Published on Nov 03, 2022 Updated 0 Hours ago

कोरोना महामारी के दौरान श्रीलंका, नॉर्वे और युगांडा में DHIS2 ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म का उपयोग कैसे किया गया, इसका विश्लेषण.

कोरोना महामारी के दौरान ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म—DHIS2 की उपयोगिता

DHIS2 एक वेब-आधारित ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म है जिसे हेल्थ मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली) (एचएमआईएस) के तौर पर सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है. DHIS2 वर्तमान में दुनिया का सबसे बड़ा एचएमआईएस प्लेटफॉर्म है, जो 73 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है और लगभग 2.4 बिलियन लोग इसके तहत आते हैं. इस प्लेटफॉर्म के विकास में मुख्य रूप से ओस्लो विश्वविद्यालय (यूआईओ), नॉर्वे का बड़ा योगदान है और विश्व स्तर पर कई भागीदारों और एचआईएसपी नेटवर्क द्वारा यह कार्यान्वित किया जाता है. एचआईएसपी एक वैश्विक आंदोलन की तरह है जो कार्यान्वयन, स्थानीय अनुकूलन और कॉन्फ़िगरेशन में सहायता करके और देश  में और रीजनल ट्रेनिंग मुहैया करके DHIS2 को ग्लोबल पब्लिक गुड के तौर पर बढ़ावा देता है. इस प्लेटफॉर्म का पिछले तीन दशकों में स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है, और शिक्षा जैसे नॉन हेल्थ सेक्टर में सूचना प्रबंधन का समर्थन करने के लिए इसका तेजी से उपयोग किया जाता है.

DHIS2 वर्तमान में दुनिया का सबसे बड़ा एचएमआईएस प्लेटफॉर्म है, जो 73 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है और लगभग 2.4 बिलियन लोग इसके तहत आते हैं. इस प्लेटफॉर्म के विकास में मुख्य रूप से ओस्लो विश्वविद्यालय (यूआईओ), नॉर्वे का बड़ा योगदान है और विश्व स्तर पर कई भागीदारों और एचआईएसपी नेटवर्क द्वारा यह कार्यान्वित किया जाता है.


DHIS2 प्लेटफॉर्म का उपयोग कई वर्षों से कम्युनिकेबल डिजीज़ के प्रकोप के प्रबंधन में साधन के तौर पर इस्तेमाल किया गया है, जैसा कि पश्चिम अफ्रीका में 2014-2016 के इबोला प्रकोप के दौरान विशेष रूप से इसका इस्तेमाल किया गया था. 2015 में इबोला महामारी के बाद में, गिनी के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी सर्विलांस सिस्टम को मज़बूत करने के लिए एक रणनीतिक योजना बनाई, जिसमें मॉनिटरिंग डेटा को कैप्चर करने में सक्षम हेल्थ इन्फॉर्मेशन सिस्टम के तौर पर DHIS2 को अपनाना शामिल था. गिनी, एक संसाधन-सीमित देश, ने एक बेहतर तरीक़े से एग्रीगेटेड डिजीज़ सर्विलांस को लागू किया, दो क्षेत्रों में पायलट परियोजना के साथ इसे शुरू किया, इससे पहले कि इसे राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम तक आगे बढ़ाया गया, और अंत में चार साल के भीतर एक केस-आधारित डिजिटल सर्विलांस सिस्टम के तौर पर विस्तारित किया. इसलिए, इबोला महामारी के दौरान DHIS2 के उपयोग ने इसके प्रकोप के प्रबंधन के लिए सुविधाओं के साथ एक ऐसे प्लेटफॉर्म को आगे बढ़ाया जिससे जिस समुदाय पर इसे लागू किया गया उससे संबंधित महत्वपूर्ण अनुभव हासिल हुआ.

यह लेख तीन देशों: श्रीलंका, युगांडा और नॉर्वे में कोरोना महामारी के दौरान DHIS2 के इस्तेमाल पर प्रकाश डालता है. यह इन विभिन्न संदर्भों में डिजिटल पब्लिक गुड्स (DPG) के प्रभावी और भरोसेमंद अडॉप्शन और उसके इस्तेमाल के लिए ज़रूरी घटकों के बारे में बताता है, साथ ही इस बात पर चर्चा करता है कि डिजिटल संप्रभुता के लिए DPG का लाभ कैसे उठाया जा सकता है.



