Author : Sabine Ameer

Expert Speak Raisina Debates
Published on Jun 12, 2024 Updated 0 Hours ago

गज़ा का पुनर्निर्माण समग्र होना चाहिए, जिसमें बुनियादी ढांचे और आवश्यक सेवाओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए, साथ ही दीर्घकालिक शांति के लिए आर्थिक पुनर्निर्माण, मुद्रा स्थिरीकरण और सार्वजनिक सेवाओं के नवीनीकरण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

गज़ा का पुनर्निर्माण: युद्ध के बाद गज़ा पट्टी को दोबारा बसाने की चुनौतियों का मार्ग निर्देशन करना!

गज़ा में चल रहे इज़रायल-हमास युद्ध की वजह से हुई क्षति, कब्ज़े वाले वेस्ट बैंक और गज़ा के 2022 के संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद के 97 प्रतिशत के बराबर है. 30,000 नागरिकों की मौत हो गई है और जो संख्या बढ़ती जा रही है, ध्वस्त हो गए लगभग 80,000 घर ढह गए हैं, गज़ा के 80 प्रतिशत से अधिक स्कूल, जिनमें हर 12 में से एक गंभीर रूप से तबाह विश्वविद्यालय शामिल है और सांस्कृतिक और धार्मिक ख्याति के लगभग 200 स्थान जिन्हें अपवित्र किया गया है तबाही की  स्थिति को सही तरह से दर्शाते हैं. यूएनडीपी के हालिया अनुमान में कहा गया है कि युद्ध के बाद गज़ा में पुनर्निर्माण पर लगभग 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत आएगी और गज़ा को पूरी तरह से फिर से बनाने में 80 साल तक का समय लग सकता है. इज़रायल और हमास के बीच युद्ध समाप्त होने के बाद, जो बड़ा सवाल गज़ा के भविष्य पर मंडरा रहा होगा और शांति और सुलह की ओर जाने में देरी करवा सकता है, वह होगा युद्ध के बाद का पुनर्निर्माण. 

द्वितीय विश्व युद्ध, लेबनानी गृहयुद्ध और सीरिया में गृहयुद्ध के संदर्भ में बात करें तो इतिहास ने लगातार बताया है कि युद्ध के बाद के पुनर्निर्माण में न केवल अरबों डॉलर खर्च होते हैं, बल्कि सशस्त्र संघर्षों के दौरान तबाह हुए शहरों को पूरी तरह फिर से बनाने और पुनर्स्थापित करने में कई दशक लग जाते हैं.

बाकी संघर्षों को छोड़ भी दें और द्वितीय विश्व युद्ध, लेबनानी गृहयुद्ध और सीरिया में गृहयुद्ध के संदर्भ में बात करें तो इतिहास ने लगातार बताया है कि युद्ध के बाद के पुनर्निर्माण में न केवल अरबों डॉलर खर्च होते हैं, बल्कि सशस्त्र संघर्षों के दौरान तबाह हुए शहरों को पूरी तरह फिर से बनाने और पुनर्स्थापित करने में कई दशक लग जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि नागरिक बुनियादी ढांचे को जानबूझकर नष्ट करने और आवश्यक सेवाओं को बाधित करने से असुरक्षा का जो  भाव पैदा होता है वह अक्सर शारीरिक मृत्यु से होने वाले नुक़सान से भी ज़्यादा होता है. इस बात को सशस्त्र संघर्षों में नागरिक बुनियादी ढांचे को जानबूझकर तबाह किए जाने की निंदा करने के लिए पारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संकल्प 2573 (2021) की उद्घोषणा, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया था, में अच्छी तरह से बताया गया है. हालांकि, युद्ध के बाद का पुनर्निर्माण आगे और संघर्षों, विवादों के लिए एक भानुमती का पिटारा भी खोल सकता है कि क्या पुनर्निर्माण करना है, कब और कहां करना है और क्या ऐसा है जिसे छोड़ देना है. जिससे असुरक्षा बढ़ा सकती है. 

वैचारिक दरार और संघर्ष के बाद पुनर्निर्माण: ड्रेसडेन का किस्सा 

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ड्रेसडेन पर मित्र देशों की बमबारी ने एक समय संपन्न और जीवंत रहे जर्मन शहर को लगभग नष्ट कर दिया था. हालांकि युद्ध के दौरान जर्मनी सबसे विवादास्पद शक्तियों की धुरियों में से एक था, फिर भी जर्मन शहरों के ख़िलाफ़ मित्र देशों का अभियान भी 'आतंकवादी बमबारी' का प्रतीक बन गया. 'अर्बिसाइड' या युद्ध के दौरान मानव निर्मित ढांचों को जानबूझकर तबाह किया जाना एक परेशान करने वाली लेकिन आम बात बन गई, जिसने मित्र देशों की कार्रवाई को रेखांकित किया. यद्यपि यह सांकेतिक था, युद्ध के बाद, सबसे बड़ा सवाल यह था कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नष्ट हुए ड्रेसडेन और अन्य शहरों का पुनर्निर्माण कैसे किया जाए. 

