Author : ARYAN KAUSHAL

Published on Sep 15, 2023 Updated 0 Hours ago

वैसे ज़रूरतमंद लोगों में बुनियादी क्षमताओं को बहाल करने के लिए ब्रेन चिप्स को दवा के साथ एकीकृत करने की क़वायद संभावनाओं से भरी है, फिर भी टेक्नोलॉजी का इंसानी जीवन के साथ विलय करने के व्यापक निहितार्थ विभाजनकारी हैं. 

साइंटिफिक फिक्शन से वास्तविकता तक: चिकित्सा और उससे परे ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस

विज्ञान से जुड़ी काल्पनिक कथाओं में अक्सर भविष्य की ऐसी तकनीक़ की कल्पना रहती है जिसमें ऐसे तंत्र होते हैं जो मनुष्य की बोध क्षमताओं (cognitive abilities) को बढ़ाते या नियंत्रित करते हैं. टेक्नोलॉजी के इस तेज़ी से उन्नत होते क्षेत्र को ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) सिस्टम कहा जाता है. ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस, मस्तिष्क की गतिविधि और दिमाग़ी संकेतों का उपयोग करते हैं, और उनका विश्लेषण करके उन्हें कमांड्स में तब्दील करते हैं, ताकि उपयोगकर्ताओं को बाहरी उपकरणों को नियंत्रित करने की सुविधा मिल सके. हालांकि 19वीं सदी के आख़िर से तमाम ऐप्लिकेशंस में इस तकनीक़ का उपयोग होता आ रहा है, लेकिन व्यापक रूप से इसका सबसे ज्ञात प्रयोग यानी न्यूरल चिप, लगभग दो शताब्दियों की तरक़्क़ी के बाद उभरा है. न्यूरो-इलेक्ट्रोफिज़ियोलॉजिकल रिकॉर्डिंग प्रक्रिया में दिमाग़ की गतिविधि को ट्रैक करने के लिए न्यूरल चिप्स को ब्रेन में, या उसके नज़दीक डाला जाता है.

ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस, मस्तिष्क की गतिविधि और दिमाग़ी संकेतों का उपयोग करते हैं, और उनका विश्लेषण करके उन्हें कमांड्स में तब्दील करते हैं, ताकि उपयोगकर्ताओं को बाहरी उपकरणों को नियंत्रित करने की सुविधा मिल सके.

वैसे तो विश्वविद्यालय और शोध संस्थान इस क्षेत्र में पूरी सक्रियता से शोध कर रहे हैं, लेकिन एलन मस्क की न्यूरालिंक, न्यूरल चिप उद्योग में मुख्यधारा की अगुवा व्यावसायिक इकाई के तौर पर उभरी है. न्यूरालिंक की स्थापना 2016 में हुई थी. इसका मक़सद क्वॉड्रिप्लेजिया (लकवे का एक प्रकार) से पीड़ित लोगों की मदद करना है, ताकि उन्हें अपने विचारों से मोबाइल फोन और कंप्यूटर को नियंत्रित करने की क्षमता मिल सके. 

प्रयोग और प्रत्यारोपण से जुड़े जोख़िम

मौजूदा BCI बाज़ार, चिकित्सा उद्देश्यों के लिए डिज़ाइन किए गए BCIs और चिकित्सा से परे वाणिज्यिक प्रयोगों पर केंद्रित BCIs के बीच स्पष्ट रूप से अंतर करता है. दोनों प्रकार के मामले में, चिकित्सा उपयोग के लिए इंसानी शरीर को छेदकर या चीरकर अंदर लगाए जाने वाले BCIs (जैसे न्यूरल चिप्स) के साथ भारी जोख़िम जुड़े होते हैं. 

