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Published on Jun 18, 2024 Updated 0 Hours ago

ताइवान के नए राष्ट्रपति लाई चिंग ते ने अपने उदघाटन भाषण में पिछली राष्ट्रपति की तुलना में सख्त़ रुख़ अपनाया है. अपनी स्पीच में उन्होंने ये बात दोहराई कि ताइवन चीन से अलग है. ताइवान के लोगों की भी यही इच्छा है और नए राष्ट्रपति ने अपने नागरिकों की भावनाओं को शब्द दिए हैं.

ताइवान: राष्ट्रपति लाई चिंग ते का उदघाटन भाषण: चीन के साथ रिश्तों पर क्या असर?

20 मई 2024 को लाई चिंग ते ने रिपब्लिक ऑफ चाइना (ताइवान) के सोलहवें राष्ट्रपति और हासियायो बी खीम ने उपराष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली. ताइवान के इतिहास में ये पहला मौका है, जब कोई पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में आई है. राष्ट्रपति लाई ने इसे "आठ साल के अभिशाप का अंत" कहा. अपने उदघाटन भाषण में राष्ट्रपति लाई ने "एक नए लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण और समृद्ध ताइवान" के निर्माण का वादा किया. विश्लेषकों को उनके भाषण का बेसब्री से इंतज़ार था.  इस लेख में हम इस बात को समझने की कोशिश करेंगे कि राष्ट्रपति लाई का ये भाषण अपनी पूर्ववर्ती राष्ट्रपति त्साई इंग वेन के 2016 और 2020 में दिए गए उदघाटन भाषण की तुलना में कितना अलग और कितना समान था.  



राष्ट्रपति का भाषण



राष्ट्रपति त्साई इंग वेन की अगुवाई में 2016 से ही ताइवान में डेमोक्रेटिव प्रोग्रसिव पार्टी (DPP) सत्ता में है. वेन ने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में भी जीत हासिल की थी. हालांकि 2018 और 2022 के नाइन-इन-वन इलेक्शन (ताइवान में स्थानीय निकायों के चुनाव) में उन्हें झटका लगा था, लेकिन फिर भी देश का सर्वोच्च पद 8 साल से डीपीपी के पास ही है. ताइवान के स्थानीय चुनावों को नाइन-इन-वन इलेक्शन इसलिए कहा जाता है क्योंकि मतदाता ताइवान के 22 शहरों और काउंटीज़ की 9 स्थानीय सरकारों के लिए वोटिंग करते हैं. ताइपे शहर के पूर्व मेयर को वेन जे की ताइवान पीपल्स पार्टी और कुओमितांग पार्टी (KMT) से मिली कड़ी चुनौती के बावजूद डीपीपी के लाई चिंग ते राष्ट्रपति चुनाव जीतने में कामयाब रहे. उन्हें करीब 40.05 प्रतिशत वोट मिले.

राष्ट्रपति लाई के भाषण में कई मुद्दे शामिल थे. यूक्रेन-रशिया युद्ध और इज़रायल-हमास युद्ध दो ऐसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दे थे, जिन्हें उन्होंने अपने भाषण में शामिल किया. लाई ते ने इस क्षेत्र में चीन की सैन्य और ग्रे ज़ोन गतिविधियों को वैश्विक शांति और सुरक्षा चुनौतियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बताया. 


राष्ट्रपति लाई के भाषण में कई मुद्दे शामिल थे. यूक्रेन-रशिया युद्ध और इज़रायल-हमास युद्ध दो ऐसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दे थे, जिन्हें उन्होंने अपने भाषण में शामिल किया. लाई ते ने इस क्षेत्र में चीन की सैन्य और ग्रे ज़ोन गतिविधियों को वैश्विक शांति और सुरक्षा चुनौतियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बताया. इससे ये साबित होता है कि लाई ते ताइवान की खाड़ी में मौजूद ख़तरे को दुनिया की आकस्मिकता के रूप में पेश करना चाहते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो ये ताइवान के उस प्लान का एक हिस्सा है, जिसमें "ताइवान पर ख़तरे को दुनिया पर ख़तरे" के रूप में पेश करने की कोशिश की जाती है.