यह लेख तीन देशों: श्रीलंका, युगांडा और नॉर्वे में कोरोना महामारी के दौरान DHIS2 के इस्तेमाल पर प्रकाश डालता है. यह इन विभिन्न संदर्भों में डिजिटल पब्लिक गुड्स (DPG) के प्रभावी और भरोसेमंद अडॉप्शन और उसके इस्तेमाल के लिए ज़रूरी घटकों के बारे में बताता है, साथ ही इस बात पर चर्चा करता है कि डिजिटल संप्रभुता के लिए DPG का लाभ कैसे उठाया जा सकता है. हमारे अध्ययन से पता चलता है कि  किसी देश के लिए किसी बाहरी इकाई पर निर्भर हुए बिना डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के ओनरशिप का पूरी तरह से दावा करने और बनाए रखने के लिए, कुशल प्रौद्योगिकी प्रतिभा, पार्टिसिपेटरी डिज़ाइन प्रोसेस, प्रासंगिक सरकारी एजेंसियों द्वारा निरंतर जुड़ाव और बहुक्षेत्रीय जुड़ाव सहित व्यापक क्षमता निर्माण की आवश्यकता होती है.

कोरोना महामारी के लिए DHIS2


वैश्विक DPG के रूप में डीएचआईएस2 ने कोरोना महामारी के दौरान 50 से अधिक देशों में कोरोना से संबंधित सूचना प्रबंधन में योगदान दिया. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका कार्यान्वयन काफी चुस्त तरीक़े से किया गया जिसमें उन देशों का समर्थन करने वाले वैश्विक सलाहकारों का न्यूनतम हस्तक्षेप था.

श्रीलंका: कोरोना महामारी पर त्वरित प्रतिक्रिया

दिसंबर 2019 में कोरोना महामारी ने चीन में पैर पसारना शुरू किया और तेजी से एशियाई क्षेत्र के कई देशों में फैल गया. श्रीलंका जहां चीन के बाद सबसे ज़्यादा एक साल में पर्यटक पहुंचते हैं, वहां जनवरी 2020 में कोरोना वायरस के प्रवेश और प्रसार को रोकने के बारे में ज़बर्दस्त चिंता दिखी थी. तब श्रीलंका के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना महामारी से संबंधित निर्णय लेने में शामिल स्टेकहोल्डर्स के बीच निगरानी और समन्वय करने के लिए एक डिजिटल इन्फॉर्मेशन सिस्टम की स्थापना की. हालांकि  इस समाधान के विकास और कार्यान्वयन को लेकर कई चिंताएं थीं, जिसमें एक ऐसे सिस्टम को बनाना भी शामिल है जो रोग महामारी विज्ञान के आधार पर बदलती आवश्यकताओं को समायोजित कर सके; कम समय में एक नए डिजिटल समाधान पर कई क्षेत्रों के कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे सके; परंपरागत रूप से कम लचीले सरकारी ढ़ांचे में स्टेकहोल्डरों के बीच सहयोग बना सके; और सरकारी ख़रीद मानदंडों के अनुसार एक डिजिटल सिस्टम डेवलप कर सके. 

मंत्रालय ने DHIS2 प्लेटफॉर्म पर आधारित एक डिजिटल सूचना प्रणाली विकसित करने का निर्णय लिया, जिसका पहले से ही स्थानीय स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक रूप से उपयोग किया गया था और हेल्थ हाइरार्की (स्वास्थ्य पदानुक्रम) के सभी स्तरों पर इसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. इस प्लेटफॉर्म के डिज़ाइन और कार्यान्वयन का नेतृत्व एचआईएसपी श्रीलंका, स्वास्थ्य मंत्रालय और श्रीलंका की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) एजेंसी के साथ मिलकर किया गया था.