मानव प्रत्यारोपण की तैयारी के चरण तक पहुंचने के लिए न्यूरालिंक ने व्यापक शोध और प्रयोग का सहारा लिया है. इसमें सुअरों और बंदरों जैसे जानवरों पर किए गए परीक्षण भी शामिल हैं. बहरहाल, फरवरी 2022 में पशु-अधिकारों की वक़ालत करने वाले समूह ने न्यूरालिंक और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस पर अमेरिका पशु कल्याण अधिनियम के उल्लंघन का आरोप लगाया. दिसंबर 2022 में अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) ने पशु कल्याण अधिनियम के संभावित उल्लंघन के मामले में न्यूरालिंक पर संघीय जांच शुरू कर दी. आंकड़ों से पता चला कि 2018 से न्यूरालिंक के शोध और प्रयोग ने 1500 जानवरों की जान ले ली थी. ख़बरों के मुताबिक पशुओं की इस ऊंची मृत्यु दर के पीछे अमेरिकी फूड एंड ड्रग एसोसिएशन (FDA) की मंज़ूरी हासिल करने को लेकर एलन मस्क द्वारा प्रयोगों में तेज़ी लाने को लेकर डाला गया दबाव है

क्लिनिकल ट्रायल के दौरान होने वाली पशुओं की मौत, अमेरिकी पशु कल्याण अधिनियम जैसे नियमनों के उल्लंघन को नहीं दर्शाते हैं. साथ ही न्यूरालिंक ने पशु कल्याण और नैतिक परीक्षण को लेकर संगठन की प्रतिबद्धताओं का निपटारा कर दिया है. इतना ही नहीं, मई 2023 में FDA ने इंसानों में ब्रेन चिप्स प्रत्यारोपित करने को लेकर परीक्षण शुरू करने के न्यूरालिंक के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी. USFDA और FDA आवश्यकताओं के साथ कंपनी की अनुपालना से संकेत मिलते हैं कि कंपनी ने आवश्यक मानकों को पूरा किया है. बहरहाल, न्यूरालिंक के शोध की अपनी ख़ास अहमियत है. इससे शोध परीक्षणों के दौरान पशुओं की पीड़ा और मौतों को कम करने के लिए पूरी शिद्दत से निगरानी रखे जाने और नियमनों के कठोरतापूर्ण पालन की ज़रूरत रेखांकित होती है. 

न्यूरल चिप्स, दिव्यांग लोगों को आज की दुनिया में संचार के लिए आवश्यक उपकरणों को नियंत्रित करने के लिए ज़रूरी क्षमता प्रदान कर सकते हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए ऐसी परियोजनाओं और विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ाना, बुद्धिमानी भरी बात लगती है.

चूंकि, एलन मस्क ने 2021 में मानव परीक्षण शुरू करने का लक्ष्य रखा था, लिहाज़ा ये स्पष्ट है कि उनका संगठन जल्द ही इंसानी क्लीनिकल अध्ययन शुरू करेगा. न्यूरोटेक क्षेत्र की अन्य कंपनियां भी अपने BCIs के लिए मानव परीक्षण करती हैं. इन कंपनियों में ब्लैकरॉक न्यूरोटेक और सिंक्रॉन शामिल हैं. इस दिशा में ज़्यादा कंपनियों के उतरने से इस उद्योग का तेज़ी से विकास होना तय है. ऐसे में उचित बर्तावों को प्राथमिकता देना और रोगियों की अधिकतम सुरक्षा सुनिश्चित करना निहायत ज़रूरी हो जाता है. हालांकि सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर न्यूरालिंक जैसी कंपनियों द्वारा किए गए व्यापक शोध के बावजूद, मस्तिष्क के साथ चिप का संपर्क संभावित रूप से ब्रेन टिश्यू को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे संक्रमण, लकवा या यहां तक ​​कि जान भी जा सकती है. लिहाज़ा इस दिशा में शोध कर रहे तमाम संगठनों को FDA, अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO), और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा उपलब्ध कराए गए दिशानिर्देश का पालन करना होगा. चिकित्सा के क्षेत्र में उपयोग के लिए BCIs के प्रबंधन और प्रत्यारोपण में इन मार्गदर्शनों का ध्यान रखना ज़रूरी है. 