दो चरणों में हुआ ड्रेसडेन में पुनर्निर्माण: पहले युद्ध के बाद और फिर 1990 के दशक की शुरुआत में. ड्रेसडेन के पुनर्निर्माण ने ऐतिहासिक-आधुनिकतावादी, समाजवाद-पूंजीवाद और पूर्व-पश्चिम के द्वंद्व को लेकर नए संघर्षों का आधार तैयार कर दिया. बमबारी के दौरान नष्ट हुए कुछ प्रमुख शहरी विरासत स्थल जैसे ड्रेसडेन ओपेरा हाउस- जो अभिजात वर्ग और आम लोगों, दोनों के लिए एक सांस्कृतिक केंद्र था- और फ्राउएनकिर्चे- ड्रेसडेन का मुख्य चर्च- इन प्रतीकात्मक स्थलों के पुनर्निर्माण के प्रयासों को पूरी तरह से मूर्त रूप देने में कई दशक लग गए. वैचारिक मतभेदों से प्रभावित ड्रेसडेन का पुनर्निर्माण अब भी जारी है. 

युद्ध के बाद बेरूत का पुनर्निर्माण और राजनीतिक भ्रष्टाचार

1990 के दशक में लेबनानी गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद मलबे में तब्दील हो चुके शहर, बेरूत, के पुनर्निर्माण से बहुत कुछ सीखा जा सकता है. लेबनान की पुनर्निर्माण रणनीति डाउनटाउन बेरूत पर केंद्रित थी. इस परियोजना को आम तौर पर 'बेरूत सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट (बीसीडी) पुनर्निर्माण' के रूप में जाना जाता था और इसे सॉलिडेयर नामक एक रियल एस्टेट कंपनी ने शुरू किया था. इस परियोजना में बेरूत की कई क्षतिग्रस्त इमारतों को गिराना, बुनियादी ढांचे को उन्नत करना और नव-उदारवादी आर्थिक विकास के उद्देश्य से नई जगहों का निर्माण करना शामिल था. 

सीरिया का मामला इस बात का एक हृदय विदारक उदाहरण है कि कैसे (संघर्ष के बाद) पुनर्निर्माण में न केवल राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और राज्य के अभिकर्ताओं के अंतर्निहित भू-राजनीतिक उद्देश्यों के कारण न सिर्फ़ लंबे समय तक देरी हो सकती है, बल्कि युद्ध भी लंबा खिंच सकता है. 

हालांकि, इस परियोजना के लिए संपत्ति और ज़मीन के संपत्तिहरण के चलते उनके असली मालिकों को विस्थापित होना पड़ा, जिनमें 'अवैध' बस्तियों में रहने वाले युद्ध-विस्थापित शिया समुदाय कते लोग भी शामिल थे. इन भू-स्वामियों को अपनी संपत्ति के अधिकारों को सॉलिडेयर को हस्तांतरित करने के लिए मजबूर किया गया था जिसके बदले उन्हें इस रियल एस्टेट कंपनी के शेयर दिए गए थे. ये लोग बाद में संगठित हुए और न्याय की मांग और शिकायत के लिए इस योजना का विरोध किया. इसके अलावा, ईरान समर्थित कट्टरपंथी समूह हिजबुल्लाह जैसे गैर-राज्य अभिकर्ता भी प्रतिरोध दिखाने में सक्रिय हो गए. बीसीडी पुनर्निर्माण ने एक नई सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था का निर्माण किया, जिसने नागरिकों, पूर्व मिलिशिया (नागरिक सेना) नेताओं और राजनीतिक-आर्थिक अभिजात वर्ग के बीच नए संघर्षों को बढ़ावा दिया. युद्ध के बाद के बेरूत में इन संघर्षों का आधार यह था कि सामाजिक (या सरकारी) धन के ज़रिए किए जा रहे पुनर्निर्माण से किसे, कब और कहां फ़ायदा मिलता है. 