चिकित्सा और स्वास्थ्य सूचना विज्ञान में प्रशिक्षित विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रशासकों के साथ इस तरह की चिंताओं के बारे में चर्चा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ऐसी चर्चाओं के बाद मंत्रालय ने DHIS2 प्लेटफॉर्म पर आधारित एक डिजिटल सूचना प्रणाली विकसित करने का निर्णय लिया, जिसका पहले से ही स्थानीय स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक रूप से उपयोग किया गया था और हेल्थ हाइरार्की (स्वास्थ्य पदानुक्रम) के सभी स्तरों पर इसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. इस प्लेटफॉर्म के डिज़ाइन और कार्यान्वयन का नेतृत्व एचआईएसपी श्रीलंका, स्वास्थ्य मंत्रालय और श्रीलंका की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) एजेंसी के साथ मिलकर किया गया था. देश DHIS2 प्लेटफॉर्म पर पोर्ट ऑफ एंट्री मॉनिटरिंग मॉड्यूल के प्रोटोटाइप को डिज़ाइन करने में सक्षम था, जो श्रीलंका द्वारा कोरोना के पहले मामले की रिपोर्ट के समय तक कार्यान्वयन के लिए तैयार था. श्रीलंका चार महीने के भीतर सिस्टम में आठ से अधिक मॉड्यूल डिज़ाइन करने में सक्षम था, जिसमें जेनेरिक प्लेटफॉर्म को अनुकूलित करना भी शामिल था (चित्र 1 देखें).


चित्र 1: डिजिटल सूचना प्रणाली मॉड्यूल का विकास (जनवरी-जून 2020)

स्रोत: लेखक द्वारा डिज़ाइन किया गया


इन इनोवेशन के निर्माण को स्थानीय एचआईएसपी समूह द्वारा यूआईओ, ग्लोबल एचआईएसपी समुदाय और सरकारी आईसीटी एजेंसी के सहयोग से तैयार किया गया था, जिसने हैकथॉन का आयोजन करके स्वयंसेवी डेवलपर्स की भागीदारी का समन्वय किया था. कोरोना स्टीयरिंग कमेटी (संचालन समिति) की अध्यक्षता में मल्टी सेक्टर स्टेकहोल्डर्स ने इस सिस्टम के कार्यान्वयन का समर्थन किया.

श्रीलंका के अनुभवों और मेटाडेटा को यूआईओ DHIS2 कोर टीम और ग्लोबल एचआईएसपी समुदाय के साथ साझा किया गया, जिसके कारण कोरोना के लिए DHIS2 मेटाडेटा पैकेज का उत्पादन हुआ, जिसे 40 से अधिक देशों ने अपनाया.

2020 के उत्तरार्द्ध में एचआईएसपी श्रीलंका और स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश की संपूर्ण वयस्क आबादी को पूर्व-पंजीकृत करके कोरोना टीकाकरण डेटा पर कब्ज़ा करने के लिए DHIS2 को अनुकूलित किया. जनवरी 2021 में देश को टीकों का पहला स्टॉक मिलने तक टीकाकरण मॉड्यूल तैयार हो गया था. इस मेटाडेटा को ग्लोबल DHIS2 समुदाय के साथ भी साझा किया गया था, जिसने टीकाकरण मेटाडेटा पैकेज के विकास में योगदान दिया था. एक डिजिटल टीकाकरण प्रमाणपत्र तैयार करने के लिए एचआईएसपी श्रीलंका टीम और सरकारी आईसीटी एजेंसी ने डीएचआईएच 2 प्लेटफॉर्म पर डीआईवीओसी (एक DPG) को एकीकृत करने के लिए सहयोग किया.

युगांडा: वैश्विक उपयोग के लिए लोकल इनोवेशन्स को साझा करना

युगांडा, पूर्वी अफ्रीका का एक लैंडलॉक्ड (भू-आबद्ध) देश अपनी सीमा से परे केन्या और तंजानिया से आपूर्ति पर बहुत अधिक निर्भर है. महामारी की शुरुआत से, युगांडा को देश में माल परिवहन करने वाले ट्रक ड्राइवरों को ट्रैक करने और अनुमति देने की चुनौती का सामना करना पड़ा था. इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए युगांडा ने DHIS2 मेटाडेटा पैकेज के एंट्री कंपोनेंट के पोर्ट का इस्तेमाल किया और यात्रा के दौरान अलग-अलग जगहों पर ट्रक ड्राइवरों को ट्रैक करने के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन को बनाया और स्थानीय आवश्यकताओं के लिए इसे और तेजी से बढ़ाया. युगांडा टीम द्वारा इनोवेशन जैसे कि DHIS2 एंड्रॉइड कैप्चर ऐप में क्यूआर कोड का समर्थन करने वाली सुविधाओं को शामिल करना, ने भी DHIS2 कोर प्लेटफॉर्म के विस्तार में योगदान दिया.