न्यूरल चिप्स, दिव्यांग लोगों को आज की दुनिया में संचार के लिए आवश्यक उपकरणों को नियंत्रित करने के लिए ज़रूरी क्षमता प्रदान कर सकते हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए ऐसी परियोजनाओं और विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ाना, बुद्धिमानी भरी बात लगती है. इसके अलावा, मस्तिष्क प्रत्यारोपण के ज़रिए दुनिया के साथ संवाद करने का अवसर पीड़ित लोगों और उनके परिचितों के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करता है. 

चिकित्सा का भविष्य 

चिकित्सा के क्षेत्र में न्यूरल चिप्स का बढ़ता दायरा, मस्तिष्क प्रत्यारोपण टेक्नोलॉजी पर क़ानून बनाने और इस क्षेत्र को विनियमित करने की अहमियत को रेखांकित करता है. दृष्टि, तंत्रिका तंत्र से जुड़ी गतिविधियों (motor functions) और भाषण जैसी क्षमताओं को बहाल करने को लेकर न्यूरालिंक का नज़रिया दुनिया को लेकर हमारी धारणा को नए सिरे से परिभाषित कर सकती है. ये तमाम गतिविधियां समग्र निरीक्षण की आवश्यकता पर ज़ोर देती हैं. इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए भारी-भरकम निवेश और कठोर जांच की दरकार है, जिससे सुरक्षित प्रयोग और परीक्षण सुनिश्चित हो सकेगा. न्यूरालिंक के व्यावसायिक लक्ष्यों और दुनिया के साथ मानव संपर्क को बदलने के व्यापक उद्देश्य, दोनों का निपटारा करना बेहद अहम है. 

न्यूरालिंक जैसी टेक्नोलॉजी के ज़रिए मानव क्षमताओं को बहाल करने के संभावित लाभ जग-ज़ाहिर हैं. ख़ासतौर से लकवे के शिकार व्यक्तियों के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तक पहुंच प्रदान करने में इसके फ़ायदे स्पष्ट रूप से सामने हैं. हालांकि, जैसे-जैसे ऐसी सुविधाओं को बहाल करने वाली टेक्नोलॉजी विकसित हो रही है, मानव क्षमताओं और बोध शक्ति को बढ़ाने वाले BCIs भी उभरेंगे. मिसाल के तौर पर यूएस डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी (DARPA) की BRAIN पहल का लक्ष्य सैनिकों की बोध क्षमताओं में सुधार करना है.

उत्पादकता या सीखने की प्रक्रिया यानी लर्निंग को सहारा देने को लेकर आदर्श स्थितियों को समायोजित करने के लिए संस्थान और संगठन, मस्तिष्क सिग्नल डेटा का भी उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए कर्मचारियों और छात्रों की बेहतरी पर निगरानी रखनी होगी.

BCIs के पास उपभोक्ता बाज़ार में ग़ैर-चिकित्सा प्रयोग भी हैं. इनमें न्यूरोमार्केटिंग शामिल है, जो विज्ञापनों, प्राथमिकताओं, प्रेरणाओं और मनोरंजन के प्रति उपभोक्ता की प्रतिक्रियाओं को मापने के लिए दिमाग़ी गतिविधि की निगरानी करने की प्रक्रिया है. उत्पादकता या सीखने की प्रक्रिया यानी लर्निंग को सहारा देने को लेकर आदर्श स्थितियों को समायोजित करने के लिए संस्थान और संगठन, मस्तिष्क सिग्नल डेटा का भी उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए कर्मचारियों और छात्रों की बेहतरी पर निगरानी रखनी होगी.  

