Author : Akanksha Khullar

Published on Dec 02, 2022 Updated 0 Hours ago

यूक्रेन पर रूस ने आठ माह पहले आक्रमण किया है उसके अक्टूबर के पूर्वार्द्ध में रुकने के कोई संकेत दिखाई नहीं दे रहे है. इस युद्ध का यूक्रेन को भारी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है और विशेषतः महिलाओं और लड़कियों को इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है. इस संघर्ष ने विगत आठ साल से पूर्वी यूक्रेन में चल रहे सशस्त्र संघर्ष के कारण पहले से बढ़ रही लैंगिक विषमता को और भी बढ़ा दिया है. वैसे भी लैंगिक विषमता को 2020 की शुरुआत में आयी कोविड -19 की महामारी ने भी बढ़ाने में अपना योगदान दे ही दिया था. इस रिपोर्ट में हम इस संघर्ष के यूक्रेन की महिलाओं पर पड़ने वाले अभूतपूर्व प्रभाव को लेकर उपलब्ध दस्तावेजों में जो खामी है उसे दूर करने की कोशिश कर रहे हैं.

War’s Gendered Costs: रूस-यूक्रेन युद्ध का लैंगिक मूल्य;‘यूक्रेनी महिलाओं’ की दास्तान!

एट्रीब्यूशन: आकांक्षा खुल्लर, “War’s Gendered Costs: रूस-यूक्रेनयुद्ध का लैंगिक मूल्य;‘यूक्रेनी महिलाओं’ की दास्तान!,”ओआरएफ़ स्पेशल रिपोर्ट नंबर 199, नवंबर 2022, ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन.


प्रास्ताविक

24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन के खिलाफ़ पूरी तरह युद्ध की शुरुआत कर दी. तब से लेकर अब तक युद्ध में 6114 नागरिकों की मौत हो चुकी है, जबकि 9132 घायल हो गए हैं.[1] इसके अलावा अस्पताल, स्कूल, नगरी सुविधाओं के केंद्र, आवासीय परिसर समेत अन्य बुनियादी ढांचे को भी भारी क्षति पहुंची है. यूक्रेन की आर्थिक हालत खस्ता हो गई है और खाद्य असुरक्षा में इज़ाफा हुआ है. मानवाधिकार संगठन रूसी सैनिकों पर युद्ध नियमों के बेतहाशा उल्लंघन करते हुए ताबड़तोड़ हमले करने का आरोप लगा रहे हैं.[2]युद्ध शुरू होने के एक सप्ताह के भीतर ही एक मिलियन से ज्य़ादा लोगों को अपना घर छोड़कर अन्य ठिकाना ढूंढना पड़ा है, इसमें से कुछ लोगों को विदेशों की धरती पर जाकर आश्रय लेने पर मजबूर होना पड़ा है. मार्च 2022 में अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने भी युद्ध के दौरान होने वाले कथित युद्ध अपराधों एवं यूक्रेन में मानवीयता के खिलाफ़ हो रहे अपराधों को लेकर जांच शुरु कर दी है.[3]यह जांच महिलाओं के साथ बलात्कार, आम नागरिकों की मौत और शहर के शहर तबाह होने की खबरों के बीच शुरू की गई है. हालांकि, रूस ने 2016[4]  में ही आईसीसी से किनारा कर लिया है, क्योंकि आईसीसी ने क्राइमिया के अधिग्रहण को “ऑक्यूपेशन अर्थात कब्ज़ा” निरूपित किया था. इसी प्रकार यूक्रेन कथित युद्ध अपराधों का मामला स्वयं आईसीसी को इसलिए रेफर नहीं कर सकता क्योंकि वह आईसीसी का सदस्य नहीं है. इसी कारण इस मामले में बात आगे नहीं बढ़ाई जा सकी है.[5]

2017 में, यूक्रेनी महिलाओं ने वैश्विक #MeToo आंदोलन को प्रतिबिंबित करने वाला आंदोलन शुरू किया, जिसे “मैं कहने से डरतीनहीं हूं” कहा गया. यह अभियान बलात्कार, यौन उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमता है. इस अभियान ने महिलाओं को एक आवाज़ दी और अपने हमलावरों और उत्पीड़कों के खिलाफ़ आवाज उठाने को लेकर उनका आत्मविश्वास बढ़ाया.

युद्ध से हो रहे विध्वंस के कारण सबसे ज्यादा प्रभाव महिलाओं और लड़कियों पर पड़ रहा है. रूस और यूक्रेन के इस लैंगिक दृष्टिकोण पर अब तक किसी ने उतना ध्यान नहीं दिया है, जितना दिया जाना चाहिए. इसी वजह से इस स्पेशल रिपोर्ट में यह समझने कि कोशिश की गई है कि कैसे रूसी आक्रमण के पहले आठ माह में यूक्रेन की महिलाओं और लड़कियों की जिंदगी को प्रभावित किया है. इसमें दोयम सूत्रों अर्थात सेकेंडरी सोर्सेज का, जिसमें यूक्रेन सरकार, अंतर्राष्ट्रीय संगठन और ज़मीनी स्तर पर काम करने वाली राहत एजेंसियों के साथ मीडिया कवरेज और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की विभिन्न एजेंसियों की रिपोर्ट्स शामिल हैं, उपयोग किया गया है. लेखक ने लैंगिक मामलों के विशेषज्ञों का साक्षात्कार लेने के साथ-साथ पूर्व में रूसी बर्बरता का सामना करने के बाद अन्य देशों में बसने वाले यूक्रेन के लोगों से व्यक्तिगत बात भी की है.

यूक्रेन में महिलाओं के अधिकार: एक संक्षिप्त इतिहास

यूक्रेन ने पिछले एक दशक में लैंगिक असमानताओं को दूर करने में महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की है. दरअसल, 2013 की मैदान क्रांति[6]के बाद से, जिसे ‘गरिमा की क्रांति’ के रूप में भी जाना जाता है, यूक्रेन में महिलाएं राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से तेज़ी से सक्रिय हुई हैं.

