Author : Harsh V. Pant

Published on Oct 10, 2023 Updated 20 Days ago
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत इसकी निंदा ही नहीं करता है, बल्कि स्पष्ट तरीके से इजरायल के साथ खड़ा है.
भारत खुलकर आया इजरायल के साथ, क्या है यह नई डिप्लोमेसी?

इजरायल और फलस्तीनियों के बीच वर्षों से सुलग रही आग एक बार फिर भड़क उठी है. फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास ने गाजा इलाके से इजरायल पर रॉकेटों की बौछार कर दी. इसके बाद इजरायल ने युद्ध का एलान करते हुए जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी है. अमेरिका और भारत सहित कई देशों ने इस हमले की निंदा की है. भारत के इस रुख को पूरी तरह से नया नहीं कहा जा सकता है. वह कहता आया है कि भारत किसी भी किस्म के आतंकवाद के खिलाफ है. दूसरी बात, जिस तरह से यह हमला हुआ है, जमीन से लेकर हवाई क्षेत्र तक, उससे यह सवाल उठता है कि हमास के पास ऐसी क्षमता कैसे आई और यह दुनिया के लिए भी चिंता का विषय होना चाहिए. इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत इसकी निंदा ही नहीं करता है, बल्कि स्पष्ट तरीके से इजरायल के साथ खड़ा है.

जिस तरह से यह हमला हुआ है, जमीन से लेकर हवाई क्षेत्र तक, उससे यह सवाल उठता है कि हमास के पास ऐसी क्षमता कैसे आई और यह दुनिया के लिए भी चिंता का विषय होना चाहिए.

इंडिया-मिडल ईस्ट कॉरिडोर

इजरायल पर तो यह बहुत बड़ा हमला है. दशकों बाद युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है. इजरायल इसे पीछे धकेलने के लिए पूरी ताकत से सामने आएगा. लेकिन यह बताना मुश्किल है कि इजरायल जवाबी कार्रवाई को किस हद तक ले जाएगा.

दरअसल, समूचा इलाका इस युद्ध की चपेट में आ सकता है. अगर ऐसा होता है तो इसका असर इंडिया, मिडिल ईस्ट कॉरिडोर पर पड़ेगा.

पिछले कुछ महीनों से अटकलें लगाई जा रही थीं कि सऊदी अरब और इजरायल के बीच संबंध बहाल हो सकता है. बाइडेन सरकार इसके लिए कोशिश कर रही थी. अब लगता है कि हमास ने इस हमले से इसमें बाधा डालने की कोशिश की है. उसे डर होगा कि सऊदी अरब और इजरायल के बीच संबंध बहाल होने पर फिलिस्तीन का मुद्दा पीछे छूट सकता है.

वहीं, अगर पश्चिम एशिया इस हमले के कारण फिर से अस्थिरता की गिरफ्त में आ जाता है तो इसका असर ऑयल और गैस व्यापार पर होगा, जिससे तेल के दाम में तेजी आएगी. 

लगता है कि हमास ने इस हमले के जरिए न सिर्फ सिक्यॉरिटी एक्टर के रूप में खुद को स्टैब्लिश कर लिया है बल्कि पॉलिटिकल एक्टर के रूप में भी यह बात रेखांकित की है कि हम इतने शक्तिशाली हैं, हम इस तरह से हमले कर सकते हैं

बड़ी बात यह भी है कि इतने बड़े हमले की पहले से इजरायल को भनक तक नहीं लगी. इससे जुड़े कुछ पहलुओं पर अभी से चर्चा शुरू हो गई है. जिस तरह का अटैक हुआ है, जाहिर है काफी समय से इसकी तैयारी चल रही होगी, तो ऐसा क्यों हुआ कि इजरायल को इसका पता नहीं चला. यह इजरायल के लिए बड़ा मसला है. आखिर इजरायल के खुफिया तंत्र को दुनिया के बेहतरीन इंटेलिजेंस सिस्टम में शामिल किया जाता है.

