Author : Aleksei Zakharov

Expert Speak Raisina Debates
Published on Apr 17, 2025 Updated 0 Hours ago

शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को जब सत्ता से हटाया गया था, तब ऐसा लगा कि बांग्लादेश की की सियासत पर रूस का असर कम हो रहा है, लेकिन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ रूस अपना सहयोग बढ़ाने में सफल हुआ है. 

बांग्लादेश की राजनीति में बरकरार है रूस का प्रभाव

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अपने गहरे ऐतिहासिक संबंधों की वजह से अवामी लीग और उसकी नेता शेख हसीना के प्रति रूस हमेशा खुलकर अपना समर्थन जताता रहा है. दोनों देशों की ऐतिहासिक संबंधों और साझेदारी के सफल रिकॉर्ड पर आधारित है. हालांकि अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार को हटाए जाने के बाद बांग्लादेश की राजनीति में मची उथल-पुथल के बाद रूस को अपनी रणनीति में उसी हिसाब से कुछ बदलाव करने को मज़बूर होना पड़ा.

बांग्लादेश में सियासी संकट के कारण शेख हसीना को ढाका छोड़कर जाना पड़ा. इसके बाद रूस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से संपर्क किया. रूस ने यूनुस से "रचनात्मक सहयोग" की उम्मीद जताई. इसके साथ ही रूस ने उन्हें भरोसा दिया कि बांग्लादेश में प्रमुख आर्थिक परियोजनाओं को आगे बढ़ाने और ज़रूरी सामान उपलब्ध कराने की अपनी प्रतिबद्धता पर वो कायम है. रूस के इस आश्वासन के बाद बांग्लादेश की नई सरकार के साथ उसके संबंधों में सहज बदलाव सुनिश्चित हुआ.

बांग्लादेश ब्रिक्स में शामिल होने में रुचि रखता है, इसलिए बांग्लादेश के साथ रूस अपने द्विपक्षीय संबंधों को महत्वपूर्ण बनाने के लिए ब्रिक्स के कार्ड का इस्तेमाल कर सकता है.

ये बात भी ध्यान रखने योग्य है कि बांग्लादेश के विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन रूस के कज़ान शहर में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2024 में शामिल हुए. दक्षिण एशिया से बांग्लादेश के अलावा भारत और श्रीलंका के ही कुछ राजनयिक प्रतिनिधि इस शिखर सम्मेलन में गए थे. चूंकि बांग्लादेश ब्रिक्स में शामिल होने में रुचि रखता है, इसलिए बांग्लादेश के साथ रूस अपने द्विपक्षीय संबंधों को महत्वपूर्ण बनाने के लिए ब्रिक्स के कार्ड का इस्तेमाल कर सकता है. फिलहाल, रूस ब्रिक्स के संभावित विस्तार की स्थिति में इस समूह में बांग्लादेश को बड़ी भूमिका देने के लिए अपना समर्थन दोहरा रहा है.

रूस - बांग्लादेश संबंध

चूंकि बांग्लादेश में इस वक्त अवामी लीग का भविष्य अनिश्चित नज़र आ रहा है. ऐसे में रूस की ये कोशिश है कि बांग्लादेश की दूसरी सियासी पार्टियों के साथ अपने संबंधों को फिर से संतुलित किया जाए. रूस के राजदूत अलेक्जेंडर खोज़िन की जमात-ए-इस्लामी के नेतृत्व के साथ हाल ही में हुई बैठक इसका एक उदाहरण है. इस मीटिंग के दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की तारीफ की और कथित तौर पर आगामी चुनावों पर चर्चा की. हालांकि अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के साथ रूस अपने संबंधों को सुधारेगा या नहीं. बीएनपी ने जनवरी 2024 के चुनावों में रूस पर दख़लअंदाज़ी करने का आरोप लगाया था. बीएनपी को लेकर ये माना जाता है कि अगर वो बांग्लादेश में सत्ता में आ गई तो फिर रूस के साथ संबंध बिगड़ सकते हैं क्योंकि बीएनपी और रूस के रिश्ते पारंपरिक तौर पर ठीक नहीं रहे हैं. ढाका में अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के साथ मॉस्को की बातचीत का एक सकारात्मक पहलू ये है कि बांग्लादेश अब अमेरिका-रूस के बीच टकराव का केंद्र नहीं है. ट्रंप प्रशासन ने दक्षिण एशिया और बांग्लादेश से अपना ध्यान हटा लिया है. इससे बांग्लादेश में रूसी कूटनीति के लिए ज़्यादा जगह बन गई है.

