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Published on Jun 17, 2024 Updated 0 Hours ago

रोकथाम, संरक्षण, भागीदारी और नीति को शामिल करके NourishNet खाने पीने के सामान के खाने लायक़ होने, खाद्य सुरक्षा और स्थायित्व जैसे आपस में जुड़ी चुनौतियों का सामना करता है.

NourishNet: हमारे भविष्य की सुरक्षा का आधार

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 2024, खाद्य पदार्थों के सुरक्षित होने की घटनाओं के प्रबंधन के लिए तैयारी करने की अहम ज़रूरत को रेखांकित करता है, जो छोटी से बेहद भयंकर घटना तक कुछ भी हो सकती है. इन घटनाओं से सेहत के पक्के या फिर संभावित जोखिम पैदा होते हैं और इनका जन्म दुर्घटनाओं, अपर्याप्त नियंत्रण, खाने के सामान में धोखाधड़ी या प्राकृतिक आपदाओं की वजह से हो सकता है. खाना सुरक्षित हो, ये सुनिश्चित करना नीति निर्माताओं, अधिकारियों, किसानों, खाने के कारोबार के संचालकों और ग्राहकों की साझा ज़िम्मेदारी होती है. इसके साथ साथ किसी भी खाद्य व्यवस्था में, खाद्य पदार्थों का सुरक्षित होना, उनकी सुरक्षा, स्थायित्व और पोषण आपस में गहराई से जुड़े होते हैं. लेकिन, खाद्य पदार्थों की सुरक्षा की अक्सर अनदेखी कर दी जाती है. जिन देशों में खाद्य सुरक्षा का स्तर काफ़ी ऊंचा है, वहां पर भी अक्सर संसाधनों को निर्यात किए जाने वाले उत्पादों को सुरक्षित बनाने पर ज़्यादा लगा दिया जाता है. इससे घरेलू खाद्य पदार्थों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अनदेखी हो जाती है. इसका सबसे ज़्यादा असर कमज़ोर तबक़ों और खाद्य पदार्थों के मामले में असुरक्षित आबादी पर पड़ता है. उन्हें स्वास्थ्य के भयंकर और गंभीर जोखिमों का सामान करना पड़ता है, जिनमें पेचिश संबंधी बीमारियां और जहरीले रसायनों के खाने में मिले होने का ख़तरा शामिल होता है. ये मसले स्वास्थ्य की समस्याओं को बढ़ा देते हैं और इनकी वजह से आय में कमी और बाज़ार तक पहुंच के अभाव के रूप में भारी सामाजिक और आर्थिक क़ीमत चुकानी पड़ती है. खाने की बढ़ती मांग और खाद्य उत्पादन की नई तकनीकों के उभरते हुए वैश्विक संदर्भ में राष्ट्रीय खाद्य नियंत्रण व्यवस्थाओं को मज़बूत करने के लिए ठोस प्रतिबद्धताओं और पूरी खाद्य श्रृंखला में रोकथाम की आवश्यकता बढ़ जाती है.

 इस लेख में हम ‘NourishNet’ पर चर्चा करेंगे. ये आधुनिक खाद्य व्यवस्थाओं में खाद्य पदार्थों की सुरक्षा को मज़बूत करने की रूपरेखा है, जिसमें खाद्य सुरक्षा के साथ साथ स्थायित्व का बिंदु भी शामिल है.

इसीलिए, भुखमरी और ग़रीबी उन्मूलन, स्वच्छ पानी तक पहुंच, ज़मीन का टिकाऊ इस्तेमाल, ज़िम्मेदारी भरे उत्पादन और खाद्य वस्तुओं की खपत, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को कम करने और ज़मीन एवं पानी में जीवन के स्थायित्व समेत स्थायी विकास के लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने के लिए खाद्य सुरक्षा से समझौता किए बग़ैर नए समाधानों की आवश्यकता है. इस लेख में हम ‘NourishNet’ पर चर्चा करेंगे. ये आधुनिक खाद्य व्यवस्थाओं में खाद्य पदार्थों की सुरक्षा को मज़बूत करने की रूपरेखा है, जिसमें खाद्य सुरक्षा के साथ साथ स्थायित्व का बिंदु भी शामिल है.

