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पूरे प्रकरण में निश्चित रूप से एक सहस्त्राब्दी-विघटनकर्ता का हस्ताक्षर है जो अपने स्वरूप में भविष्य के बदले वर्तमान को ज़्यादा महत्व देने वाला है.
गेमस्टॉप कॉरपोरेशन (जीएमई) एक अमेरिकी वीडियो गेम रिटेलर कंपनी है. ये वीडियो गेम, कंज़्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और गेमिंग मर्चेंडाइज में डील करती है. इसका हेडक्वार्टर ग्रेपवाइन, टेक्सास में है और यह दुनियां की सबसे बड़ी वीडियो गेम रिटेलर कंपनी है. समूचे अमेरिका में यह कंपनी अपने क़रीब 5000 से ज़्यादा स्टोर के ज़रिए क़ारोबार करती है.
साल 1984 में जीएमई की स्थापना बैबेज के रूप में एक छोटे शिक्षा से जुड़े सॉफ्टवेयर रिटेलर के तौर पर की गई थी. व्यापार के मामले में इस कंपनी के लिए सबसे बेहतर समय साल 2004 से लेकर 2016 के बीच रहा. इसके बाद इसका क़ारोबार मंदा पड़ता गया क्योंकि तब तक ऑनलाइन गेमिंग प्रोडक्ट और मर्चेइंडाइज जैसे एक्स बॉक्स, प्ले स्टेशन और निनटेंडो ने बाज़ार में अपनी धमाकेदार मौज़ूदगी का अहसास करा दिया था.
और इसके बाद से ही गेमस्टॉप के लिए यह ढ़लान पर चलने जैसा रहा. हालत ये हो गई कि लगातार तीसरे साल कंपनी भारी नुकसान की घोषणा करने वाली थी और पिछले पांच में से चार सालों में कंपनी की बिक्री में ज़बरदस्त गिरावट दर्ज़ की गई.
लेकिन यह वॉल स्ट्रीट के लिए किसी हैरानी से कम नहीं था कि जनवरी (चित्र-1) से अब तक इसके शेयरों में 1900 फ़ीसदी से ज़्यादा का उछाल दर्ज़ किया गया और पिछले एक साल में इसके शेयरों की क़ीमत 8000 फ़ीसदी से ज़्यादा बढ़ी. 29 जनवरी 2021 तक इसके शेयर की क्लोजिंग प्राइस अधिकतम 347.51 डॉलर दर्ज़ की गई जबकि 28 जनवरी को इंट्रा डे क़ारोबार के दौरान यह क़ीमत अपने रिकॉर्ड स्तर 483 डॉलर पर पहुंच गई. इतना ही नहीं क़रीब 6 महीने तक जिस स्टॉक का भाव 3 डॉलर यानी क़रीब 200 रुपए था, सिर्फ 20 दिनों में 325 डॉलर यानी 23,694 हज़ार रुपए हो गया. 4 जनवरी से अब तक इसके शेयरों में 1900% से ज़्यादा का उछाल दर्ज़ किया गया है तो इसके शेयरों की क़ीमतों में आई ज़बरदस्त छलांग को इस बात से समझा जा सकता है कि 4 जनवरी को जिस कंपनी के शेयर की क्लोजिंग प्राइस महज़ 17.25 डॉलर थी (नैस्डेक के शेयर क़ीमतों से ली गई जानकारी). और तो और ठीक इसके चार महीने पहले तक जीएमई की प्रति शेयर की क़ीमत मात्र 6 डॉलर थी.
सोशल मीडिया वेबसाइट रैडिट पर एक फोरम है वॉल स्ट्रीट बेट्स जो सोशल न्यूज़ एग्रीगेशन, वेब कंटेंट रेटिंग और डिस्कशन वेबसाइट है. इस फोरम पर 40 लाख मेंबर्स हैं. इनका काम होता है बड़े फंड हाउस के ख़िलाफ़ एकजुट होकर शेयर बाज़ार में उन्हें पछाड़ना. कुछ इसी तरह का खेल गेमस्टॉप के शेयर के साथ भी हो रहा था. जब ये बड़े हेज फंड शॉर्ट पॉजिशन लेकर स्टॉक की क़ीमत गिरने का इंतज़ार कर रहे थे, तभी रेडिट फोरम के लाखों मेंबर्स ने इनको सबक सिखाने के लिए एक साथ गेमस्टॉप के शेयर में निवेश करना शुरू कर दिया. स्टॉक में भारी निवेश से डिमांड बढ़ी तो उसका भाव भी ऊपर जाने लगा और इस तरह स्टॉक के भाव आसमान छू गए और ये धीरे धीरे अन्य रैडिट ग्रुप में भी फैल गया.
