Published on Nov 17, 2023 Updated 0 Hours ago

जैसे-जैसे थाईलैंड आर्थिक विकास और भू-राजनीतिक भागीदारी के अपने रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, उसके लिए चौकन्ना रहना, हालात के मुताबिक ख़ुद को बदलना और अलग-अलग साझेदारों के साथ सहयोग के लिए तैयार रहना ज़रूरी होगा. 

थाईलैंड की बदलती रणनीति: बेल्ट एंड रोड के युग में संतुलन का काम

हाल ही में निर्वाचित थाईलैंड के प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन 16-19 अक्टूबर 2023 के बीच अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर बीजिंग के लिए रवाना हुए. उनके साथ इस यात्रा में महत्वपूर्ण मंत्री और अधिकारी भी थे जिनमें परिवहन मंत्री सुरिया जुआंगरूगरुआंगकित; डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं समाज के मंत्री प्रैसर्ट चंतारारुआंगथोंग और बड़ी संख्या में प्राइवेट सेक्टर के प्रतिनिधि, जिनमें अलग-अलग उद्योगों के 50 नुमाइंदे शामिल हैं, भी थे. ये दौरा आर्थिक और वाणिज्यिक मामलों पर बहुत ज़्यादा ज़ोर के बारे में बताता है.

दोनों देशों के बीच महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं, संशोधित रक्षा ख़रीद की योजनाओं और भू-राजनीतिक भागीदारी के मुश्किल समीकरणों को लेकर बातचीत हुई.

गौर करने वाली बात है कि ये दौरा उस समय हुआ जब बीजिंग में तीसरा बेल्ट एंड रोड फोरम (BRF) आयोजित किया गया था और जिसमें दुनिया भर के 23 नेता शामिल हुए. थाईलैंड के प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान और बाद में हुई चर्चाओं और घटनाक्रम के दूरगामी नतीजे हैं. दोनों देशों के बीच महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं, संशोधित रक्षा ख़रीद की योजनाओं और भू-राजनीतिक भागीदारी के मुश्किल समीकरणों को लेकर बातचीत हुई.

विदेशी निवेश

काम-काज संभालने के बाद श्रेथा का एजेंडा मुख्य रूप से आर्थिक सहयोग एवं निवेश पर केंद्रित है. इसका प्रमाण अलग-अलग देशों, जिनमें अमेरिका, हॉन्ग कॉन्ग, ब्रुनेई, मलेशिया और सिंगापुर शामिल हैं, के उनके दौरे से मिलता है. अमेरिका के दौरे में उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, एस्टी लॉडर और गोल्डमैन सैश जैसी कंपनियों का दौरा किया. इसके अलावा, श्रेथा इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) उद्योग में अवसरों का पता लगा रहे हैं जो टेस्ला के CEO इलॉन मस्क के साथ उनकी वर्चुअल बैठक से साफ होता है.

थाईलैंड को मौजूदा समय में इंटरनल कम्बशन इंजन गाड़ियों के उत्पादन में दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रमुख केंद्र होने का गौरव हासिल है. ये स्थिति जापान की बड़ी ऑटो कंपनियों जैसे कि टोयोटा मोटर और इसुज़ु मोटर्स के द्वारा संचालित बड़े कारखानों से पता चलती है. मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के साथ उनकी मुलाकात के दौरान मलेशिया की कंपनी प्रोटोन और चीनी साझेदार जीली के बीच सहयोग के ज़रिए थाईलैंड में एक EV बनाने की फैक्ट्री खोलने की संभावना के बारे में पता लगाया गया. इसके अतिरिक्त, श्रेथा ने सिंगापुर के साथ नवीकरणीय (रिन्यूएबल) ऊर्जा और डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है.