बांग्लादेश में रूस की स्थिति मज़बूत बनी हुई है, जिसे उसके आर्थिक और विकास सहायता से बल मिला है. इसका फायदा रूस को भी मिला है. बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद वो अपना प्रभाव बरकरार रखने में सफल रहा है.

रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र (आरएनपीपी) परियोजना रूस-बांग्लादेश ऊर्जा सहयोग द्विपक्षीय साझेदारी का एक प्रमुख स्तंभ रहा है. भविष्य में भी ये एक महत्वपूर्ण घटक बना रहेगा. इस पावर प्लांट की उत्पादन क्षमता 2,400 मेगावाट है. VVER-1200 रिएक्टरों वाला और दो इकाइयों से मिलकर बना ये बिजली संयंत्र जब शुरू हो जाएगा तो इससे बांग्लादेश की ऊर्जा खपत का 10 प्रतिशत तक पूरा करने की उम्मीद है. इस परियोजना के लिए रूस ने 11.38 अरब डॉलर का लोन दिया है. ये रकम इस संयंत्र की कुल लागत की करीब 90 प्रतिशत है. हालांकि 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस के वित्तीय क्षेत्र पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, उसके बाद ये सवाल भी उठ रहा है कि बांग्लादेश अपने इस लोन का भुगतान कैसे करेगा. पुनर्भुगतान को लेकर चुनौतियां बनी हुई हैं. इसी का नतीजा है कि बांग्लादेश अपने ऋण दायित्वों को पूरा करने में नाकाम रहा है. बांग्लादेश को परियोजना से संबंधित ब्याज और अन्य लागतों के रूप में रूस को लगभग 1 अरब डॉलर का भुगतान करना है. हालांकि अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में कहा कि "वित्तीय मुद्दे सुलझा लिए गए हैं. बांग्लादेश द्वारा ढाका के एक खाते में जमा धनराशि को वापस करने के साथ ये समस्या हल हो गई है", लेकिन ये संभावना है कि रूसी कंपनियां इस रकम का इस्तेमाल सिर्फ बांग्लादेशी वित्तीय प्रणाली के भीतर ही कर सकेंगी.

ढाका में अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के साथ मॉस्को की बातचीत का एक सकारात्मक पहलू ये है कि बांग्लादेश अब अमेरिका-रूस के बीच टकराव का केंद्र नहीं है. ट्रंप प्रशासन ने दक्षिण एशिया और बांग्लादेश से अपना ध्यान हटा लिया है.

रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र को 2024 के अंत तक शुरू होना था, लेकिन इसके चालू होने में अभी भी देरी हो रही है. भले ही ये परियोजना पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण सुर्खियों में आ गई है, लेकिन देरी का मुख्य कारण राजनीतिक या वित्तीय नहीं बल्कि तकनीकी पहलू हैं. पावर प्लांट का निर्माण कार्य और टरबाइन की स्थापना का काम अब पूरा हो चुका है. ऐसे में बिजली इकाई को ईंधन भरने और उसके बाद शुरू करने के लिए तैयार किया जा रहा है. इस परियोजना का ठेका रूस की रोसाटॉम कंपनी को मिला है. कंपनी का प्राथमिक लक्ष्य 2025 के अंत तक नए परमाणु ऊर्जा संयंत्र से पहला किलोवाट-घंटे उत्पन्न करना है.