शॉर्ट सेल का मतलब शेयरों की बिक्री जो निवेशक या शॉर्ट सेलर के पास नहीं होता है. ये शेयर किसी दूसरे से उधार लिए जाते हैं जैसे किसी बड़े वित्तीय हाउस से (अमेरिका में). सेलर या फिर निवेशक बाद में इस डील (शॉर्ट पोजिशन) को जिससे स्टॉक उधार लिया गया है उसे ये शेयर वापस लौटाकर क्लोज़ करते हैं जिसे फिर से वो खुले बाज़ार में ख़रीद लेते हैं.
दूसरे शब्दों में कहें तो निवेशक (शॉर्ट सेलर) उन शेयरों की क़ीमतों में गिरावट की उम्मीद करता है और ऐसे शेयरों को उधार लेता है, फिर उन्हें बेचता है और आख़िर में फिर से खुले बाज़ार से उन्हें कम क़ीमत पर ख़रीद लेता है. और क़ीमतों में यही अंतर निवेशकों के लिए लाभ का ज़रिया बनता है.
दूसरे शब्दों में कहें तो निवेशक (शॉर्ट सेलर) उन शेयरों की क़ीमतों में गिरावट की उम्मीद करता है और ऐसे शेयरों को उधार लेता है, फिर उन्हें बेचता है और आख़िर में फिर से खुले बाज़ार से उन्हें कम क़ीमत पर ख़रीद लेता है. और क़ीमतों में यही अंतर निवेशकों के लिए लाभ का ज़रिया बनता है. अगर शेयरों की क़ीमतें गिरती हैं, जैसा कि उम्मीद किया गया था, तब ऐसी हालत में शॉर्ट सेलरों को लाभ होता है लेकिन अगर शेयरों की क़ीमतों में उछाल दर्ज़ होता है तब शॉर्ट सेलरों को नुक़सान होता है.
तो जैसा की पहले ही बताया गया है कि जैसे ही रेडिट से जुड़े खुर्राट रिटेल निवेशकों ने गेमस्टॉप के शेयरों की ख़रीद शुरू की गेमस्टॉप के शेयरों की क़ीमतें आसमान में चढ़ने लगी. गेमस्टॉप के शेयरों में ज़बरदस्त उछाल का ही यह नतीज़ा था कि कुछ शॉर्ट सेलिंग हेज फंड हाउस जैसे मेल्विन कैपिटल को भारी नुकसान उठाना पड़ा. इन बड़े फंड हाउस को 27 जनवरी 2021 को गेमस्टॉप में अपने शॉर्ट पॉजिशन को बंद करना पड़ा ( या उन्हें खुले बाज़ार से काफी ऊंचे दाम पर शेयरों को फिर से ख़रीदना पड़ा जिससे कि वो इन शेयरों को उनके वास्तविक मालिकों को लौटाया जा सके). हालांकि,मेल्विन कैपिटल ने अपने नुकसान के सही आंकड़ों की पुष्टि नहीं की लेकिन जानकारी के मुताबिक़ मेल्विन कैपिटल को करीब 3 बिलियन डॉलर की पूंजी फौरन अपने वित्तीय स्थिति को मज़बूत करने के लिए झोंकना पड़ा. सिर्फ मेल्विन कैपिटल ही नहीं बल्कि दूसरे फंड हाउसों को भी इस पूरी प्रक्रिया में भारी नुकसान सहना पड़ा.
सवाल है कि क्या ऐसे न्यू एज रिटेल निवेशकों के टारगेट पर सिर्फ गेमस्टॉप के शेयर ही थे? इसका जवाब नहीं में है क्योंकि एएमसी एंटरटेनमेंट, ब्लैकबेरी और नोकिया जैसे शेयरों को लेकर भी चर्चा जोरों पर है.