लाई की स्पीच में हाल ही में संपन्न यूनाइटेड स्टेट्स (US) बिल इंडो-पैसेफिक सुरक्षा पूरक विनियोजन अधिनियम, 2024 को कानून में बदलने की स्वीकारोक्ति भी की गई. इस बिल के मुताबिक ताइवान और इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में ज़रूरत पड़ने पर अमेरिका "सुरक्षा के संदर्भ में संचालन और रखरखाव" के लिए 1.9 अरब डॉलर का अतिरिक्त फंड देने का वादा करता है. इसका मतलब ये हुआ कि ताइवान इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में अमेरिका के नेतृत्वकारी भूमिका को स्वीकार करता है. ये विधेयक किसी आपातकालीन स्थिति में ताइवान को अतिरिक्त सुरक्षा, ट्रेनिंग और सैनिक साजोसामान की खरीद में मदद भी मुहैया कराता है.

जहां तक क्रॉस स्ट्रैट यानी ताइवान और चीन के राजनयिक रिश्तों की बात है तो राष्ट्रपति बनने के पहले से ही लाई ते का रुख़ "डीप ग्रीन" का रहा है, यानी आज़ादी समर्थक. 2017 में लाई चिंग ते ने कहा था कि "वो ऐसे राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, जो ताइवान की स्वतंत्रता के पक्षधर हैं लेकिन इसके साथ ही वो एक व्यवहारिक व्यक्ति और आज़ादी समर्थक सिद्धांतकार भी है". चीन में इस तरह के बयानों को "अलगाववादी कदम" माना जाता है. वहीं उपराष्ट्रपति हासियायो बी खीम ने "1992 की आम सहमति" को ऐसा विचार बताया, जो अब पुराना हो चुका है.

राष्ट्रपति लाई ने इस बात को स्वीकार किया कि ताइवान के नागरिक घरेलू मोर्चे पर कई गंभीर मुद्दों का सामना कर रहे हैं. महंगाई, आवास, आर्थिक असमानता और बिजली की कमी समेत कई दूसरे मुद्दों का ज़िक्र उन्होंने अपनी स्पीच में किया.


अपने भाषण में लाई ने चीन को ये बात फिर याद दिलाई कि रिपब्लिक ऑफ चाइना (ROC) पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चीन (PRC) से अलग है. लाई का ये बयान ताइवान में रहने वाले लोगों की इच्छा को व्यक्त करता है. हालांकि, कुछ विश्लेषकों ने क्रॉस स्ट्रेट को लेकर राष्ट्रपति लाई के रुख़ को उनकी पूर्ववर्ती की तुलना में ज़्यादा सख्त माना. लाई ने उन "चार वायदों" की भी बात की, जिनका प्रस्ताव उनसे पहले की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने 2022 में रखा था. इन चार वायदों में अर्थव्यवस्था और उद्योग, सामाजिक सुरक्षा, एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक सरकारी प्रणाली और राष्ट्रीय सुरक्षा शामिल हैं. इन प्रतिबद्धताओं का जिक्र करने का मतलब ये है कि लाई अपनी पूर्ववर्ती राष्ट्रपति त्साई की कुछ नीतियों को जारी रखेंगे.

