Author : Prateek Kukreja

Published on Sep 02, 2023 Updated 0 Hours ago

पूरी दुनिया में विभिन्न देशों की सरकारों और नीति निर्माताओं को लगातार बढ़ते साइबर सिक्योरिटी ख़तरों के मद्देनज़र तत्काल प्रभाव से गेमिंग इंडस्ट्री पर अधिक से अधिक ध्यान देने की ज़रूरत है.

ऑनलाइन गेमिंग से होने वाले साइबर सुरक्षा ख़तरों का समाधान ज़रूरी!

वर्ष 1972 में “पोंग” (Pong) नाम के वीडियो गेम की शुरुआत से लेकर वर्ष 2023 में “हॉगवार्ट्स लीगेसी” (Hogwart’s Legacy) के सामने आने तक वीडियो गेमिंग इंडस्ट्री ने एक लंबी यात्रा तय की है. वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर गेमिंग उद्योग ने 227 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की आमदनी दर्ज़ की है और ऐसे में यह कहना उचित होगा कि गेमिंग अब वैसी इंडस्ट्री नहीं रह गई है, जैसा कि पहले सोची जाती थी, अब इसका दायरा काफ़ी व्यापक हो गया है. वर्ष 2024 तक पूरी दुनिया में गेमर्स की संख्या 3.32 बिलियन के आंकड़े तक पहुंचने की उम्मीद है. वैश्विक स्तर पर वीडियो गेम्स खेलने वालों की संख्या में यह व्यापक उछाल कोविड-19 महामारी का नतीज़ा है. ज़ाहिर है कि कोरोना महामारी के दौरान वर्ष 2019 से 2021 के बीच ऑनलाइन गेमिंग के मार्केट में लगभग 26 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी.

हालांकि, मनोरंजन के इस लोकप्रिय माध्यम ने साइबर सुरक्षा को भी संटक में डाल दिया है. गेमिंग सेक्टर पर साइबर अटैक के मामलों में ज़बरदस्त बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2021 में ही वेब एप्लिकेशन हमलों में 167 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज़ की गई है. वर्ष 2022 की बात करें तो, गेमिंग उद्योग डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस अटैक्स का सबसे बड़ा लक्ष्य बन गया, यानी उस वर्ष ऐसे जितने भी हमले हुए थे, उनमें से 37 प्रतिशत अटैक गेमिंग इंडस्ट्री पर हुए थे. अकाउंट को हथियाना, धोखाधड़ी करना, क्रेडिट कार्ड की चोरी और फ्रॉड आदि ऐसे मुद्दे हैं, जिनसे गेमर्स को रोज़ाना दो-चार होना पड़ता है. हालांकि, सबसे चिंताजनक मामला अप्रैल 2023 में तब सामने आया था, जब एक वीडियो गेम चैट सर्वर पर गोपनीय अमेरिकी ख़ुफिया जानकारी से जुड़े सीक्रेट दस्तावेज लीक हो गए थे. इस घटना को हाल के वर्षों में अत्यंत संवेदनशील पेंटागन लीक के तौर पर बताया गया है. इस घटना से यह स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी साइबर सिक्योरिटी संकट को नजरंदाज़ करने के अनपेक्षित एवं बेहद विनाशकारी नतीज़े हो सकते हैं.

पेंटागन के गोपनीय आंकड़ों का खुलासा

इस घटना के अंतर्गत अप्रैल 2023 में कई महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़, जिनमें से कुछ को “टॉप सीक्रेट” बताया गया था, एक लोकप्रिय वीडियो गेम “माइनक्राफ्ट” (Minecraft) के एक डिस्कॉर्ड सर्वर पर लीक हो गए थे. बाद में ये गोपनीय दस्तावेज़ और इनकी जुड़ी जानकारियां ट्विटर एवं टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी प्रसारित हो गए.

स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी साइबर सिक्योरिटी संकट को नजरंदाज़ करने के अनपेक्षित एवं बेहद विनाशकारी नतीज़े हो सकते हैं.