2017 में, यूक्रेनी महिलाओं ने वैश्विक #MeToo आंदोलन को प्रतिबिंबित करने वाला आंदोलन शुरू किया, जिसे “मैं कहने से डरतीनहीं हूं”[7]कहा गया. यह अभियान बलात्कार, यौन उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमता है. इस अभियान ने महिलाओं को एक आवाज़ दी और अपने हमलावरों और उत्पीड़कों के खिलाफ़ आवाज उठाने को लेकर उनका आत्मविश्वास बढ़ाया. इसने घरेलू हिंसा को आपराधिक बनाने वाले एक नए कानून का मार्ग भी प्रशस्त किया. इसके पहले घरेलू हिंसा को केवल एक नागरिक अपराध माना जाता था. इस कानून के बनने के बाद ही आश्रयों की स्थापना, अपराधियों के लिए रजिस्ट्री और हॉटलाइन के लिए संसाधन उपलब्ध करवाए गए.[8]

यह डेटा महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में धीमी, लेकिन स्थिर वृद्धि को भी उजागर करता है. 1990 में जहां संसद की 3 प्रतिशत सीटों पर महिलाओं का कब्ज़ा था, वहीं यह 2021 में बढ़कर 20 प्रतिशत से अधिक हो गया.[9]अक्टूबर 2020 में हुए स्थानीय चुनावों के बाद, आज 42 प्रतिशत ग्राम परिषदों और 28 प्रतिशत क्षेत्रीय परिषदों का नेतृत्व महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है.[10]  इसका श्रेय काफी हद तक देश के चुनाव कोड में लैंगिक कोटे को शामिल करने और महिलाओं की स्थिति को लेकर की गई सकारात्मक कार्रवाई को दिया जा सकता है. स्थानीय राजनीति में भी यही पैटर्न देखा जाता है: राजनीतिक दलों द्वारा उम्मीदवारों के रूप में नामांकित महिलाओं के अनुपात में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और पार्षदों के रूप में निर्वाचित महिलाओं की हिस्सेदारी में अब 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.[11]

इसमें कोई संदेह नहीं है कि यूक्रेन में लैंगिक असमानताएं लगातार बनी हुई हैं. ऐसा आंशिक रूप से पितृसत्तात्मक संरचनाओं के कारण और पिछले आठ वर्षों के आंतरिक संघर्ष और कोविड-19 महामारी का परिणाम भी कहा जा सकता है. इन मिश्रित चुनौतियों के बीच ही रूस के यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण ने सामाजिक सामंजस्य और स्थानीय समुदायों के लचीलेपन को गंभीर रूप से प्रभावित करते हुए लैंगिक असमानताओं को बदतर किया है.

उसी समय, यूक्रेन ने लैंगिक समानता पर अधिकांश अंतरराष्ट्रीय समझौतों की पुष्टि कर दी है या उनमें शामिल हो गया है. [a] इसके अलावा, अपने सुरक्षा प्रयासों का मार्गदर्शन करने और विभिन्न क्षेत्रों में लैंगिक दृष्टिकोणों को शामिल करना सुनिश्चित करने के लिए, यूक्रेन ने एक राष्ट्रीय कार्य योजना को अपनाया है, जो 2016 की शुरुआत से ही 2020 तक की अवधि और उसके बाद 2025 तक की अवधि के लिए इसके उत्तराधिकारी के लिए यूएनएससी के डब्ल्यूपीएस एजेंडा के कार्यान्वयन का समर्थन करता है.[12]

हालांकि, प्रगति के बावजूद, पितृसत्तात्मक मानदंडों से उत्साहित लैंगिक असमानताएं लगातार बनी हुई हैं, जो महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ़ भेदभाव और प्रणालीगत पूर्वाग्रहों को बढ़ावा देती हैं. वास्तव में, यूक्रेनी महिलाओं को सार्थक आर्थिक, नागरिक और राजनीतिक भागीदारी के लिए गंभीर बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. यह भागीदारी आर्थिक कमज़ोरी, खराब स्वास्थ्य परिणामों और हिंसा के खतरों का आसान निशाना होने के जोख़िम से और बाधित हो जाती हैं. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की ओर से 2019 में करवाए गए एकअध्ययनमें पाया गया कि 75 प्रतिशत यूक्रेनी महिलाओं ने 15 साल की उम्र से किसी न किसी रूप में हिंसा का शिकार होने की जानकारी दी है, जिसमें हर तीन में से एक ने यौन हिंसा का अनुभव भी किया है.[13]मानसिकता में बदलाव के बावजूद, महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी दर भी पुरुषों की तुलना में कम बनी हुई है.[14]जो महिलाएं श्रम बल का हिस्सा हैं, उनके और उनके पुरुष समकक्षों के वेतन में 22 प्रतिशत का अंतर है, जबकि पेंशन में यह अंतर 32 प्रतिशत हो जाता है.[15]इसके अलावा, सामाजिक सहायता के सभी प्राप्तकर्ताओं में 72 प्रतिशत से अधिक महिलाएं शामिल हैं, और वे घरों में अवैतनिक घरेलू और देखभाल के काम का भी सबसे बड़ा बोझ उठाती हैं.[16]

यूक्रेन के सामाजिक ताने-बाने में गहराई से अंतर्निहित ये असमानताएं 2014 के बाद से पूर्वी यूक्रेन में भड़के युद्ध से और गहरी हो गई हैं. पूर्वी हिस्से में पिछले आठ वर्षों के संघर्ष ने न केवल पहले से मौजूद असमानताओं को गहरा किया है बल्कि नई असमानताएं भी पैदा की हैं. ऐसे में युद्ध अपराधों के लिए महिलाओं का जोख़िम, विशेष रूप से लिंग आधारित हिंसा, मनमानी हत्याएं, बलात्कार और तस्करी में वृद्धि देखी गई है. 1.5 मिलियन से अधिक लोग – जिसमें से लगभग दो-तिहाई महिलाएं और बच्चे हैं – पहले ही संघर्ष के कारण आंतरिक रूप से विस्थापित हो चुके हैं और स्वास्थ्य देखभाल, आवास और रोजगार जैसी आवश्यक सेवाओं तक उनकी पहुंच नहीं है.[17]

