Published on May 09, 2023 Updated 0 Hours ago

ESG व्यापार के संचालन में एक सहायता उपकरण से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण बन गया है, और इतना ही नहीं यह व्यापार के व्यापारिक  पक्ष को भी नियंत्रित करने लगा है.

क्या ESG व्यापक सुधारों की बजाय पुरानी गलतियों को सुधारने पर ज्यादा ज़ोर देता है?

ESG (पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासन) न केवल व्यापार संचालन में बल्कि उसके व्यापारिक पक्ष को भी नियंत्रित करने वाले एक उपकरण के रूप में व्यापारिक परिदृश्य को आकार देने वाली एक औपचारिक शक्ति के रूप में उभरा है. ESG उपायों को बड़ी तेज़ी से ऐसे महत्वपूर्ण कारकों के रूप में अपनाया जा रहा है, जो किसी कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन, जोख़िम प्रबंधन और दीर्घकालिक स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं. जबकि पारंपरिक रूप से प्रशासन का मुद्दा ESG के केंद्र में रहा है, लेकिन यह तेज़ी से माना जाने लगा है कि ESG मूल्य सृजन के साथ-साथ नवाचार को भी बढ़ावा दे सकता है, जो आज के गतिशील कारोबारी माहौल में किसी कंपनी को प्रतिस्पर्धी ताकत प्रदान करके उसे लाभ की स्थिति में पहुंचा जा सकता है.

मानदंडों के रूप में ESG का प्रयोग निवेशकों द्वारा किसी कंपनी की स्थिरता और उसके मानकों के आकलन में किया जाता है, जिसे एक ऐसे उपकरण के रूप में देखा जा रहा है जिसने निवेश को पर्यावरणीय प्रबंधन, सामाजिक न्याय और कुशल प्रशासन जैसे मूल्यों के साथ जोड़ दिया है.


मानदंडों के रूप में ESG का प्रयोग निवेशकों द्वारा किसी कंपनी की स्थिरता और उसके मानकों के आकलन में किया जाता है, जिसे एक ऐसे उपकरण के रूप में देखा जा रहा है जिसने निवेश को पर्यावरणीय प्रबंधन, सामाजिक न्याय और कुशल प्रशासन जैसे मूल्यों के साथ जोड़ दिया है. ESG लोकप्रियता को देखते हुए कई कंपनियां कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने, श्रम अभ्यासों में सुधार लाने और प्रबंधन की विविधता को बढ़ाने के प्रयासों के तहत इसे एक उपकरण के तौर पर अपना रही हैं. प्रकृति और समाज पर पड़ने वाले प्रभावों के प्रति कंपनियों की जवाबदेही तय करने और सकारात्मक बदलाव लाने के साधन के रूप में ESG की सराहना की जा रही है.

ESG को निवेश की जवाबदेही तय करने के अगले चरण के रूप में देखा जा रहा है, जो पृथ्वी और हमारे समाज के बेहतर भविष्य का वादा करता है. हालांकि, क़रीब से देखने पर, कोई भी इस सोच में पड़ सकता है कि क्या ESG महज़ एक "बैकस्पेस" बटन की तरह है, जो वाकई में हमें स्थायी समाधानों की ओर ले जाने की बजाय पर्यावरणीय रूप से अस्थिर अभ्यासों के नकारात्मक प्रभावों को मिटा रहा है?

ESG मापकों से जुड़ी एक बड़ी चिंता ये है कि इन्हें अक्सर कंपनियों द्वारा इच्छा अनुसार प्रयोग में लाया जाता है और इससे जुड़े सभी आकलन उन्हीं के द्वारा पेश किए जाते हैं, जो उन्हें यह छूट देता है कि वे अपने नकारात्मक पहलुओं को अनदेखा करके केवल अपने सकारात्मक पक्षों का उल्लेख करें. मानकीकृत ढंग से आंकड़ों को पेश न करने और पारदर्शिता के न होने से निवेशकों के लिए किसी कंपनी के स्थिरता से जुड़े वास्तविक प्रदर्शनों का आकलन कर पाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.

