Author : Harsh V. Pant

Published on Aug 16, 2022 Updated 0 Hours ago

चीन ने कहा है कि भारत वन चाइना को मान्‍यता देने वाले पहले देशों में रहा है. यह चीन की एक बड़ी कूटनीति चाल का हिस्‍सा है. ताइवान मामले में भारत ने अपनी सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. इससे चीन को मिर्ची लगी है.

#One China Policy: चीनी तारीफ़ से नहीं पिघला भारत, ताइवान पर दी सधी हुई प्रतिक्रिया!

भारत-चीन के बीच सीमा पर जारी गतिरोध के बाद चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की बात कही है. उन्‍होंने यह बात तब कहीं है जब अमेरिकी कांग्रेस की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर भारत ने अपनी सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. चीन इस मामले में भारत का खुलकर समर्थन चाहता है. इस दिशा में वह कूटनीतिक प्रयास भी कर रहा है.

भारत-चीन के बीच सीमा पर जारी गतिरोध के बाद चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की बात कही है. उन्‍होंने यह बात तब कहीं है जब अमेरिकी कांग्रेस की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर भारत ने अपनी सधी हुई प्रतिक्रिया दी है.

चीन ने चली कूटनीतिक चाल, भारत ने दी सधी हुई प्रतिक्रिया

हाल में चीन के दूतावास ने अपना बयान जारी कर कहा था कि वन चाइना नीति को लेकर भारत सहित अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय के बीच सामान्‍य सहमति है. साथ ही यह किसी भी देश के साथ संबंधों को विकसित करने के लिए चीन की राजनीतिक बुनियाद है. खास बात यह है कि चीनी दूतावास का यह बयान नैंसी के दौरे के बाद जारी किया गया था. इसमें कहा गया है कि भारत वन चाइना को मान्‍यता देने वाले पहले देशों में रहा है. प्रो पंत ने कहा कि यह चीन की एक बड़ी कूटनीति चाल का हिस्‍सा है. भारत ने इस बयान पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया है. चीन के इस बयान पर भारत की मौन के बड़े मायने हैं. भारत वर्ष 2014 की अपने नीति पर कायम है.

चीन की चाल में नहीं फंसा भारत

1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है इस मामले में भारत बहुत संभल-संभल कर चल रहा है. उधर, भारत के पड़ोसी मुल्‍कों ने पाकिस्तान और श्रीलंका ने चीन के स्‍टैंड का समर्थन किया है. हालांकि, भारत की ओर से इस मामले पर बेहद सधी प्रतिक्रिया दी है. हाल में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिका में उनके समकक्ष एंटनी ब्लिंकन की मुलाकात भी हुई, लेकिन इस मामले में कोई संयुक्त बयान सामने नहीं आया है. ऐसे में सवाल उठता है कि चीन के इस स्‍टैंड पर भारत की नीति क्‍या है. भारत ने पूरे मामले में चुप्‍पी क्‍यों साधी है. भारत ने चीन को क्‍या संदेश दिया है.

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिका में उनके समकक्ष एंटनी ब्लिंकन की मुलाकात भी हुई, लेकिन इस मामले में कोई संयुक्त बयान सामने नहीं आया है. ऐसे में सवाल उठता है कि चीन के इस स्‍टैंड पर भारत की नीति क्‍या है.

2- उन्‍होंने कहा कि भारत ने अपने स्‍टैंड को क्लियर करते हुए कहा है कि सीमा पर तनाव और बेहतर संबंध एक साथ नहीं चल सकता है. इस बाबत भारत में चीनी विदेश मंत्री के समकक्ष एस जयशंकर का कहना है कि दोनों देशों के बीच के संबंधों को तब तक सामान्य नहीं किया जा सकता है, जब तक की सीमा को शांत नहीं कर लिया जाए. उधर, चीन सीमा तनाव के जरिए भारत पर दबाव बनाने में जुटा है.

3- प्रो पंत ने कहा कि अमेरिकी कांग्रेस की अध्‍यक्ष नैंसी की ताइवान यात्रा को लेकर भारत के कदम कूटनीतिक और रणनीतिक रहे है. भारत-चीन सीमा विवाद और तनावपूर्ण संबंधों के बाद देश ने वन चाइना का जिक्र छोड़ दिया है. उन्‍होंने कहा कि भारत ने यह निर्णय तब लिया जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्‍सा बताने वाले बयान दिए थे. चीन ने अरुणाचल के दो शहरों को मंदारिन भाषा में नाम दिए और जम्‍मू-कश्‍मीर और अरुणाचल में रहने वाले वाले भारतीय नागरिकों के लिए स्‍टेपल वीजा जारी किया था. इसके बाद से भारत के वन चाइना के दृष्टिकोण में बदलाव देखा गया.

चीन ने अरुणाचल के दो शहरों को मंदारिन भाषा में नाम दिए और जम्‍मू-कश्‍मीर और अरुणाचल में रहने वाले वाले भारतीय नागरिकों के लिए स्‍टेपल वीजा जारी किया था. इसके बाद से भारत के वन चाइना के दृष्टिकोण में बदलाव देखा गया.

4- उधर, चीनी राजदूत सन वेइदांग ने भारत पर कूटनीतिक दबाव बनाते हुए कहा है कि चीन को उम्मीद है कि मामलों को सही रास्ते पर वापस लाने के उसके प्रयासों को भारत का समर्थन मिलेगा. उन्होंने कहा कि हम चीन-भारत संबंधों को महत्व देंगे और इसे सही रास्ते पर लाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे. हमें उम्मीद है कि इस तरह के प्रयास में हमें दूसरी तरफ (भारत) से भी समर्थन मिलेगा. हम मानते हैं कि हम इस तरह के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं. यह निश्चित रूप से न केवल हम दोनों देशों को बल्कि इस पूरे क्षेत्र और दुनिया को भी लाभान्वित करेगा.

चीन के ख़िलाफ लोकतांत्रिक देश एकजुट हों

हाल में ताइवानी राजदूत ने कहा कि ताइवान और भारत दोनों चीनी आक्रामकता और विस्‍तारवाद का सामना कर रहे हैं. इस बाबत उन्‍होंने गलवान घाटी में भारत और चीनी संघर्ष का भी जिक्र किया था. ताइवानी राजदूत ने कहा था कि चीनी आक्रामकता को देखते हुए एक विचारधारा और लोकतांत्रिक देशों को उसके ख़िलाफ एकजुट होने की जरूरत है. उन्‍होंने कहा था कि ऐसा नहीं कि चीन इस समय ताइवान और दक्षिण चीन सागर में व्‍यस्‍त है, इससे ड्रैगन का ध्‍यान हिंद महासागर व भारत से कम हो जाएगा. उन्‍होंने कहा कि चीन के ख़िलाफ लोकतांत्रिक मूल्‍यों वाले राष्‍ट्रों को एकजुट होना चाहिए.

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