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Published on May 17, 2024 Updated 0 Hours ago

बांग्लादेश में उभर रही ‘भारत विरोधी’ भावनाओं की विश्वसनीयता की पड़ताल ज़रूरी है क्योंकि वास्तविकता सोशल मीडिया में दिखाए जा रहे नैरेटिव से अलग दिखती है.

रील बनाम रियल: बांग्लादेश में भारती विरोधी भावनाओं की गहन पड़ताल!

रमज़ान के दौरान कोलकाता के बाज़ार त्योहार की ख़रीद के लिए आए ग्राहकों से खचाखच भरे थे. हालांकि धाराप्रवाह बांग्ला में दुकानदारों से मोलभाव करने वाले या टैक्सी ड्राइवर से किराए की बातचीत करने वाले सभी लोग स्थानीय नहीं थे. वास्तव में शहर का नेताजी सुभाष चंद्र बोस एयरपोर्ट पड़ोसी देश बांग्लादेश से आने वाले ग्राहकों की सेवा करने में व्यस्त था. कुछ इसी तरह की स्थिति चितपुर स्टेशन की थी जहां ढाका और खुलना से मैत्री एक्सप्रेस और बंधन एक्सप्रेस आती हैं. ये जीवंत दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल उन वीडियो के बिल्कुल उलट था जिसमें ढाका के दुकानदार “भारतीय उत्पादों के बहिष्कार” और “इंडिया आउट” के नारों के तहत भारतीय सामान बेचने से इनकार कर रहे हैं. उनका विरोध बांग्लादेश की अंदरुनी राजनीति में भारत के कथित दखल के ख़िलाफ़ था जिसकी वजह से प्रधानमंत्री शेख़ हसीना पांचवीं बार सत्ता में आई हैं. ये भावनाएं विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के नैरेटिव की गूंज हैं जो जनवरी 2024 में नतीजों की घोषणा के बाद से फैल रही हैं. इसलिए बांग्लादेश में पनप रही ‘भारत विरोधी’ भावनाओं की प्रमाणिकता पर सवाल उठाना और ये चर्चा करना ज़रूरी है कि आपसी निर्भरता को कम करना वास्तविक रूप से संभव है या नहीं. 

BNP का नैरेटिव और चीनी फुसफुसाहट 

‘इंडिया आउट’ अभियान के समर्थन में BNP मुखर रही है. इसे वो बांग्लादेश के लोगों का स्वाभाविक विरोध बताती है. BNP के वरिष्ठ संयुक्त सचिव रुहुल कबीर रिज़वी ने कहा कि पिछले 16 वर्षों से अवामी लीग की सरकार गैर-क़ानूनी तरीके से सत्ता में वापसी कर रही है, वो बांग्लादेश के नागरिकों के वोट से नहीं बल्कि भारत की मदद और समर्थन से जीत रही है. रिज़वी को अपनी कश्मीरी शॉल सड़क पर फेंकते देखा गया और इसके बाद बांग्लादेश की महिलाओं से भारतीय साड़ी न पहनने की अपील की गई. BNP का अभियान मालदीव के “इंडिया आउट” अभियान की तरह दिखता है जिसकी शुरुआत राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू के नेतृत्व वाली प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव ने 2023 में की थी. इसमें ज़ोर देकर कहा गया था कि भारत माले के नज़दीक उथुरुथिलाफाल्हू द्वीप पर बनाए जा रहे सैन्य अड्डे का इस्तेमाल करके मालदीव की स्वायत्तता को कमज़ोर करना चाहता है. मुइज़्ज़ू को चीन का करीबी माना जाता है और उन्होंने अपने चुनावी एजेंडे में ‘ड्रैगन’ के साथ मज़बूत संबंधों का वादा किया था. 

‘इंडिया आउट’ अभियान के समर्थन में BNP मुखर रही है. इसे वो बांग्लादेश के लोगों का स्वाभाविक विरोध बताती है. BNP के वरिष्ठ संयुक्त सचिव रुहुल कबीर रिज़वी ने कहा कि पिछले 16 वर्षों से अवामी लीग की सरकार गैर-क़ानूनी तरीके से सत्ता में वापसी कर रही है, वो बांग्लादेश के नागरिकों के वोट से नहीं बल्कि भारत की मदद और समर्थन से जीत रही है.

