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Published on Jul 02, 2024 Updated 0 Hours ago

जुड़वां शहरों जैसी पहलों और लचीले नेटवर्क के ज़रिए शहरी बहुपक्षीवाद को बढ़ावा देकर जलवायु परिवर्तन से निपटने, आर्थिक समानता हासिल करने और टिकाऊ प्रगति के समाधान निकाले जा सकते हैं.

#Network के ज़रिये आपस में जुड़े शहर: टिकाऊ विकास के लिए शहरी बहुपक्षीयवाद का विकल्प!

शहर आविष्कार, आर्थिक उत्साह और सांस्कृतिक आदान प्रदान के गढ़ बन गए हैं. आज के शहर साझा चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों की मदद ले रहे हैं. दूसरे शहरों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग बढ़ाकर आज के दौर में शहर अपने साझा अनुभवों और हितों का फ़ायदा उठा रहे हैं और अपनी सामूहिक शक्ति का इस्तेमाल करके ‘शहरी बहुपक्षीयवाद’ के ज़रिए टिकाऊ विकास को बढ़ावा दे रहे हैं. 

 शहरी बहुपक्षीयवाद का विचार, शहरों के अनूठे ज्ञान, संसाधनों और क्षमताओं को स्वीकार करता है, जिनकी मदद से जलवायु परिवर्तन और आर्थिक असमानताओं से निपटने में शहरों के बीच आपसी सहयोग की महत्ता रेखांकित होती है. 

शहरी बहुपक्षीयवाद का विचार, शहरों के अनूठे ज्ञान, संसाधनों और क्षमताओं को स्वीकार करता है, जिनकी मदद से जलवायु परिवर्तन और आर्थिक असमानताओं से निपटने में शहरों के बीच आपसी सहयोग की महत्ता रेखांकित होती है. शहरों के ये आपसी संबंध संसाधनों और विशेषज्ञता को साझा करने का एक अहम सहयोगात्मक मंच मुहैया कराते हैं. वैश्विक समस्याओं से निपटने में शहरी बहुपक्षीयवाद को कैसे विकसित किया जा सकता है? अंतरराष्ट्रीय संगठन शहरों के बीच साझेदारियों को किस तरह बढ़ावा और सहयोग दे सकते हैं, ख़ास तौर से ग्लोबल साउथ में? ये संबंध किस तरह बेहतरीन समाधान साझा करने और टिकाऊ विकास के प्रयासों में तालमेल बना सकते हैं? 

 

शहरी बहुपक्षीयवाद

 

शहरी बहुपक्षीयवाद भूमंडलीकरण और वैश्विक स्थानीयकरण के आयामों की नुमाइंदगी करता है. इसके तहत शहरों के बीच साझेदारी को बढ़ावा दिया जाता है, ताकि वो नेतृत्व वाली भूमिकाएं अपना सकें. भूमंडलीकरण में व्यापार और तकनीक के ज़रिए दुनिया की आपस में निर्भरता पर ज़ोर दिया जाता है. वहीं, ग्लोकलाइज़ेशन में समाज के मसलों के आपस में जुड़ाव को स्वीकार करते हुए स्थानीय और वैश्विक समस्याओं के समाधान तलाशने का प्रयास किया जाता है.

 

1913 में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ लोकल अथॉरिटीज़ की स्थापना की गई थी, जिसके बाद यूरोप, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशिया में शहरी नेटवर्क ख़ूब फले फूले. 2004 में यूनाइटेड सिटीज़ ऐंड लोकल गवर्नमेंट्स (UCLG) के गठन ने स्थानीय प्रशासन की महत्ता पर ज़ोर दिया था. आज ये नेटवर्क यूनाइटेड नेशंस कांफ्रेंस ऑन क्लाइमेट चेंज, स्टीयरिंग कमेटी ऑफ दि ग्लोबल पार्टनरशिप फॉर इफेक्टिव डेवेलपमेंट को-ऑपरेशन, दि यूएन 2030 एजेंडा और यूएन-हैबिटैट न्यू अर्बन एजेंडा जैसी पहलों में भाग लेकर वैश्विक एजेंडों को आकार देने में केंद्रीय भूमिकाएं अदा कर रहे हैं.