3 मार्च 2020 को कोविड-19 महामारी यूक्रेन में आई,[18]और इसने अब तक महिलाओं के अधिकारों, विशेष रूप से आर्थिक सशक्तिकरण और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में दिखाई दे रही बेहद थोड़ी प्रगति को आघात पहुंचाया. उन तक पहुँचने वाले लाभ को आघात पहुंचाया. हालाँकि, यह अनुभव यूक्रेन के लिए अनूठा नहीं है. दुनिया के कई अन्य देशों में अपने समकक्षों की तरह, यूक्रेनी महिलाओं को अब व्यक्तिपरक गरीबी और आर्थिक असुरक्षा के उच्च स्तर पर रखा गया है. उन्हें कम रोज़गार दर का सामना करना पड़ रहा है, उनकी चिकित्सा सेवाओं तक अपर्याप्त पहुंच है, और शारीरिक और मनोवैज्ञानिक घरेलू शोषण के कारण उन पर मंडराने वाले खतरे में वृद्धि हुई है. ऐसा गतिशीलता पर लंबे समय तक प्रतिबंध के कारण हो रहा है.[19]

आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपी), रोमा महिलाओं, [b] और विकलांग महिलाओं सहित अल्पसंख्यक समूहों से संबंधित महिलाओं के लिए ये नकारात्मक परिणाम और भी गंभीर होते हैं. इन उपेक्षित समूहों को निवास पंजीकरण, काम और आजीविका की कमी, और चिकित्सा और सामाजिक सेवाओं तक सीमित पहुंच से संबंधित अतिरिक्त चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है.[20]

इसलिए, इसमें कोई संदेह नहीं है कि यूक्रेन में लैंगिक असमानताएं लगातार बनी हुई हैं. ऐसा आंशिक रूप से पितृसत्तात्मक संरचनाओं के कारण और पिछले आठ वर्षों के आंतरिक संघर्ष और कोविड-19 महामारी का परिणाम भी कहा जा सकता है. इन मिश्रित चुनौतियों के बीच ही रूस के यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण ने सामाजिक सामंजस्य और स्थानीय समुदायों के लचीलेपन को गंभीर रूप से प्रभावित करते हुए लैंगिक असमानताओं को बदतर किया है

युद्ध के लैंगिक प्रभाव

यूक्रेन की महिलाएं लंबे संघर्ष में महज दर्शक नहीं रही हैं. जब पहली बार संघर्ष शुरू हुआ, तब से यूक्रेनी महिलाओं ने सैन्य और क्षेत्रीय रक्षा बलों में लड़ाई लड़ी है, और राजनयिक और सूचनात्मक मोर्चे पर भी काम किया है. उन्होंने डॉक्टरों, नर्सों, अस्पताल कर्मियों और स्वयंसेवकों के रूप में भी नागरिकों की जान बचाई है. विदेशों में रहने वाली महिलाओं ने युद्ध को समाप्त करने का आह्वान करते हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी आयोजित किए है.

उनके महत्वपूर्ण योगदान और उनके अतिरिक्त बोझ दोनों की उपेक्षा करते हुए, निर्णय निर्माताओं ने बड़े पैमाने पर महिलाओं को किनारे पर रखा है. फिर चाहे यह मानवीय प्रयासों, शांति-निर्माण, या अन्य क्षेत्रों की ही बात क्यों ना हो जो सीधे उनके जीवन को प्रभावित करते हैं. औपचारिक निर्णय लेने के स्तर पर, सत्ता के केंद्रीकरण और सेना की बढ़ती भूमिका ने महिलाओं के लिए राजनीतिक और प्रशासनिक निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित करना और मुश्किल बना दिया है. महिलाओं की भागीदारी की कमी आगे यह सुनिश्चित करने में विफल रही है कि उनकी ज़रूरतों और प्राथमिकताओं, जिनमें सबसे कमज़ोर और हाशिए पर रहने वाले लोग भी शामिल हैं, पर पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है और उनसे निपटने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं.

देखभाल का अतिरिक्त बोझ

रूस-यूक्रेन युद्ध, पारिवारिक भूमिकाओं और कार्यों के पुनर्वितरण का कारण बन रहा है. इसके चलते महिलाओं की ज़िम्मेदारियों में वृद्धि के कारण उनकी स्थिति और भी खराब हो रही है.

खबरों के अनुसार, जब तक कि सभी एथनिक अर्थात जातीय यूक्रेनियन को आश्रय देने की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है, तब तक उन्हें लंबे समय तक कतार में रहने के लिए मजबूर किया जाता है. आवास सुविधा से जुड़ा ये भेदभाव और इसके साथ खराब परिस्थितियों में अलगाव न केवल अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं की समस्याओं को बढ़ा रहा है, बल्कि उन्हें और भी अधिक जोख़िम में डाल रहा है.

यूक्रेन में महिलाओं को आमतौर पर प्राथमिक देखभाल करने वालों और घरेलू कामगारों के रूप में देखा जाता है, जिन्हें अपने परिवारों, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों के पालन-पोषण की ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है. उनका संपत्ति और उत्पादक संसाधनों पर सीमित नियंत्रण होता है. उन पर ही विस्थापित लोगों, स्थानीय लोगों और परिवारों की मानवीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अधिकांश काम करने की ज़िम्मेदारी होती है. दरअसल, 95 प्रतिशत एकल-अभिभावक परिवारों का नेतृत्व एकल माताएं करती हैं.[21],[22]

