Published on Jun 28, 2023 Updated 0 Hours ago
मुंबई में पानी की समस्या का निपटारा: क्या BMC का रवैया समस्याग्रस्त है?

मुंबई की स्थानीय शासन व्यवस्था की बागडोर देश के सबसे अमीर नगर निगम बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के पास है जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गवर्नेंस की कार्यप्रणाली के साथ मुक़ाबला करना चाहती है. लेकिन पानी जैसी बुनियादी ज़रूरत के मामले में BMC को बार-बार जूझना पड़ रहा है. तेज़ी से बढ़ती आबादी को देखते हुए पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए सावधानी से योजना बनाने के बावजूद मुंबई ने हमेशा पानी की कमी का सामना किया है. मौजूदा समय में 4,200 मिलियन लीटर प्रति दिन (MLD) की पानी की मांग के मुक़ाबले मुंबई को 3,950 MLD पानी मिलता है. 250 MLD की इस कमी के अतिरिक्त असमान वितरण और रुक-रुक कर होने वाली सप्लाई मुंबई में पानी की समस्या में और बढ़ोतरी करती है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान मॉनसून में देरी से मुंबई ने पानी की सप्लाई में 10-15 प्रतिशत की कटौती का सामना किया है. 

मुंबई में पीने के पानी की सप्लाई में 2014 से 16.17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. 2014 के बाद पीने के पानी की सप्लाई 3,400 MLD से बढ़कर 3,750 MLD, 2018 के बाद 3,850 MLD और 2023 में 3,950 MLD हो गई. 

मुंबई को पानी शहर और पड़ोस के ज़िलों ठाणे और पालघर में स्थित सात झीलों से मिलता है. इन सात झीलों से 4,128 MLD पानी निकाला जा सकता है. सप्लाई का अनुमान इस आधार पर निकाला जाता है कि मुंबई की झुग्गियों में रहने वालों को 45 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन (lpcd) पानी, रिहायशी इमारतों में रहने वालों को 135 lpcd पानी और चॉल (कॉमन टॉयलेट के साथ रिहायशी इमारत) एवं सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट वाली रिहायशी इमारतों में रहने वालों को 90 lpcd पानी मिलता है. 

मुंबई में पीने के पानी की सप्लाई में 2014 से 16.17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. 2014 के बाद पीने के पानी की सप्लाई 3,400 MLD से बढ़कर 3,750 MLD, 2018 के बाद 3,850 MLD और 2023 में 3,950 MLD हो गई. अगले दो दशकों में पीने के पानी की मांग बढ़ेगी जिससे पानी के मौजूदा स्रोतों पर दबाव और बढ़ेगा. आधिकारिक अनुमानों के मुताबिक 2031 तक मुंबई को 5,320 या 34.6 प्रतिशत ज़्यादा पानी जबकि 2041 तक 6,424 MLD या 62.6 प्रतिशत ज़्यादा पानी की जरूरत होगी. पानी की मांग बढ़ने का मुख्य कारण राज्य सरकार की झुग्गी पुनर्वास योजना (स्लम रिहैबिलिटेशन स्कीम) के ज़रिये अधिक झुग्गियों और चॉल का रिहायशी इमारतों में बदलाव, बढ़े हुए फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) से ऊंची-ऊंची इमारतों की संख्या में बढ़ोतरी और दूसरे शहरों से आने वाले लोग एवं अस्थायी आबादी है. मई 2022 में लागू “सबके लिए पानी‘ की नीति के तहत BMC ने 3,950 MLD पानी की सप्लाई शुरू की है ताकि मुंबई की जिन झुग्गी बस्तियों में जरूरी नागरिक सेवाएं नहीं हैं वहां पानी का कनेक्शन मुहैया कराया जा सके.

मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ते अंतर को भरना 

BMC ने मुख्य रूप से पानी के लिए शहर की बढ़ती जरूरत का समाधान करने पर ध्यान दिया है. इसके लिए बुनियादी ढांचे पर पैसा खर्च करके पानी के नये स्रोतों का निर्माण किया है. दूसरी तरफ सप्लाई के उपायों जैसे कि बिना बिल वाले पानी का इस्तेमाल कम करने, मीटर एवं बिलिंग और उपयोग के आधार पर पानी की कीमत तय करने को उतना महत्व नहीं दिया गया है. BMC के बड़े अधिकारियों ने बार-बार ये बयान दिया है कि “मुंबई में पानी के संकट का समाधान” करने के लिए पानी के नये स्रोतों के निर्माण करने को लेकर महानगरपालिका प्रतिबद्ध है. इस तरह BMC की प्राथमिकता के बारे में संकेत मिलता है. 