संघर्ष के बाद सीरिया में पुनर्निर्माण का मामला 

सीरिया का मामला इस बात का एक हृदय विदारक उदाहरण है कि कैसे (संघर्ष के बाद) पुनर्निर्माण में न केवल राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और राज्य के अभिकर्ताओं के अंतर्निहित भू-राजनीतिक उद्देश्यों के कारण न सिर्फ़ लंबे समय तक देरी हो सकती है, बल्कि युद्ध भी लंबा खिंच सकता है. एक चल रहे गृहयुद्ध में जिसमें असद शासन को पहले ही विजयी घोषित कर दिया गया है, सुलह दूर की कौड़ी लगती है. एसडब्ल्यूपी बर्लिन का 2020 में प्रकाशित शोध यह साफ़ करता है कि सीरिया में पुनर्निर्माण के लिए बुनियादी ढांचे और आवास के पुनर्निर्माण के अलावा भी अंतर्राष्ट्रीय कोशिशें की जानी होंगी ताकि सीरिया "अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से शुरू कर सके, अपनी मुद्रा को स्थिर कर सके और अपनी सार्वजनिक सेवाओं, विशेष रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी को नवीनीकृत कर सके." 

मौजूदा शासन पर पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण, इस बात की संभावना बहुत कम है कि इस तरह के सुविचारित प्रयास निकट भविष्य में शुरू किए जाएंगे. यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने गृहयुद्ध से तबाह हुए सीरियाई शहरों के व्यापक पुनर्निर्माण को काफ़ी हद तक नज़रअंदाज़ किया है, ब्रिटिश-सीरियाई वास्तुकार अम्मार अज़्ज़ौज इस बात की ओर ध्यान दिलाते हैं कि कैसे यही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अलेप्पो सुक्स और पाल्मायरा जैसे प्रतिष्ठित सांस्कृतिक विरासत स्थलों के पुनर्निर्माण के लिए मज़बूती से खड़ा रहा है, जिन्हें आईएसआईएस ने नष्ट कर दिया था. अज़्ज़ौज इन प्रयासों की आलोचना करते हुए इन्हें सीरियाई समुदायों के जीवन और घरों के वास्तविक पुनर्निर्माण की व्यापक ज़रूरतों को पूरा करने में विफल रहने पर लीपापोती किए जाने का ही एक रूप मानते हैं. इसके अलावा, विभिन्न अभिकर्ता सीरिया में स्थानीय स्तर पर कई तरह की पुनर्निर्माण परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं, जिनके लाभार्थी मुख्य रूप से सीरियाई लोग नहीं हैं और जिनमें गृहयुद्ध को और लम्बा खींचने वालों के हितों और प्राथमिकताओं का ही ध्यान रखा जा रहा है.

इज़रायल-हमास युद्ध के बाद गज़ा

गज़ा में चल रहे विध्वंस के बारे में बात करें तो, संयुक्त राष्ट्र ने तबाही के स्तर को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया में सबसे गंभीर स्तर का क़रार दिया है. इसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है कि युद्ध के बाद गज़ा के पुनर्निर्माण के लिए संसाधनों के साथ-साथ राजनीतिक इच्छाशक्ति और अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण की कितनी आवश्यकता होगी, संयुक्त राष्ट्र के एक आकलन के अनुसार, अभी जारी इज़रायल-हमास जंग के दौरान, फ़िलिस्तीन में लगभग 1.74 मिलियन लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए हैं. इसके अलावा, जंग के दौरान ढहाए जा चुके ऐतिहासिक शहरों के भाग्य को स्वीकार करते हुए, यह आकलन बताता है कि गज़ा को नष्ट की जा चुकी गई अपनी आवासीय इकाइयों को फिर से बनाने में 80 साल लग सकते हैं. गज़ा में स्कूलों को हुए नुक़सान का आकलन करने के लिए उपग्रह से ली गई तस्वीरों का उपयोग करते हुए संयुक्त राष्ट्र की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि 70 प्रतिशत से अधिक स्कूलों के बड़े स्तर पर या पूर्ण पुनर्निर्माण की आवश्यकता होगी.

युद्धोपरांत ऐतिहासिक शहरों के पुनर्निर्माण के दौरान दर्ज की गई असफलताओं से बचने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को गज़ा के लिए एक ऐसी पुनर्निर्माण रणनीति तैयार करनी चाहिए जो विविध दृष्टिकोणों का सम्मान करती हो.

युद्धोपरांत ऐतिहासिक शहरों के पुनर्निर्माण के दौरान दर्ज की गई असफलताओं से बचने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को गज़ा के लिए एक ऐसी पुनर्निर्माण रणनीति तैयार करनी चाहिए जो विविध दृष्टिकोणों का सम्मान करती हो. निर्णय लेने की प्रक्रिया में स्थानीय समुदायों और हितधारकों को शामिल करने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि पुनर्निर्माण के प्रयास समावेशी हों और गज़ा की अनूठी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का ध्यान रखते हों. बाहरी विचारधाराओं को थोपने से बचना और स्थानीय स्वामित्व को बढ़ावा देकर संभावित संघर्षों को कम किया जा सकता है. आगे बढ़ते हुए, गज़ा के पुनर्निर्माण में पारदर्शिता और समानता को प्राथमिकता देनी होगी. राजनीतिक भ्रष्टाचार को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए ढांचा तैयार किया जाना चाहिए कि पुनर्निर्माण से सभी समुदायों, विशेष रूप से सबसे अधिक प्रभावित और हाशिए पर रह रहे लोगों को फ़ायदा हो. नागरिक समाज संगठनों को शामिल करना और मज़बूत निगरानी सुनिश्चित करना पुनर्निर्माण प्रक्रिया में जवाबदेही और निष्पक्षता बनाए रखने में मदद कर सकता है. 

