Published on Jun 03, 2024 Updated 0 Hours ago

फॉरेन एजेंट्स लॉ को रूस के फैक्टर से आगे देखने की ज़रूरत है; आधुनिक जॉर्जिया में राजनीतिक गतिशीलता और NGO की भूमिका को समझना महत्वपूर्ण बना हुआ है.  

 

जॉर्जिया: में सत्ताधारी जॉर्जियन ड्रीम पार्टी ने विदेशी NGO पर नकेल कसने के लिये लिया क़ानून का सहारा!

15 मई को जॉर्जिया की संसद के सदस्यों ने विदेशी असर की पारदर्शिता पर मसौदा कानून या फॉरेन एजेंट्स लॉ को पारित किया. इसकी वजह से अप्रैल के मध्य, जब कानून का मसौदा पहली बार पेश किया गया था, के समय से चल रहा प्रदर्शन और तेज़ हो गया. ये कानून विदेश से 20 प्रतिशत से ज़्यादा फंडिंग हासिल करने वाले गैर-सरकारी संगठनों (NGO) और मीडिया संगठनों के लिए फॉरेन एजेंट के तौर पर रजिस्टर करना ज़रूरी बनाता है. ये बिल पिछले साल व्यापक प्रदर्शनों की वजह से रद्द किये जाने के बाद फिर से संसद में पेश किया गया. विपक्ष का मानना है कि ये कानून और इसके उद्देश्य रूस के द्वारा 2012 में पारित फॉरेन एजेंट्स लॉकी तरह हैं. 2023 में जॉर्जिया के यूरोपियन यूनियन (EU) में शामिल होने के प्रस्ताव को शर्तों के साथ स्वीकार किया गया था. लेकिन इस कानून का पास होना इस दक्षिण कॉकेशियन गणराज्य के लिए मामला जटिल बना सकता है.

क्या है फॉरेन एजेंट्स लॉ?

विदेशी फंड हासिल करने वाले संस्थान के तौर पर रजिस्टर करने के अलावा कानून में कहा गया है कि अगर NGO और मीडिया संगठन फॉरेन एजेंट के तौर पर रजिस्टर नहीं कराते हैं तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा. इसके अलावा कानून में ये भी स्पष्ट किया गया है कि वो किसी विदेशी शक्ति के हितों को आगे बढ़ाने वाले संगठन के रूप में रजिस्टर्ड संस्थान की गतिविधियों को सीमित नहीं करता है. जॉर्जिया की सत्ताधारी पार्टी जॉर्जियन ड्रीम पार्टी का मानना है कि ये कानून पारदर्शिता और राष्ट्रीय संप्रभुता को बढ़ावा देगा. संसद ने 30 के मुकाबले 84 वोट से बिल को पारित किया लेकिन जॉर्जिया की राष्ट्रपति सलोम ज़ूराबिचविली ने बिल को वीटो कर दिया. हालांकि, वीटो को एक बार और वोटिंग कराके रद्द किया जा सकता है.

ये कानून विदेश से 20 प्रतिशत से ज़्यादा फंडिंग हासिल करने वाले गैर-सरकारी संगठनों (NGO) और मीडिया संगठनों के लिए फॉरेन एजेंट के तौर पर रजिस्टर करना ज़रूरी बनाता है. ये बिल पिछले साल व्यापक प्रदर्शनों की वजह से रद्द किये जाने के बाद फिर से संसद में पेश किया गया.

जॉर्जिया इस तरह का कानून लाने वाला पहला देश नहीं है. पहली बार फॉरेन एजेंट्स लॉ 1938 में अमेरिका में पारित हुआ था. ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, हंगरी और कई दूसरे देशों में NGO की फंडिंग पर निगरानी के लिए कानून है. जॉर्जिया में सिखा फाउंडेशन के संस्थापक आर्चिल सिखारुलिद्ज़े के अनुसार फॉरेन एजेंट्स लॉ को केवल पश्चिमी देशों के प्रभाव को रोकने के तौर पर नहीं समझा जाना चाहिए क्योंकि जॉर्जिया में सांस्कृतिक क्षेत्र से परे एजेंडा के साथ तुर्किए, चीन, ईरान और अरब देशों के द्वारा फंड किए दिए जाने वाले NGO का असर बढ़ता जा रहा है. 