चूंकि, यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण सैकड़ों स्कूल, बाल गृह और बुजुर्ग देखभाल केंद्र और अस्पताल या तो नष्ट हो गए या बंद हो गए हैं, अतः महिलाओं पर देखभाल का बोझ कई गुना बढ़ गया है. इससे उनके पास खुद की देखभाल करने के लिए बहुत कम समय बचा है. युद्ध के अन्य परिणाम हैं जैसे सामुदायिक संसाधन पर बढ़ रहे दबाव, स्वयंसेवी कार्य की उच्च मांग और पुरुषों की अनुपस्थिति के साथ ही देखभाल का बोझ बढ़ने से महिलाओं की परेशानी में और भी वृध्दि हुई है. यूक्रेन स्टेट बॉर्डर गार्ड सर्विस द्वारा जारी किए गए मार्शल आदेश ने 18 से 40 वर्ष के बीच के पुरुषों को अपने ही देश में रहने और लड़ने के लिए तैयार रहना अनिवार्य कर दिया था.[23]यह आदेश रूस के आक्रमण की शुरुआत में ही जब सैकड़ों नागरिक देश छोड़कर भाग गए थे उसके बाद जारी किया गया था. ऐसे में महिलाओं से अब न केवल बढ़ी हुई देखभाल या अवैतनिक काम की ज़िम्मेदारी उठाने की अपेक्षा की जा रही थी, बल्कि उनसे अपने परिवार की खोई हुई घरेलू आय को अर्जित करने के लिए भी प्रयास की भी आशा की जा रही हैं. संयुक्त राष्ट्र वुमेन एंड केयर की मई 2022 रैपिड जेंडर एनालिसिस रिपोर्ट के अनुसार, “यूक्रेन में विविध पृष्ठभूमि की अधिक से अधिक महिलाएं युद्ध शुरू होने के बाद से स्वयंसेवा के काम और सहायता प्रदान करने में शामिल होने के साथ-साथ स्थानीय समुदाय स्तर पर मानवीय राहत से जुड़े कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थीं.”[24]इस अर्थ में, चल रहे युद्ध के कारण लैंगिक भूमिकाओं में बदलाव आया है, जहां अधिक से अधिक महिलाएं – अपने पति की अनुपस्थिति में – घर के मुखिया के रूप में उभर रही हैं.

प्रवासन और विस्थापन

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) ने पुष्टि की कि मार्च 2021 तक  यूक्रेन में लगभग 1.5 मिलियन नागरिक आंतरिक रूप से विस्थापित हुए थे, जिनमें से 58.56 प्रतिशत महिलाएं और 41.44 प्रतिशत पुरुष थे.[25]पिछले संघर्षों के अनुभव से पता चला है कि सैन्य हस्तक्षेप, प्रवासन संकट का कारण बन सकता है या फिर मौजूदा संकट को बढ़ा सकता है. इसमें महिलाएं और बच्चे सबसे पहले विस्थापित होते हैं. यह स्थिति उन लोगों के लिए दोहरे या तिगुने विस्थापन का जोखिम लाता है जो पहले ही विस्थापित हो चुके हैं.

रूसी गोलाबारी और बमबारी के बीच, यूक्रेन को एक अभूतपूर्व संकट का सामना करना पड़ रहा है. यह संकट वह है, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे बेहतर जीवन की तलाश में या बस जिंदा रहने के लिए अपने घरों से भाग रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, रूस के आक्रमण शुरू होने के बाद से जुलाई 2022 तक, कम से कम 12 मिलियन लोग अपना घर छोड़ चुके हैं.[26]इसमें से, 5.2 मिलियन से अधिक लोग, पड़ोसी देशों के लिए रवाना हो गए हैं और पूरे यूरोप में शरणार्थियों के रूप में दर्ज किए जा रहे हैं; उनमें से 3.5 मिलियन से अधिक ने विदेश में अस्थायी निवास के लिए आवेदन कर दिया है.[27]यूक्रेन के भीतर ही, लगभग सत्तर लाख लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हैं.[28]

प्रवासन के लिए संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय संगठन (आईओएम) का अनुमान है कि देश से भागे या विस्थापित हुए लोगों में से आधे से अधिक महिलाएं हैं.[29]आईओएम का डेटा बताता है कि जुलाई 2022 तक, कम से कम 65 प्रतिशत महिलाएं अभी भी यूक्रेन के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षा पाने की कोशिश कर रही हैं.[30]आक्रमण जारी रहने के कारण आने वाले महीनों में इन संख्याओं में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है.

इसके बावजूद यह अकेला विस्थापन ही नहीं है जो यूक्रेनी महिलाओं और युवा लड़कियों पर मंडरा रहे सुरक्षा से जुड़े ख़तरे को बढ़ा रहा है. चूंकि, हजारों महिलाएं शरणार्थी आश्रय और सुरक्षा की तलाश में हैं, अतः महिलाओं की तस्करी का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि वे अपने और अपने बच्चों के लिए मदद की तलाश करने में जुटी हुई हैं. उनकी स्थिति और खस्ता हालत एवं कमज़ोरी का फायदा उठाते हुए, मानव तस्करी में लिप्त लोग उन्हें परिवहन, काम या आवास की पेशकश करते हैं, जिससे महिलाएं लालच में आकर उनके साथ जाने को तैयार होकर उनके जाल में फंस जाती हैं.[31]

ये स्थितियां यौन शोषण का कारण बन सकती हैं, जहां महिलाओं को आश्रय, परिवहन या सुरक्षा के लिए सेक्स का व्यापार करने के लिए मजबूर किया जाता है. इसके अलावा, जल्दबाज़ी में भागने को मजबूर महिलाएं अक्सर आश्रय पाने के लिए जल्दबाज़ी में बिना जांचे-परखे स्रोतों पर भरोसा करती हैं – जिनमें से कई भीड़-भाड़ वाले और कम संसाधनों वाले आश्रय स्थल होते हैं. इनमें से कई आश्रय स्थलों में साफ सफाई का अभाव, बुनियादी आपूर्ति और सुरक्षा उपायों की कमी होती  है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य और जीवन के लिए सीधा ख़तरा पैदा करते हैं.[32]

यूएनएफपीए की ओर से 2019 में प्रकाशित किए गए एक अध्ययन के अनुसार, 75 प्रतिशत वयस्क यूक्रेनी महिलाओं ने 15 साल की उम्र से किसी न किसी रूप में हिंसा का अनुभव किया है. रिपोर्ट के अनुसार इसमें से हर तीन में से एक ने शारीरिक यौन हिंसा झेली है. यह साबित करने के लिए सबूतों की कोई कमी नहीं है कि संघर्ष के कारण अक्सर असमानताएं बढ़ती है और नई असमानताएं पैदा होती है.