गज़ा का पुनर्निर्माण समग्र होना चाहिए ताकि इसमें न केवल भौतिक अवसंरचना का निर्माण किया जाए बल्कि स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, पानी और बिजली जैसी आवश्यक सेवाओं का भी ध्यान रखा जाए. दीर्घकालिक स्थिरता और शांति को बढ़ावा देने के लिए अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण, मुद्रा को स्थिर करने और सार्वजनिक सेवाओं को नवीनीकृत करने पर केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को प्राथमिकता देनी होगी. घर, जीवन और आजीविका के साथ-साथ महत्वपूर्ण और नागरिक बुनियादी ढांचे के नुक़सान और संस्थागत क्षमताओं के गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त होने के साथ, युद्ध के बाद गज़ा का  पुनर्निर्माण काफी हद तक अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण पर निर्भर होगा. हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को एक स्थायी और समावेशी पुनर्निर्माण प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए, अपने स्वयं के भू-राजनीतिक उद्देश्यों को अलग रखते हुए, स्थानीय समुदाय के साथ साझेदारी में सहयोगात्मक रूप से काम करना होगा.

निष्कर्ष 

सशस्त्र संघर्ष के दौरान रणनीतिक शहरों का जानबूझकर विनाश - या जिसे विद्वानों ने "डोमिसाइड" कहा है - नया या असामान्य नहीं है. हालांकि, शहरीकरण के आगमन और उसके बाद नागरिक और गैर-नागरिक सीमाओं के धुंधले होने के साथ, शहरों में युद्ध तेजी से बढ़ रहे हैं, जो उनके सामाजिक, भौतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बुनियादी ढांचे को नष्ट कर रहे हैं और कभी जीवंत रहे पड़ोस को नष्ट कर रहे हैं. यद्यपि मानव निर्मित ढांचों का विनाश बहुत हद तक असुरक्षा का कारण बन सकता है, (युद्ध के) बाद की परिस्थितियों में पुनर्निर्माण हमेशा शांति और सुरक्षा का निर्माण नहीं करता है. 

हालांकि गज़ा का पुनर्निर्माण काफी हद तक अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण पर निर्भर करेगा, अंतर्राष्ट्रीय अभिकर्ताओं की भागीदारी स्थानीय-वैश्विक, समाजवाद-रूढ़िवाद और मानवतावादी- और लाभ के लिए जैसे विभिन्न द्वंद्वों के साथ नई दरारें पैदा कर सकती है. 

हालांकि गज़ा का पुनर्निर्माण काफी हद तक अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण पर निर्भर करेगा, अंतर्राष्ट्रीय अभिकर्ताओं की भागीदारी स्थानीय-वैश्विक, समाजवाद-रूढ़िवाद और मानवतावादी- और लाभ के लिए जैसे विभिन्न द्वंद्वों के साथ नई दरारें पैदा कर सकती है. इसके अलावा, जब अंतर्राष्ट्रीय अभिकर्ता पुनर्निर्माण में शामिल होते हैं, तो ध्यान प्रतीकात्मक स्थलों पर रहता है, कुछ मामलों में, उन स्थानों पर जो पश्चिम के साथ संपर्क स्थापित कर चुके होते हैं. इस ओर ध्यान केंद्रित होने की कीमत अक्सर स्थानीय ख्याति के रोज़मर्रा के शहरी स्थानों और सांस्कृतिक विरासत स्थलों को चुकानी पड़ती है. अध्येताओं, पेशेवरों और नीति निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गज़ा के पुनर्निर्माण के मामले में ऐसा न हो, बल्कि पुनर्निर्माण के एक ऐसे दृष्टिकोण को महत्व और प्राथमिकता दी जाए जो स्थानीय समुदाय के साथ साझेदारी में रोज़मर्रा की ज़रूरतों के स्थानों और स्थानीय ख्याति के स्थलों के पुनर्निर्माण को महत्व देता हो, 


(सबीन अमीर यूनाइटेड किंगडम के ग्लासगो विश्वविद्यालय में राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंध में डॉक्टरेट शोधकर्ता हैं).

(ऊपर व्यक्त विचार लेखिका के निजी विचार हैं.)

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