Published on Sep 22, 2023 Updated 0 Hours ago

रूस और यूक्रेन द्वारा अपने साधनों का सीमित उपयोग करने के कारण एक लंबा युद्ध चल रहा है जो तेज़ी से गतिरोध की ओर बढ़ रहा है. 

गतिरोध की स्थिति में पहुंच गया है यूक्रेन-रूस का संघर्ष

पिछले साल रूस के आक्रमण के बाद शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध में गतिरोध आ गया है. यूक्रेन का जवाबी हमला रुक गया है या कम से कम यूक्रेन के ज़मीनी सैन्य बलों द्वारा हासिल की गई प्रगति सीमित रही है. जिस तरह शुरुआती रूसी आक्रमण को यूक्रेनी सेना के प्रभावशाली जवाबी हमले ने रोक दिया था और धीरे-धीरे आक्रमणकारियों को पीछे हटना पड़ा था, उसी तरह यूक्रेन- भले ही वह रूस की तरह बिल्कुल पलट न रहा हो- अपने जवाबी हमलों से रूसी रक्षा घेरे को तोड़ने में असमर्थ रहा है.

सीमित साधनों के साथ एक सैन्य अभियान चलाना रूस-यूक्रेन युद्ध की विशेषता रही है. रूस ने कभी भी युद्ध को निर्णायक रूप से जीतने के लिए आवश्यक क्षमताओं को पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया और इसके लिए प्रतिबद्धता भी नहीं दिखाई.

वर्तमान परिचालन (ऑपरेशनल) गतिरोध के लिए तीन विशिष्ट कारक ज़िम्मेदार हैं. पहली बात तो यह कि, कोई भी पक्ष इस सैन्य अभियान को निर्णायक रूप से आगे बढ़ाने में सक्षम नहीं रहा है या तत्परता नहीं दिखाई है. दूसरी बात, पिछले 18 महीनों के दौरान युद्ध में जब नए हथियार पेश किए गए तो युद्ध बढ़ने की आशंका से युद्ध की तीव्रता तो कम हो गई है, लेकिन इससे इसके समाप्त होने की दिशा में बहुत कुछ नहीं हुआ है. अंत में, पिछले डेढ़ सालों में अधिकांश सक्रिय लड़ाई के लिए रूसी सेना के बीच जो मनोबल की कमी प्रमुख रूप से दिखाई दे रही थी, यूक्रेनियों के बीच भी साफ़ दिखने लगी है. सीमित साधनों के साथ एक सैन्य अभियान चलाना रूस-यूक्रेन युद्ध की विशेषता रही है. रूस ने कभी भी युद्ध को निर्णायक रूप से जीतने के लिए आवश्यक क्षमताओं को पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया और इसके लिए प्रतिबद्धता भी नहीं दिखाई. यूक्रेन ने भी ऐसा ही किया है, लेकिन अलग कारणों से.

युद्ध इस मौजूदा गतिरोध पर क्यों पहुंच गया है?

सबसे पहली बात, रूस की बहुचर्चित साइबर क्षमताएं क़तई भी उतनी प्रभावशाली नज़र नहीं आईं, जितनी उम्मीद की गई थी और रूसी नेतृत्व ने, अब तक न बताए गए कारणों की वजह से, युद्ध में हवाई शक्ति का उपयोग नहीं किया. हवाई शक्ति का इस्तेमाल न करने के लिए, सबसे अच्छे और सूत्रों के हवाले से दिए गए स्पष्टीकरणों में, रूसी वायु सेना के ज़मीनी बलों के साथ बहु-क्षेत्रीय संचालन में अनुभव की कमी से लेकर जोखिम से बचने और खराब पायलट प्रशिक्षण तक शामिल हैं. इन विफलताओं को मास्को की ख़राब रणनीति और लंबी आपूर्ति लाइनों वाले ज़मीनी आक्रमण ने और बढ़ा दिया, जिनकी वजह से रूसी सेना यूक्रेनियों के लिए शिकार होने को तैयार बतख जैसी बन गई. हालांकि, यूक्रेन के मौजूदा जवाबी हमले को भोथरा कर देने के बाद रूस फिर से संगठित हो रहा है, जो काफ़ी हद तक रूसी सेना के बारूदी सुरंगों (लैंडमाइन्स) से भरी दुर्जेय रक्षात्मक किलेबंदी के निर्माण के कारण है, जिसे स्थापित करने में मास्को ने तब निवेश किया था जब यूक्रेनी सेना की 12 बख़्तरबंद ब्रिगेड उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के देशों में प्रशिक्षण के लिए दूर थी. युद्ध शक्ति और समर्थन के अपर्याप्त इस्तेमाल की वजह से दोनों पक्षों को फिर से संगठित होने और वापस लड़ने का मौक़ा मिलता रहा है. 