पानी के नये स्रोतों का निर्माण करने वाले उपायों के साथ अधिक लागत के अलावा दूसरी शर्तें भी होती हैं. BMC ने क्रमश: 440 MLD और 865 MLD पानी की सप्लाई के लिए पालघर में गारगाई और पिंजल बांध का प्रस्ताव दिया है.

2016 में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई के लोगों को समान रूप से और 24×7 पानी की सप्लाई के लिए रोडमैप तैयार करने के उद्देश्य से विशेषज्ञों की एक समिति बनाई. 2018 में इस समिति ने “ग्रेटर मुंबई के लिए समान और 24×7 पानी की सप्लाई की तरफ” के नाम से एक व्यापक रिपोर्ट सौंपी जिसमें दीर्घकालीन और अल्पकालीन उपाय बताए गए हैं. समिति ने डिमांड और सप्लाई के उपायों पर समान महत्व देने का सुझाव दिया है. 

पानी के नये स्रोतों का निर्माण करने वाले उपायों के साथ अधिक लागत के अलावा दूसरी शर्तें भी होती हैं. BMC ने क्रमश: 440 MLD और 865 MLD पानी की सप्लाई के लिए पालघर में गारगाई और पिंजल बांध का प्रस्ताव दिया है. BMC ने इसके अतिरिक्त 1,586 MLD पानी और जोड़ने के लिए गुजरात में दमनगंगा नदी बेसिन को प्रस्तावित पिंजल जलाशय से जोड़ने का भी प्रस्ताव दिया है. इस लेखक के साथ बात करते हुए BMC के बड़े अधिकारियों ने कहा कि गारगाई और पिंजल बांध के लिए लगभग 3,00,000 पेड़ों को काटने की जरूरत होगी. 

BMC ने मुंबई में 200 MLD पानी की सप्लाई और जोड़ने के लिए 1,600 करोड़ की लागत से डिसेलिनेशन प्लांट (खारे पानी को ठीक करने) बनाने का भी प्रस्ताव दिया है. इसकी क्षमता बाद में बढ़ाकर 400 MLD की जा सकती है. लेकिन विशेषज्ञों और आधिकारिक रिपोर्ट में ये राय दी गई है कि मुंबई के लिए डिसेलिनेशन प्लांट पर विचार आख़िरी उपाय के तौर पर किया जाना चाहिए क्योंकि इसे तैयार करने, चलाने और रख-रखाव की लागत ज़्यादा है. 

इसके अलावा सात सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार करने के लिए 27,309 करोड़ रुपये की योजनाएं भी चल रही हैं जो मुंबई में पानी की सप्लाई में 2,464 MLD की बढ़ोतरी करेंगी. इन योजनाओं ने ट्रीटेड वॉटर के इस्तेमाल के लिए मास्टर प्लान बनाने के महत्व के बारे में बताया है. रिसाइकल किए गए पानी के इस्तेमाल को लेकर लोगों की झिझक- जिसे विश्व आर्थिक मंच ने ‘यक फैक्टर’ कहा है- को देखते हुए BMC ने पहले ही साफ कर दिया है कि ऐसे पानी का उपयोग पीने के लिए नहीं होगा. BMC ट्रीट किए गए पानी को टैंकर के ज़रिये शहर के अलग-अलग निर्धारित फिलिंग प्वाइंट से थोक उपभोक्ताओं तक पहुंचाने पर विचार कर रही है. लेकिन सिंगापुर के नेवॉटर और नामीबिया के डायरेक्ट पोटेबल रियूज (पीने के पानी के तौर पर फिर से इस्तेमाल) के अनुभव को दोहराने के लिए उत्सुक BMC ने रिसाइकल पानी के पेयजल के तौर पर इस्तेमाल और इसे मुंबई के मौजूदा वॉटर सप्लाई सिस्टम से जोड़ने की व्यावहारिकता को जांचने के लिए एक कंसल्टेंट को बहाल किया है. 

BMC ने पूरी बिल्डिंग के लिए एक वॉटर मीटर की जगह हर फ्लैट में पानी की खपत की मात्रा को मापने वाले मीटर का प्रस्ताव दिया है. इससे सामान्य लिमिट से ज़्यादा पानी की खपत पर बिल देना होगा.