राष्ट्रपति लाई ने इस बात को स्वीकार किया कि ताइवान के नागरिक घरेलू मोर्चे पर कई गंभीर मुद्दों का सामना कर रहे हैं. महंगाई, आवास, आर्थिक असमानता और बिजली की कमी समेत कई दूसरे मुद्दों का ज़िक्र उन्होंने अपनी स्पीच में किया. इन महत्वपूर्ण मुद्दों का डीपीपी सही तरीके से हल नहीं कर पाई. यही वजह है कि स्थानीय चुनाव में उसे मुख्य विपक्षी पार्टी कुओमितांग पार्टी के हाथों हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की अहमियत पर भी बात की. लाई का मानना है कि सेमीकंडक्टर के बाद एआई एक ऐसा क्षेत्र है, जहां भविष्य में ताइवान कुछ बड़ा कर सकता है. लाई के भाषण में एक महत्वपूर्ण बदलाव ये था कि उन्होंने नई साउथबाउंड पॉलिसी (NSP) का एक बार भी ज़िक्र नहीं किया. इसकी जगह उन्होंने "इंडो-पैसेफिक" और "वर्ल्ड" शब्द का बार-बार ज़िक्र किया. फिलहाल ये कहना जल्दबाज़ी होगा कि NSP को लाई के कार्यकाल में महत्व मिलेगा या नहीं.

नीचे दी गई तालिका में दिखाया गया कि राष्ट्रपति लाई ने अपने भाषण में किन शब्दों का इस्तेमाल किया और उनकी पूर्ववर्ती त्साई इंग वेन के दो उदघाटन भाषणों की तुलना में वो कहां ठहरते हैं.

तालिका 1: पिछले तीन राष्ट्रपति के उदघाटन भाषणों की तुलना (2016, 2020, 2024)

 

त्साई इंग-वेन (2016)

त्साई इंग-वेन (2020)

लाई चिंग ते (2024)

लोकतंत्र

14

6

12

शांति/शांतिपूर्ण

11

9

23

चीन (PRC)

0

1

8

अमेरिका

1

2

1

नई साउथबाउंड पॉलिसी (NSP)

2

1

0

ताइवान(ROC) 

5

4

11

ताइवान/ताइवानीज़

45

59

102

स्रोत: लेखक द्वारा जुटाए आंकड़े

लाई चिंग ते की जीत पर चीन की प्रतिक्रिया


इस साल की शुरूआत में जब राष्ट्रपति पद के लिए लायी की उम्मीदवारी का एलान किया गया, उसके बाद से ही इस पर चीन की प्रतिक्रिया तेज़, व्यापक और पूर्व नियोजित थी. चीन ने कई प्रवक्ताओं और मंत्रियों के ज़रिए अपनी मौखिक नाखुशी ज़ाहिर कर दी थी. इसके अलावा चीन ने तेज़ी से कदम उठाते हुए 15 जनवरी 2024 को नाउरू गणराज्य की मान्यता को आरओसी से पीआरसी में ले आया गया. इससे ताइवान के राजनयिक सहयोगियों की संख्या कम होकर सिर्फ 12 ही रह गई.

सैन्य तौर पर देखें तो ताइवान को चीन की नई चाल का सामना करना पड़ रहा है. चीन के तटरक्षक जहाजों ने ताइवान की सेना के नियंत्रण वाले किनमेन/क्यूमोय द्वीपों के आसपास अपनी नौसैनिक गतिविधियां बढ़ा दी हैं. चीन के इस तरह के कदमों ने दोनों पक्षों के पहले से ही खराब संबंधों में और तनाव पैदा कर दिया है.

लाई ते के उदघाटन भाषण के बाद चीनी सेना की ईस्टर्न थियेटर कमांड ने 23 मई 2024 को इस बात की घोषणा की थी कि वो ताइवान के आसपास "ज्वाइंट स्वोर्ड-2024" नाम से एक संयुक्त अभ्यास करेगा. चीन इसे "पनिशमेंट ड्रिल" (दंड युद्धाभ्यास) कह रहा है. इतना ही नहीं चीन के विदेश मंत्रालय ने इसे "वैध और ज़रूरी" बताया. चीन की इस तरह की ड्रिल एक पैटर्न दिखाती है. इससे पहले जब अगस्त 2022 में अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान आई थी, तब भी चीन ने ऐसा ही किया था. चीन के इस अभ्यास से ताइवान की मध्य लाइन (ताइवान और चीन के बीच वास्तविक हवाई सीमा) और किनमेन और मात्सु द्वीप में जल और थल में चीन की घुसपैठ होती है.



ताइवन-चीन संबंधों और इस पूरे क्षेत्र के लिए क्या संभावनाएं?