वित्तीय बाज़ारों का अल्पकालिक लक्ष्यों को केंद्र में रखना एक और बड़ी चुनौती पेश करता है, जहां दीर्घकालिक स्थिरता के बदले तात्कालिक लाभों को प्राथमिकता प्रदान की जाती है. इससे कंपनियों को ESG लक्ष्यों की क़ीमत पर अल्पकालिक वित्तीय प्रदर्शन को प्राथमिकता देने संबंधी गलत प्रोत्साहन मिल सकता है.
इसके अलावा, मानकीकृत और सुसंगत ESG आंकड़ों और रिपोर्टों के अभाव में निवेशकों और हितधारकों के लिए किसी कंपनी के ESG प्रदर्शन का सटीक आकलन कर पाना और उसका तुलनात्मक विश्लेषण करना बेहद मुश्किल हो जाता है.

ESG को लेकर एक और आलोचना ये की जाती है कि वह मौजूदा व्यवस्था को चुनौती देने या व्यवस्था परिवर्तन के लिए काम करने की बजाय वर्तमान स्थिति के भीतर ही लाभकारी बदलावों पर ध्यान केंद्रित करता है. उदाहरण के लिए, ऐसा हो सकता है कि एक कंपनी अपने कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करे लेकिन अपने संचालन के अन्य क्षेत्रों में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों में भी संलग्न रहे. इस तरह के खंडित दृष्टिकोण से जलवायु परिवर्तन, सामाजिक असमानता और कॉरपोरेट की जवाबदेही जैसी गंभीर और तात्कालिक वैश्विक चुनौतियों को संबोधित नहीं किया जा सकता. पर्यावरणीय और सामाजिक समस्याओं में योगदान देने वाले संरचनात्मक कारकों को संबोधित करने में भी ESG को कई सीमाओं का सामना करना पड़ता है. उदाहरण के लिए, ऐसा हो सकता है कि ESG मापकों के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला, उत्पाद के जीवन चक्र और कॉर्पोरेट लॉबिंग से जुड़ी व्यवस्थागत समस्याओं की पहचान ठीक तरीक़े से न की जा सके. इसके अलावा, ऐसा भी संभव है कि ESG मापक स्थानीय समुदायों, मूल निवासियों या हाशिए पर आने वाले समूहों (जिन्हें अक्सर निर्णय प्रक्रिया से बाहर रखा जाता है) की ज़रूरतों और दृष्टिकोणों के प्रति पूर्ण रूप से जवाबदेह न हों.


ESG से जुड़े लाभ


ESG नवाचार में बढ़ावा देकर किसी व्यापार के व्यापारिक पक्ष में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है. उदाहरण के लिए, पर्यावरणीय स्थिरता को प्राथमिकता देने वाली कंपनियां स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के विकास, अनुसंधान, नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों और चक्रीय अर्थव्यवस्था से जुड़े अभ्यासों में में निवेश कर रही हैं. इन प्रयासों के ज़रिए न केवल नए उत्पादों, सेवाओं एवं पर्यावरण चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करने वाले व्यापार मॉडलों का विकास किया जा सकता है, बल्कि बाज़ार में उभरते अवसरों का भी लाभ उठाया जा सकता है. उदाहरण के लिए, पैटागोनिया और इंटरफेस जैसी कंपनियों ने अपने उत्पादों की पेशकश में स्थिरता के पहलू को भी सफलतापूर्वक शामिल किया है, जिससे उनकी बाज़ार हिस्सेदारी में इज़ाफ़ा हुआ है और ग्राहकों का भरोसा भी बढ़ा है.