लीक हुए इन गोपनीय कागज़ातों में कई संवेदनशील जानकारियां शामिल थीं, जैसे कि रूस के साथ चल रहे संघर्ष में यूक्रेन की वर्तमान स्थिति कैसी है, यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति को लेकर क्या संभावित दिक़्क़तें हो रही हैं और रूसी सेना को दीर्घकाल में क्या नुक़सान होने वाला है. इसके अतिरिक्त, लीक हुए इन गोपनीय दस्तावेज़ों में इस बात की भी ख़ुफिया जानकारी थी कि अमेरिका अपने सहयोगियों, ख़ास तौर पर इजरायल और दक्षिण कोरिया की जासूसी कर रहा है. इन सीक्रेट डॉक्यूमेंट के लीक होने के पीछे की मंशा के बारे में साफ तौर पर तो कुछ भी पता नहीं चला है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि यह रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दो वीडियो गेम्स प्लेयर्स के बीच ऑनलाइन झगड़े के बाद सामने आया है. ऑनलाइन गेम खेलने वालों में से यूएस नेशनल गार्ड के 21 वर्षीय एयरमैन जैक टेक्सीरा ने विवाद के दारौन अपनी बात को सच साबित करने के मकसद से गोपनीय अमेरिकी दस्तावेज़ पोस्ट किए थे. बताया गया है कि ख़ुफिया दस्तावेज़ों को लीक करने का सिलसिला फरवरी 2022 में जैक टेक्सीरा द्वारा बनाए गए “ठग शेकर्स सेंट्रल” (Thug Shakers Central) नाम के एक डिस्कॉर्ड ग्रुप में शुरू हुआ था और बाद में अन्य डिस्कॉर्ड सर्वर एवं सोशल मीडिया मंचों पर ये सीक्रेट डॉक्युमेंट्स फैल गए.

देखा जाए तो यह कुछ हद तक डिस्कॉर्ड जैसे ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करके जेन जेड (Gen Z), नए सैनिकों की पहचान करने और उन्हें भर्ती करने के अमेरिकी सेना के हालिया प्रयासों के कारण सामने आया है, जो कि पहले से ही सर्विस मेंबर्स के लिए फर्स्ट-परसन शूटर गेम्स के बारे में चर्चा करने और तथाकथित “भविष्य की आर्मी” (Army of Tomorrow) में हिस्सा लेने के लिए एक 17,000 – सदस्यीय सर्वर संचालित करता है. यह आर्मी रिक्रूटिंग कमांड के सेना ई-स्पोर्ट्स कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसे विडियो गेम्स के ज़रिए आर्मी और सामान्य लोगों को एकजुट करने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है.

इनगेम करेंसी, गैंबलिंग क़ानून और मनी लॉन्ड्रिंग

जैसे-जैसे वीडियो गेम्स की लोकप्रियता में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही हैं, वैसे-वैसे वीडियो गेम्स बनाने वालों ने उससे कमाई के नए-नए तरीक़े भी तलाश लिए हैं. इसी क्रम में वर्चुअल या इन-गेम करेंसियों को बनाया गया है, जिन्हें वास्तविक करेंसी का उपयोग करके ख़रीदा जा सकता है, सामान्य तौर पर इन्हें क्रेडिट कार्ड्स के माध्यम से आसानी से ख़रीदा जा सकता है. इन वर्चुअल करेंसियों का इस्तेमाल आगे छोटे-छोटे लेनदेन (micro-transactions) करने या फिर “लूट बॉक्सेज” (loot boxes) को ख़रीदने के लिए किया जा सकता है. माइक्रो-ट्रांजेक्शन्स का मतलब यह है कि इसके ज़रिए वीडियो गेम्स खेलने के दौरान ख़ास कंटेंट या फीचर्स को अनलॉक किया जा सकता है. ये फीचर्स आउटफिट्स एवं शेडर्स या फिर गेम पर असर डालने वाले, खिलाड़ी की ताक़त को बढ़ाने वाले या उन्हें विभिन्न हथियार उपलब्ध कराने की तरह पूरी तरह से कॉस्मेटिक हो सकते हैं. लूट बॉक्स भी माइक्रो-ट्रांजेक्शन्स का ही एक प्रकार है, जिसमें एक खिलाड़ी वर्चुअल चीज़ों की या “लूट बॉक्स” की ख़रीद कर सकता है, जिसमें कॉस्मेटिक जैसी वर्चुअल चीज़ों का बेतरतीब संग्रह या चुनाव भी शामिल होता है. लेकिन दिक़्क़त यह है कि गेम खेलने वाले खिलाड़ी को इसकी पहले से कोई जानकारी नहीं होती है कि उन्हें आगे क्या कुछ मिलने वाला है.