थाईलैंड के आर्थिक परिदृश्य में चीन एक महत्वपूर्ण साझेदार बना हुआ है. इसकी वजह ये है कि 18.1 प्रतिशत निर्यात और 14.4 प्रतिशत आयात के साथ चीन, थाईलैंड का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. थाईलैंड में चीन का निवेश इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल से लेकर डेटा सेंटर और कृषि, उल्लेखनीय रूप से अच्छी क्वालिटी के फल एवं सब्ज़ी, समेत अलग-अलग क्षेत्रों में है. चीन ने 2020 से EV के उत्पादन के लिए 1.44 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है. जनवरी से अगस्त 2023 के दौरान थाईलैंड ने विदेशी निवेश के आवेदनों में भारी-भरकम 73 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुभव किया है और ये 10.1 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है. इसमें चीन की कंपनियों का योगदान 2.6 अरब अमेरिकी डॉलर है जो पिछले साल के आंकड़े की तुलना में लगभग तीन गुना है. ध्यान देने की बात ये है कि इस साल चीन की कंपनियों से मिले 228 निवेश के प्रस्तावों में से एक बड़ा हिस्सा इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में केंद्रित है.

BRF से इतर

BRF बैठक से अलग चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी शर्तों के मुताबिक थाईलैंड के विकास के लिए चीन के दृढ़ समर्थन पर ज़ोर दिया. दोनों देशों ने चीन-थाईलैंड रेलवे के निर्माण को तेज़ करने, चीन-लाओस-थाईलैंड कनेक्टिविटी डेवलपमेंट कॉरिडोर को लागू करने को बढ़ावा देने, डिजिटल अर्थव्यवस्था, हरित विकास, पर्यटन एवं नई ऊर्जा में सहयोग का विस्तार करने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का समर्थन किया. इसके अतिरिक्त दोनों पक्षों ने सीमा पार अपराधों जैसे कि ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी और ऑनलाइन जुआ के ख़िलाफ़ लड़ाई के लिए साझा कोशिशों पर ज़ोर दिया. साथ ही चीन बहुपक्षीय संगठनों जैसे कि एसोसिएशन ऑफ साउथ-ईस्ट एशियन नेशंस (ASEAN), लांकांग-मेकोंग सहयोग और संयुक्त राष्ट्र में थाईलैंड के साथ सहयोग में बढ़ोतरी के लिए तैयार है.

बुनियादी परियोजनाओं में तेज़ी लाने की ज़रूरत है. BRI के तहत तैयार की जा रही परियोजनाएं मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों की तुलना में उल्लेखनीय तौर पर छोटी हैं.

हालांकि बुनियादी परियोजनाओं में तेज़ी लाने की ज़रूरत है. BRI के तहत तैयार की जा रही परियोजनाएं मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों की तुलना में उल्लेखनीय तौर पर छोटी हैं. इस बिंदु तक चीन की सरकार के साथ थाईलैंड की सरकार का सहयोग थाईलैंड की हाई-स्पीड रेल (HSR) नेटवर्क, जो राजधानी बैंकॉक को पूर्वोत्तर के क्षेत्र इसान के नोंगखाई से जोड़ता है, का निर्माण करने तक सीमित है जिसने लगातार देरी का सामना किया है. रेल परियोजना के लिए बातचीत की शुरुआत 2014 में हुई लेकिन इसने डिज़ाइन, फंडिंग और तकनीकी सहायता से जुड़ी महत्वपूर्ण बाधाओं का सामना किया जिसके कारण इसकी प्रगति रुक गई. 2016 में थाईलैंड ने चीन के फंड के साथ अधिक ब्याज दर और कर्ज़ के डर से 5.32 अरब अमेरिकी डॉलर के प्रोजेक्ट के हिस्से की फंडिंग ख़ुद करने का फैसला किया. चीन केवल तकनीक और रेलवे सिस्टम में विशेषज्ञता मुहैया करा रहा है. प्रोजेक्ट के शुरुआती चरण, जो बैंकॉक को नखोन रत्चासिमा से जोड़ने वाली 155 मील लंबी रेल लाइन है, का निर्माण शुरू हो गया है और योजना के अनुसार इस पर रेल यात्रा 2027 तक शुरू हो जाएगी. थाईलैंड के रेल प्रोजेक्ट के बाकी हिस्से, नखोन रत्चासिमा से नोंगखाई सेक्शन, के निर्माण का काम 2024 से शुरू होने की उम्मीद है. इस रेल लाइन के पूरा हो जाने के बाद ये लाओस की राजधानी वियनतियाने में लाओस-चीन लाइन से मिलेगी जो चीन के यून्नान प्रांत के शहर कुन्मिंग को जोड़ेगी.