ज़्यादातर ऐसे निवेशक मोबाइल आधारित निवेश ऐप जैसे रॉबिनहुड और टीडी एमिरीट्रेड का इस्तेमाल करते हैं जो बिना किसी शुल्क के मुफ़्त होती है. इसके तुरंत बाद रॉबिनहुड ने इस ऐप का इस्तेमाल करने वाले लोगों को गेमस्टॉप और यहां तक कि रेडिट के चर्चा के दायरे में आने वाले शेयरों को भी ख़रीदने से लोगों को रोक दिया. ऐप इस्तेमाल करने वालों को एक नोटिफ़िकेशन जारी कर निवेशकों को यह बताया गया कि वो गेमस्टॉप के शेयरों को लेकर अपनी मौज़ूदा स्थिति पर ही रूक जाएं और कंपनी के अतिरिक्त शेयर नहीं खरीदें.
अब सवाल ये उठता है कि आख़िर वित्तीय रूप से कमज़ोर पड़ती एक कंपनी का समर्थन के पीछे मक़सद क्या था? विशेषज्ञों की राय यह थी कि ये नए दौर के निवेशक दरअसल ‘शौकिया जुआरी’ हैं जो ‘जल्दी से एक बार में ही अमीर’ बनना चाहते हैं. पूरे प्रकरण में निश्चित रूप से एक सहस्त्राब्दी-विघटनकर्ता का हस्ताक्षर है जो अपने स्वरूप में भविष्य के बदले वर्तमान को ज़्यादा महत्व देने वाला है.
हालांकि,सोशल मीडिया पर वॉल स्ट्रीट पर ‘लालच’ के इस प्रदर्शन को लेकर नाराज़गी भी दिखी. इन युवा निवेशकों में से कइयों ने यह बात देखी है कि कैसे साल 2008 के वित्तीय संकट के दौरान बड़ी बड़ी कंपनियों को संकट से उबारा गया था, और कैसे वॉल स्ट्रीट के बड़े बड़े अधिकारी इस मुसीबत से साफ बच कर निकल आए हालांकि,उनके परिवार और उनके परिचितों को ऐसे ज़बरदस्त वित्तीय आपदा की क़ीमत चुकानी पड़ी थी. ऐसे में इन्हीं निवेशकों में से कुछ निवेशक बाज़ार से अपना बदला लेना चाहते थे और यही वज़ह थी कि कइयों को इस बात की परवाह नहीं थी कि उन्हें हेज फंड हाउस के शॉर्ट सेलिंग को बदलने के खेल में नुक़सान भी उठाना पड़ेगा.
रेडिट यूजर्स अपने कुछ सदस्यों की तादाद तो बढ़ा सकते हैं लेकिन वॉल स्ट्रीट के साथ अपनी लड़ाई में इन्हें हमेशा ज़रूरी पूंजी की कमी बनी रहती है.
इसमें दो राय नहीं कि निवेशकों के इस समूह ने बड़े हेज फंड हाउस को कुछ नुकसान तो ज़रूर पहुंचाया. फंड की कमी और शॉर्ट सेलिंग की विस्फोटक स्थिति से बाहर निकलने की जल्दी में हेज फंड हाउस को अब उन शेयरों को बेचने की मज़बूरी थी जिन्हें वो बेहद अहम मानते थे और लंबे समय तक रोक कर रखने को इच्छुक थे. लेकिन ऐसे हेज फंड हाउस की स्थिति ये हो गई कि उन्हें उन शेयरों को बेचना पड़ा, वो भी ऐसी कंपनियों के शेयर के लिए जिससे वो घृणा किया करते थे (अपने शॉर्ट पोजिशन को बरकरार रखने के लिए रिटर्न और बंद)
क्या यह अमेरिकी शेयर बाज़ार के ताकतवर सामंतों के ख़िलाफ़ नए दौर के निवेशकों की एक बग़ावत जैसी थी या फिर वित्त का यह एक नए तरह का लोकतांत्रिकरण था? क्योंकि अमेरिकी शेयर बाज़ार में कुल 500 कंपनियों का करीब 80 फ़ीसदी शेयर, ऐसे ही बड़े वित्तीय संगठनों के पास हैं. अमेरिका से बाहर यूरोप में यह अनुपात बेहद कम है. लेकिन अमेरिका की यह कड़वी सच्चाई है. रेडिट यूजर्स अपने कुछ सदस्यों की तादाद तो बढ़ा सकते हैं लेकिन वॉल स्ट्रीट के साथ अपनी लड़ाई में इन्हें हमेशा ज़रूरी पूंजी की कमी बनी रहती है.
