Author : Nilanjan Ghosh

Published on Jul 30, 2023 Updated 0 Hours ago

भारत के एक पावरहाउस अर्थव्यवस्था बनने की राह ‘समता, दक्षता और टिकाऊपन’ की बेमेल तिकड़ी के बीच मेल कराने से ही संभव है.

SDG एजेंडे पर आधारित पर 10 ट्रिलियन डॉलर वाली भारतीय अर्थव्यवस्था की राह?
SDG एजेंडे पर आधारित पर 10 ट्रिलियन डॉलर वाली भारतीय अर्थव्यवस्था की राह?

भारत के विकास की कहानी, ख़ासकर बीते तीन दशकों में आर्थिक उदारीकरण के समय से, केवल आर्थिक वृद्धि पर केंद्रित रही है. इस वृद्धि की क़ीमत को ज्य़ादा तवज्जो नहीं दी गयी है. यह सही है कि वृद्धि ने बड़े पूंजीगत ख़र्चों के ज़रिये नयी पूंजी का सृजन सुनिश्चित किया, लेकिन ज्य़ादातर मामलों में समाज और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर इसकी जो क़ीमत थोपी गयी वह इतनी ज्य़ादा रही है कि उसने ऐसे निवेशों की प्रभावकारिता पर सवाल खड़े किये हैं. ऐसे पूंजीगत ख़र्चों ने रेखीय अवसंरचना (linear infrastructure), कृषि, उद्योग, और शहरी बसाहटों; प्राकृतिक जलप्रवाह को बाधित करनेवाले बांधों के निर्माण इत्यादि के लिए बड़े पैमाने पर भू-उपयोग में बदलावों को देखा है. इनका ताल्लुक पुनर्वास की सामाजिक क़ीमत या पुनर्वास के अभाव में सामाजिक टकरावों को उत्पन्न करने से भी रहा है. फिर भी, आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने में भौतिक पूंजी की बेहद अहम भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है, वह भी तब, जब भौतिक अवसंरचना के मैक्रो-स्केल पर पूरे कारोबारी माहौल और आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के अनुभवजन्य साक्ष्य भी पर्याप्त हैं.

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