लैंड ब्रिज का प्रस्ताव

BRF के दौरान थाविसिन के द्वारा रखा गया एक सुझाव लैंड ब्रिज प्रस्ताव का पुराना विचार है. अंडमान सागर और थाईलैंड की खाड़ी, जिसे “एक बंदरगाह, दो किनारे” के नाम से जाना जाता है, के तटों को जोड़ने वाले लैंड ब्रिज को बनाने का दृष्टिकोण एक महत्वाकांक्षी पहल है. इसके तहत थाईलैंड की खाड़ी की तरफ चुमफोन प्रांत और अंडमान सागर की तरफ रनोंग प्रांत में गहरे समुद्री बंदरगाह का विकास शामिल है. इसके साथ-साथ 90 किलोमीटर का एक कॉरिडोर जिसमें छह लेन की एक्सप्रेसवे हो और स्टैंडर्ड गेज रेलवे ट्रैक शामिल हैं. ये प्रोजेक्ट थाईलैंड की सामरिक भौगोलिक स्थिति का फायदा उठाता है जो इसे दक्षिण-पूर्व एशिया में एक बुनियादी परिवहन और व्यापार के केंद्र में रखती है और इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य 2039 का है.

श्रेथा ने इस बात पर भरोसा जताया कि लैंड ब्रिज प्रोजेक्ट बिना किसी बाधा के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ जुड़ जाएगा और इस तरह वैश्विक परिवहन के नेटवर्क को बढ़ाएगा. उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान ये आइडिया सीधे चीन के प्रधानमंत्री ली चियांग के सामने रखा और चीन के प्रधानमंत्री एवं निवेशकों से अपने विचार के पक्ष में समर्थन हासिल किया.

भू-राजनीतिक आशंकाओं से परहेज करने के लिए थाई सरकार को अपने निवेशकों में विविधता लाने और पश्चिमी देशों को भरोसे में लेने की आवश्यकता है. ये नज़रिया चीन की बदलती आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए महत्वपूर्ण है

कुछ विश्लेषकों ने शिपिंग कंपनियों के द्वारा लैंड ब्रिज के इस्तेमाल की इच्छा को लेकर चिंता जताई हैं क्योंकि इसकी वजह से ट्रांज़िट का समय बढ़ सकता है और लागत में बढ़ोतरी हो सकती है. इस संबंध में प्रभावी योजना और उसको लागू करना महत्वपूर्ण साबित होगा. इसके अतिरिक्त पर्यावरण पर पड़ने वाले असर का अध्ययन कराना आसपास की पारिस्थितिक स्थितियों (इकोलॉजिकल कंडीशन) को समझने के लिए ज़रूरी होगा.

इसके अलावा, भू-राजनीतिक आशंकाओं से परहेज करने के लिए थाई सरकार को अपने निवेशकों में विविधता लाने और पश्चिमी देशों को भरोसे में लेने की आवश्यकता है. ये नज़रिया चीन की बदलती आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए महत्वपूर्ण है जो उसकी निवेश की क्षमता और इसके नतीजतन थाईलैंड की पहल एवं रणनीति पर असर डाल सकती है. थाईलैंड में चीन के बढ़ते आर्थिक प्रभाव और मौजूदगी ने अतीत में सत्ताधारी दलों और उनके पश्चिमी एवं पड़ोसी साझेदारों के बीच चिंता पैदा की है. अपनी स्वायत्तता बरकरार रखने और एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने के लिए थाईलैंड ने अलग-अलग वैश्विक शक्तियों के साथ अपना संबंध बनाए रखने की लगातार कोशिश की है. इस चलन को श्रेथा प्रशासन के द्वारा भी जारी रखने की उम्मीद की जाती है.