हालांकि रूस-बांग्लादेश का द्विपक्षीय व्यापार 1 अरब डॉलर का ही है. (तालिका 1). बांग्लादेश के शीर्ष 20 व्यापारिक साझेदारों में रूस शामिल नहीं है. हालांकि इसके बावजूद रूस कुछ विशिष्ट वस्तुओं का महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता रहा है, विशेष रूप से बांग्लादेश को कृषि उत्पादों और उर्वरकों की आपूर्ति रूस से होती 

है.

 

तालिका 1- रूस के साथ बांग्लादेश का व्यापार 2019-24 (मिलियन डॉलर में)

 

2019-20

2020-21

2021-22

2022-23

2023-24

आयात

782

482

480

497

863

निर्यात

487

665

638

460

394

कुल

1269

1147

1118

957

1257

स्रोत: बांग्लादेश बैंक, बांग्लादेश ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स एंड एक्सपोर्ट प्रमोशन ब्यूरो

रूस से बांग्लादेश के कुल आयात में अनाज का हिस्सा 87 प्रतिशत है. रूसी अनाज के शीर्ष तीन आयातकों में से बांग्लादेश एक है. दक्षिण एशिया में रूस से सबसे ज़्यादा अनाज बांग्लादेश ही आता है. 2023-2024 में रूस ने बांग्लादेश को रिकॉर्ड 3.5 मिलियन टन गेहूं का निर्यात किया (तालिका 2). रूस गेहूं का जितना निर्यात करता है, उसका आधा हिस्सा बांग्लादेश ही आयात करता है. बांग्लादेश में रूसी गेहूं की आपूर्ति में वृद्धि का रुझान धीमा होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है. जुलाई 2024 और जनवरी 2025 के बीच 2.3 मिलियन टन गेहूं रूस से बांग्लादेश पहुंचा. 2023-2024 में दूसरी फसलों की आपूर्ति में भी काफ़ी वृद्धि हुई है. मटर का निर्यात करीब 44 गुना बढ़ा है जबकि सरसों के बीज के निर्यात में 10 गुना से ज़्यादा की बढ़ोत्तरी हुई.

तालिका 2- रूस से बांग्लादेश को गेहूं का आयात (हज़ार टन में, 2021-24)

फसल/कृषि

2021-22

2022-23

2023-24

गेहूं

307

1400

3500

मटर

282

4.7

206.4

सरसों के बीज

NA

2.4

24.5

स्रोत: रशियन फेडरल सर्विस फॉर वेटेरिनरी एंड पाइथोसेनेट्री सर्विलांस एंड एग्रोएक्सपर्ट

आर्थिक संबंध

बांग्लादेश को उर्वरकों की आपूर्ति रूसी निर्यात का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है. बांग्लादेश के व्यापार निगम और रूस के प्रोडिंटोर्ग के बीच जुलाई 2024 में हुए एक समझौते के मुताबिक रूस जून 2025 तक बांग्लादेश को कम से कम 3 लाख टन पोटेशियम क्लोराइड की आपूर्ति करेगा. अगस्त 2024 से, मॉस्को ने "दोस्ती और बांग्लादेश को अपने सहयोग की गंभीरता के संकेत के रूप में" 30 हज़ार टन म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) उर्वरक देने की भी पेशकश की है. हालांकि उर्वरक वाला शिपमेंट अभी तक भेजा नहीं गया है.

इस दौरान इन नेताओं ने दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों की अहमियत पर बात की. अगस्त 2024 में बांग्लादेश में हुए राजनीतिक विद्रोह के बाद से दोनों देशों के बीच ये सबसे उच्च स्तरीय बैठक थी.

27 मार्च को चीन में बोआओ फोरम फॉर एशिया सम्मेलन के दौरान रूसी उप प्रधानमंत्री एलेक्सी ओवरचुक ने मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की. इस दौरान इन नेताओं ने दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों की अहमियत पर बात की. अगस्त 2024 में बांग्लादेश में हुए राजनीतिक विद्रोह के बाद से दोनों देशों के बीच ये सबसे उच्च स्तरीय बैठक थी. बातचीत को लेकर जो भी जानकारियां सामने आई हैं, उसके मुताबिक बांग्लादेश को गेहूं और उर्वरक निर्यात को और बढ़ाने के रूस के इरादे का ढाका समर्थन करता है. इतना ही नहीं दोनों देश चाहते हैं कि रूस-बांग्लादेश के लोगों के बीच आपसी संपर्क भी बढ़े.