जॉर्जिया में NGO की भूमिका को समझने की कोशिश

जॉर्जिया की राजनीति में 90 के दशक से NGO की एक जगह रही है. दिवंगत राष्ट्रपति एडवर्ड शेवर्डनाद्ज़े ने NGO की मौजूदगी की इजाज़त दी और इन NGO ने जॉर्जिया की राजनीतिक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. NGO ने अंतर्राष्ट्रीय दानकर्ताओं (डोनर) के समर्थन से नीतियों पर असर डाला और देश में एक मुखर मौजूदगी बरकरार रखी. 2003 की गुलाब क्रांति (रोज़ रेवोल्यूशन) के बाद, जब उदारवादी नेता मिखाइल साकाशविली ने राष्ट्रपति शेवर्डनाद्ज़े को सत्ता से उखाड़ फेंका, जॉर्जिया में NGO का असर बढ़ने लगा क्योंकि इस दौरान नौकरशाही में NGO से जुड़े पश्चिमी देशों के समर्थक प्रोफेशनल्स की नियुक्ति होने लगी. अब जॉर्जिया विदेशी सहायता और विदेशी सुधार के प्रयोगों के लिए खुला था. इसका नतीजा नीति निर्माण में जॉर्जिया के लोगों के प्रभाव में गिरावट के रूप में निकला. 

पिछले कुछ वर्षों के दौरान जॉर्जिया के समाज में NGO सेक्टर में रोज़गार आकर्षक रहा है. जॉर्जिया में 25,000 से ज़्यादा NGO हैं और इनमें से 90 प्रतिशत की फंडिंग विदेशी स्रोतों से होती है. इन NGO में जॉर्जिया का वित्तीय योगदान बहुत कम है. इस तरह हम ये कह सकते हैं कि सार्वजनिक नीति में दूसरे देशों या अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का एजेंडा दिखता है.

पिछले कुछ वर्षों के दौरान जॉर्जिया के समाज में NGO सेक्टर में रोज़गार आकर्षक रहा है. जॉर्जिया में 25,000 से ज़्यादा NGO हैं और इनमें से 90 प्रतिशत की फंडिंग विदेशी स्रोतों से होती है. इन NGO में जॉर्जिया का वित्तीय योगदान बहुत कम है.

हालांकि जॉर्जियन ड्रीम पार्टी के लिए फॉरेन एजेंट लॉ लाने की मुख्य वजह ये नहीं है. कुछ NGO बेहद पक्षपाती हैं जो यूनाइटेड मूवमेंट पार्टी का समर्थन करते हैं और ड्रीम पार्टी की वैधता को स्वीकार नहीं करते हैं. बिल लाने से पहले सरकार ने विदेशी दूतावासों को कहा कि वो पक्षपाती NGO की फंडिंग बंद कर दें. लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

जॉर्जिया का खंडित राजनीतिक परिदृश्य

राष्ट्रपति ज़ूराबिचविली, जिन्होंने 2018 में फ्रांस की अपनी नागरिकता छोड़ दी थी, को शुरू में जॉर्जियन ड्रीम पार्टी का समर्थन मिला था. लेकिन पश्चिमी देशों के पक्ष में उनके रवैये और जॉर्जियन ड्रीम पार्टी के भीतर रूस के समर्थन में असर को लेकर उनके बढ़ते मुखर आरोपों की वजह से उनके ख़िलाफ़ 2022 में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की गई. महाभियोग की प्रक्रिया में राष्ट्रपति के द्वारा अनाधिकृत रूप से ब्रसेल्स और पेरिस के आधिकारिक दौरे के बाद तेज़ी आई क्योंकि जॉर्जिया सरकार की मंज़ूरी के बिना विदेश का दौरा संविधान का उल्लंघन था. ज़ूराबिचविली रूस से दूरी बनाकर जॉर्जिया के लिए यूरोप की राह की वकालत करती हैं जो कि जॉर्जियन ड्रीम पार्टी के रुख़ के विपरीत है.