शरणार्थियों के कुछ समूहों को वास्तव में सुरक्षित स्थान तक पहुँचने के लिए अतिरिक्त बाधाओं का सामना करना पड़ा है. इसके बावजूद उन्हें सुरक्षित स्थल के आश्रय स्थल में रहने दिया जाएगा या नहीं इसकी गारंटी नहीं होती. ऐसी खबरें हैं कि रोमा महिलाएं और बच्चे, आर्थिक संसाधनों और बुनियादी कानूनी दस्तावेज़ों की कमी को देखते हुए सीमा पार करने के अपने प्रयासों में भारी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. खबरों के अनुसार, जब तक कि सभी एथनिक अर्थात जातीय यूक्रेनियन को आश्रय देने की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है, तब तक उन्हें लंबे समय तक कतार में रहने के लिए मजबूर किया जाता है.[33]आवास सुविधा से जुड़ा ये भेदभाव और इसके साथ खराब परिस्थितियों में अलगाव न केवल अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं की समस्याओं को बढ़ा रहा है, बल्कि उन्हें और भी अधिक जोख़िम में डाल रहा है.

स्वास्थ्य सेवाओं तक बाधित पहुंच

रूस के आक्रमण से पहले ही यूक्रेन की महिलाएं स्वास्थ्य के पैमाने पर संघर्ष करतीं दिखाई दे रही थीं. इसमें मानसिक स्वास्थ्य भी शामिल था.[34]रूस के सैन्य हमलों के परिणामस्वरूप सुरक्षा संरचनाएं और सहायक प्रणालियां बर्बाद हो गई हैं, अतः नियमित स्वास्थ्य सेवाओं में भारी कमी के साथ कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिसके कारण यौन और प्रजनन देखभाल जैसी बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं तक महिलाओं की पहुंच और भी मुश्किल हो गई है.

सेवा प्रदाताओं और महत्वपूर्ण आपूर्ति की कमी के साथ-साथ चिकित्सा सुविधाओं को पहुंचे नुकसान और विनाश के कारण स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण पर भारी असर पड़ा है. जैसे कि अनुमानित संघर्ष शुरू होने के वक्त गर्भवती रहीं 265,000 महिलाओं के लिए मातृ देखभाल युद्ध की वजह से प्रभावित हुई है.[35]इसके साथ ही लिंग आधारित हिंसा का शिकार हुए लोगों के लिए प्रदान की जाने वाली आवश्यक विशेष सेवाओं पर भी इसका असर हुआ है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार ने 24 मार्च तक, कम से कम 64 अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं पर गोले दागे गए और बमबारी की गई थी.[36]नौ मार्च को एक घटना में मारियुपोल में एक प्रसूति अस्पताल पर बमबारी की गई, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम एक गर्भवती महिला और उसके अजन्मे बच्चे की मौत हुई थी.[37]

अतः, यूक्रेन में बचे लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है, क्योंकि संघर्ष जारी रहने के कारण चिकित्सा के लिए जरूरी चीजों की आपूर्ति कम हो रही है. ऐसे समाचार है कि युद्ध के पिछले छह महीनों में, यूक्रेन में गर्भवती महिलाओं ने रूसी बमबारी से बचाव करने के लिए और अपने बच्चों की रक्षा के लिए सबवे स्टेशनों, भूमिगत आश्रयों, बेसमेंट और बंकरों में बच्चों को जन्म दिया है.[38]एक आकलन के अनुसार यूक्रेन में अगले तीन महीनों में करीब80,000 महिलाओंके बच्चे को जन्म देने की संभावना है.[39]यदि इन गर्भवती माताओं को महत्वपूर्ण मातृ स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रखा जाता है, तो उन्हें कठिन परिस्थितियों में बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिससे उनका और होने वाले बच्चे दोनों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा. ऐसे में न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है. दरअसल, युद्ध का तनाव और स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुंच परिस्थितियों का मुकाबला करने और किसी चीज को बर्दाश्त करने की महिलाओं की क्षमता पर दबाव बढ़ेगा. इस वजह से गर्भावस्था की जटिलताओं, समय से पहले जन्म और मृत जन्म दर में वृद्धि हो सकती है.

यूक्रेन से भागे हुए लोगों के लिए भी जीवन आसान नहीं रहा है. एक पराए अर्थात विदेशी देश में प्रवासियों, जिनमें से अधिकांश महिलाएं हैं, को आगमन के बाद मुख्य रूप से पंजीकरण दस्तावेजों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. इसका कारण यह है कि या तो वे स्वास्थ्य प्रणालियां पहले से ही भारी दबाव का सामना कर रही हैं और ऐसे में काफी कम समय में और बड़ी संख्या में शरणार्थियों के आने से उन्हें आगे भी इस तरह का दबाव झेलना पड़ेगा.[40]

यौन हिंसा और बलात्कार

यूक्रेन में लिंग आधारित हिंसा लगातार बनी हुई है. वहां हिंसा के 90 प्रतिशत मामलों में महिलाओं को निशाना बनाया जाता है.[41]यूएनएफपीए की ओर से 2019 में प्रकाशित किए गए एक अध्ययन के अनुसार, 75 प्रतिशत वयस्क यूक्रेनी महिलाओं ने 15 साल की उम्र से किसी न किसी रूप में हिंसा का अनुभव किया है. रिपोर्ट के अनुसार इसमें से हर तीन में से एक ने शारीरिक यौन हिंसा झेली है.[42]यह साबित करने के लिए सबूतों की कोई कमी नहीं है कि संघर्ष के कारण अक्सर असमानताएं बढ़ती है और नई असमानताएं पैदा होती है. इस वजह से  महिलाओं और लड़कियों को बलात्कार, हिंसा, यातना और शोषण सहित विभिन्न प्रकार के अमानवीय अनुभवों का सामना करना पड़ता है.[43]