इसके अलावा, युगांडा ने स्कूली बच्चों की कोरोना संक्रमण स्थिति पर रिपोर्ट करने के लिए शिक्षा क्षेत्र में DHIS2 को भी लागू किया. युगांडा ने मौज़ूदा इलेक्ट्रॉनिक इंटीग्रेटेड डिजीज़ सर्विलांस एंड रिस्पांस का लाभ उठाया, जिसे 2012 में शिक्षा के लिए DHIS2 (डीईएमआईएस) सिस्टम का उपयोग करके स्कूल स्तर पर कोविड रिपोर्टिंग मॉड्यूल के निर्माण के लिए लागू किया गया था. इसने महामारी के कारण स्कूल बंद होने की एक्सटेंडेड पीरियड्स के बाद छात्रों को स्कूलों में वापस लाने में मदद की.

नॉर्वे: डिजिटल पब्लिक गुड्स को अपनाना


नॉर्वे एक ऐसा देश है जो पूरी तरह से डिजिटल है लेकिन 2020 में कोरोना महामारी के शुरुआती चरण में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में कुशल डिजिटल टूल का इस्तेमाल करने को लेकर वहां भी बड़ी चुनौती आई. उत्तरी नॉर्वे में ट्रोम्सो नगरपालिका ने मार्च 2020 में इस उद्देश्य के लिए एक स्केलेबल डिजिटल समाधान तैयार करने में यूआईओ की सहायता मांगी. कोरोना वायरस मॉनिटरिंग के लिए कई देशों में DHIS2 की सफल तैनाती को देखते हुए DHIS2 की कोर टीम ने ट्रॉम्सø के लिए एक डिजिटल समाधान तैयार किया, और अंततः देश में 130 से अधिक नगर पालिकाओं द्वारा इसका उपयोग किया गया. यह किसी यूरोपीय देश में पहला बड़ा DHIS2 सिस्टम को लेकर कार्यान्वयन था.

हालांकि मौज़ूदा कॉम्प्लेक्स डिजिटल समाधान और इंटीग्रेशन के कारण नॉर्वे को इसके कार्यान्वयन को लेकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. स्वास्थ्य कर्मचारियों के कार्यभार को कम करने और मौज़ूदा इन्फॉर्मेशन आर्किटेक्चर के साथ तालमेल बिठाने को लेकर इस पूरे सिस्टम को मौज़ूदा आइडेंटिटी प्लेटफॉर्मों, और टेस्टिंग एंड वैक्सीनेशन डेटाबेस के साथ एकीकृत किया जाना था. एकीकरण के आसपास लोकल इनोवेशन ने भी सामान्य DHIS2 प्लेटफॉर्म और एकीकरण की क्षमताओं को बढ़ाने में योगदान दिया.

कोरोना वायरस मॉनिटरिंग के लिए कई देशों में DHIS2 की सफल तैनाती को देखते हुए DHIS2 की कोर टीम ने ट्रॉम्सø के लिए एक डिजिटल समाधान तैयार किया, और अंततः देश में 130 से अधिक नगर पालिकाओं द्वारा इसका उपयोग किया गया. यह किसी यूरोपीय देश में पहला बड़ा DHIS2 सिस्टम को लेकर कार्यान्वयन था.


इस चर्चा में  हम उन जेनरिक फैक्टर्स (सामान्य कारकों) की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करते हैं जिन्होंने कई देशों में इस सिस्टम के असरदार कार्यान्वयन को मुमकिन बनाया और कैसे संप्रभुता से संबंधित चिंताओं को लेकर चर्चा की गई.

