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Published on May 27, 2024 Updated 1 Hours ago

लाल सागर में पिछले दिनों समुद्री केबल पर हमले दुनिया भर की सरकारों के लिए चेतावनी के रूप में काम करते हैं कि वो सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने और समुद्री केबल सिस्टम में विविधता लाने पर ध्यान दें.

समुद्र की गहराइयों में चोक प्वाइंट्स: लाल सागर में केबल की टूट-फूट की घटना!

लाल सागर से होकर गुज़रने वाले समुद्री वाणिज्यिक जहाज़ों पर हूती के हमलों के कुछ महीनों के बाद इन विद्रोहियों ने यमन के तट के नज़दीक महत्वपूर्ण समुद्री (सब-सी) ऑप्टिक फाइबर केबल को नुकसान पहुंचाकर पश्चिमी देशों की सरकारों पर दबाव बढ़ाया. सब-सी केबल ग्लोबल टेलीकम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ज़रूरी हैं और ये 99 प्रतिशत वैश्विक इंटरनेट ट्रैफिक का भार उठाते हैं. लाल सागर में ऐसे 15 से ज़्यादा सब-सी केबल हैं जो यूरोप और एशिया को जोड़ने के लिए ज़िम्मेदार हैं और पश्चिम की तरफ एशिया के 80 प्रतिशत ट्रैफिक का भार उठाते हैं. वैश्विक स्तर पर ये 17 प्रतिशत डेटा ट्रैफिक के बराबर है.       

इमेज 1: लाल सागर के समुद्री तल से होकर गुज़रने वाली केबल

स्रोत: मिडिल ईस्ट आई

चार केबल- SEACOM, TGN, AAE-1 और EIG- को लगातार नुकसान की वजह से पश्चिम एशिया और उत्तर अफ्रीका (WANA) में 25 प्रतिशत टेलीकम्युनिकेशन ट्रैफिक में रुकावट आई और इसका असर दक्षिण अफ्रीका तक है जहां माइक्रोसॉफ्ट के क्लाउड-संचालित (पावर्ड) प्रोडक्टिविटी प्लैटफॉर्म ऑफिस 365 जैसी बुनियादी/क्लाउड-आधारित सेवाओं पर असर पड़ा. भू-राजनीतिक विवादों और संघर्षों के समुद्री लहरों के नीचे तक पहुंचने के साथ सब-सी टेलीकम्युनिकेशन एसेट की ज़रूरत ने नए सिरे से महत्व हासिल कर लिया है. ये लेख हमले के बाद लाल सागर में समुद्री रुकावट के भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक प्रभावों की समीक्षा करता है.   

लाल सागर की केबल का महत्व 

22 फरवरी 2024 को हूती के मिसाइल हमले में रूबीमर नाम का एक ब्रिटिश मालवाहक जहाज़ डूब गया. ये जहाज़ 41,000 टन ज्वलनशील उर्वरक लेकर जा रहा था. इसके डूबने की वजह से 38 किमी इलाके में तेल फैल गया लेकिन इससे भी ज़्यादा बड़ी बात ये है कि हूती (और कई मीडिया रिपोर्ट में भी) ने कहा कि जहाज़ का लंगर समुद्र तल पर घसीटता हुआ गया जिससे चार समुद्री केबल को नुकसान हुआ. टूटी हुई चार समुद्री केबल के 28 भागीदार देशों में से 17 अफ्रीकी देश हैं जिन्हें डिजिटल कनेक्टिविटी में समस्याओं का सामना करना पड़ा. पश्चिम और उत्तर अफ्रीका के एक दर्जन से ज़्यादा देशों में रहने वाले लगभग 10 करोड़ लोगों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा. घाना, लाइबेरिया और कोटे डी आइवर में सात से दस दिनों तक इंटरनेट बंद रहा.  

संयुक्त राष्ट्र से मान्यता प्राप्त यमन की सरकार ने फरवरी 2024 में संकेत दिया था कि हूती विद्रोहियों के पास गहरे समुद्र में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के एसेट पर हमला करने के लिए हथियारों की कमी है फिर भी उन्होंने केबल को नुकसान पहुंचाने के अपने इरादे को दिखाया है. दिसंबर 2023 में हूती से जुड़े एक टेलीग्राम चैनल ने भूमध्य सागर, लाल सागर, अरब सागर और फारस की खाड़ी में समुद्री केबल के नेटवर्क का एक नक्शा साझा किया था. इसके अलावा लाल सागर में अपेक्षाकृत उथला पानी केबल को तोड़फोड़ और नुकसान की कार्रवाई के लिए आसान टारगेट बनाता है.  

