Author : Angad Singh Brar

Expert Speak Raisina Debates
Published on Jun 14, 2024 Updated 0 Hours ago

गाज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाने और सेवाओं की आपूर्ति श्रृंखला के लगभग छिन्न भिन्न हो जाने की वजह से अंतरराष्ट्रीय न्यायालय को इज़राइल के ख़िलाफ़ नए क़दम उठाने की ज़रूरत है.

रफ़ाह में मानवीय सहायता की आपूर्ति श्रृंखला टूटने से रोकने की कोशिश

7 अक्टूबर के हमलों के बाद से गाज़ा में 36 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इज़राइल पर चौतरफ़ा दबाव बनाने के लिए दक्षिण अफ्रीका ने 1948 की नरसंहार निरोधक संधि के सदस्य के तौर पर इज़राइल के ख़िलाफ़ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस (ICJ) का रुख़ किया है और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से अपील की है कि वो इज़राइल के ख़िलाफ़ आदेश जारी करे कि ‘इज़राइल गाज़ा में रह रहे फिलिस्तीनियों की हत्या करना और उनको गंभीर शारीरिक और मानसिक नुक़सान पहुंचाना बंद करे.’ 29 दिसंबर को जब दक्षिण अफ्रीका की अपील को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की रजिस्ट्री ने विचार के लिए स्वीकार किया था, तब से गाज़ा में 15 हज़ार से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है. 7 मई 2024 को इज़राइल ने अपने सैन्य अभियान का दायरा रफ़ाह के प्रशासनिक क्षेत्र तक बढ़ा दिया था, जहां दस लाख से ज़्यादा फ़िलिस्तीनियों ने तब से पनाह ले रखी है, जब से इज़राइल ने गाज़ा के तीन चौथाई हिस्से को ख़ाली करने का आदेश दे रखा है. रफ़ाह में इज़राइल का सैन्य अभियान रोकने के लिए दक्षिण अफ्रीका ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय न्यायालाय का दरवाज़ा खटखटाया ताकि इज़राइल के ख़िलाफ़ जारी होने वाले अस्थायी प्रावधानों में रफ़ाह को भी शामिल कराया जा सके. क्योंकि, ICJ के पिछले आदेश के बाद से ज़मीनी हालात में व्यापक बदलाव आ चुका है, जिसकी वजह से न्यायालय को नए उपाय करने की ज़रूरत है.

 

दक्षिण अफ्रीका की ताज़ा अर्ज़ी पर सुनवाई करते हुए ICJ ने पाया कि सैन्य अभियान को रफ़ाह तक ले जाने से गाज़ा के हालात में व्यापक बदलाव आ गया है. अदालत ने इसकी वजह से पैदा हुई मानवीय स्थिति को ‘तबाह करने वाली’ बताया. इज़राइल का हमला होने के बाद से रफ़ाह एक मानवीय राहत क्षेत्र से ‘बेहद जोखिम वाले इलाक़े’ में तब्दील हो गया है (Picture 1 देखें). नए अभियान से फ़िलिस्तीनियों को एक बार फिर रफ़ाह छोड़कर अल मवासी का रुख़ करने को मजबूर होना पड़ा है. ये एक रेतीला इलाक़ा है, जहां इमारतें और मूलभूत ढांचा बेहद कम या नहीं के बराबर है. इसके चलते शरणार्थी भयंकर धूप में भी खुले में भुखमरी का सामना करते हुए रहने को मजबूर हो गए हैं. हाल में हुए इतने बड़े विस्थापन को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने सख़्ती से आदेश दिया कि इज़राइल न केवल रफ़ाह में अपना सैन्य अभियान बंद करे, बल्कि कोई ऐसा क़दम उठाने से भी बाज़ आए जो ‘गाज़ा के फ़िलिस्तीनियों की ज़िंदगी को ख़तरे में डाले और उनको शारीरिक तबाही से जूझना पड़े’. ICJ के इस ताज़ा आदेश के साथ संलग्न एक घोषणा में जज नोल्टे (ICJ के 15 जजों में से एक) ने स्पष्ट किया कि इज़राइल द्वारा, गाज़ा के फ़िलिस्तीनियों को बिना बाधा के मानवीय सहायता और बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराने के आदेश की अनदेखी करने से ज़िंदगी के लिए ऐसे हालात बन गए हैं, जो युद्ध क्षेत्र में फ़िलिस्तीनियों की स्थिति पर बहुत बुरा असर डाल रहे हैं. वैसे तो अदालत ने इज़राइल की हरकतों को नरसंहार घोषित करने के सवाल पर विचार नहीं किया. लेकिन, ICJ की सबसे बड़ी चिंता, फ़िलिस्तीनियों को लगातार मानवीय सेवाएं मुहैया कराने से जुड़ी है.

