Author : Harsh V. Pant

Published on Nov 28, 2022 Updated 0 Hours ago

India Nepal relations प्रधानमंत्री देउबा के कार्यकाल में भारत और नेपाल के रिश्‍तों में गर्मी आई है. देउबा भारत के प्रबल समर्थक हैं. देउबा के कार्यकाल में पीएम मोदी ने नेपाल का दौरा किया था. देउबा की इंडिया फस्‍ट नीति ने चीन को बड़ा झटका दिया है.

India Nepal Relations: नेपाल में बन सकती है देउबा की सरकार, नए PM का भारत के प्रति दृष्टिकोण

नेपाल (Nepal) में आम चुनाव (Election) की मतगणना का कार्य जारी है. हालांकि, शुरुआती रुझानों से यह तय माना जा रहा है कि एक बार फिर नेपाल में गठबंधन की सरकार अस्तित्‍व में आएगी. नेपाली कांग्रेस एक बड़े दल के रूप में सामने आ सकती है. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि देउबा एक बार फिर प्रधानमंत्री (PM) बन सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो भारत-नेपाल (India- Nepal) के रिश्‍तों पर क्‍या असर पड़ेगा.

नेपाली कांग्रेस एक बड़े दल के रूप में सामने आ सकती है. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि देउबा एक बार फिर प्रधानमंत्री (PM) बन सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो भारत-नेपाल (India- Nepal) के रिश्‍तों पर क्‍या असर पड़ेगा.

पीएम देउबा भारत के प्रबल समर्थक

  • विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि प्रधानमंत्री देउबा के कार्यकाल में भारत और नेपाल के रिश्‍तों में गर्मी आई है. देउबा भारत के प्रबल समर्थक हैं. देउबा के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल का दौरा किया था. दोनों देशों के बीच संबंध प्रगाढ़ हुए हैं. देउबा की इंडिया फस्‍ट नीति ने चीन को बड़ा झटका दिया है. नेपाल ने पश्चिमी सेती में हाइड्रोपावर परियोजना के लिए भारत का साथ मांगा था. अप्रैल, 2022 में नेपाल के पीएम देउबा भारत की यात्रा पर आए थे. इस दौरान कई विकास योजनाओं का उद्घाटन किया गया. देउबा ने दोनों देशों के बीच चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कोई साझा व्‍यवस्‍था पर जोर दिया था.

देउबा भारत के प्रबल समर्थक हैं. देउबा के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल का दौरा किया था. दोनों देशों के बीच संबंध प्रगाढ़ हुए हैं. देउबा की इंडिया फस्‍ट नीति ने चीन को बड़ा झटका दिया है.

  • प्रो पंत ने कहा कि आमतौर पर नेपाल के साथ भारत के रिश्‍ते मधुर रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि भारत-नेपाल के बीच दो वर्ष पूर्व सीमा विवाद को लेकर तनातनी हुई थी, लेकिन देउबा के दौरे पर इसकी छाया नहीं दिखाई पड़ी. उन्‍होंने कहा कि केपी शर्मा के नेतृत्‍व में बनी सरकार के समय भारत और नेपाल के संबंधों में थोड़ी दरार आई थी. वर्ष 2020 में ओली सरकार ने नेपाल के नक्‍शे में बदलाव किया था, जिसमें भारत की सीमा में स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा पर अपना अधिकार जताया था.  इस नक्‍शे पर भारत ने अपनी आपत्ति जाहिर की थी. उन्‍होंने कहा कि नेपाल में भी कम्युनिस्ट विचारधारा वाले राजनीतिक पार्टियां असरदार हैं. ऐसे में चीन का प्रभाव बढ़ना स्वाभाविक था. ओली के सत्ता में आने से चीन के साथ नेपाल की करीबी और बढ़ी. वर्ष 2016 में ओली ने बीजिंग का दौरा किया था. 
  • उन्‍होंने कहा कि भारत और चीन की निकटता भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है. चीन ने नेपाल में सीधे निवेश के मामले में भारत को पीछे छोड़ दिया है. रक्षा मंत्री के दौरे के दो वर्ष बाद 2019 में चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग की नेपाल यात्रा हुई थी. एशिया में छोटे देशों को विकास के नाम पर लुभावनी योजनाएं पेश कर रहा ड्रैगन नेपाल में भी इसी मिशन में जुटा है. ऐसे में भारत के लिए नेपाल के साथ रिश्तों को सहेजना अत्यंत आवश्यक व सही रणनीतिक कदम है.

एशिया में छोटे देशों को विकास के नाम पर लुभावनी योजनाएं पेश कर रहा ड्रैगन नेपाल में भी इसी मिशन में जुटा है. ऐसे में भारत के लिए नेपाल के साथ रिश्तों को सहेजना अत्यंत आवश्यक व सही रणनीतिक कदम है.

  • प्रो पंत ने कहा कि अगर देउबा की सरकार दोबारा आती है तो यह भारत के लिहाज से काफी सकारात्‍मक होगा. इससे यह उम्‍मीद की जानी चाहिए कि दोनों देशों के बीच रिश्‍ते प्रगाढ़ होंगे. देउबा की पुन: सत्‍ता वापसी चीन के लिए चिंता का कारण हो सकती है. उन्‍होंने कहा कि अब यह देखना दिलचस्‍प होगा‍ कि देउबा की सरकार किसके समर्थन से बनती है और उस पार्टी का भारत के प्रति क्‍या दृष्टिकोण है. 
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