 

खाद्य पदार्थों की सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और स्थायित्व को आपस में जोड़ने वाली वैश्विक चुनौतियां:

 

आज जब विकासशील देशों में लोगों की ख़रीदने की क्षमता बढ़ रही है, और उनके रहन सहन के हालात में सुधार आ रहा है, तो मांस, डेयरी और फल एवं मेवों जैसे विशेष खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ रही है. इसके अतिरिक्त विकसित देशों के ग्राहक अब ऑर्गेनिक, निष्पक्ष रूप से व्यापार किए जाने वाले या फिर स्थानीय स्तर पर मिलने वाले उत्पादों को तरज़ीह दे रहे हैं. हाल के समय में पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थों के विकल्प भी काफ़ी मांग में हैं. खाद्य पदार्थों की इस मांग की वजह से खाने पीने के सामान के सुरक्षित और टिकाऊ होने को काफ़ी चुनौती मिल रही है. इसकी वजह से प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव काफ़ी बढ़ गया है. इन चुनौतियों में मिट्टी का क्षरण, जैव विविधता को क्षति और पर्यावरण का प्रदूषित होना शामिल है. इसके अलावा, आपदाएं और महामारियां भी खाने पीने के सामान की सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा के लिए बड़ा ख़तरा बन गई हैं. आग और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से रोगाणु, रसायन और भारी धातुओं जैसे प्रदूषक तत्व हवा, पानी और ऐसे माहौल में घुसपैठ कर लेते हैं, जहां खाने का उत्पादन होता है. आज जब व्यापार और सफर ज़्यादा वैश्विक हो रहा है, तो बेहद संक्रामक और सीमा के आर पार फैलने वाली बीमारियों को लेकर चिंता बढ़ रही है. क्योंकि इनसे जानवरों और इंसानों की मौत की तादाद काफ़ी बढ़ गई है. बीमारियों के इस प्रसार की वजह से खाने के सामान की लागत और उपलब्धता पर गहरा असर पड़ता है, जो किसानों के लिए आर्थिक तबाही लाने वाला होता है. यही नहीं, इनमें से कुछ बीमारियां जानवरों से इंसानों तक पहुंचने वाली होती हैं, जिनसे लोगों की सेहत के लिए जोखिम बढ़ जाते हैं. Figure 1 में हमने खाद्य सुरक्षा, खाने पीने के सामान के सुरक्षित होने और स्थायित्व जैसी वैश्विक चुनौतियों को आपस में जोड़ने वाली परिकल्पनात्मक रूप-रेखा को दिखाया है. 

 

Figure 1: खाद्य सुरक्षा, खाने पीने के सामान के सुरक्षित होने और स्थायित्व जैसी वैश्विक चुनौतियों को आपस में जोड़ने वाली परिकल्पनात्मक रूप-रेखा

 

NourishNet: भविष्य के लिए सुरक्षित खाद्य पदार्थों की एक एकीकृत रूप-रेखा

 

इंसानों, जानवरों और पर्यावरण के स्वास्थ्य, कल्याण और स्थायित्व में सुधार लाने के लिए 2020 में सारा गार्सिया और उनके साथियों ने ‘वन हेल्थ’ की परिकल्पना को पेश किया था. One Health की परिकल्पना के तहत, इंसानों, जानवरों और पर्यावरण के बीच संतुलन को उच्चतम स्तर पर लाने का लक्ष्य रखा जाता है. ये परिकल्पना पूरी दुनिया की सेहत के लिए ख़तरा बनने वाली कोविड-19 जैसी चुनौती की रोकथाम, पूर्वानुमान, पता लगाने और निपटने के लिए ख़ास तौर से अहम हो जाती है. वन हेल्थ कार्यक्रम की तरह सारा गार्शिया और उनकी साथियों का कहना है कि अलग अलग क्षेत्रों से जुड़ी एक टीम को मिलकर काम करना चाहिए, ताकि इंसानों, जानवरों और पर्यावरण की अच्छी सेहत और भलाई को सुनिश्चित किया जा सके. खेती के टिकाऊ तौर तरीक़े लागू करने के लिए अकादमिक क्षेत्र, सरकारी, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के संस्थानों को एक साथ लाया जाना चाहिए, ताकि लोगों को जागरूक करने, नीतियां बनाने और व्यवहार में बदलाव के लिए अर्थपूर्ण बदलाव लाया जा सके.