मालदीव की तरह बांग्लादेश में भी चीन ने भारी निवेश किया है. चीन बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है, विदेशी सहायता का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है. हालांकि अवामी लीग सरकार ने BNP से हटकर, जो चीन समर्थक है, भारत और चीन के साथ रिश्तों में हमेशा एक कूटनीतिक संतुलन बनाए रखा है. इस प्रकार ये हैरानी की बात नहीं है कि BNP जहां शेख़ हसीना सरकार के समर्थन के लिए भारत की बड़ी आलोचक रही है, वहीं इसी सरकार का समर्थन करने वाले चीन को लेकर वो ख़ामोश रही है. वास्तव में चुनाव से पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भरोसा दिया था कि वो बाहरी दबावों का सामना करने में प्रधानमंत्री हसीना का साथ देंगे. चुनाव के बाद बांग्लादेश में चीन के राजदूत याओ वेन और बांग्लादेश के विदेश मंत्री हसन महमूद के बीच बातचीत के दौरान चीन ने अवामी लीग को अपना समर्थन दोहराया. लेकिन BNP का भारत के साथ सामंजस्य का इतिहास नहीं रहा है और वो अवामी लीग की सबसे ज़्यादा आलोचना ये कहकर करती है कि उसने “बांग्लादेश को भारत का एक पिछलग्गू” बना दिया है. फिर भी भारत पर बांग्लादेश की निर्भरता से इनकार नहीं किया जा सकता है. 

आपसी निर्भरता 

भारत और बांग्लादेश भौगोलिक रूप से नज़दीकी क्षेत्र साझा करते हैं और इस प्रकार दोनों देशों के बीच समान संसाधनों को साझा करने की ज़रूरत के साथ दोनों देशों के बीच स्वाभाविक आपसी निर्भरता है. भारत बांग्लादेश में FDI के 10 बड़े स्रोतों में से एक है; गैर-सहायता समूह के देशों से द्विपक्षीय विदेशी सहायता में वो तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है; और बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है. बांग्लादेश को भारतीय निर्यात के सामानों की सूची पर नज़र डालें तो रोज़ाना की ज़रूरत के कई सामानों का पता चलता है. इनमें दूसरे ज़रूरी सामानों के अलावा मछली, मांस, डेयरी उत्पाद, सब्ज़ी, फल, पेय पदार्थ, अनाज, तिलहन, चीनी, साबुन, कागज़, रेशम, ऊन, कपास और फर्नीचर शामिल हैं. 

भारत बांग्लादेश में FDI के 10 बड़े स्रोतों में से एक है; गैर-सहायता समूह के देशों से द्विपक्षीय विदेशी सहायता में वो तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है; और बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है. 

बांग्लादेश से इलाज के लिए जाने वाले (मेडिकल टूरिज़्म) लोग भी बड़ी संख्या में भारत जाते हैं और भारत आने वाले ऐसे 54 प्रतिशत लोग अकेले बांग्लादेश से हैं. भारत के पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के बीच नज़दीकी एवं साझा सांस्कृतिक-भाषाई संबंध और भारत में इलाज की कम लागत ने उनकी यात्रा और इलाज को सुविधाजनक बनाया है. चूंकि भारत पर बांग्लादेश की निर्भरता उसकी भलाई से जुड़ी है, ऐसे में विपक्ष का एक राजनीतिक एजेंडा होने के अलावा भारत विरोधी अभियान का कोई वास्तविक मूल्य नहीं है. 