विश्लेषण


चर्चा किए गए तीन देशों के परिदृश्यों के आधार पर कोरोना महामारी के दौरान कार्यान्वयन में एचआईएसपी नेटवर्क से सीख, और इन कार्यान्वयन पर मौज़ूदा रिसर्च से हम उन अहम कारकों की पहचान करते हैं जिन्होंने असरदार सिस्टम को लागू करने में योगदान दिया और जो डिजिटल संप्रभुता के आसपास की चिंताओं को भी संबोधित करते हैं.

मज़बूत, भरोसेमंद और सुरक्षित DPG लागू करना


श्रीलंका, युगांडा और नॉर्वे के अनुभव DHIS2 को अनुकूलित और कार्यान्वित करने में महत्वपूर्ण स्थानीय क्षमताओं के बारे में बताते हैं. उदाहरण के लिए, श्रीलंका ने 10 ईयर कैपेसिटी बिल्डिंग ग्रेजुएट प्रोग्राम में निवेश किया है जो स्वास्थ्य कर्मचारियों की सभी श्रेणियों में राष्ट्रीय और ज़िला स्तर पर कैपेसिटी बिल्डिंग में सक्षम व्यक्तियों को आगे बढ़ाता है. तीनों देशों में लोकल एचआईएसपी समूह ग्लोबल एचआईएसपी नेटवर्क से जुड़े हुए थे. यह ऐसे सिस्टम को विकसित करने की क्षमता प्रदान करता है जो चुस्त हैं, ख़ासकर स्वास्थ्य संकट के दौरान ये काफी असरदार हैं. स्थापित DHIS2 प्लेटफॉर्म की फ्लेक्सिबल , जेनरिक नेचर ने भी इसे असरदार बनाने में अपना योगदान दिया.

स्थानीय समूहों ने क्रॉस-सेक्टर सहयोग के साथ हर देश में स्वास्थ्य और अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर काम किया है  और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को वितरित करने और दीर्घकालिक समर्थन प्रदान करने में भरोसा बनाया है. महामारी जैसे संकट के समय में स्थानीय आवश्यकताओं का समर्थन करने वाले ऐसे दीर्घकालिक संबंध महत्वपूर्ण हैं जहां मौज़ूदा ख़रीद प्रक्रियाओं को तेजी से ट्रैक किया जाना था और बेहतर तरीक़ों को अपनाया जाना था. कोरोना महामारी के दौरान गतिशील आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी कई देशों ने लोकल इनोवेशन का निर्माण किया, जिससे सामान्य प्लेटफॉर्म स्थानीय संदर्भ के लिए ज़्यादा प्रासंगिक हो गए.ग्लोबल वैश्विक नेटवर्क में लोकल इनोवेशन को साझा करने से कार्यान्वयन करने वाले देशों में साबित किए गए टेक्नोलॉजी को बढ़ाने और अपनाने में तेजी आई है.

मेटाडेटा पैकेज के उत्पादन ने सुनिश्चित किया कि कार्यान्वयन के दौरान सूचना प्रबंधन में मानकों और सबसे बेहतर तरीक़ों का पालन किया गया, जिसने एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म को अपनाने के बाद से एकत्र किए गए डेटा के सुरक्षा परिप्रेक्ष्य में भी योगदान दिया जो विश्वसनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करता है. 


मेटाडेटा पैकेज के उत्पादन ने सुनिश्चित किया कि कार्यान्वयन के दौरान सूचना प्रबंधन में मानकों और सबसे बेहतर तरीक़ों का पालन किया गया, जिसने एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म को अपनाने के बाद से एकत्र किए गए डेटा के सुरक्षा परिप्रेक्ष्य में भी योगदान दिया जो विश्वसनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करता है. श्रीलंका के मामले में, साइबर सुरक्षा के प्रभारी सरकारी संस्था ने डीएचआईएस2 प्लेटफॉर्म को लागू करने और इससे संबंधित इनोवेशन को कार्यान्वयन प्रक्रिया के दौरान बारीक़ी से देखा और इसके लिए सिफारिशें की.