गेमस्टॉप की कहानी ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिया कि “स्टॉक बाज़ार ही शेयरों की असल वैल्यू को निर्धारित करता है“. यह किन्ही ख़ास स्थितियों में असत्य भी हो सकती है, यह इस ओर भी इशारा करता है कि नियमों के दायरे में रह कर भी शेयर बाज़ार को अपने मुताबिक़ संचालित किया जा सकता है. अगर रेडिट यूजर्स ऐसा कर सकते हैं तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं कि दूसरे भी ऐसा कर सकते हैं.
अगर रेडिट यूजर्स को तुरंत ऐसा करने से हस्तक्षेप कर रोक दिया जाता (जो रॉबिनहु एप की कार्रवाई से साबित होता है) तो इसका मतलब था कि पूरी तरह प्रतिस्पर्द्धा वाले बाज़ार में नियामक की एंट्री होना. अगर बड़े वित्तीय संस्थानों की बड़ी ग़लतियों के संकट को लोगों के पैसे से उबारा जाता है (जैसा कि 2008 के संकट के बाद हुआ) और रिटेल निवेशकों (शौकिया या फिर क्रांतिकारी) को दूसरे वैध तरीक़ों से निवेश करने से रोका जाता है – तब ऐसी स्थिति में वित्तीय असमानता की बात करने वालों को पूरी तरह से ग़लत नहीं कहा जा सकता है. वित्तीय स्थिरता की वज़ह कभी भी गिनाई जा सकती है लेकिन वित्तीय संस्थानों और अधिकारियों के समूह, जो साल 2008 में शेयर बाज़ार की बदहाली के लिए ज़िम्मेदार थे, उन्हें इस संकट को लाने के लिए कभी भी सज़ा नहीं दी गई, जबकि उहोंने बाज़ार से लेकर अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया था.
“बाज़ार में ज़ोख़िम बढ़ाने को लेकर कई तरह की नए प्रक्रियाओं” की शुरुआत की गई और उन्हें अमल में लाया गया. लेकिन इस सवाल को पूछने का यह वक़्त सही है कि क्या ऐसे उपाय मददगार हैं या फिर इनसे शेयर बाज़ार में संसाधनों के विस्तार का वास्तविक लक्ष्य ख़त्म होता जाता है.
“बाज़ार में ज़ोख़िम बढ़ाने को लेकर कई तरह की नए प्रक्रियाओं” की शुरुआत की गई और उन्हें अमल में लाया गया. लेकिन इस सवाल को पूछने का यह वक़्त सही है कि क्या ऐसे उपाय मददगार हैं या फिर इनसे शेयर बाज़ार में संसाधनों के विस्तार का वास्तविक लक्ष्य ख़त्म होता जाता है. यह आत्मावलोकन सिर्फ अमेरिका के लिए ही ज़रूरी नहीं है बल्कि उन सभी देशों के लिए ज़रूरी है जहां तेजी से बदलते शेयर बाज़ार हैं.
साल 2020 में दुनिया में कुल वित्तीय संपत्ति दुनिया के मार्केट एक्सचेंज रेट पर कुल उत्पाद और सेवाओं के उत्पादन का क़रीब 10 गुना था. इसका मतलब यह हुआ कि दुनिया भर में उत्पादन आधारित अर्थव्यवस्था के मुक़ाबले वित्तीय बाज़ार में 10 गुना ज़्यादा निवेश किया जा रहा है. तो क्या ऐसे में यह समझा जाए कि दुनिया की अर्थव्यवस्था इस तरह विकसित हो गई है कि ऐसे वित्तीय संकट यहां आते रहेंगे? जबकि सच्चाई यही है कि आबादी की बड़ी तादाद की पहुंच वित्तीय बाज़ार में नहीं है. यहां तक कि उत्पादन और वित्तीय अनुपात के बीच ऐसी खाई वैश्विक असमानता और गैरसमावेशी संकट को तो न्योता नहीं दे रहा है?
गेमस्टॉप प्रकरण को ध्यान से देखने पर ऐसे सारे सवाल पैदा होने लगते हैं, लिहाज़ा इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए हमें आगे बढ़ना चाहिए.
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Abhijit was Senior Fellow with ORFs Economy and Growth Programme. His main areas of research include macroeconomics and public policy with core research areas in ...
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