. लेकिन यह बग़दादी को पूरी तरह कमान संभाले नेता के रूप में दर्शाता है. यह साफ है कि इसे जारी होने के आठ दिन पहले के अंतराल में रिकॉर्ड किया गया क्योंकि इसमें उन ताजा घटनाओं का जिक्र है, जिनसे आईएसआईएस का सरोकार है. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि यह बगदादी के जिंदा होने का पुख्ता सुबूत है, जो किसी फर्जी कहानी या काल्पनिक बात की गुंजाइश नहीं छोड़ता. जैसा कि अफगान तालिबान के पूर्व सरगना मुल्ला उमर के मामले में हुआ था. वह 2013 में ही मर गया था, लेकिन उसकी मौत की पुष्टि 2015 में हुई.

अब निकट भविष्य में आईएसआईएस की कार्यप्रणाली वही होगी, जो श्रीलंका हमलों में नजर आई है. ऐसा संगठन जो अपने समर्थकों को पूरी दुनिया में आतंकवादी हमले करने के लिए समर्थन देता है और जो इन हमलों को अंजाम देते हैं, उन्हें सम्मान देता है. यह लगातार ऐसी आतंकवादी प्रणाली को तैयार करने की कोशिश कर रहा है, जिसमें जो करना है, अपने दम पर करो. आतंकवाद या ये नया चेहरा सुरक्षा एवं खुफ़िया एजेंसियों के लिए नया खतरा है. ख़ासतौर पर दक्षिण एशिया में, जहां विभिन्न देशों के बीच आतंकवाद के मसले पर आपसी सहयोग बहुत कम है या फिर है ही नहीं. पिछले कुछ समय से हम जिन खतरों को देख रहे हैं, ये उससे अलग नहीं है. यह असल में एक ब्रांड है. जो आपस में बेहद जुड़ी हुई वैश्विक दुनिया का समर्थन करता है. जैसे हम इसका इस्तेमाल कर रहे हैं, वैसे ही आईएसआईएस भी इसका इस्तेमाल कर रहा है. यही हमारे लिए चुनौती है.

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