रूसी आक्रमण के बाद से, ऐसे समाचार सामने आए हैं कि पतियों की हत्या के बाद महिलाओं के साथ बलात्कार किए गए; और महिलाओं का उनके परिवार के सदस्यों के सामने बलात्कार किया गया. ऐसा करना यूक्रेनी परिवार के ताने-बाने को तोड़ने, महिलाओं की हिम्मत को तोड़ने, और उनमें निराशा और हताशा की भावना पैदा करने के लिए एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है.[44]घरेलू हिंसा, मानव तस्करी और लिंग आधारित हिंसा के मामलों की निगरानी के लिए स्थापित एक राष्ट्रीय हॉटलाइन को यौन हिंसा से जुड़ी अनेक शिकायतें प्राप्त हुई हैं.[45]मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त ने कहा है कि 3 जून 2022 तक, मानवाधिकार निगरानी दल को पूरे यूक्रेन में संघर्ष-संबंधी यौन हिंसा के 124 कथित कृत्यों की रिपोर्ट प्राप्त हुई थी.[46]

जून 2022 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक में, सशस्त्र संघर्ष में यौन हिंसा के लिए महासचिव की विशेष प्रतिनिधि प्रमिला पैटन ने यूक्रेन में यौन हिंसा को रोकने और अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दोहराया था. उन्होंने परिषद को बताया था कि संघर्षों के दौरान बलात्कार और अन्य यौन हमलों को रोकने के उद्देश्य से बने अंतर्राष्ट्रीय प्रस्तावों और यूक्रेन में सबसे कमजोर नागरिकों,  महिलाओं और बच्चों को जो झेलना पड़ रहा है उस जमीनी हकीकत में काफी अंतर है.[47]उन्होंने संघर्ष-संबंधित यौन हिंसा की रोकथाम और प्रयास पर सहयोग के ढांचे के तत्वों पर जोर दिया[48]जिन्हें लेकर यूक्रेन सरकार और यौन हिंसा पर महासचिव के विशेष प्रतिनिधि के कार्यालय ने सहमति व्यक्त की थी. 3 मई को हस्ताक्षरित रूपरेखा का उद्देश्य यूक्रेन में रूसी अभियानों के सैन्य संदर्भ में संघर्ष-संबंधी यौन हिंसा की सुरक्षा और उसे लेकर की जाने वाली जवाबी कार्रवाई को बढ़ाना है. हालांकि, अब तक, रूस ने यौन हिंसा के सभी आरोपों का खंडन करना जारी रखा है. संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वासिली नेबेंज़िया ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि रूसी सैनिक नागरिकों के खिलाफ हिंसा पर रोक लगाने वाले सख्त नियमों के अधीन हैं. उन्होंने यूक्रेन और परिषद के पश्चिमी सदस्यों पर बिना साक्ष्य के आरोप लगाने का आरोप भी लगाया है.[49]

यूक्रेन में या किसी विदेशी भूमि में आश्रय पाने वाली बलात्कार पीड़िताओं के लिए उनके स्वास्थ्य पर मंडराने वाला खतरा काफी महत्वपूर्ण है. उन्हें एचआईवी के साथ ही गर्भावस्था और आंतरिक शारीरिक चोटों जैसे यौन संचारित रोगों का शिकार होने का खतरा है. इन सभी के लिए विशेष चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होगी, जो चल रहे संघर्ष के बीच उपलब्ध नहीं हो सकती है.

शिक्षा

यूक्रेन के शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, रूसी आक्रमण के बाद से 1,800 से अधिक स्कूलों और विश्वविद्यालयों को क्षतिग्रस्त या नष्ट कर दिया गया है.[50]अन्य स्कूलों का उपयोग दोनों युद्धरत पक्षों द्वारा सूचना केंद्रों, आश्रय स्थलों, आपूर्ति केंद्रों या सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है.  नतीजतन, पिछले आठ महीनों में लाखों लड़के और लड़कियां उचित शिक्षा से वंचित हो गए हैं. ऐसे में युवा लड़कियों पर स्कूली शिक्षा और सामाजिक विकास के महत्वपूर्ण वर्षों को खोने का खतरा मंडरा रहा है. सेव द चिल्ड्रन ने देखा है कि यूक्रेन जैसे संघर्ष वाले क्षेत्रों में लड़कों की तुलना में लड़कियों के स्कूल से बाहर होने की संभावना 2.5 गुना अधिक है.[51]कोविड-19 महामारी ने पहले ही दिखा दिया है कि एक बार जब संकट दूर हो जाता है तो इसकी वजह से शिक्षा में पड़ा व्यवधान कैसे लड़कियों के  स्कूल लौटने की राह को और अधिक कठिन बना देता है.[52]

कुछ बच्चों ने शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई ऑनलाइन स्कूली शिक्षा का रुख किया है. हालांकि, लड़कियों को इन ऑनलाइन सत्रों में शामिल होने में भी मुश्किल हो रही है. उन पर या तो घर पर देखभाल का बोझ बढ़ रहा है, या माता-पिता की उन्हें अनुमति देने की अनिच्छा या डिजिटल साधनों तक पहुंच की कमी इसके प्रमुख कारण हैं.

जब जिंदगी चलाने के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध नहीं होता है, तो पितृसत्तात्मक समाजों में महिलाओं को घर के अन्य सदस्यों के लिए भोजन बचाने के लिए अपने स्वयं के सेवन में कटौती करने पर मजबूर होना पड़ता है. यह प्रवृत्ति यूक्रेन में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है, जिससे महिलाओं और युवा लड़कियों में कुपोषण और एनीमिया की स्थिति और बिगड़ रही है.

लड़कियों की शिक्षा को ठंडे बस्ते में डालना लड़कियों के स्वयं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होगा. उन पर जल्दी शादी, जल्दी गर्भधारण और बच्चे के जन्म, और लिंग आधारित हिंसा का अधिक खतरा मंडराता रहेगा. इस वजह से उनकी वित्तीय स्वतंत्रता और सामाजिक सशक्तिकरण के अन्य मापदंड भी खतरे में पड़ जाते हैं. और इसका फिर उनके परिवार, समुदाय और व्यापक रूप से अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त प्रभाव पड़ता है.

