हालांकि एलपीजी के खुदरा मूल्य में कमी का स्वागत किया गया है लेकिन घरेलू आय, महिला साक्षरता और शहरीकरण में वृद्धि जैसे अधिक दीर्घकालिक कारक एलपीजी खरीद के निर्णयों को प्रभावित करेंगे.
यह लेख ‘विस्तृत ऊर्जा निगरानीः भारत और दुनिया‘ श्रृंखला का हिस्सा है
केंद्र सरकार ने 30 अगस्त, 2023 से 14.2 किलोग्राम वाले तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) सिलेंडर की क़ीमत में200 रुपये की कमी करने का ऐलान किया है. सरकार का कहना है कि, एलपीजी की क़ीमत में यह कमीत्यौहार के मौसम में एक उपहार है जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा और गरीब तथा मध्यम वर्ग को इसका फ़ायदा मिलेगा, जिससे एलपीजी की खपत बढ़ेगी. अन्य टिप्पणियों में कहा गया कि यह मुद्रास्फ़ीति को नियंत्रित करने की कोशिशों का एक साधन है या यह चुनावों में जीत दर्ज करने के लिए दिया गयाचुनाव-पूर्व प्रोत्साहन है. यद्यपि ये सभी दावे सही हो सकते हैं, लेकिन पूरे देश में एलपीजी के खुदरा मूल्य में समग्र कमी (ब्लैंकेट रिडक्शन) एलपीजी सब्सिडी के इतिहास में एक औसत वापसी है. इससे सरकार और संभवतः एलपीजी खुदरा विक्रेताओं परवित्तीय बोझ में वृद्धि होना तो तय है, लेकिन क्या इससे गरीब घरों में एलपीजी की खपत बढ़ने का फ़ायदा मिलेगा?
सरकार का कहना है कि, एलपीजी की क़ीमत में यह कमी त्यौहार के मौसम में एक उपहार है जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा और गरीब तथा मध्यम वर्ग को इसका फ़ायदा मिलेगा, जिससे एलपीजी की खपत बढ़ेगी.
एलपीजी की क़ीमत और सब्सिडी
वर्ष 2022-23 में, कुल पेट्रोलियम उत्पादों की खपत का लगभग12.7 प्रतिशत, एलपीजी की खपत थी. लगभग89 प्रतिशत एलपीजी का उपभोग घरेलू उपयोगकर्ताओं ने किया था,10.5 प्रतिशत गैर-घरेलू और थोक औद्योगिक उपयोगकर्ताओं ने किया था औरएक प्रतिशत से भी कम का इस्तेमाल वाहनों में किया गया था.55 प्रतिशत से अधिक एलपीजी का आयात किया गया था और 99 प्रतिशत से अधिक घरेलू उत्पादनसार्वजनिक क्षेत्र की रिफ़ाइनरियों से हुआ था.
एलपीजी सब्सिडी या सरकार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से, उज्ज्वला योजना के तहत खर्च को छोड़कर) पिछले एक दशक में काफ़ी कम हो गई है, इसका एक कारण तो एलपीजी की क़ीमतों में गिरावट है और दूसरा कारण सरकार पर सब्सिडी के बोझ को कम करने के लिए किए गए व्यवस्थित प्रयास हैं. सरकार और सरकारी एलपीजी खुदरा विक्रेताओं पर एलपीजी सब्सिडी का बोझ 2011-12 के321.52 बिलियन रुपये से घटकर 2022-23 में लगभग8.55 बिलियन रुपये रह गया था. मान लें कि देश के 300 मिलियन से अधिक घरेलू एलपीजी कनेक्शन में से प्रत्येक औसतन प्रतिवर्ष लगभग 6 सिलेंडर का उपभोग करता है, ऐसे में हाल ही में दी गई 200 रुपये प्रति सिलेंडर की समग्र सब्सिडी (ब्लैंकेट सब्सिडी) को एक साल के लिए जारी रखा जाता है, तो सब्सिडी का बोझ377 बिलियन रुपये से अधिक हो जाएगा. हालांकि, संभावना यह है कि एलपीजी की क़ीमत, करों और डीलरों के कमीशन से पहले, 2023 (कैलेंडर वर्ष) की दूसरी छमाही में कम रहेगी, जिससे खुदरा मूल्य सब्सिडी को बनाए रखने की आवश्यकता कम होगी. जनवरी 2022 में, एलपीजी की अंतर्राष्ट्रीय क़ीमत770 अमेरिकी डॉलर प्रति एमटी (मीट्रिक टन, सीएफ़आर, लागत और भाड़ा) थी जो अप्रैल में1000 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन से अधिक हो गई. उसके बाद, अगस्त में क़ीमत गिरकर लगभग490 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गई और उम्मीद की जा रही है कि यह साल के अंत तक400-500 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन की सीमा में रहेगी.