 

ऐसे जुड़ावों के ज़रिए शहरों के नेटवर्क, अवसरों की पहचान करने और आर्थिक विकास, सामाजिक संरक्षण और पर्यावरण के स्थायित्व में चुनौतियों से निपटने के लिए शहरों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देते हैं. इसके अतिरिक्त शहरों के नेटवर्क का ये इकोसिस्टम स्थानीय अधिकारियों को सार्वजनिक मूल्य निर्मित करने में भी मदद करता है. आज के शहरी माहौल में ये काम लगातार पेचीदा होता जा रहा है. मिसाल के तौर पर यूनेस्को (UNESCO) क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क (UCCN) स्थायित्व को बढ़ावा देने के लिए रचनात्मकता को पोषित करता है. व्यक्तिगत और सामूहिक साझेदारियों के ज़रिए नेटवर्क वाला बर्ताव शहरों को बाज़ार की नाकामी से निपटने में भी काफ़ी लाभ प्रदान करता है और वो अपनी तरक़्क़ी की रणनीतियां बनाने के मामले में केवल अंदरूनी विशेषज्ञता के भरोसे नहीं रह जाते.

 

ग्लोबल साउथ और ग्लोबल नॉर्थ के शहरों के बीच नेटवर्क

 

शहर, विविधता वाले नगरीय केंद्रों के बीच आपसी संवाद को बढ़ावा दे सकते हैं, विश्वास पैदा कर सकते हैं, आपसी सम्मान को विकसित कर सकते हैं और ध्रुवीकरण एवं राष्ट्रवाद से प्रभावी तरीक़े से निपटने के लिए उत्तर और दक्षिण के बीच साझेदारियों को बढ़ावा दे सकते हैं. G20 के नेताओं की घोषणा में वैश्विक चुनौतियों से निपटने और प्रशासन को सुधारने के लिए बहुपक्षीयवाद में नई जान डालने की अपील की गई थी. इस घोषणा में स्थानीय स्तर पर जनता तक सेवाएं पहुंचाने के लिए G20/ADB फ्रेमवर्क को समर्थन दिया गया था और ख़ास ज़रूरतों के लिए निर्मित साझेदारियों की अहमियत को रेखांकित किया गया था. मिसाल के तौर पर C40 सिटीज़ क्लाइमेट लीडरशिप ग्रुप (C40) और UCLG के प्रयासों से ब्यूनेस आयर्स और पेरिस ने Urban20 की पहल लॉन्च की थी, जिसके तहत शहरों के एजेंडे को G20 से जोड़ा गया था.

 शहर, विविधता वाले नगरीय केंद्रों के बीच आपसी संवाद को बढ़ावा दे सकते हैं, विश्वास पैदा कर सकते हैं, आपसी सम्मान को विकसित कर सकते हैं और ध्रुवीकरण एवं राष्ट्रवाद से प्रभावी तरीक़े से निपटने के लिए उत्तर और दक्षिण के बीच साझेदारियों को बढ़ावा दे सकते हैं.

लोकल गवर्नमेंट्स फॉर सस्टेनेबिलिटी (ICLEI), दि ग्लोबल कोवेनाट ऑफ मेयर्स फॉर क्लाइमेट ऐंड एनर्जी, और दि यूनाइटेज नेशंस सस्टेनेबल डेवेलपमेंट गोल्स सिटीज़ प्लेटफॉर्म सस्ते मकान, स्वच्छ ईंधन, टिकाऊ परिवहन और समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं. यही नहीं, C40 ग्लोबल साउथ के शहरों में 34 परियोजनाओं के विकास में एक अरब डॉलर की फंडिंग भी कर रहा है. ग्लोबल सिटीज़ हब अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शहरी परियोजनाओं के बारे में इंटरनेशनल सिटी नेटवर्क्स डायरेक्टरी में जानकारी प्रकाशित करके शहरों को आपस में जोड़ रहा है.

 

शहरों का गठबंधन और संयुक्त राष्ट्र का परियोजना सेवाओं का कार्यालय (UNOPS) ग्रेटर हॉर्न ऑफ अफ्रीका और बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में कई दानदाताओं द्वारा दिए गए फंड संचालित करता है. ICLEI दक्षिणी एशिया ने भारत के भावनगर नगर निगम के साथ उसके जलवायु परिवर्तन से निपटने की कार्ययोजना में साझेदारी की है, जो ग्लोबल कोवेनांट ऑफ मेयर्स फॉर क्लाइमेट ऐंड एनर्जी के कॉमन रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क से जुड़ा है. ऐसी सहयोगात्मक रणनीतियां शहरी नेटवर्कों को आपस में जुड़ी हुई दुनिया की जटिलताओं से निपटने में मदद करते हैं.