 

इस वजह से गाज़ा में मानवीय सहायता और सेवाओं की आपूर्ति श्रृंखलाओं के लगभग पूरी तरह से टूट जाने की समस्या खुलकर सामने आ गई है. वैसे तो अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का हालिया आदेश इज़राइल पर बहुपक्षीय दबाव बनाने वाला है. पर, इसके साथ साथ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने भी एक समानांतर आदेश दिया है. ICC के अभियोजक ने युद्ध अपराधों का इल्ज़ाम लगाकर हमास और इज़राइल दोनों के नेताओं के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी के वारंट जारी करने की गुज़ारिश की है. इज़राइल के नेताओं के ख़िलाफ़ वारंट जारी करने की अपनी अर्ज़ी में अभियोजक ने एक प्रमुख आरोप यही लगाया है कि उन्होंने जान-बूझकर गाज़ा के लोगों को मानवीय सहायता मुहैया कराने की आपूर्ति श्रृंखला को छिन्न भिन्न किया और अहम सीमा चौकी को बंद करके फ़िलिस्तीनियों तक खाने और दवाओं जैसी बुनियादी सुविधाएं पहुंचने से रोक दीं. इज़राइल के प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी वारंट जारी करने की अर्ज़ी में उन पर ये आरोप भी लगाया गया है कि वो भुखमरी को युद्ध का हथियार बनाकर इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि मानवीय सहायता रुक जाने से यही हालात बन गए हैं. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने दो टूक शब्दों में में कहा है कि गाज़ा के हालात अकाल की तरफ़ बढ़ रहे हैं. विश्व खाद्य कार्यक्रम के सबसे ताज़ा अपडेट के मुताबिक़, उत्तरी गाज़ा में भुखमरी के हालात में कुछ सुधार दिख रहा है, क्योंकि वहां पर मानवीय सहायता पहुंचाने में वृद्धि हो रही है. स्पष्ट है कि 12 मई को उत्तरी गाज़ा में एरेज़ वेस्ट से ज़मीन के रास्ते पहुंचने का नया रास्ता खुलने से मदद पहुंचाना कुछ आसान हुआ है. गाज़ा के उत्तरी इलाक़े में मामूली सुधार होने के बावजूद, रफ़ाह में अभियान ने दक्षिणी गाज़ा में भुखमरी की स्थिति को और खराब कर दिया है.

 

Figur 1: इज़राइल के अभियान से गाज़ा में मानवीय आपूर्ति श्रृंखलाओं पर पड़ा असर (24 मई तक) 

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Source: UN Office for the Coordination of Humanitarian Affairs

क्या सुरक्षा परिषद मानवीय आपूर्ति श्रृंखलाओं की मदद कर सकती है?

 29 मई को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने गाज़ा के हालात पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई. इस बैठक में दक्षिण अफ्रीका के प्रतिनिधि ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश लागू करने और इज़राइल के लिए रफ़ाह में अभियान ‘रोकने’ का फ़रमान जारी करने की गुज़ारिश की. सुरक्षा परिषद में दक्षिण अफ्रीका का रुख़ संयुक्त राष्ट्र के चार्टर की धारा 94 पर आधारित है, जिसमें ICJ के आदेश का कोई भी पक्ष सुरक्षा परिषद जा सकता है, ताकि न्यायालय (ICJ) की इच्छा को लागू किया जा सके. वैसे तो औपचारिक तौर पर इस धारा का उल्लेख नहीं किया गया, फिर भी ये बात स्पष्ट नहीं है कि क्या ICJ के हालिया आदेश, जो अस्थायी प्रावधान हैं और अंतिम आदेश नहीं, को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर की धारा 94 का इस्तेमाल करके लागू किया जा सकता है. फिर भी, इससे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय और सुरक्षा परिषद के एक दूसरे के पूरक होने की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र के ये दोनों अंग एक दूसरे से नज़दीकी से जुड़े हैं, ख़ास तौर से नरसंहार संधि के मामले में, जिसका इज़राइल पर आरोप लगाया जा रहा है. ICJ नरसंहार संधि की न्यायिक व्याख्या और निर्णय प्रक्रिया के काम करता है. वहीं, सुरक्षा परिषद की ज़िम्मेदारी इसे लागू करना और इसकी निगरानी करना है. वैसे तो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर की धारा 94 पर आधारित इस समन्वय को लागू किए जाने का इंतज़ार है. पर अल्जीरिया ने पहले ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों के बीच एक घोषणा के मसौदे को आवंटित किया है, जिसमें इज़राइल से रफ़ाह का अभियान रोकने को कहा गया है.

 

ये स्पष्ट नहीं है कि क्या अल्जीरिया का प्रस्ताव बुरी तरह ध्रुवों में बंटी हुई सुरक्षा परिषद में पारित हो सकेगा. हां ये बात तय है कि अकाल और भुखमरी जैसी मानवीय चिंताओं में बढ़ोत्तरी ने इन संगठनों की अंतरात्मा पर बोझ डाल दिया है. इज़राइल गाज़ा में नरसंहार कर रहा है या उसका सैन्य अभियान नरसंहार करने वाला नहीं है, इस सवाल पर कोई न्यायिक फ़ैसले का गाज़ा को प्रभावी तरीक़े से सहायता पहुंचाने पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला है. ICJ, ICC और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषगद में किए जा रहे प्रयासों की सबसे बड़ी चिंता तो भुखमरी और अकाल को रोकने की है और इसे युद्ध के हथियार के तौर पर नहीं इस्तेमाल किया जाना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए आगे बढ़ने का सबसे अच्छा रास्ता ऐसे प्रस्तावों की सूची में एक और नाम जोड़ने का नहीं होना चाहिए, जिनकी अनदेखी की जाती रही है. बल्कि, उसकी कोशिश होनी चाहिए कि UN चार्टर की धारा 94 का इस्तेमाल किया जाए और ये संभावना तलाशी जाए कि क्या ICJ के अस्थायी आदेशों को लागू किया जा सकता है, या नहीं.

 

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Angad Singh Brar

Angad Singh Brar

Angad Singh Brar is a Research Assistant at Observer Research Foundation, New Delhi. His research focuses on issues of global governance, multilateralism, India’s engagement of ...

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