Author : Harsh V. Pant

Published on Nov 22, 2022 Updated 0 Hours ago

नेपाल के आम चुनाव में पड़ोसी मुल्‍क भारत और चीन की दिलचस्‍पी बनी हुई है. खासकर तब जब चीन भारत को चौतरफा घेरने के लिए चीन नेपाल की जमीन का बेजा इस्‍तेमाल करने में लगा हुआ है.

General election in Nepal: नेपाल के आम-चुनावों पर क्‍यों है भारत और चीन की नज़र?
जागरण

नेपाल (Nepal) की संसद की कुल 275 सीटों और प्रांतीय विधानसभा की 550 सीटों के लिए वोटिंग (Voting) पर भारत (India) और चीन (China) की पैनी नजर है. वर्ष 2015 में घोषित किए गए नए संविधान (Constitution) के बाद यह दूसरा चुनाव है. नेपाल में एक करोड़ 80 लाख से ज्‍यादा मतदाता इस मतदान में हिस्‍सा लिए हैं. इन चुनावों के परिणाम एक हफ्ते में आने की उम्‍मीद है. उधर, नेपाल के पड़ोसी मुल्‍क भारत और चीन की भी इस चुनाव में दिलचस्‍पी बनी हुई है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर भारत की इस चुनाव में क्‍यों दिलचस्‍पी है.

नेपाल चुनाव में छाया रहा भारत

1- नेपाल के इस आम चुनाव में हुई राजनीतिक रैलियों में भारत का भी ज़िक्र हुआ है. केपी शर्मा ओली ने अपनी रैलियों में भारत-नेपाल के बीच चल रहे कालापानी क्षेत्रीय विवाद को उठाया है. वर्ष 2019 में नेपाली प्रधानमंत्री ने भारत सरकार के नक्‍शे पर आपत्ति जताते हुए दावा किया था कि नेपाल-भारत और तिब्‍बत के ट्राई जंक्‍शन पर स्थित कालापानी इलाका उसके क्षेत्र में आता है. इस चुनाव में ओली राष्‍ट्रवादी मुद्दों को उछाल कर स्विंग वोटरों को अपने पक्ष में साधने में जुटे रहे. चुनावी रैलियों में ओली ने दावा किया है कि वह प्रधानमंत्री बनते ही भारत के साथ सीमा विवाद हल कर देंगे.

नेपाल में एक करोड़ 80 लाख से ज्‍यादा मतदाता इस मतदान में हिस्‍सा लिए हैं. इन चुनावों के परिणाम एक हफ्ते में आने की उम्‍मीद है. उधर, नेपाल के पड़ोसी मुल्‍क भारत और चीन की भी इस चुनाव में दिलचस्‍पी बनी हुई है.

2- ओली ने चुनावी रैलियों में कहा था कि वह नेपाल की एक इंच भूमि भी नहीं जाने देंगे. ओली के समय जारी नेपाल के विवादित नक्‍शे में कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाल का हिस्‍सा दर्शाया गया था. इस पर भारत ने सख्‍त आपत्ति दर्ज की थी. भारत का दावा है कि यह उसके उत्‍तराखंड राज्‍य का हिस्‍सा है. खास बात यह है कि ओली ने इस विवादित नक्‍शे को संसद में भी पास करा लिया था. विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि ओली का भारत विरोधी रुख चीन से प्रेरित है. ओली का झुकाव चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की ओर है.

3- उधर, प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा भारत के पक्ष में हैं. प्रो पंत का कहना है कि देउबा भारत और नेपाल के बीच बेहतर संबंधों के हिमायती रहे हैं. देउबा ने कई मौकों पर कहा है कि सीमा विवाद को उकसाने के बजाए भारत के साथ कूटनीति और वार्ता के जरिए सुलझाने की कोशिश की जाएगी. देउबा का फोकस नेपाल-भारत के संबंधों को मजबूत करने पर रहा है.

नेपाल के साथ अमेरिका और चीन से आर्थिक मतभेद

नेपाल में राजनीतिक दलों के बीच अमेरिका और चीन से आर्थिक मतभेद है. देउबा की पार्टी ने अमेरिका मिलेनियम चैलेंज कोआपरेशन के तहत 42 हजार करोड़ रुपये की मदद को स्‍वीकार किया है. खास बात यह है कि इसे संसद से भी पास करा लिया गया है. उधर, केपी शर्मा ओली की पार्टी चीन के साथ बीआरआई करार पर ज्‍यादा उत्‍सुक है. इसलिए चीन और अमेरिका की इस चुनाव पर पैनी नजर है.

प्रो पंत का कहना है कि देउबा भारत और नेपाल के बीच बेहतर संबंधों के हिमायती रहे हैं. देउबा ने कई मौकों पर कहा है कि सीमा विवाद को उकसाने के बजाए भारत के साथ कूटनीति और वार्ता के जरिए सुलझाने की कोशिश की जाएगी.

पूर्व के आम चुनाव में किसी दल को नहीं मिला बहुमत

गौरतलब है कि वर्ष 2017 के आम चुनावों में 94 सीटों के साथ सीपीएन-यूएमएल सबसे बड़ी पार्टी थी. नेपाली कांग्रेस 63 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई और माओवादी सेंटर 53 सीटों के साथ तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. 2021 में सीपीएन-यूएमएल पार्टी विभाजित हो गई. संघीय संसद के कुल 275 सदस्यों में से 165 प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से चुने जाएंगे, जबकि बाकी 110 आनुपातिक पद्धति के माध्यम से चुने जाएंगे. इसी तरह प्रांतीय विधानसभा के कुल 550 सदस्यों में से 330 सीधे चुने जाएंगे और 220 आनुपातिक पद्धति से चुने जाएंगे.

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