अदलाबदली का समझौता

चीन के दौरे के बाद जो एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ वो है इस समय पनडुब्बी के बदले युद्धपोत  (फ्रिगेट) ख़रीदने के संशोधित समझौते को थाविसिन की मंज़ूरी. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ज़्यादा लागत के बावजूद ये फैसला थाईलैंड के हित के लिए सर्वश्रेष्ठ है. रक्षा मंत्री सुतिन क्लुंगसांग ने इस विचार को दोहराया. इस फैसले के पीछे उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट के कानूनी पहलू की एक व्यापक समीक्षा का ज़िक्र किया. ख़रीदने की योजना में ये बदलाव जर्मनी के द्वारा MTU 396 इंजन, जो मूल रूप से पनडुब्बी को चलाने में इस्तेमाल किया जाता, का निर्यात करने से इनकार के नतीजतन हुआ. जर्मनी ने अपने इनकार के पीछे चीन को हथियारों के निर्यात पर यूरोपियन यूनियन (EU) की पाबंदी का पालन करने का ज़िक्र किया. ये पाबंदी 1989 के तियानमेन स्क्वायर की घटना के समय से लागू है. वैसे तो अदला-बदली को लेकर चीन का राज़ी होना अभी बाकी है लेकिन आने वाले हफ्तों में चीन और थाईलैंड की नौसेना के अधिकारियों के बीच आगे की बातचीत के लिए एक बैठक होने वाली है.

पनडुब्बी की जगह चीन के नौसैनिक युद्धपोत  के विकल्प को चुनना एक कूटनीतिक तिकड़म है जो एक तरफ चीन के साथ स्थिर संबंध बनाए रखने की थाईलैंड की प्रतिबद्धता को दर्शाता है तो दूसरी तरफ पनडुब्बी ख़रीदने के बारे में अधिक मुश्किल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील निर्णय को टालने के बारे में बताता है. ये फैसला कई सामरिक फायदे मुहैया कराता है जिनमें बातचीत की मज़बूत स्थिति होना, नौसैनिक क्षमताओं में बढ़ोतरी और क्षेत्रीय सुरक्षा के समीकरण, ख़ास तौर पर दक्षिण चीन सागर में विवाद को लेकर, पर असर डालने की क्षमता शामिल हैं.

इसके अलावा, अगर ये योजना सफल होती है तो युद्धपोत  की क्षमता का पूरा फायदा उठाने के लिए व्यापक ट्रेनिंग कार्यक्रम और आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए.

इस तरह श्रेथा का दौरा थाईलैंड के आर्थिक और सामरिक हितों, लैंड ब्रिज प्रोजेक्ट की सफलता और भू-राजनीतिक महत्व की संभावना के साथ युद्ध पोत ख़रीदने के हिसाब से अहम है. सभी भागीदारों तक इसका लाभ सुनिश्चित करने के लिए सावधानी से योजना बनाने और कूटनीति की आवश्यकता होगी.

जैसे-जैसे थाईलैंड आर्थिक विकास और भू-राजनीतिक भागीदारी के अपने रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, उसके लिए चौकन्ना रहना, हालात के मुताबिक ख़ुद को बदलना और पूर्व एवं पश्चिम के अलग-अलग साझेदारों के साथ सहयोग के लिए तैयार रहना ज़रूरी होगा ताकि वो लगातार बदल रहे वैश्विक परिदृश्य में अपनी स्वायत्तता और स्थिरता बरकरार रख सके. आने वाले साल बेशक इन सामरिक पहल के सामने आने और अंतर्राष्ट्रीय रणभूमि में थाईलैंड की स्थिति पर उनके असर के गवाह बनेंगे.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.