कीव की बात करें तो यह रूस द्वारा सैन्य शक्ति के पर्याप्त इस्तेमाल न किए जाने से पीड़ित नहीं हुआ है. कम से कम जान-बूझकर नहीं, यूक्रेनी नेतृत्व के तो बेड़ियां उसके अपने सहयोगी और प्राथमिक सैन्य आपूर्तिकर्ता- नाटो ने ही डाली हुई हैं. यूक्रेन एक जवाबी युद्ध लड़ रहा है और उसमें उसकी सैन्य प्रगति काफ़ी हद तक नाटो के सीमित सैन्य समर्थन के कारण ही बाधित हुई है. दरअसल, संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) की ख़ुफ़िया जानकारी के अनुसार, कीव मेलिटोपोल को ज़ब्त करने के अपने प्रमुख लक्ष्य को प्राप्त करने में विफल रहेगा, जो क्रीमिया पर कब्ज़ा करने के यूक्रेनी सेना के लक्ष्य के लिए महत्वपूर्ण है. मेलिटोपोल रेलरोड और राजमार्गों के साथ एक भूमि पुल के रूप में कार्य करता है, जिससे रूस अपने सैन्य बलों को क्रीमियन प्रायद्वीप से कब्ज़े वाले यूक्रेन में भेजते रहने में सक्षम होता है. क्रीमिया को छोड़ दें, मेलिटोपोल पर कब्ज़ा करना, भी अब लगातार मुश्किल होता जा रहा है. कम से कम अब तक, ये कारण दोनों पक्षों को  युद्ध को निर्णायक निष्कर्ष पर आगे ले जाने से बढ़ाने से रोकने में महत्वपूर्ण साबित हुए हैं.

यूक्रेनियों का समर्थन करने में इस अमेरिका-नेतृत्व वाले नाटो की हिचकिचाहट की नवीनतम अभिव्यक्ति रूसियों के ख़िलाफ़ लड़ाकू हवाई शक्ति का उपयोग करने के लिए पश्चिम, विशेष रूप से वाशिंगटन का प्रतिरोध है.

दूसरी बात, यूक्रेन के सैन्य प्रयास में सबसे बड़े बाहरी योगदानकर्ता- अमेरिका ने यूक्रेनियों को उस तरह की हथियार प्रणालियों और क्षमताओं की आपूर्ति करने में हिचकिचाहट दिखाई जो कीव रूसी आक्रमण के शुरुआती दिनों से चाहता रहा है. कुछ भी हो, इस साल अप्रैल में अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसियों से लीक हुए दस्तावेज़ों से एक कठोर आकलन बाहर निकला, इसमें पुष्टि की गई कि यूक्रेन का जवाबी हमला संभवतः नाटो द्वारा उपकरणों और गोला-बारूद की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण विफल हो जाएगा, जिससे यूक्रेनी सेना रूसी कब्ज़े वाले क्षेत्रों को फिर से हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाएगी.

अमेरिका की रणनीति

युद्ध की शुरुआत से ही, अमेरिका ने हाई एल्टीट्यूड मोबिलिटी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) भेजने से इनकार कर दिया और जब उसने सीमित संख्या में जून, 2022 के अंत तक उनकी आपूर्ति की, तब तक रूसी आक्रमण के चार महीने बीत चुके थे. अमेरिकियों द्वारा ‘अवधारणा का प्रमाण’ (प्रूफ़ ऑफ़ कॉन्सेप्ट- एक प्रकार का प्रदर्शन या प्रयोग होता है जिसका उद्देश्य किसी विशिष्ट विचार, अवधारणा, डिज़ाइन, या प्रौद्योगिकी के व्यावसायिक तथा व्यवहारिक रूप से सक्षम होने की पुष्टि करना होता है. यह यह जांचने के लिए होता है कि क्या कोई प्रस्तावित समाधान या नवाचार वास्तविक दुनिया या व्यावसायिक परिप्रेक्ष्य में काम कर सकता है) मिलने के बाद, या यूक्रेन द्वारा एचआईएमएआरएस के प्रभावी उपयोग के बाद, क्या वाशिंगटन ने अधिक एचआईएमएआरएस भेजने के लिए प्रतिबद्धता जताई? यूक्रेनियों का समर्थन करने में इस अमेरिका-नेतृत्व वाले नाटो की हिचकिचाहट की नवीनतम अभिव्यक्ति रूसियों के ख़िलाफ़ लड़ाकू हवाई शक्ति का उपयोग करने के लिए पश्चिम, विशेष रूप से वाशिंगटन का प्रतिरोध है. यूक्रेनी लड़ाकू पायलटों को एफ़-16 के उपयोग के लिए प्रशिक्षित करने के लिए नाटो के कुछ यूरोपीय सदस्यों को अनुमति देने के लिए वाशिंगटन की हाल ही में सहमति के बावजूद, पायलट 2024 की गर्मियों तक जेट उड़ाने के लिए तैयार नहीं हो पाएंगे. जैसा कि एक ब्रिटिश विशेषज्ञ ने उपयुक्त रूप से कहा: ‘हम (नाटो) ने हमेशा उन्हें (यूक्रेन) को समय पर वह दिया है जो उन्हें चाहिए. अब उन्हें जो चाहिए, हो सकता है वह हम उन्हें दे रहे हों, बस बहुत देर से.’ 