सीक्रेट डॉक्यूमेंट के लीक होने के पीछे की मंशा के बारे में साफ तौर पर तो कुछ भी पता नहीं चला है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि यह रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दो वीडियो गेम्स प्लेयर्स के बीच ऑनलाइन झगड़े के बाद सामने आया है.

हाल-फिलहाल में देखा जाए तो इन-गेम करेंसी और लूट बॉक्सेज विवाद की एक बड़ी वजह बन गए हैं, क्योंकि ये स्वार्थी और धनलोलुप डेवलपर्स द्वारा लोगों से पैसों की लूट करने के मकसद से विकसित किए गए हैं, ख़ास तौर पर छोटे प्लेयर्स इनके निशाने पर होते हैं. इन-गेम करेंसी और लूट बॉक्सेज को कई देशों में पूरी तरह से गौरक़ानूनी घोषित कर दिया गया है, ज़ाहिर है कि इन देशों में अब इन्हें ऑनलाइन गैंबलिंग अर्थात ऑनलाइन जुए का ही एक विकल्प माना जाता है. उदाहरण के तौर पर दुनिया के सबसे बड़े वीडियो गेम्स डेवलपर्स में से एक, “इलेक्ट्रॉनिक आर्ट्स” द्वारा बनाई गई प्रख्यात फुटबॉल फ्रेंचाइजी “FIFA” में “FIFA प्वाइंट्स” (एक इन-गेम करेंसी) की ख़रीद पर बेल्जियम सरकार ने वर्ष 2018 में प्रतिबंध लगा दिया था. ऑस्ट्रिया ने भी फरवरी 2023 में इसका अनुसरण करते हुए FIFA पैक्स को “गैरक़ानूनी जुआ” (illegal gambling) घोषित कर दिया था.

माइक्रो-ट्रांजेक्शन्स और इन-गेम आइटम्स की बढ़ती क़ीमतों के कई दुष्परिणाम भी हैं, जिनमें से एक वीडियो गेम के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग किए जाने के मामलों में बढ़ोतरी है. इन वीडियो गेम में लाखों डॉलर मूल्य वाली वस्तुओं के उदाहरण भरे पड़े हैं और ऐसे में देखा जाए तो वीडियो गेम की वर्चुअल इकोनॉमी एक समृद्ध ऑनलाइन मार्केट बन गई है. इसने इन वस्तुओं को मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों का प्राथमिक लक्ष्य बना दिया है. “कॉल ऑफ ड्यूटी” (Call of Duty) जैसे वीडियो गेम्स द्वारा मुहैया कराए गए गेमिंग मार्केटप्लेसेस में अक्सर प्लेयर्स की ज़बरदस्त भीड़ उमड़ती है, इसलिए इन पर निगरानी रखना बेहद मुश्किल होता है. मनी लॉन्ड्रिंग करने वाले लोग प्री-पेड या फिर सिंगल यूज क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करके इन-गेम करेंसी या वस्तुओं को ख़रीद सकते हैं और बाद में इन्हें थर्ड पार्टी वेबसाइटों पर बिक्री के लिए उपलब्ध करा सकते हैं. उल्लेखनीय है कि इन वेबसाइटों पर इन करेंसी और आइटम्स को वीडियो गेम्स खेलने वालों द्वारा ख़रीदा जाता है और आमतौर पर बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से भुगतान किया जाता है, इतना ही नहीं विक्रेता को इसका भुगतान भी तत्काल मिल जाता है. ऑनलाइन लेनदेन की यह प्रक्रिया ऐसी होती है, जिसमें विक्रेता की पहचान या उनकी इनकम के स्रोत का कोई भी सबूत बाक़ी नहीं रहता है. उदाहरण के लिए मई 2023 में भारत के प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने 4,000 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग के शक में राष्ट्रव्यापी कार्रवाई करते हुए विदेशों में पंजीकृत ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर छापेमारी की थी. ये ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां कुराकाओ, माल्टा और साइप्रस जैसे टैक्स हेवेन कहने जाने वाले देशों में रजिस्टर्ड थीं. ये सभी कंपनियां छद्म व्यक्तियों के नाम पर खोले गए इंडियन बैंक के खातों से संबंधित थीं और इनका ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों से कोई लिंक नहीं था.