इस तरह प्रधानमंत्री हसीना ने इस बहिष्कार अभियान का सही ढंग से जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि वो भारतीय उत्पादों से परहेज करने की विपक्ष की इच्छाशक्ति में तभी भरोसा करेंगी जब उनके नेता अपनी-अपनी पत्नियों की भारतीय साड़ियों को जलाएंगे और रसोई में भारतीय मसालों का इस्तेमाल करने से इनकार करेंगे. जहां तक भारतीय सरकार की बात है तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि “भारत-बांग्लादेश के संबंध बहुत मज़बूत हैं. हमारे बीच एक व्यापक साझेदारी है जो अर्थव्यवस्था से लेकर व्यापार, निवेश, विकास, सहयोग, संपर्क और लोगों के स्तर तक सभी क्षेत्रों में फैली हुई है. आप किसी भी मानवीय प्रयास का नाम बताएं, ये भारत और बांग्लादेश का अटूट हिस्सा है. ये साझेदारी इतनी ही जीवंत है और आगे भी ऐसी ही बनी रहेगी.” फिर भी भारत के कुछ सोशल मीडिया यूज़र ‘भारत विरोधी’ कंटेंट से भड़क गए हैं. ये इस बात की तरफ इशारा करता है कि दोनों देशों को अपने लोगों के बीच भरोसा बनाने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है. 

युवाओं को जोड़ना 

चूंकि महामारी के बाद के युग में भारत और बांग्लादेश डिजिटल क्षेत्र में अधिक तालमेल के लिए तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर मुख्य रूप से ध्यान होगा. दोनों देशों के लोगों के बीच कुछ क्षेत्रों में मौजूदा शत्रुता का समाधान करने के लिए दोनों देशों की साझा सांस्कृतिक, भाषाई और जातीय विरासत पर ज़ोर देने वाली अच्छी तरह से तैयार मिलीजुली पहल में दोनों देशों के भविष्य का प्रतिनिधित्व करने वाले युवाओं को शामिल करने की सख्त ज़रूरत है. 

सोशल मीडिया की पहुंच और उपलब्धता का लाभ उठाकर ये प्रयास न केवल नागरिकों के बीच अधिक समझ और सहानुभूति को बढ़ावा देंगे बल्कि एक अधिक सामंजस्यपूर्ण भविष्य को विकसित करने में भी मदद करेंगे. 

इसके अलावा दोनों देशों के बीच संबंध में ऐतिहासिक मील के पत्थरों को संजोना और उन्हें याद करना ज़रूरी है, जैसे कि 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध के दौरान भारत का निर्णायक समर्थन और बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख़ मुजीबुर रहमान और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बीच की दोस्ती. एकजुटता की ये स्मृतियां दोनों देशों के बीच गहरे रिश्तों की मज़बूत याद दिलाती हैं. 

हाल के दिनों में महामारी का अनुभव, जिस दौरान भारत ने ‘वैक्सीन मैत्री’ की पहल के ज़रिए बांग्लादेश को भारी मात्रा में वैक्सीन की सप्लाई की थी और भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान रेमडेसिविर की डोज़ और PPE किट के साथ बांग्लादेश ने त्वरित सहायता प्रदान की थी, आपसी सम्मान की आवश्यकता को और ज़्यादा रेखांकित करता है. ये देखते हुए कि सोशल मीडिया के एक्टिव यूज़र ज़्यादातर युवा है, ऐसे में इस तरह का आदान-प्रदान डिजिटल प्लैटफॉर्म पर प्रमुखता से दिखना चाहिए. सोशल मीडिया की पहुंच और उपलब्धता का लाभ उठाकर ये प्रयास न केवल नागरिकों के बीच अधिक समझ और सहानुभूति को बढ़ावा देंगे बल्कि एक अधिक सामंजस्यपूर्ण भविष्य को विकसित करने में भी मदद करेंगे.


सोहिनी बोस ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं.

अनसुया बासु रॉय चौधरी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में सीनियर फेलो हैं.

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Authors

Sohini Bose

Sohini Bose

Sohini Bose is an Associate Fellow at Observer Research Foundation (ORF), Kolkata with the Strategic Studies Programme. Her area of research is India’s eastern maritime ...

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Anasua Basu Ray Chaudhury

Anasua Basu Ray Chaudhury

Anasua Basu Ray Chaudhury is Senior Fellow with ORF’s Neighbourhood Initiative. She is the Editor, ORF Bangla. She specialises in regional and sub-regional cooperation in ...

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