जिस तरह फरवरी 2022 में यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूसी आक्रमण को यूक्रेनी सेना द्वारा एक मज़बूत बचाव से काफ़ी हद तक विफल कर दिया गया था, उसी तरह आज रूसी सेना के रक्षात्मक उपायों ने यूक्रेनी जवाबी हमले को काफ़ी हद तक कम कर दिया है.

आख़िरकार, यूक्रेनी पुरुषों का मनोबल गिर रहा है. सैन्य भर्ती आयु वर्ग के पुरुष यूक्रेन भर में भर्ती केंद्रों पर सैन्य अधिकारियों को रिश्वत देकर अग्रिम मोर्चों पर तैनाती के युद्ध करने के कर्तव्यों (कॉम्बेट ड्यूटीज़) से बच रहे हैं, जिससे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की को भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. यूक्रेन से युद्ध लड़ने की उम्र के पुरुषों का भागना यूक्रेन के क्रीमिया और पूर्वी यूक्रेन के रूसी कब्ज़े को हटाने के सैन्य अभियान के लिए अशुभ संकेत दे रहा है. यदि यह प्रतिरोध जारी रहता है, तो कीव अपने जवाबी हमले को आगे न बढ़ाने के लिए मजबूर हो सकता है और युद्ध रेखाएं (बैटल लाइन्स- किसी युद्ध में लड़ रहे सैनिकों की पंक्तियां) स्थिर हो सकती हैं और आज जहां हैं वहीं रह सकती हैं. इसका मूल रूप से अर्थ यह होगा कि रूस ने 2014 में यूक्रेन से जो कुछ भी छीना था, उसे बरक़रार रखा है और कीव ने देश के शेष हिस्से को सुरक्षित कर लिया. हालांकि, यह संभावना कायम नहीं रह सकती, क्योंकि मास्को, अब अपने दुर्जेय बचाव से खुश होकर, दूसरी बार आक्रमण की योजना बना रहा है और तैयारी कर रहा है.

निष्कर्ष

मामला बढ़ जाने के आपसी डर ने केवल ऐसे संघर्ष को लंबा कर दिया है, जिसका अंत नज़र नहीं आ रहा. यूक्रेनियनों को हाल ही में हुए ऑपरेशनल (परिचालनीय) झटकों का मतलब कीव की हार नहीं है और जैसा कि हमने इस युद्ध के दौरान देखा है, वे नुक़सान को पलटने में सक्षम हैं. हालांकि, इस बार, जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, नाटो की सैन्य सहायता के आने में बहुत कुछ देर हो सकती है और इसके साथ जब यूक्रेनियों के मनोबल में गिरावट मिलेगी तो गतिरोध की संभावना अधिक होगी या कम से कम यूक्रेनी सेना का अपने आक्रमण को छोड़कर और रक्षात्मक स्थिति पर पीछे हटना पूरी तरह से संभव है. अंतिम परिणाम चाहे जो भी हो, इस संघर्ष से इस बात की पुष्टि फिर हुई है, जैसा कि क्लॉज़वित्ज़ ने कहा था-,वह यह है कि, रक्षात्मक होना, युद्ध में हमलावर होने से अधिक मज़बूत साबित होता है. जिस तरह फरवरी 2022 में यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूसी आक्रमण को यूक्रेनी सेना द्वारा एक मज़बूत बचाव से काफ़ी हद तक विफल कर दिया गया था, उसी तरह आज रूसी सेना के रक्षात्मक उपायों ने यूक्रेनी जवाबी हमले को काफ़ी हद तक कम कर दिया है. इस युद्ध का एक और सबक भी है – कि अगर कोई युद्ध लड़ना और निर्णायक रूप से जीतना है, भले ही युद्ध अपने उद्देश्यों में सीमित हो, यह सीमित साधनों का इस्तेमाल कर नहीं हो सकता और नहीं होना चाहिए. वास्तव में, उद्देश्य सीमित हो सकते हैं, लेकिन उपयोग किए गए साधन अनुपातहीन और प्रयास अधिकतम होना चाहिए.


कार्तिक बोम्माकांति ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के रणनीतिक अध्ययन कार्यक्रम में सीनियर स्कॉलर हैं

ऊपर व्यक्त विचार लेखक के हैं

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