मुंबई में पानी की वितरण प्रणाली के अनुमान के मुताबिक 27 प्रतिशत पानी गैर-राजस्व वाला है यानी ये वो पानी है जो सप्लाई तो किया जाता है लेकिन लीकेज, चोरी, बिना मीटर कनेक्शन और बिलिंग की गलतियों के कारण इससे आमदनी नहीं होती है. 2016 के आंकड़ों के मुताबिक कुल गैर-राजस्व वाला पानी 38 प्रतिशत होने का अनुमान है जिसमें कि बिना मीटर की खपत शामिल है. इस तरह 1,445 MLD पानी से कोई आमदनी नहीं होती है. वहीं राष्ट्रीय स्तर पर गैर-राजस्व वाला पानी 15 प्रतिशत ही है. दिलचस्प बात ये है कि 455 MLD पानी की सप्लाई करने वाली मध्य वैतरणा परियोजना को 2,285 करोड़ रुपये की लागत से 2014 में शुरू किया गया था. पानी की सप्लाई और वितरण के दौरान गड़बड़ी से सबसे ज़्यादा नुकसान होता है और इन गड़बड़ियों को तुरंत ठीक करने की जरूरत है. गैर-राजस्व वाले पानी को राष्ट्रीय स्तर के मानक 15 प्रतिशत पर लाने से बिना किसी खर्च के 875 MLD अतिरिक्त पानी की क्षमता बढ़ सकती है. महत्वपूर्ण बात ये है कि ऐसा करने से सप्लाई के ज़रिये BMC की आमदनी बढ़ सकती है. BMC के द्वारा हर साल अपने प्लांट और इंफ्रास्ट्रक्चर की मरम्मत और उसको बदलने का काम होता है लेकिन इसकी रफ़्तार बढ़ाने की आवश्यकता है. सप्लाई को बढ़ाने वाली बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में भारी निवेश के बदले पानी की सप्लाई के नेटवर्क की तरफ फंड का आवंटन ज़्यादा समझदारी वाला फैसला होगा. 

मांग की तरफ मैनेजमेंट पर ध्यान नहीं 

इस परिदृश्य को देखते हुए BMC को मांग की तरफ मैनेजमेंट पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है. 2002 में राज्य सरकार ने 1,000 वर्ग मीटर से ज़्यादा की सभी इमारतों में रेनवॉटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य बना दिया था लेकिन इसको ठीक ढंग से लागू नहीं किया गया है. BMC के रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सेल के पास अभी भी अधिकार नहीं है, साथ ही फंड की कमी भी है. बाढ़ की आशंका वाले दादर के हिंदमाता, दक्षिण-मध्य के परेल और मध्य मुंबई में बने पानी के बड़े टैंक का सही इस्तेमाल नहीं किया जाता है. 20 MLD पानी जमा करने की क्षमता के साथ इनका निर्माण मॉनसून के दौरान जमा पानी के निपटारे के लिए किया गया था. इस टैंक का इस्तेमाल टैंकर के लिए फिलिंग प्वाइंट समेत दूसरे काम के लिए होना था लेकिन खराब रख-रखाव की वजह से टैंक में जमा पानी का एक बड़ा हिस्सा समुद्र में चला जाता है.  

एक और समाधान जिसे राजनीतिक इच्छाशक्ति में कमी की वजह से शहर में लागू नहीं किया गया है, वो है यूनिवर्सल वॉटर मीटरिंग और अलग-अलग खपत के लिए मीटर में बदलाव. इसके तहत ग़ैर-झुग्गियों में 200 lpcd और झुग्गियों में 100 lpcd की सामान्य मांग से अधिक पानी के इस्तेमाल पर अलग-अलग स्लैब के हिसाब से चार्ज में बढ़ोतरी होगी. BMC ने पूरी बिल्डिंग के लिए एक वॉटर मीटर की जगह हर फ्लैट में पानी की खपत की मात्रा को मापने वाले मीटर का प्रस्ताव दिया है. इससे सामान्य लिमिट से ज़्यादा पानी की खपत पर बिल देना होगा. लेकिन यूनिवर्सल मीटरिंग और मीटर में बदलाव की योजनाएं काफी हद तक कागजों तक ही सीमित है. पानी को मुफ्त की चीज की तरह समझने के बदले एक कीमती संसाधन के तौर पर देखने के लिए सोच में बदलाव को लेकर बड़े पैमाने पर जन जागरुकता अभियानों की ज़रूरत है. 

निष्कर्ष 

बार-बार BMC ने मुंबई में पानी की समस्या का समाधान योजना बनाकर करने के बदले जैसे-तैसे किया है. ऐसा करने से तत्काल समस्या का समाधान होने में तो मदद मिली है लेकिन समय बीतने के साथ मुंबई की दिक्कतें पहले की तरह खड़ी हो जाती हैं. शहर में पानी के संकट का निपटारा करने के लिए BMC को एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. मुंबई के विकास की गति पर विचार करते हुए सप्लाई के तौर पर नये स्रोतों के निर्माण को मुंबई की पानी की समस्या के समाधान के रूप में खारिज नहीं किया जा सकता है. इसी तरह की प्रतिबद्धता मांग की चुनौतियों को ठीक करने के लिए भी ज़रूरी है.


ईशानप्रिया एम.एस. मुंबई और महाराष्ट्र में गवर्नेंस और प्रशासन की जानकार हैं, वो भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई पर असर डालने वाले लोगों से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देती हैं. 

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