कमजोर होता महमूद अब्बास की अथॉरिटी

जहां तक हमास का सवाल है तो पूछा जा सकता है कि इस समय ऐसा हमला करने के पीछे उसका क्या मकसद हो सकता है. इसका सीधा जवाब यही हो सकता है कि वह अपनी क्रेडिबिलिटी स्टैब्लिश करना चाहता है. फिलिस्तीनी अथॉरिटी है, जो महमूद अब्बास की अथॉरिटी है, वह कमजोर होती नजर आ रही है. इस हमले के बाद यह लगभग तय हो गया है कि जिस तरह से फिलिस्तीनी पॉलिटिक्स आगे चलेगी, उसमें फिलिस्तीनी अथॉरिटी की भूमिका ना के बराबर होगी. जैसी खबरें है कि वहां काफी लोग बंधक भी बनाए गए हैं. महमूद अब्बास का भी बयान आया फिलिस्तीनी अथॉरिटी से, उन्होंने भी आलोचना नहीं की है, हमास के किए का एक तरह से समर्थन ही किया है.

ध्यान रहे, आतंकवादी संगठन ऐसे ही हमले करते हैं. उन्हें पता होता है कि किसी ताकतवर देश से लड़ाई में आखिरकार उनकी हार होगी, लेकिन उनका मकसद होता है आतंक फैलाना, साइकोलॉजिकल वॉरफेयर करना. जैसी खबरें आईं कि हमास से जुड़े आतंकवादी इजरायल में इधर-उधर सड़कों पर घूम रहे थे, दरवाजे खटखटा रहे थे, लोगों के घरों के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे- इन सबसे दहशत का जो माहौल बना, वह अपने आप में हमास की जीत है. भले ही आगे आने वाले समय में इजरायल अपनी पूरी ताकत लगा दे. इजरायल की तो पहले से ऐसी साख रही है कि वह हमलावरों को छोड़ता नहीं है. लेकिन मुझे लगता है कि हमास ने इस हमले के जरिए न सिर्फ सिक्यॉरिटी एक्टर के रूप में खुद को स्टैब्लिश कर लिया है बल्कि पॉलिटिकल एक्टर के रूप में भी यह बात रेखांकित की है कि हम इतने शक्तिशाली हैं, हम इस तरह से हमले कर सकते हैं इजरायल के ऊपर, हम इजरायल को डिफेंसिव बना सकते हैं तो हमारे साथ इजरायल सीधी बात करे. आने वाले समय में इस तरह के सवाल उठाए जाएंगे.

अभी तो इजरायल हिल गया है हमले से. अभी वहां की मिलिट्री के लिए जरूरी होगा कि वह अपनी क्रेडिबिलिटी को फिर से स्थापित करें और इसके लिए उसे बहुत कड़े कदम उठाने पड़ेंगे.

सवाल मानवाधिकार का

अभी सबकी नजरें इजरायल की ओर से की जाने वाली जवाबी कार्रवाई पर हैं. इस तरह का जो हाइब्रिड वॉरफेयर है, इस तरह का जो हमला है, इजरायल के अंदर घुसकर इस तरह का अटैक किया जा रहा है, उसे वह हलके में नहीं ले सकता. फिलहाल ऐसा नहीं लगता कि मौजूदा माहौल में इजरायल फिलिस्तीनियों के मानवाधिकारों को लेकर कोई बहुत तवज्जो देगा. लेकिन यह जरूर है कि जैसे-जैसे वह अपना एक्शन आगे बढ़ाएगा, उसमें अगर संवेदनशीलता नहीं दिखी तो कुछ समय बाद दूसरे देशों, खासकर पश्चिमी देशों की ओर से मानवाधिकार संबंधी चिंताएं सामने आ सकती हैं. अभी तो इजरायल हिल गया है हमले से. अभी वहां की मिलिट्री के लिए जरूरी होगा कि वह अपनी क्रेडिबिलिटी को फिर से स्थापित करें और इसके लिए उसे बहुत कड़े कदम उठाने पड़ेंगे.


यह लेख नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हो चुका है 

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