 खेती के टिकाऊ तौर तरीक़े लागू करने के लिए अकादमिक क्षेत्र, सरकारी, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के संस्थानों को एक साथ लाया जाना चाहिए, ताकि लोगों को जागरूक करने, नीतियां बनाने और व्यवहार में बदलाव के लिए अर्थपूर्ण बदलाव लाया जा सके.

वन हेल्थ की परिकल्पना को आधार बनाते हुए NourishNet स्थायी और सुरक्षित खाद्य व्यवस्थाएं बनाने पर केंद्रित है. इस रूप-रेखा में खाद्य संबंधी ऐसे व्यापक मसले शामिल हैं, जो स्वास्थ्य के ख़तरों के दायरे से आगे जाते हैं. इनमें खाद्य उत्पादन, वितरण, खपत और कचरे का प्रबंधन शामिल है. इसका लक्ष्य खाने पीने का सामान की बढ़ती मांग, खेती की बदलती व्यवस्था और तकनीकी तरक़्क़ी की वजह से पैदा हो रही चुनौतियों से निपटना है. NourishNet आधुनिक खाद्य व्यवस्थाओं की चुनौतियों से निपटने के लिए एकीकृत रुख़ अपनाता है, जिसमें उत्पादकों से लेकर ग्राहकों तक, खाद्य व्यवस्था के सभी पक्ष शामिल होते हैं. इस रूप-रेखा में चार प्रमुख स्तंभों: रोकथाम, संरक्षण, भागीदारी और नीति, पर ज़ोर दिया जाता है.

 

Figure 2: NourishNet की रूप-रेखा: रोकथाम, संरक्षण, भागीदारी और नीति को मिलाकर बनने वाला सहयोगात्मक रवैया

 

 

रोकथाम: खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के हर स्तर पर संक्रमण और खाने से पैदा होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए कड़े मानक और प्रोटोकॉल लागू करना बेहद ज़रूरी है. जैसे कि साफ सफ़ाई के कड़े नियम, नियमित निरीक्षण और सुरक्षा के मानकों का पालन. किसानों, खाने के सामान को लाने ले जाने वालों और इससे जुड़ा कारोबार चलाने वालों को नियमित रूप से शिक्षित और प्रशिक्षित करना होगा, ताकि उन्हें उभरते हुए ख़तरों और साफ़-सफ़ाई के बेहतरीन क़दमों की जानकारी हो, और वो संभावित ख़तरों को पहले पकड़ पाने में मदद करें. ब्लॉकचेन को पता लगाने, पूर्वानुमान के विश्लेषण के लिए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स का इस्तेमाल वास्तविक समय में निगरानी के लिए करने जैसे आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए सटीक पता लगाने, जोखिमों की जानकारी समय से पूर्व करने और संक्रमण को फैलने से पहले की रोकने के लिए किया जा सकता है.

 

संरक्षण: पूरी खाद्य आपूर्ति श्रृंखला का विश्लेषण करके खाने के सामान की सुरक्षा के लिए संभावित ख़तरों और उनसे जुड़े जोखिमों की नियमित रूप से पहचान, मूल्यांकन और रोकथाम के उपाय करने से कमज़ोरियों का तुरंत पता लगाकर सुधार के क़दम उठाए जाएं, ताकि छोटे छोटे मसलों को बड़ी चुनौती बनने से रोका जा सके. तुरंत एलर्ट करने का नेटवर्क बनाने, आपातकाल में संवाद की योजनाएं तैयार करने और सभी भागीदारों के बीच आपसी तालमेल से आपातकालीन स्थिति में प्रतिक्रिया की मज़बूत व्यवस्थाएं बनाकर खाद्य पदार्थों की सुरक्षा की घटनाओं का प्रभावी प्रबंधन किया जा सकता है, जिससे जनता की सेहत पर पड़ने वाले कुप्रभाव सीमित किए जा सकेंगे. इसके अतिरिक्त, जागरूकता अभियानों, अनौपचारिक संसाधनों और सामुदायिक पहुंच जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए ग्राहकों को खाने पीने के सामान की सुरक्षित हैंडलिंग के बारे में जागरूक करने से वो खाद्य पदार्थों का चुनाव सोच-समझकर कर सकेंगे और घर में भी साफ सफाई के उपाय लागू कर सकेंगे, और इस तरह वो खाद्य पदार्थों की सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था में योगदान दे सकेंगे.