ड्रीम पार्टी के ख़िलाफ़ कोई मज़बूत राजनीतिक विपक्ष नहीं है. जॉर्जिया के राजनेता रूस को नाराज़ करने को लेकर चिंतित हैं. 2008 में रूस के समर्थन से अलगाववादियों ने साउथ ओसेशिया और अबखाज़िया पर कब्ज़ा कर लिया और रूस के साथ जॉर्जिया के राजनीतिक रिश्ते ख़राब हो गए.

ड्रीम पार्टी के सबसे प्रमुख सदस्यों में से एक बिदज़िना इवानिशविली हैं जो कि पार्टी के संस्थापक और बेहद अमीर नेता रहे हैं. इवानिशविली ने रूस के पूर्व राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के कार्यकाल में काफी पैसा जमा किया था. माना जाता है कि उनका दृष्टिकोण रूस के समर्थन में है. जॉर्जिया की राजनीतिक प्रणाली में उनका काफी प्रभाव है और वो जॉर्जियन ड्रीम पार्टी के मानद (ऑनरेरी) अध्यक्ष हैं. पिछले दिनों इवानिशविली ने युद्ध का वैश्विक पक्षकार बताकर पश्चिमी देशों की निंदा की थी. उनके मुताबिक पश्चिमी देश जॉर्जिया को रूस के साथ संघर्ष में खींचने की कोशिश कर रहे हैं. इवानिशविली का कहना है कि दूसरे देशों के द्वारा प्रायोजित क्रांति (कलर रेवोल्यूशन) से परहेज़ करने के लिए देश में विदेशी असर को रोकने की ज़रूरत है. हालांकि, पूर्व रक्षा मंत्री टीना खिदाशेली के मुताबिक इवानिशविली अक्टूबर में होने वाले संसदीय चुनावों से पहले सत्ता पर अपनी पकड़ को मज़बूत करने के लिए जॉर्जिया में ये कानून ला रहे हैं.

ड्रीम पार्टी के ख़िलाफ़ कोई मज़बूत राजनीतिक विपक्ष नहीं है. जॉर्जिया के राजनेता रूस को नाराज़ करने को लेकर चिंतित हैं. 2008 में रूस के समर्थन से अलगाववादियों ने साउथ ओसेशिया और अबखाज़िया पर कब्ज़ा कर लिया और रूस के साथ जॉर्जिया के राजनीतिक रिश्ते ख़राब हो गए. ये रिश्ते 2012 में इवानिशविली के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही ठीक हुए और दोनों देशों के बीच व्यापार संबंध फिर से बहाल हो गए, रूस के साथ वीज़ा-मुक्त व्यवस्था स्थापित हुई और मॉस्को एवं त्बिलिसी के बीच उड़ानें शुरू हो गईं.

रूस के साथ संबंध सामान्य करने के बाद ड्रीम पार्टी ने रूस के साथ रिश्ते बरकरार रखते हुए पश्चिमी देशों की तरफ ज़्यादा केंद्रित विदेश नीति का पालन किया. लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान ड्रीम पार्टी ने जॉर्जिया के ज़रिए प्रतिबंधित सामानों के समानांतर आयात में भाग लेकर रूस के साथ अपने संबंधों को मज़बूत किया है. इसके अलावा यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से जॉर्जिया रूस के लिए एक प्रमुख गंतव्य (डेस्टिनेशन) के तौर पर उभरा है. जॉर्जिया में रूस का कुछ असर है लेकिन ये कहना ज़्यादा होगा कि जॉर्जियन ड्रीम पार्टी या इवानिशविली रूस से जुड़े हैं. 89 प्रतिशत से ज़्यादा जॉर्जिया के नागरिक EU में शामिल होना चाहते हैं. जॉर्जिया यूरोप के सबसे ग़रीब देशों में से एक है और EU के साथ उसका संपर्क कम है. हालांकि पश्चिमी देशों के साथ बातचीत बढ़ाकर रूस को नाराज़ करने के नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं और इस तरह किसी एक पक्ष का साथ देना जॉर्जिया के लिए ठीक नहीं है.

फॉरेन एजेंट्स लॉ का इस्तेमाल उन विदेशी NGO के असर को रोकने में किया जाएगा जो विदेशी और घरेलू नीति को प्रभावित कर सकते हैं.