वैसे खास बात ये है कि चीन ने इस क्षेत्र में सिर्फ़ ताइवान ही नहीं बल्कि कई दूसरे देशों के ख़िलाफ अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ाई हैं. फिलीपींस इसका एक उदाहरण है. फिलीपींस की जल सीमा में चीन के तटरक्षक बल का अभ्यास और भी ज़्यादा आक्रामक हो गया है. इससे फिलीपींस के तटरक्षक दल के कई सदस्य घायल हुए हैं. इस क्षेत्र में सैनिक गतिविधियों में इस तरह की बढ़ोत्तरी के कई दुष्परिणाम हो सकते हैं.

इन चुनौतियों से निपटने के लिए इस क्षेत्र में अमेरिका की अगुवाई में कई लघुपक्षीय मंचों का गठन किया जा रहा है. अमेरिका की इस क्षेत्र में गहरी रुचि है. उसकी फिलीपींस और जापान के साथ रणनीतिक साझेदारी भी है. अमेरिका, फिलीपींस और जापान के नेताओं की तरफ से साझा बयान जारी किए जा रहे हैं, जिसमें चीन से समंदर में अपने आक्रामक व्यवहार में कमी लाने को कहा गया है. संयुक्त बयान में ये भी कहा गया है कि इस क्षेत्र में शांति लाने के लिए समान विचारधारा वाले सभी देशों को साथ आकर आपसी सहयोग बढ़ाना चाहिए.

लाई ते ने इस बात को स्वीकार किया है कि ताइवान की संसद युआन में उनकी पार्टी डीपीपी के पास बहुमत नहीं है. इससे उन्हें अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में मुश्किल आ सकती है. लाई के सामने दूसरी चुनौती ताइवन के ख़िलाफ चीन की बढ़ती सैनिक गतिविधियों से निपटना भी होगा. 


ताइवान के आसपास और इस क्षेत्र में चीन जिस तरह की कार्रवाई कर रहा है, उसने अप्रत्यक्ष तरीके से ताइवान मुद्दे का "अंतरराष्ट्रीयकरण" करने में मदद की है. ताइवान के नए राष्ट्रपति लाई के सामने एक बड़ी चुनौती उन्हें लेकर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय अपेक्षओं के बीच संतुलन बनाना होगा. लाई ते ने इस बात को स्वीकार किया है कि ताइवान की संसद युआन में उनकी पार्टी डीपीपी के पास बहुमत नहीं है. इससे उन्हें अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में मुश्किल आ सकती है. लाई के सामने दूसरी चुनौती ताइवन के ख़िलाफ चीन की बढ़ती सैनिक गतिविधियों से निपटना भी होगा. चीन ने इस तरह की कार्रवाई को अब "सामान्य" मान लिया है. ये ना सिर्फ राष्ट्रपति के तौर पर लाई की स्थिति के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि उन्हें उन वैश्विक कारोबारियों को भी सुरक्षा की गारंटी देनी, जो ताइवान में निवेश करना चाहते हैं. तीसरी चुनौती होगी "ताइवान के मुद्दे" को दुनिया के सामने इस तरह उठाना कि लोग ताइवान की आवाज़ सुनें. राष्ट्रपति लाई ने अपने उदघाटन भाषण में नई साउथबाउंड पॉलिसी का ज़िक्र नहीं किया, ऐसे में ये देखना होगा कि वो इस नीति को जारी रखते हैं या उसमें कुछ बदलाव करते हैं. घरेलू मोर्चे में लाई ते ने कम जन्म दर, आवास की समस्या और दूसरे सुधारों की चुनौती को स्वीकार किया है और ये कहा है कि इन मुद्दों पर सरकार को ध्यान देने की ज़रूरत है. उनके लिए कोई बड़ा बदलाव लाना इतना आसान नहीं होगा.


(मनोज कुमार पाणिग्रही ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर और जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स में सेंटर फॉर नॉर्थईस्ट एशियन स्टडीज के डायरेक्टर हैं.)

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