 

वैश्विक एकजुटता की ओर

 

जहां तक शहरों की आपसी साझेदारियों की बात है, तो वो सहयोगात्मक नेटवर्क विकसित करने और उनको बढ़ावा देने की आकांक्षा रखते हैं. लेकिन, उनके सामने आर्थिक और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं, वित्तीय उथल पुथल, सामाजिक आर्थिक विभेदों और घरेलू चिंताओं जैसी चुनौतियां होती हैं, जो निपटने की प्रक्रियाओं को धीमा कर देती हैं. इसके अतिरिक्त कोविड-19 महामारी ने पहले मोर्चे के तौर पर शहरों की भूमिका स्थापित कर दी है. ऐसे में समाधान के उपायों को अपने परिवर्तन लाने की संभावनाओं का भी हिसाब लगाना होगा, जिससे भरोसे को बढ़ावा देने और मज़बूत, टिकाऊ और संतुलित विकास का लक्ष्य हासिल करने में कूटनीति की अहम भूमिका रेखांकित होती है.

 

सक्रिय शहरी साझेदारियां

 

ऊर्जावान शहरी सहयोगों के लिए अफसरशाही की पारंपरिक बाधाओं से पार पाना होता है, ताकि शहरी संगठनों को सशक्त बनाया जा सके और Urban20, सिस्टर सिटीज़ और ग्लोबल टास्क फोर्स फॉर लोकल ऐंड रीजनल गवर्नमेंट जैसे नेटवर्कों का लाभ उठाया जा सके. हो सकता है कि शहर की किसी नेटवर्क की सदस्य उसे किसी ख़ास रणनीति से तालमेल बनाने में मदद न करे. लेकिन, इससे संपर्क बढ़ाने के मूल्यवान अवसर मिलते हैं. यहां तक कि सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने के मामले में भी फ़ायदा होता है. मिसाल के तौर पर स्ट्रॉन्ग सिटीज़ नेटवर्क हिंसक उग्रवाद से निपटने पर ध्यान केंद्रित करता है. वहीं यूनेस्को का ग्लोबल नेटवर्क ऑफ लर्निंग सिटीज़ संयुक्त राष्ट्र के स्थायी विकास के लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने में जीवन भर के सबक़ याद करने को बढ़ावा देता है. वहीं, 24 देशों के 77 शहरों में सक्रिय संयुक्त राष्ट्र का हैबिटैट्स ग्लोबल नेटवर्क ऑन सेफर सिटीज़, स्थानीय अधिकारियों को वैश्विक सहयोग के ज़रिए शहरी सुरक्षा को बढ़ावा देने में मदद देता है.

 

जनता को प्राथमिकता देना

 

ज़मीनी हक़ीक़त और असमानताओं से निपटने के लिए सभी भागीदारों को जोड़ना बेहद महत्वपूर्ण है. इसी तरह अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को जनता की राय से जोड़ना और निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सहयोग को बढ़ावा देने से भरोसा बढ़ाया जा सकता है और वैश्विक प्रशासन को बेहतर किया जा सकता है. मिसाल के तौर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन का ग्लोबल नेटवर्क फॉर एज फ्रेंडली सिटीज़ ऐंड कम्युनिटीज़ साझा चुनौतियों के समाधान और जानकारी को साझा करने में मदद करता है. इससे समावेशी शहरी माहौल को बढ़ावा मिलता है और शहरी स्वास्थ्य और प्रशासन में बहुपक्षीय सहयोग के लाभ भी रेखांकित होते हैं.