लेकिन इस कमज़ोरी के बावजूद टेलीकॉम कंपनियों की दिलचस्पी इस क्षेत्र में कम नहीं हुई है. 2000 और 2024 के बीच हुआवे, सबकॉम, ऑरेंज, जिओ इन्फोकॉम, टाटा टेक्नोलॉजी, अमेज़न, गूगल, NEC और अल्काटेल लुसेंट समेत 30 से ज़्यादा टेलीकॉम कंपनियों ने लाल सागर में 18 समुद्री केबल बिछाने में 10.43 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया. ये केबल एशिया से यूरोप तक डेटा ट्रांसमिट करती हैं. NEC (जापान), सबकॉम (अमेरिका), HMN टेक (चीन) और अल्काटेल लुसेंट (फ्रांस) की सामूहिक रूप से समुद्री केबल बिछाने, उसके रख-रखाव और मरम्मत में 82 प्रतिशत बाज़ार हिस्सेदारी है.  

टेबल 1: लाल सागर में समुद्री केबल

स्रोत: सबटेल फोरम

हूती हमले ने लगभग 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर की कीमत के SEACOM, TGN, AAE-1 और EIG समुद्री केबल को नुकसान पहुंचाकर डेटा ट्रैफिक में रुकावट डाली. इस नुकसान ने कुल क्षेत्रीय डेटा ट्रैफिक के लगभग एक-चौथाई हिस्से पर असर डाला और दूरसंचार उद्योग पर दबाव बढ़ा दिया जिससे जुड़ी प्राइवेट कंपनियां WANA क्षेत्र में डेटा के फ्लो के रखरखाव के लिए मुख्य रूप से ज़िम्मेदार हैं. सबकॉम, ओगेरो, ऑरेंज, बेयोबाब, गूगल, मेटा और वोडाफोन जैसी कंपनियों ने ज़मीन-आधारित रूट और एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ने वाली दूसरी केबल- PEACE, 2AFRICA, FALCON, IEX, Equiano, WACS, इत्यादि- के ज़रिए डेटा ट्रैफिक को फिर से रूट कर रुकावट के नुकसानदायक प्रभावों को कम किया.  

वैसे तो नुकसान के असर को कमोबेश काबू में कर लिया गया है लेकिन ये घटना भू-राजनीतिक मुकाबले में एक नया अध्याय खोलती है जहां इस तरह का समुद्री नेटवर्क प्रतिद्वंद्वियों के बीच बड़े संघर्ष में एक मोहरा बन सकता है. ये घटना वैश्विक टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एक असली चुनौती है और वैश्विक सुरक्षा के ढांचे और समुद्री केबल के इर्द-गिर्द कानूनों की कमी के कारण ख़तरों को उजागर करती है. समुद्री केबल के जाल का व्यापक विस्तार उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना मुश्किल बनाता है. लाल सागर जैसे महत्वपूर्ण डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के चोक प्वाइंट में संघर्ष सुरक्षा चिंताओं में और बढ़ोतरी करता है. इसके अलावा लाल सागर की सामरिक स्थिति को देखते हुए इसके वैकल्पिक रूट का पता लगाना मुश्किल है. जहाज़ उद्योग- जो अपनी लचीली, मज़बूत सप्लाई चेन की वजह से झटके को बर्दाश्त करने में सफल रहा है और जिसने अपने जहाज़ों की ज़रूरत से ज़्यादा क्षमता का फायदा उठाते हुए केप ऑफ गुड होप रूट को कुछ हद तक वित्तीय रूप से व्यावहारिक बना लिया है- के उलट समुद्री केबल बिछाने में शामिल प्राइवेट कंपनियां अधिक लागत के कारण ज़मीनी या वैकल्पिक समुद्री रूट (जैसे कि केप ऑफ गुड होप या आर्कटिक सागर) के ज़रिए ऑप्टिक फाइबर केबल का रास्ता तैयार करने को सहन नहीं कर सकती हैं.       

संकट में कमी लाना

ऐतिहासिक रूप से अलग-अलग सरकारों ने समुद्री संपत्ति के ख़िलाफ़ आतंकवादी गतिविधियों जैसे कि 2022 में नॉर्ड स्ट्रीम की बमबारी का जवाब निगरानी बढ़ाकर दिया है. उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नेटो) नॉर्ड स्ट्रीम की घटना के बाद से समुद्री तल की निगरानी कर रहा है और उसने ड्रोन के साथ-साथ अधिक नौसैनिक मौजूदगी के ज़रिए समुद्री क्षेत्र का सर्वे किया है. इसी तरह लाल सागर की घटना के बाद से कई सरकारों, विशेष रूप से अफ्रीका महादेश की, ने समुद्री संपत्तियों की असुरक्षा को लेकर चिंता जताई है. सबसे ज़्यादा प्रभावित देश घाना था जहां हूती के हमले की वजह से लगभग 10 दिनों तक इंटरनेट बंद रहा. इसके बाद घाना ने नाइजीरिया के साथ मिलकर क्षेत्रीय समुद्री डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के साथ सहयोग और विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की. पश्चिम और उत्तर अफ्रीका में मौजूद बड़ी कंपनियों- ऑरेंज, अंगोला केबल्स, बेयोबाब, ACE और मेनवन- ने समुद्री केबल की कमज़ोर सुरक्षा के बारे में चिंता का उल्लेख करते हुए बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय रुकावट की रोकथाम के लिए अपने डेटा ट्रैफिक को फिर से रूट किया है. घाना, नाइजीरिया और मिस्र की टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ने कहा है कि लाल सागर में संघर्ष के पैमाने को देखते हुए मरम्मत का काम अगली तिमाही में भी जारी रहेगा.   