बिल को लेकर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अमेरिका के विदेश विभाग के सहायक सचिव ने जॉर्जिया के बिल की आलोचना की और धमकी दी कि अगर कानून पश्चिमी मानकों के हिसाब से नहीं है या प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ हिंसा का प्रयोग किया जाता है तो जॉर्जिया के सांसदों पर वित्तीय प्रतिबंध लगाएगा. अमेरिकी विदेश विभाग ने हिंसा या धमकी के अभियान के ज़रिये जॉर्जिया में सिविल सोसायटी और शांतिपूर्ण बैठक की स्वतंत्रता को कुचलने के लिए ज़िम्मेदार लोगों पर वीज़ा प्रतिबंध लगाया. अमेरिका के विदेश विभाग के सहायक सचिव ने आगे ये भी जोड़ा कि अमेरिका की तरफ से जॉर्जिया के लिए आवंटित 390 मिलियन अमेरिकी डॉलर की समीक्षा की जाएगी. EU के शीर्ष अधिकारी जोसेफ बोरेल ने कहा कि इस कानून को अपनाना EU की तरफ जॉर्जिया की प्रगति पर नकारात्मक प्रभाव डालता है”. उन्होंने जॉर्जिया की सरकार से कानून वापस लेने का अनुरोध किया. रूस ने कहा कि पश्चिमी देशों के द्वारा रूस विरोधी भावनाओं को भड़काने के लिए इस कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है और इसे रूसीकानून नहीं कहा जाना चाहिए. इसके अलावा जिस संदर्भ में फॉरेन एजेंट्स लॉ जॉर्जिया में उभरा है वो रूस के फॉरेन एजेंट्स लॉ से अलग है. जॉर्जिया में सार्वजनिक नीति के क्षेत्र में NGO का काफी प्रभाव है. लेकिन ये बात रूस के बारे में नहीं कही जा सकती है क्योंकि 2012 का रूसी फॉरेन एजेंट्स लॉ न केवल नियंत्रण रखता है बल्कि कानून को नहीं मानने पर मीडिया और सिविल सोसायटी संगठनों पर प्रतिबंध भी लगाता है.

निष्कर्ष

जॉर्जिया के द्वारा कथित रूस समर्थक कानून अपनाने और यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानूकोविच के द्वारा EU में शामिल होने के समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार करके इसके बदले 2013 में रूस के साथ आर्थिक समझौतों पर हस्ताक्षर करने और इस तरह EU की सदस्यता की तरफ कदम रोकने से ज़बरदस्त प्रदर्शन की लहर शुरू होने में कुछ हद तक समानता है. इसकी वजह से यानूकोविच को सत्ता से बाहर होना पड़ा था और उनकी जगह पश्चिमी देशों की समर्थक सरकार आई जिसका नतीजा यूक्रेन में रूस के आक्रमण की शुरुआत के रूप में निकला. हालांकि ये कहते हुए दोनों की तुलना से परहेज करना चाहिए. फॉरेन एजेंट्स लॉ का इस्तेमाल उन विदेशी NGO के असर को रोकने में किया जाएगा जो विदेशी और घरेलू नीति को प्रभावित कर सकते हैं. यूक्रेन की 2013-14 की स्थिति के उलट ड्रीम पार्टी अपनी विदेश नीति के विकल्पों को संतुलित करना चाहती है और पश्चिमी देशों या रूस के साथ जुड़े देश के रूप में जॉर्जिया को देखे जाने से बचना चाहती है. ये कानून स्थानीय सिविल सोसायटी के कार्यकर्ताओं की आकांक्षाओं को और अधिकार दे सकता है लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान जॉर्जिया में लोकतांत्रिक कमज़ोरी पर विचार करें तो इसके दुरुपयोग की संभावना बहुत ज़्यादा है. दुरुपयोग के तहत जॉर्जियन ड्रीम पार्टी के किसी भी विरोधी पर विदेशी एजेंट होने का दाग लगाया जा सकता है. ऐसे में साफ स्थिति ये है कि EU में जॉर्जिया का शामिल होना अब आसान नहीं होगा.

रजोली सिद्धार्थ जयप्रकाश ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में रिसर्च असिस्टेंट हैं.

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