हाल के महीनों में दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संबंध बढ़े हैं. रूस में जनशक्ति की भारी कमी है लेकिन विदेशी श्रमिकों को लाने की प्रक्रिया अभी भी अत्यधिक लालफीताशाही और पायलट मोड यानी शुरुआती दौर में है. हालांकि नौकरी की तलाश में रूस जाने वाले बांग्लादेशियों की संख्या बढ़ी है. रूस की तरफ से बांग्लादेशी लोगों को जारी किए जाने वाले वीज़ा की संख्या में काफ़ी वृद्धि हुई है. (तालिका 3) जनवरी से मार्च 2025 में जारी किए गए वीज़ा की कुल संख्या पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में चार गुना बढ़ गई है. हालांकि वास्तविक आंकड़े काफ़ी कम हैं. ढाका ये भी उम्मीद कर रहा है कि मॉस्को अपनी वीज़ा व्यवस्था को आसान बनाएगा. इससे बांग्लादेशी छात्रों को रूस में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए अधिक अवसर मिलेंगे. 

 

तालिका 3- बांग्लादेश नागरिकों को रूस की तरफ से जारी वीज़ा (2019-24)

वीज़ा के प्रकार/साल

2019

2020

2021

2022

2023

2024

सर्विस

3

12

13

7

12

24

निजी

146

16

23

71

115

112

व्यापारिक

210

37

12

69

103

170

पर्यटन

388

29

0

27

37

86

शैक्षिक

468

229

268

545

577

1452

कार्य

5

0

0

3

70

1904

मानवीय

80

6

28

23

29

160

ट्रांज़िट

1

0

0

3

0

0

कुल

1301

329

344

748

943

3908

स्रोत: रूसी विदेश मंत्रालय का वाणिज्यिक विभाग

आगे की राह 

लोगों के बीच धीरे-धीरे बढ़ते संबंधों के बीच इसे लेकर चुनौतियां भी बढ़ी हैं. कई बांग्लादेशियों को मानव तस्करी करके रूसी सेना में भर्ती किया गया है और फिर उन्हें यूक्रेन की अग्रिम पंक्ति में भेज दिया गया है. इसे देखते हुए बांग्लादेश के अधिकारियों को रूस जाने वाले नागरिकों के लिए देश के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर अतिरिक्त सावधानी बरतने के लिए मज़बूर होना पड़ा है. दिलचस्प बात ये है कि रूस-बांग्लादेश वार्ता में इस मुद्दे को सार्वजनिक रूप से नहीं उठाया गया. रूस ने इसे “मानव तस्करी में शामिल भर्ती और ट्रैवल एजेंसियों के ख़िलाफ” आंतरिक जांच के लिए छोड़ दिया है. 

हालांकि पहले ऐसा लग रहा था कि आवामी लीग के सत्ता से बाहर हो जाने के कारण रूस ने बांग्लादेश में अपना राजनीतिक प्रभाव काफ़ी हद तक खो दिया है, लेकिन रूस जल्द ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ समझौते करने में कामयाब रहा. इतना ही नहीं, अब नए संबंध भी बन रहे हैं. बांग्लादेश में चाहे जो भी राजनीतिक दल सत्ता पर काबिज हो, वो रूस के साथ कुछ हद तक साझेदारी बनाए रखेगा. बस न्यूनतम शर्त ये है कि रूस की तरफ से बांग्लादेश की ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के सहयोग मिलता रहे और बांग्लादेश की बहुध्रुवीय विदेश नीति का रूस समर्थन करे.


अलेक्सेई ज़खारोव ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में फेलो हैं

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