खाद्य और ऊर्जा संकट

विश्व खाद्य कार्यक्रम के लिए यूक्रेन, गेहूं का एक प्रमुख स्रोत है, जो दुनिया भर के 120 से अधिक देशों में 115.5 मिलियन लोगों को खाद्य सहायता प्रदान करता है.[53]इस बीच, रूस दुनिया के शीर्ष तीन कच्चे तेल उत्पादकों में से एक है. इसके साथ ही वह प्राकृतिक गैस का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक, और सबसे बड़ा निर्यातक, है.[54]युद्ध से पहले भी, यूक्रेनी महिलाओं की भोजन और ऊर्जा तक पहुंच ऐतिहासिक रूप से पुरुषों की तुलना में अधिक अनिश्चित थी; वहां महिलाओं के नेतृत्व वाले परिवारों के खाद्य असुरक्षित होने की संभावना अधिक थी.[55]वर्तमान युद्ध ने इस संकट में एक और चुनौती जोड़ दी है, क्योंकि इस युद्ध ने बड़े पैमाने पर उत्पादन और निर्यात प्रक्रियाओं को बाधित कर दिया है. इस कारण आवश्यक वस्तुएं तेजी से दुर्लभ होती जा रही हैं. इन वस्तुओं की कमी के कारण इनके दामों में वृद्धि होती है. 2022 की शुरुआत से यूक्रेन में भोजन की लागत में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि कच्चे तेल की कीमतों में – वर्तमान में 33 प्रतिशत की वृद्धि चल रही है – वर्ष के अंत तक 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ने का अनुमान लगाया गया है.[56]

जब जिंदगी चलाने के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध नहीं होता है, तो पितृसत्तात्मक समाजों में महिलाओं को घर के अन्य सदस्यों के लिए भोजन बचाने के लिए अपने स्वयं के सेवन में कटौती करने पर मजबूर होना पड़ता है. यह प्रवृत्ति यूक्रेन में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है, जिससे महिलाओं और युवा लड़कियों में कुपोषण और एनीमिया की स्थिति और बिगड़ रही है.[57]

भूमि या वित्तीय ऋण के साथ-साथ औपचारिक रोजगार जैसे संसाधनों तक महिलाओं की पहुंच अब पहले से कहीं अधिक सीमित होती जा रही है. इसके साथ ही वेतन और पेंशन में बढ़ती लैंगिक विषमता के कारण, यूक्रेन की महिलाएं न केवल बढ़ते भोजन और ऊर्जा संकट का मुकाबला कर रही हैं, बल्कि संकट के दौरान सहायता करने वाली कोई विश्वसनीय संपत्ति भी उनके पास नहीं बची है.

निष्कर्ष

यूक्रेन की महिलाएं रूस के सैन्य आक्रमण का अनुपातहीन भार उठा रही हैं: वे अब सेवाओं तक पहुंच से वंचित है; अतिरिक्त अवैतनिक कार्य का बोझ उठा रहीं हैं और इसके साथ ही यौन हिंसा और दुर्व्यवहार को लेकर वे अब पहले से भी ज्यादा असुरक्षित हो गई हैं. राजनीतिक नेताओं की ओर से यह सुनिश्चित करने के लिए कि महिलाओं की बात और चिंताओं को सुना जा रहा है कोई उपाय नहीं किए गए हैं और न ही कोई इसकी जवाबदेही ले रहा है. इसके साथ ही, रूस-यूक्रेन संघर्ष से व्यापक रूप से प्रभावित होने वाली महिलाओं की सुरक्षा करने और उन्हें बचाने के लिए वैश्विक स्तर पर भी कोई जवाबदेही दिखाई नहीं दे रही है.

यूक्रेन की अनिवार्यताओं में महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य, सम्मान और अधिकारों की रक्षा करना शामिल है. यह रिपोर्ट यूक्रेन में महिलाओं के अधिकारों में आ रही कमी को रोकने के लिए निम्नलिखित सिफारिशें करती है.

  1. यूक्रेनी महिलाओं को युद्ध को कम करने अर्थात डी-एस्केलेशन, संघर्ष की रोकथाम, शांति और अन्य प्रक्रियाओं पर निर्णय लेने वाले प्लेटफॉर्म अर्थात मंचों में शामिल किए जाने की जरूरत है.
  1. जीवनरक्षक यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं, चिकित्सा उपकरणों और आपूर्तियों के वितरण को बढ़ाने और नेटवर्क को मजबूत करने की दिशा में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयास किए जाने चाहिए. इसके साथ-साथ नागरी समाज संगठनों के संसाधनों को बढ़ाने की कोशिश होनी चाहिए, जो उन महिलाओं को सहायता प्रदान कर सकें जिनका जीवन संघर्ष के कारण बर्बाद हो गया है.
  1. उत्तरदायित्व तय करने से, यह यूक्रेनी महिलाओं के खिलाफ किए जा रहे अपराधों के लिए एक निवारक के रूप में और शांतिपूर्ण समय के दौरान यौन हिंसा में कमी लाने के दोनों ही मामलों से निपटने में सहायक साबित हो सकते हैं. अतः, यूक्रेन में यौन और लिंग आधारित अपराधों के लिए – चाहे अंतरराष्ट्रीय हो या घरेलू न्यायालयों में – तत्काल जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.
  1. अंतर्राष्ट्रीय परीक्षणों के दौरान सभी युद्ध अपराधों के लैंगिक तत्व पर जोर दिया जाना चाहिए और इन्हें उजागर किया जाना चाहिए, और जब अदालतें अपने फैसले और सजा सुनाए तो इस तथ्य को ध्यान में रखा जाना चाहिए.
  1. यूक्रेनी महिलाओं और लड़कियों के लिए सीधे लक्षित शैक्षिक कार्यक्रमों के लिए धन जुटाने और निवेश किए जाने की आवश्यकता है.
  1. महिलाओं और लड़कियों की विशिष्ट पोषण आवश्यकताओं को लक्षित करके भोजन के अधिकार को बढ़ावा देना और उसकी रक्षा करना भी जरूरी है.
  1. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को राष्ट्रीय ताकतों के साथ सक्रिय रूप से महिला कार्यकर्ताओं, आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों, डॉक्टरों, नर्सों और अग्रिम मोर्चे पर लड़ने वालों की बात सुनकर सभी स्तरों पर उनकी जरूरतों और चिंताओं को मुख्यधारा में लाने के लिए काम करना चाहिए.