ऑनलाइन गेमिंग को लेकर मौज़ूदा पॉलिसी फ्रेमवर्क

मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (MeitY) ने अप्रैल 2023 में ऑनलाइन गेमिंग के लिए नए नियमों को अधिसूचित किया था, जिसके मुताबिक़ ऑनलाइन गेम्स को दो श्रेणियों में बांटा गया है: ऑनलाइन रियल मनी गेम्स, जो कि सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गेनाइजेशन (SROs) के साथ पंजीकृत हैं, साथ ही जिनमें वास्तविक धनराशि शामिल नहीं होती है. नए नियमों के अंतर्गत ऐसे सभी ऑनलाइन गेम्स को प्रतिबंधित कर दिया गया है, जो सट्टेबाज़ी और जुआ से जुड़े हुए हैं. इन नियमों के तहत नो योर कस्टमर (Know Your Customer) मानकों, माता-पिता की सहमति और शिकायत-निवारण तंत्र पर फोकस करते हुए ऑनलाइन गेमिंग मध्यस्थों एवं उनकी जिम्मेदारियों को आगे भी परिभाषित किया गया है. आख़िर में इन नए नियमों के अंतर्गत तीन SROs की नियुक्ति की घोषणा की गई है, जिनमें इस इंडस्ट्री के प्रतिनिधि, शिक्षाशास्त्री एवं दूसरे विशेषज्ञ शामिल होंगे, जो यह सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी होंगे कि कौन से ऑनलाइन गेम्स मंजूरी दिए जाने के योग्य हैं.

ऑनलाइन गेमिंग वैश्विक स्तर पर मनोरंजन और मीडिया इंडस्ट्री में अत्यधिक तेज़ी से बढ़ने वाले सेक्टरों में से एक है और यह दुनिया भर के लोगों को एक साथ लाने के लिए एक नया और शक्तिशाली प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराता है.

 निसंदेह रूप से ऑनलाइन गेमिंग को लेकर बनाए गए ये नए नियम एक अच्छी शुरुआत हैं, लेकिन एक सच्चाई यह भी है ये नियम इस सेक्टर को ख़तरे में डालने वाले मुद्दों से निपटने को लेकर पर्याप्त नहीं है. ये नियम सिर्फ़ उन ऑनलाइन गेम्स पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिनमें वास्तविक पैसा और जुआ खेलना शामिल होता है, ज़ाहिर है कि ऐसे में इन नियमों का दायरा बेहद सीमित हो जाता है. वर्तमान में ज़्यादातर ऑनलाइन गेम्स में जमकर माइक्रो-ट्रांजेक्शन्स होता है और ऐसे में इन नियमों को आसानी से बाईपास किया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि ऑनलाइन वीडियो गेम्स सिर्फ़ वर्चुअल करेंसी में ही प्राइज़ दे सकते हैं और इन नियम-क़ानूनों को पूरी तरह से बाईपास कर सकते हैं. इतना ही नहीं, नए नियमों में लूट बॉक्सेज का कोई जिक्र नहीं किया गया है और इसलिए लूट बॉक्सेज पूरी तरह से जायज और विधिसम्मत बने रहते हैं. उदाहरण के तौर पर भारत में फीफा प्वाइंट्स (FIFA points) की ख़रीद वैध बनी हुई है. ज़ाहिर है कि ऐसे में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की जानी चाहिए कि क्या वीडियो गेम्स में लूट बॉक्सेज को मंजूरी देना जुआ खेलने के समान है, साथ ही इस पर चर्चा होनी चाहिए कि इसका प्लेयर्स, ख़ासकर बच्चों और नाबालिग खिलाड़ियों पर कैसा असर पड़ता है. इस विषय पर पूरी दुनिया में कई सारे मामले सामने आए हैं और ये मामले नियम-क़ानून निर्धारित करने वालों का समुचित मार्गदर्शन कर सकते हैं.