इसके अलावा, ESG से जुड़े सामाजिक सरोकारों जैसे विविधता, समावेशिता एवं न्यायपूर्ण श्रम अभ्यासों की मदद से नवाचार को बढ़ावा दिया जा सकता है. जिन कंपनियों के कार्यबल में विविधता एवं‍ समावेशिता पर ध्यान दिया जाता है, वे कहीं अधिक नवाचारी होती हैं और विभिन्न ग्राहक समुदायों की ज़रूरतों को समझने एवं सेवा प्रदान करने में दूसरों से बेहतर होती हैं. इसके अलावा, जो कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में न्यायपूर्ण श्रम अभ्यासों को लागू करती हैं, उन्हें ब्रांड की विश्वसनीयता से जुड़े जोखिमों का कम सामना करना पड़ता है और वे एक स्थिर आपूर्ति शृंखला को बनाए रखती हैं. उदाहरण के लिए, यूनिलीवर और डेनोन जैसी कंपनियों ने अपनी व्यापार रणनीतियों के साथ सामाजिक सरोकारों को एकीकृत किया है, जिससे उनके ब्रांड की प्रतिष्ठा बढ़ी है और उनके प्रति ग्राहकों का विश्वास भी बढ़ा है.

ESG से जुड़े सामाजिक सरोकारों जैसे विविधता, समावेशिता एवं न्यायपूर्ण श्रम अभ्यासों की मदद से नवाचार को बढ़ावा दिया जा सकता है. जिन कंपनियों के कार्यबल में विविधता एवं‍ समावेशिता पर ध्यान दिया जाता है


जो कंपनियां श्रम अधिकारों के उल्लंघन, मानवाधिकारों का हनन और सामुदायिक प्रभाव जैसे सामाजिक जोखिमों के प्रबंधन में लगातार सक्रिय रहती हैं वे महंगे मुकदमों, जुर्मानों और प्रतिष्ठा की हानि से बच सकती हैं. उदाहरण के लिए, नेस्ले और कोकाकोला जैसी कंपनियों को जल प्रबंधन से जुड़े अभ्यासों के लिए कानूनी कार्रवाई और प्रतिष्ठा की हानि का सामना करना पड़ा है, जिससे वित्तीय जोखिम में भी इज़ाफ़ा हुआ है और साथ ही वे जांच के दायरे में आ गई हैं.

कई वैश्विक निवेशकों ने ESG रणनीतियों को सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने और व्यापार को बढ़ावा देने वाले पूंजीगत निवेशों (ग्रोथ कैपिटल) के साधन के रूप में अपनाना शुरू कर दिया है. उदाहरण के लिए, एक प्राइवेट इक्विटी फर्म, BlackRock, ने अपने निवेश के केंद्र में स्थिरता को रखते हुए कुछ महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जो ESG मूल्यों के साथ उसकी निवेश योजनाओं को संरेखित करते हैं. इसमें अधिक कार्बन उत्सर्जन वाली कंपनियों से दूरी बनाने के अलावा जलवायु-संबंधी ख़तरों पर कंपनियों के साथ मिलकर काम करने जैसे निर्णय शामिल हैं.


ESG की कमियां


हालांकि ESG क्षेत्र को असफ़लताओं का भी सामना करना पड़ा है. एक बड़ी चुनौती मानकीकृत ESG मापकों और रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क की कमी है, जिससे कंपनियों द्वारा पेश किए गए ESG आंकड़े असंगत या कभी-कभी भ्रामक होते हैं. जिससे "ग्रीनवाशिंग" को बढ़ावा मिला है, जहां एक तरफ़ कंपनियां ये दावा करती हैं कि वे पर्यावरण या समाज के प्रति जवाबदेह हैं और दूसरी तरफ़ वे अपने दावों को साबित नहीं कर पाती. उदाहरण के लिए, 2015 के वॉल्क्सवेज़न उत्सर्जन घोटाले में यह बात खुलकर सामने आई कि कंपनी ने पर्यावरण के प्रति संवेदनशील ब्रांड के रूप में अपना प्रचार करने के बावजूद नियामक शर्तों को करने के लिए उत्सर्जन संबंधी आंकड़ों में हेरफेर किया था.