आकांक्षा खुल्लर, वुमेंस रीजनल नेटवर्क की भारत के लिए कंट्री कॉर्डिनेटर हैं.


[1]Ukraine: civilian casualty update 3 October 2022,” United Nations human Rights Office of the High Commissioner,  October 3, 2022.

[2] “Russian military commits indiscriminate attacks during the invasion of Ukraine,” Amnesty International, February 25, 2o22.

[3]Jaime Lopez and Brady Worthington, “The ICC Investigates the Situation in Ukraine: Jurisdiction and Potential Implications,” Lawfare, March 10, 2022.

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[5]Haroon Siddique, “Could the International Criminal Court bring Putin to justice over Ukraine?,” The Guardian, March 2, 2022.

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[10]“Odarchenko, “Ukrainian Women Make Strides Towards Political Engagement, but Barriers Remain”

[11] Marian Machlouzarides Nadiia Novosolova Dr. Ilke Dagli-Hustings Amie Scheerder, Gender Equality and Women’s Empowerment in Ukraine, Centre for Sustainable Peace and Democratic Development, July 2022.

[12] “Gender Equality and Women’s Empowerment in Ukraine”

[13]OSCE – Organization for Security and Co-operation in Europe, OSCE-led survey on violence against women: Main reportUNFPA, March 7, 2019.

[14]Here’s what we know about the 1 million women and children who have already fled Ukraine,” UN Women, March 9, 2022.

[15]Here’s what we know about the 1 million women and children who have already fled Ukraine

[16]Women flee and show solidarity as a military offensive ravages Ukraine,” UN Women, March 3, 2022.

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[19]UN Women, Rapid gender assessment of the situation and needs of women in the context of COVID-19 in Ukraine, May 2020UN Women Ukraine, 2020.

[20] “Rapid gender assessment of the situation and needs of women in the context of COVID-19 in Ukraine, May 2020”

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[22]“Rapid gender assessment of the situation and needs of women in the context of COVID-19 in Ukraine, May 2020”

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[25]Care International, Rapid Gender Analysis Ukraine, March 2022Care International, 2022.

[26]How many Ukrainian refugees are there and where have they gone?,” BBC News, July 4, 2022.

[27]“How many Ukrainian refugees are there and where have they gone?”

[28]“How many Ukrainian refugees are there and where have they gone?”

[29] “How many Ukrainian refugees are there and where have they gone?”

[30]CARE International, “Six months on in Ukraine: Brutal mental health toll must not be overlooked, warns CARE,” Care International, August 22, 2022.

[31]Lorenzo Todo, “Ukraine prosecutors uncover sex trafficking ring preying on women fleeing country,” The Guardian, July 7, 2022. 

[32]Erin Spencer Sairam, “New Report Highlights Devastating Impact Of War In Ukraine On Women,” Forbes, May 4, 2022.

[33]Andrei Popoviciu, “Ukraine’s Roma refugees recount discrimination en route to safety,” Al Jazeera, March 7, 2022.

[34]“Rapid Gender Analysis of Ukraine, May 2022”

[35]Ukraine: Conflict compounds the vulnerabilities of women and girls as humanitarian needs spiral,” UNFPA, June 28, 2022.

[36] “WHO says 64 hospitals attacked since Russian invasion of Ukraine,” Al Jazeera, March 24, 2022.

[37]Pregnant woman and baby die after attack on hospital in Mariupol,” The Guardian, March 14, 2022.

[38]Oleksandr Kunytskiy, “Ukraine: Women Giving Birth in Basements and Bunkers,” Live Wire, March 11, 2022.

[39] “War in Ukraine | UNFPA’s Response,” UNFPA, May 3, 2022.

[40]Melanie O’Brien and Noelle Quenivet, “Sexual and Gender-Based Violence against Women in the Russia-Ukraine Conflict,” EJIL:TALK (Blog of the European Journal of International Law), June 8, 2022.

[41]Ukraine,” UN Women—Europe and Central Asia.

[42]“OSCE-led survey on violence against women: Main report, March 2019”

[43] Christina Lamb, Our Bodies, Their Battlefield: What War Does to Women (London: William Collins, 2020)

[44]Laurel Wamsley, “Rape has reportedly become a weapon in Ukraine. Finding justice may be difficult,” NPR, April 30, 2022.

[45] “Reports of sexual violence in Ukraine rising fast, Security Council hears,” UN Women, June 6, 2022.

[46]Sexual Violence ‘Most Hidden Crime’ Being Committed against Ukrainians, Civil Society Representative Tells Security Council,” United Nations, June 6, 2022.

[47] “Sexual Violence ‘Most Hidden Crime’ Being Committed against Ukrainians, Civil Society Representative Tells Security Council”

[48] “The Framework of Cooperation on the Prevention and Response to Conflict-Related Sexual Violence,” UN Office for the Coordination of Humanitarian Affairs, May 4, 2022.

[49]Ukraine facing sexual violence and trafficking crisis amid Russian war: UN,” Business Standard, June 7, 2022.

[50]Ukraine Points Up the Threat to Education During War,” ReliefWeb, June 2, 2o22.

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[52]World Bank, Mission: Recovering Education in 2021, World Bank,Group, 2021.

[53]Ukraine and the food and fuel crisis: 4 things to know,” UN Women, September 22, 2022.

[54] “Energy Fact Sheet: Why does Russian oil and gas matter?,” International Energy Agency, March 21, 2022.

[55]“Ukraine and the food and fuel crisis: 4 things to know”

[56]“Ukraine and the food and fuel crisis: 4 things to know”

[57]Ukraine war-induced crisis affecting women and girls disproportionately: UN report,” UN News, September 22, 2022.

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