 ज़मीनी हक़ीक़त और असमानताओं से निपटने के लिए सभी भागीदारों को जोड़ना बेहद महत्वपूर्ण है. इसी तरह अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को जनता की राय से जोड़ना और निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सहयोग को बढ़ावा देने से भरोसा बढ़ाया जा सकता है

आर्थिक सहयोग

 

वैश्विक शहर सहयोगात्मक आर्थिक प्रयासों के ज़रिए डि-ग्लोबलाइज़ेशन के प्रति अपना लचीलापन बढ़ा सकते हैं. दुबई में हॉन्ग कॉन्ग का आर्थिक और व्यापार कार्यालय कारोबार के अवसरों को पालता पोसता है और खाड़ी सहयोग परिषद के साथ संबंधों को मज़बूत बनाता है. इसी तरह दुबई, रियाद और शेंजेन में विशेष आर्थिक क्षेत्र उद्यमिता को बढ़ावा देते हैं और विदेशी निवेश को आकर्षित करते हैं. सियोल, शंघाई, सिंगापुर, कुआला लम्पुर और मुंबई जैसे शहर अपने मूलभूत ढांचे, प्रतिभाओं और सहयोगात्मक नीतियों की वजह से रिसर्च, विकास और कारोबारी आविष्कार के केंद्र बन गए हैं. शिगहुआ यूनिवर्सिटी, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर और IIT बॉम्बे जैसी बड़ी यूनिवर्सिटी एशियाई महानगरों में असाधारण प्रतिभाओं को आकर्षित करके उनका पोषण करते हैं. जोखिम लेने वाली पूंजी लगाने वालों, स्टार्ट अप की शुरुआत करने और उनको बढ़ावा देने वालों को शहरों से मिलने वाली सहायता आविष्कार और ज्ञान को साझा करने को बढ़ावा देती है और इन शहरों को वैश्विक विकास के अग्रणी मोर्चे पर खड़ा करती है.

 

वित्तीय संपर्क

 

शहरों के वैश्विक नेटवर्क सदस्यों को अंतरराष्ट्रीय साझीदारों और शहरी कार्यक्रमों से जुड़ने का अवसर मुहैया कराते हैं. ये कार्यक्रम अक्सर यूरोपीय संघ और विश्व बैंक जैसे बहुपक्षीय संगठनों से फंड हासिल करते हैं. इनमें बहुराष्ट्रीय निगम, दानदाता, विश्वविद्यालय, रिसर्च केंद्र और वैश्विक मीडिया भी शामिल होता है. हालांकि, कई बार ये सदस्यता, कूटनीतिक प्राथमिकताओं की वजह से सक्रिय रूप से भाग लेने के बजाय अपरोक्ष भागीदारी वाली हो जाती है. ऐसे में शहर अपने यहां के ख़ास मुद्दों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए, अफ़सरशाही की बेड़ियां तोड़कर सीधे अन्य शहरों की जनता से संपर्क बढ़ा सकते हैं. मिसाल के तौर पर सामुदायिक समूहों का गठन करके, बार्सिलोना, पेरिस और न्यूयॉर्क जैसे शहर सिटीज़ फॉर एडीक्वेट हाउसिंग कैंपेन चलाने में आपसी सहयोग कर रहे हैं, जिससे तुरंत कार्रवाई करके स्थानीय प्रशासन की ज़रूरतें पूरा करने के लिए ठोस नतीजे हासिल किए जा रहे हैं.

 

स्थानीय स्तर पर कोशिशें

 

शहरों के बीच सहयोग से स्थायी विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में स्थानीय प्रयासों को बढ़ावा मिलता है. उदाहरण के लिए बांग्लादेश का वॉलंटरी नेशनल रिव्यू, SDG को ज़िला और उप-ज़िला स्तर पर जोड़ता है. इससे ज़मीनी स्तर के लोगों को जोड़ा जाता है. इसी तरह दक्षिण अफ्रीका का इथेकविनी, शहर की एकीकृत विकास योजना को SDGs से जोड़ता है, ताकि सामरिक एकरूपता लाई जा सके. ये चलन पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है. ब्राज़ील, कोलंबिया और भारत के शहर स्थानीय विकास के लक्ष्यों (SDGs) को स्थानीय नीतियों और योजनाओं की रूप-रेखा का हिस्सा बना रहे हैं और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए संदर्भ वाले सूचकांकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. मिसाल के लिए ओेपेनसिटीज़ इंस्टीट्यूट ने पटियाला शहर के साथ समझौता किया है ताकि SDGs को स्थानीय स्तर पर लागू किया जा सके. ग्लोबल ऑब्ज़र्वेटरी ऑफ अर्बन आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस जैसी पहलें दिखाती हैं कि डिजिटल अधिकारों और नैतिक AI मानकों के मामले में किस तरह अंतरराष्ट्रीय सहयोग किया जा रहा है और स्थानीय स्तर पर क़दम उठाकर वैश्विक चुनौतियों का मुक़ाबला किया जा रहा है. कम से कम 300 शहरों के बीच गठबंधनों वाले ऐसे नेटवर्क जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कूटनीतिक आम सहमति को बढ़ावा देते हैं. अप्रवासियों को महफ़ूज़ बनाते हैं और स्थानीय पहलों के जन स्वास्थ्य जैसे मसलों पर वैश्विक रूप से असर डालते हैं. 