अल्पकालीन परिदृश्य में स्थिति नियंत्रण में लगती है लेकिन डेटा को फिर से रूट करना एक अस्थायी समाधान है. फिर से रूट करने का काम वैकल्पिक केबल की क्षमता, बैंडविड्थ और भौगोलिक कवरेज पर निर्भर करता है. आसान शब्दों में कहें तो वैकल्पिक केबल अपने सामान्य प्रदर्शन से समझौता किए बिना अतिरिक्त डेटा का भार उठाए और सभी महत्वपूर्ण लोकेशन को जोड़े. वैसे तो बाद की आवश्यकता पूरी होती हुई लगती है लेकिन पहली ज़रूरत 30 अरब अमेरिकी डॉलर के उद्योग के लिए एक चुनौती पेश करती है. इसके अलावा वित्तीय शर्तें भी हैं. डेटा को फिर से रूट करने से डेटा ट्रांसमिशन की पूरी लागत में बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि दूसरी केबल पर लीज़ की क्षमता के लिए लीज़ समझौते की ज़रूरत होती है. 

बहुहितधारक (मल्टीस्टेकहोल्डर) सहयोग इस महत्वपूर्ण समुद्री नेटवर्क की सुरक्षा के लिए आवश्यक है. ज़्यादातर प्रभावित देशों के लिए टूटी हुई केबल महत्वपूर्ण और बुनियादी डिजिटल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर है. वैसे तो इन केबल की सुरक्षा सुनिश्चित करना मुश्किल काम है, वहीं डिजिटल केबल सिस्टम में विविधता लाकर ट्रैफिक को बांटना और बहुपक्षीय रूप से समुद्री केबल को महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर मानना ज़रूरी पहला कदम है.  

निष्कर्ष 

दुनिया भर से आने वाले 17 समुद्री केबल और 5 अलग-अलग शहरों में 14 अलग केबल लैंडिंग स्टेशन के साथ भारत ने काफी हद तक अपने डिजिटल ट्रैफिक रूट को विविध (डाइवर्सिफाई) किया है. लाल सागर के संकट ने ये मज़बूती दिखाई है जहां सभी चार प्रभावित केबल (जिनमें से दो आंशिक रूप से टाटा कम्युनिकेशन की हैं) में भारत के लैंडिंग स्टेशन हैं लेकिन इसके बाद भी भारत की डिजिटल कनेक्टिविटी पर कोई असर नहीं पड़ा. इसी तरह यूनाइटेड किंगडम (UK), स्पेन, फ्रांस और पुर्तगाल जैसे यूरोपीय देशों ने आसानी से अपने ट्रैफिक को वैकल्पिक रूट की तरफ मोड़ दिया.

हालांकि, इस तरह की रुकावटें इस विशाल समुद्री जाल को सुरक्षित करने, विशेष रूप से संघर्ष के क्षेत्रों में, की चुनौतियां उजागर करती हैं. जहां फिर से रूट करने और कुछ अतिरिक्त उपाय से अस्थायी राहत मिल सकती है वहीं नई केबल बिछाने या वैकल्पिक रूट का इस्तेमाल करने की ऊंची लागत लंबे समय के समाधान को जटिल बनाती है. इस संकट ने अलग-अलग सरकारों और दूरसंचार उद्योग के लिए समुद्री केबल सिस्टम की निगरानी, सुरक्षा और विविधता को लेकर अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर ध्यान देने की दिशा में आंख खोलने का काम किया है. इन केबल को महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में स्वीकार करना और उनकी सुरक्षा के लिए स्पष्ट कानूनी रूप-रेखा तैयार करना वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए एक अधिक मज़बूत भविष्य की तरफ अहम कदम हैं. 


समीर पाटिल ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के डिप्टी डायरेक्टर और सेंटर फॉर सिक्युरिटी, स्ट्रैटजी एंड टेक्नोलॉजी में सीनियर फेलो हैं.

पृथ्वी गुप्ता ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में जूनियर फेलो हैं. 

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