 

भागीदारी: सरकारों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, निजी क्षेत्र, नागरिक समूहों के बीच जानकारी और संसाधन साझा करने में सहयोग को बढ़ावा देने से भागीदारों को अपनी सामूहिक विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए खाद्य सुरक्षा संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए व्यापक रणनीतियां विकसित करने में सहायता मिल सकेगी. खाद्य पदार्थों की सुरक्षा की पहलों में कार्यशालाओं और भागीदारी वाले कार्यक्रमों के ज़रिए स्थानीय समुदायों को शामिल करने से सुरक्षित खान पान और जवाबदेही की संस्कृति को बढ़ावा मिल सकेगा, जिससे जम़ीनी स्तर पर खाद्य वस्तुओं को सुरक्षित रखने के उपाय लागू करना सुनिश्चित किया जा सकेगा. खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा के उपायों में पारदर्शिता को बढ़ावा देने, सुरक्षा के मानकों को स्पष्ट रूप से बताने और उन्हें लागू करने की व्यवस्थाएं, भरोसा बनाने और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए बहुत ज़रूरी हैं.

 

नीति: खाने पीने के सामान की सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानकों और नियमों को विकसित करके उनके साथ तालमेल करके वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने और सभी देशों में सुरक्षित खाने का एक जैसा मानक लागू करने, ऊंचे मानक बनाए रखने, खाने से पैदा होने वाली बीमारियों के जोखिम कम करने और निष्पक्ष व्यापार के तौर तरीक़ों को बढ़ावा दिया जा सकता है. खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा को स्थायित्व लाने के प्रयासों से जोड़ने से संसाधन बचते हैं, पर्यावरण का संरक्षण होता है और कचरे का उत्पादन कम होता है. इससे ये सुनिश्चित होता है कि सुरक्ष के उपाय पर्यावरण की सेहत या संसाधनों की उपलब्धता पर बुरा असर न डालें. इस तरह दूरगामी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी मदद मिलती है. खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा की नीतियों और व्यवहार की नियमित रूप से निगरानी और मूल्यांकन की व्यवस्थाएं स्थापित करने से वो असरदार होती हैं और समय के अनुकूल ख़ुद में बदलाव भी लाती हैं. इससे कमियों का समय पर पता लगाने और सुधारों को लागू करने में भी सहायता मिलती है, ताकि खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा के उपाय मज़बूत और उभरती हुई चुनौतियों से निपटने के लिहाज़ से ठोस बने रहें.

 विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 2024 खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा की घटनाओं से निपटने की तैयारियों की ज़रूरत पर बल देता है. इससे NourishNet जैसे एकीकृत ढांचे की अहम भूमिका रेखांकित होती है. 

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस 2024 खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा की घटनाओं से निपटने की तैयारियों की ज़रूरत पर बल देता है. इससे NourishNet जैसे एकीकृत ढांचे की अहम भूमिका रेखांकित होती है. रोकथाम, संरक्षण, भागीदारी और नीति को एक साथ लाकर NourishNet खाद्य वस्तुओं की सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और स्थायित्व की आपस में जुड़ी चुनौतियों से निपटने का रास्ता दिखाता है. ये व्यापक नज़रिया कड़े मानक, नियमित शिक्षा, उन्नत तकनीकों, आपातकाल की ठोस व्यवस्थाओं, नियमित संपर्क, भागीदारों के बीच सहयोग, पारदर्शी व्यवहार और टिकाऊ नीतियों का निर्माण सुनिश्चित करता है. ऐसा करके NourishNet का मक़सद एक लचीली खाद्य व्यवस्था का निर्माण करना है, जो दुनिया में खाने की बढ़ती मांग को पूरा करने में सक्षम होने के साथ साथ लोगों की सेहत और पर्यावरण को भी महफूज़ रखे, जिससे अंतत: टिकाऊ विकास के लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में मदद मिल सके.

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Authors

Subhasree Ray

Subhasree Ray

Dr. Subhasree Ray is the Lead - Nutrition & Wellness (Corporate Medical Services), at Reliance Industries Limited. She writes on nutrition policies, sustainable food systems ...

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Shoba Suri

Shoba Suri

Dr. Shoba Suri is a Senior Fellow with ORFs Health Initiative. Shoba is a nutritionist with experience in community and clinical research. She has worked on nutrition, ...

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