डिजिटल संप्रभुता संबंधी चिंताओं का जवाब


डिजिटल संप्रभुता को डेटा के नियंत्रण और यह टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर नेटवर्क के इस्तेमाल के दौरान क्या दर्शाता है, उस रूप में समझा जा सकता है.

DPG, परिभाषा के मुताबिक, ओपन-सोर्स समाधान प्रस्तुत करते हैं जो राष्ट्रों को अपनाने और स्थानीयकृत करने के लिए एक ठोस आधार तैयार करता है. हालांकि, किसी देश के लिए बाहरी इकाई पर भरोसा किए बिना पूरी तरह से ओनरशिप का दावा करने और एक सिस्टम को बनाए रखने के लिए व्यापक क्षमता निर्माण की ज़रूरत होती है. जीएचआईएस 2 प्लेटफॉर्म को बनाए रखने में सक्षम कुशल व्यक्तियों का उत्पादन करने के लिए श्रीलंका और युगांडा दोनों के पास सरकारी क्षेत्र के भीतर लंबे समय से क्षमता निर्माण कार्यक्रम को चलाए जा रहे थे. इसके अलावा, स्थानीय विशेषज्ञों ने मंत्रालयों और दूसरे स्टेकहोल्डर्स की सहायता से टेक्नोलॉजी का निर्माण और कार्यान्वयन किया, विकास और कार्यान्वयन के स्टेज में शेयरिंग के दृष्टिकोण को भी शामिल किया गया. सॉफ्टवेयर को प्रासंगिक बनाने और अन्य देशों के लिए कार्यान्वयन को पूरी तरह से ओनरशिप में रखने के लिए यह ज़रूरी है.  श्रीलंका की आईसीटी एजेंसी द्वारा आयोजित हैकाथॉन जैसी गतिविधियां देश को अपने अधिकार क्षेत्र के अनुसार डेटा को स्थापित और प्रबंधित करने के लिए स्थानीय बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए ठोस आधार प्रदान करती हैं. तीनों देशों में, स्थानीय एचआईएसपी समूहों ने एक सहायक भूमिका निभाई है, जबकि मंत्रालयों के पास सूचना प्रणाली और डेटा मौज़ूद थे जो डिजिटल संप्रभुता प्राप्त करने का रास्ता खोलता है. श्रीलंका का उदाहरण कार्यान्वयन में मल्टीसेक्टर जुड़ाव को भी प्रदर्शित करता है, जो पूरे सरकारी दृष्टिकोण के लिए महत्वपूर्ण साबित होता है. उदाहरण के लिए, सेना ने डेटा एंट्री का बोझ उठाया, जिसे कार्यान्वयन प्रक्रिया में ओनरशिप शेयरिंग करने के तौर पर देखा जा सकता है.

निष्कर्ष



कोरोना महामारी के दौरान कई देशों में DHIS2 एक अत्यंत प्रभावशाली DPG समाधान के तौर पर उभरा है. यह फ्लेक्सिबल जेनेरिक ओपन-सोर्स समाधान होने के नाते इनोवेशन का समर्थन करता है, वह इस प्लेटफॉर्म के लोकल अडॉप्शन को बढ़ावा देता है और इसकी प्रासंगिकता बनाए रखने में मदद भी करता है. एक मज़बूत कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए देश में कैपेसिटी बिल्डिंग, पार्टिसिपेटरी डिज़ाइन और ओपन-सोर्स नेटवर्क के साथ जुड़ना महत्वपूर्ण है. महामारी के समय में DPG को लागू करते समय डिजिटल संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए मल्टीसेक्टर स्टेकहोल्डर्स, कैपेसिटी बिल्डिंग गतिविधियां, सहायक बुनियादी ढांचा और डिजिटल आर्किटेक्चर के साथ जुड़ना महत्वपूर्ण है.

श्रीलंका, युगांडा और नॉर्वे के अनुभवों में ग्लोबल समुदाय के साथ इनोवेशन और सबसे बेहतर तरीक़ों को साझा करना महत्वपूर्ण था. दरअसल, DPG के पीछे एक सक्रिय समुदाय का होना विश्वसनीयता, जवाबदेही और स्थिरता के लिए आवश्यक और अहम है.

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