 ग्लोबल ऑब्ज़र्वेटरी ऑफ अर्बन आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस जैसी पहलें दिखाती हैं कि डिजिटल अधिकारों और नैतिक AI मानकों के मामले में किस तरह अंतरराष्ट्रीय सहयोग किया जा रहा है और स्थानीय स्तर पर क़दम उठाकर वैश्विक चुनौतियों का मुक़ाबला किया जा रहा है. 

डेटा और तकनीक की मदद से चलाए जाने वाले नज़रिए

 

शहरों के नेटवर्क सबूतों पर आधारित तरीक़े अपनाकर नगरीय नीतियां बनाने में केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं. हैंडबुक ऑफ सिटीज़ ऐंड नेटवर्क ये बताती है कि किस तरह आर्थिक, सामाजिक और परिवहन के नेटवर्क शहरी प्रक्रियाओं पर असर डालते हैं, जिससे सिटीज़ रेस टू रेलिज़िलिएंस जैसी पहलों को संगठित सामूहिक प्रयासों में तब्दील किया जा सका है. एजेंडा सेट करने के लिए महापौरों को सशक्त बनाने और अफसरशाही का दखल कम करके, नए भागीदारों को साथ जोड़ना शहरी नेतृत्व को बढ़ावा देने और ठोस नतीजे हासिल करने के लिए ज़रूरी है. प्रभावी नतीजे हासिल करने के लिए आंकड़ों के भरोसेमंद सूचकांक स्थापित करने हों जो ख़ास स्थानीय संदर्भों के अनुरूप हों. इसके लिए नेटवर्कों के सचिवालय से ठोस प्रतिबद्धता की अपेक्षा होगी. मिसाल के तौर पर, बार्सिलोना, एम्सटर्डम और न्यूयॉर्क द्वारा 50 अन्य शहरों के साथ मिलकर सिटीज़ कोएलिशन फॉर डिजिटल राइट्स की पहल की गई है. इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के नैतिक इस्तेमाल के लिए डिजिटल असमानताओं को दूर करने का लक्ष्य रखा गया है.

 शहरों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान और आर्थिक सहयोग न्यू अर्बन एजेंडा को आगे बढ़ाते हैं और वैश्विक एकजुटता को मज़बूती देते हैं.

निष्कर्ष

 

नेटवर्कों को अगर विकसित होते शहरों की ज़रूरतों और समुदायों की आकांक्षाओं को पूरा करना है, तो उन्हें लचीलापन निर्मित करने के लिए संसाधन और तकनीकी विशेषज्ञता जुटानी होगी. जुड़वां शहरों की भागीदारी और लचीलेपन के नेटवर्कों जैसे शहरी बहुपक्षीयवाद लचीले समुदायों को बढ़ावा देते हैं और स्थायित्व को भी पोषित करते हैं. शहरों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान और आर्थिक सहयोग न्यू अर्बन एजेंडा को आगे बढ़ाते हैं और वैश्विक एकजुटता को मज़बूती देते हैं. इसीलिए, एक चमकदार और आपस में जुड़े हुए भविष्य के लिए शहरी बहुपक्षीयवाद बहुत आवश्यक हो जाता है. आख़िरकार शहरों के वैश्विक नेटवर्क की कामयाबी, शहरों के फ़ौरी मसलों से निपटने की उनकी क्षमता और शहरों के बाशिंदों को अपने प्रयासों के ठोस नतीजे दिखाने पर ही निर्भर करेगी.

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