असफ़लता से जुड़ा एक और बिंदु "ESG पैराडॉक्स" है, जहां ये कतई ज़रूरी नहीं है कि जो कंपनियां ESG पैमानों पर बेहतरीन साबित होती हैं, वे स्थिरता संबंधी व्यापक सामाजिक लक्ष्यों पर भी खरी उतरें. उदाहरण के लिए, एक कंपनी, जो लैंगिक विविधता से जुड़ी पहलों को अपनाने के चलते बेहतरीन ESG स्कोर रखती है, वह अभी भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों या अनैतिक व्यापार अभ्यासों में संलग्न हो सकती है. इसे यह पता चलता है कि ESG को लेकर एक व्यापक दृष्टिकोण को अपनाए जाने की ज़रूरत है, जो उसके तीनों स्तंभों- पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासन- को अलग-थलग करके देखने की बजाय उनके आपसी जुड़ावों को केंद्र में रखता है.


ESG से जुड़ी एक और कमी यह है कि अर्थपूर्ण कार्रवाई के बगैर ही उसे प्रचार के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जाए. कुछ कंपनियां बिना किसी ठोस बदलाव के ही केवल जनता को लुभाने के लिए ग्रीनवाशिंग या नाममात्र की ESG पहलों में संलग्न हो सकती हैं. यह दर्शाता है कि ठोस एवं पारदर्शी ESG रिपोर्टिंग, सत्यापन और जवाबदेही तंत्र के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कंपनियां वाकई में सतत अभ्यासों के प्रति प्रतिबद्ध हो. लेकिन, फिर ESG अभ्यासों के प्रति जवाबदेही और प्रवर्तन तंत्र की कमी चिंताएं पैदा करती हैं, क्योंकि कंपनियों द्वारा ESG सिद्धांतों के अनुपालन को सुनिश्चित करने लिए आवश्यक कानूनी एवं नियामक ढांचे या तो कमज़ोर हैं या उनका अभाव है. इसके कारण ESG संबंधी किसी कंपनी के प्रदर्शन और उससे जुड़ी रिपोर्टों में काफ़ी असंगतियां हो सकती हैं, और आंकड़े परिवर्तनशील हो सकते हैं. नतीजन निवेशकों और हितधारकों के लिए किसी कंपनी के वास्तविक स्थिरता प्रदर्शन का आकलन करना बेहद कठिन हो जाता है.

निष्कर्ष



ESG स्थिरता, सामाजिक जवाबदेही और हितधारकों से जुड़ाव के माध्यम से व्यापार के संचालन एवं उसके व्यापारिक पहलुओं को नया आकार दे रहा है. ESG सिद्धांतों के एकीकरण में सफ़लता हासिल की गई है, जिसमें बड़ी व्यापार समूहों द्वारा स्थिरता अभ्यासों को अपनाया जाना और इम्पैक्ट इन्वेस्टमेंट का उभार शामिल है. हालांकि, इस संबंध में कई असफ़लताएं भी मिली हैं, जैसे: आंकड़ों से जुड़ी असंगतियां, ग्रीनवाशिंग और ESG पैराडॉक्स. इससे आगे बढ़ने के लिए, यह ज़रूरी है कि मानकीकृत ESG मापक विकसित किए जाएं, जवाबदेही तंत्र का विस्तार किया जाए और एक ऐसे दृष्टिकोण को अपनाया जाए, को जो पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासन, इन तीनों कारकों के परस्पर जुड़ाव को ध्यान में रखता है. जोरदार आलोचनाओं एवं शुरुआती कुछ असफ़लताओं के बावजूद, व्यापार संस्कृति के एक हिस्से के रूप में, हम प्रबंधन क्षेत्र में ESG बदलावों को अपनाना चाहेंगे. 

 

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