जुलाई 2023 में, 14.2 किलोग्राम के मानक सिलेंडर के लिए करों और वितरक कमीशन से पहले एलपीजी की क़ीमत985.63 रुपये थी. दिल्ली में अगस्त में घरेलू एलपीजी सिलेंडर का खुदरा मूल्य1,103 रुपये था. इसमें जुलाई 2017 से घरेलू एलपीजी पर लागू 5 प्रतिशत जीएसटी,52.53 रुपये प्रति सिलेंडर के साथ डीलर के कमीशन पर जीएसटी और64.84 रुपये प्रति सिलेंडर का डीलर कमीशन शामिल है. दिल्ली में एलपीजी के खुदरा मूल्य में करों की हिस्सेदारी 10.6 प्रतिशत थी. भारत में एलपीजी की सबसे अधिक क़ीमत लद्दाख में1,340 रुपये प्रति सिलेंडर और सबसे कम क़ीमत महाराष्ट्र में1,102.50 रुपये प्रति सिलेंडर थी.
संभावना यह है कि एलपीजी की क़ीमत, करों और डीलरों के कमीशन से पहले, 2023 (कैलेंडर वर्ष) की दूसरी छमाही में कम रहेगी, जिससे खुदरा मूल्य सब्सिडी को बनाए रखने की आवश्यकता कम होगी.
मुद्रा और वज़न के अंतर के समायोजन के बाद दक्षिण एशियाई देशों में एलपीजी की कीमतों की तुलना से पता चलता है कि अगस्त 2023 में बांग्लादेश और नेपाल में एलपीजी की कीमतें भारत से अधिक थीं लेकिन श्रीलंका और पाकिस्तान में एलपीजी की कीमतें भारत से कम थीं. यदिबांग्लादेश में भारतीय मुद्रा में 14.2 किलोग्राम एलपीजी के लिए भुगतान किया जाए तो उसकी लागत 1,126 रुपये होगी औरनेपाल में 1,183.81 रुपये होगी.पाकिस्तान में 14.2 किलोग्राम सिलेंडर के लिए एलपीजी की लागत केवल 768.87 रुपये होगी औरश्रीलंका में लगभग 845.23 रुपये होगी.
एलपीजी के खुदरा मूल्य में कमी का यह कहकर स्वागत किया गया है कि इससे गरीब घरों को एलपीजी रीफ़िल खरीदने में सक्षम बनने में मदद मिलेगी.
2022-23 में मेघालय में प्रति व्यक्तिएलपीजी की बिक्री 9.3 किलोग्राम के साथ राज्यों में सबसे कम बनी रही, उसके बादझारखंड 9.9 किलोग्राम प्रति व्यक्ति एलपीजी की बिक्री के साथ दूसरे स्थान पर रहा. मेघालय का प्रति व्यक्ति एसडीपी 2014-15 में अपने प्रति व्यक्ति शुद्ध एसडीपी की तुलना में 53 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 2022-23 में60,606 रुपये हो गया और झारखंड का प्रति व्यक्ति एसडीपी 32 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 2022-23 में55,126 रुपये हो गया. उत्तर प्रदेश में4142 दुकानों/ डिपो के साथ सबसे बड़ा डीलर नेटवर्क था, लेकिन उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति एलपीजी की बिक्रीकेवल 16 किलोग्राम थी, जो 2022-23 में अखिल भारतीय औसत प्रति व्यक्तिएलपीजी बिक्री 20.5 किलोग्राम से कम थी. उत्तर प्रदेश का प्रति व्यक्ति एसडीपी 2022-23 में दोगुना होकर40,432 रुपये हो गया था, लेकिन फिर भी यह मेघालय से कम ही रहा. गोवा में प्रति व्यक्ति एलपीजी की बिक्री सबसे अधिक47.4 किलोग्राम थी, जबकि दिल्ली में प्रति व्यक्ति एलपीजी की बिक्री 2022-23 में36.7 किलोग्राम तक गिर गई, मुख्य रूप से इसकी वजह दिल्ली और उसके आसपास पाइप्ड प्राकृतिक गैस (पीएनजी) की पहुंच में वृद्धि थी. दिल्ली और गोवा दोनों लगभग 100 प्रतिशत शहरीकृत हैं.
मुद्दे
जैसा कि ऊपर प्रदर्शित किया गया है, एक विशेष राज्य में प्रति व्यक्ति एलपीजी की बिक्री और उसके प्रति व्यक्ति एसडीपी के बीच एक मजबूत संबंध है. शहरीकरण का स्तर जैसे अन्य कारक भी एलपीजी को अपनाने को दृढ़ता से प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन राज्य-दर-राज्य शहरीकरण के आंकड़े केवल 2011 तक उपलब्ध हैं, जब पिछली जनगणना हुई थी. चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश एलपीजी जैसे स्वच्छ खाना पकाने वाले ईंधन को अपनाने के पीछे करीबी संबंध एलपीजी के खुदरा मूल्य के साथ नहीं बल्कि औद्योगीकरण और शहरीकरण के साथ दिखाते हैं. हालांकि एलपीजी के खुदरा मूल्य में कमी का यह कहकर स्वागत किया गया है कि इससे गरीब घरों को एलपीजी रीफ़िल खरीदने में सक्षम बनने में मदद मिलेगी,लेकिन घरेलू आय में वृद्धि, महिला साक्षरता में वृद्धि और शहरीकरण जैसे अधिक दीर्घकालिक प्रभावों का एलपीजी खरीद के निर्णयों पर अधिक मजबूत प्रभाव पड़ने की संभावना है.
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Vinod Kumar, Assistant Manager, Energy and Climate Change Content Development of the Energy News Monitor Energy and Climate Change.
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