 इस सबके अलावा वीडियो गेम्स के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग करने के मुद्दे का भी समाधान किए जाने की ज़रूरत है. MeitY को इस महत्त्वपूर्ण मसले का समाधान करने हेतु क़ानून बनाने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड जस्टिस, वित्त मंत्रालय एवं इंडस्ट्री के विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा करना चाहिए. इसके साथ ही इन वर्चुअल करेंसी के लेनदेन के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए और ऐसे लेनदेन को नियमित ट्रांजेक्शन्स से अलग करने का एक तरीक़ा खोजने की भी तत्काल आवश्यकता है. मनी लॉन्ड्रिंग के इस अनूठे एवं संभवत: ख़तरनाक तरीक़े का समाधान करने के लिए भारत एक समान विचारधारा वाले दूसरे भागीदारों के साथ मिलकर कार्य कर सकता है.

निष्कर्ष

बेशक, ऑनलाइन गेमिंग वर्ल्ड ने साइबर अपराधियों को गैरक़ानूनी गतिविधियों को संचालित करने का एक नया क्षेत्र उपलब्ध कराया है. एक समय ऐसा था, जब गलाकाट प्रतियोगिता वाले ऑनलाइन वीडियो गेम्स के ज़रिए लोगों से धोखाधड़ी की जाती थी और उनके क्रेडिट कार्ड की जानकारियां चुराई जाती थीं, लेकिन अब इन वीजियो गेम्स का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियों को अंजाम देने और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा करने वाले गोपनीय सैन्य दस्तावेज़ों को लीक करने के लिए किया जाने लगा है. ऐसे में इस बात की तत्काल ज़रूरत है कि तमाम देशों की सरकारें और नीति निर्माता ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री एवं इसके इर्द गिर्द पनपने वाले साइबर सुरक्षा ख़तरों पर ज़्यादा से ज़्यादा ध्यान दें. ऑनलाइन गेमिंग वैश्विक स्तर पर मनोरंजन और मीडिया इंडस्ट्री में अत्यधिक तेज़ी से बढ़ने वाले सेक्टरों में से एक है और यह दुनिया भर के लोगों को एक साथ लाने के लिए एक नया और शक्तिशाली प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराता है. ऐसे में यह सुनिश्चित करना बेहद अहम हो जाता है कि ऑनलाइन गेमिंग उद्योग सुरक्षित और ज़िम्मेदार ढंग से आगे बढ़े. साथ ही यह भी ज़रूरी है कि मनोरंजन के लिए इसमें शामिल होने वाले लोगों को गैरक़ानूनी गतिविधियों के ज़रिए नुक़सान पहुंचाने वाले शातिर अपराधियों से और ऑनलाइन गेमिंग का ग़लत मंशा से इस्तेमाल करने वालों के साथ सख़्ती से निपटा जाए.


प्रतीक त्रिपाठी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के सेंटर फॉर सिक्योरिटी, स्ट्रैटेजी एंड टेक्नोलॉजी में प्रोबेशनरी रिसर्च असिस्टेंट हैं.

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