लिहाज़ा, चिकित्सा जोख़िमों के अलावा, ऐसी तकनीक़ केवल उन लोगों को उन्नत मानवीय क्षमताएं प्रदान करेगी, जो इसकी ऊंची लागत वहन कर सकते हैं. इससे सामाजिक असमानताओं के साथ-साथ नैतिक, वैधानिक और सामाजिक दायरों में अहम निहितार्थ पैदा होंगे

संभावित अड़चनें और सीमाएं

ब्रेन चिप्स, न्यूरालिंक जैसी कंपनियों को मस्तिष्क गतिविधि डेटा तक बेरोकटोक पहुंच हासिल करने में सक्षम बनाते हैं. जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी में सुधार हो रहा है, ऐसे डेटा का उपयोग न्यूरोमार्केटिंग के लिए किया जा सकता है. ये उपयोगकर्ताओं के विचारों से डेटा का लाभ उठाते हैं, जिससे उपयोगकर्ता की निजता और अधिकार से जुड़ी चिंताएं बढ़ जाती हैं. इसके लिए ऐसी नीतियों की दरकार है जो मानव अधिकारों और व्यक्तिगत स्वायत्तता या लोगों द्वारा निर्णय लेने की स्वतंत्रता की संरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करें. विशेष रूप से, नीतियों को ‘न्यूरो-अधिकारों‘ का निपटारा करना चाहिए. इनमें व्यक्तिगत पहचान, स्वतंत्र इच्छा और मानसिक निजता के अधिकार शामिल हैं.

इतना ही नहीं, प्रत्यारोपित चिप्स की असुरक्षा भी सबसे अहम है, क्योंकि किसी भी तकनीकी ख़राबी से उपयोगकर्ता के मानसिक और शारीरिक कल्याण पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. मानवीय विचार और बोध क्षमता तक पहुंच, कई जोख़िमों के लिए दरवाज़े खोल देती है. ये जोख़िम मानवीय पहचान और निजता के इर्द-गिर्द घूमते हैं. ऐसे में उपयोगकर्ता की अनुमतियों और पारदर्शिता के स्पष्ट प्रावधान को सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत नीति निर्माण के ज़रिए उपयोगकर्ता निजता सुरक्षा के ठोस उपायों की दरकार होती है. उपयोगकर्ता की सहमति को आवश्यक बनाना निहायत ज़रूरी है. इसके साथ-साथ डेटा कंपनियां द्वारा ट्रैक और प्रयोग किए जा रहे आंकड़ों के संदर्भ में पारदर्शिता बनाए रखना भी अहम है.

इसके अतिरिक्त, उत्पाद के बाज़ार में पहुंचने से पहले उसके सुरक्षित होने की जानकारी के लिए सघन परीक्षण और उत्पाद के बाज़ार में उतरने के बाद उपयोग पर निगरानी सुनिश्चित करने वाले ढांचे भी बेहद महत्वपूर्ण हैं. सरकारों को इस बात पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए कि निजी संगठन ब्रेन सिग्नल डेटा का उपयोग कैसे करते हैं. इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ये क़वायद राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता निजता और डेटा-संग्रह क़ानून के हिसाब से हो. इन क़ानूनों में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CPA) और यूरोपीय संघ का सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन (GDPR) शामिल हैं. सरकारों को न्यूरो-अधिकारों को संरक्षित करने की दिशा में काम करने वाले संगठनों (जैसे मॉर्निंगसाइड ग्रुप) का भी समर्थन करना चाहिए. चिली और स्पेन जैसे देशों ने पहले से ही क़ानून बनाने और नीति निर्धारण में न्यूरो-अधिकार स्थापित कर दिए हैं, और अन्य देशों को भी इसका पालन करना चाहिए. 

सरकारों को इस बात पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए कि निजी संगठन ब्रेन सिग्नल डेटा का उपयोग कैसे करते हैं. इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ये क़वायद राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता निजता और डेटा-संग्रह क़ानून के हिसाब से हो.

BCIs अब भी विकास के बेहद शुरुआती चरण में हैं. ऐसे में इनके जोख़िमों और कमज़ोरियों को सीमित करने के लिए मुस्तैदी से क़ानून द्वारा समर्थित नीतियां बनाना बेहद अहम है. सरकारों को चिकित्सा और सार्वजनिक उपयोग के लिए BCIs पर एक रुख़ अपनाना चाहिए. साथ ही न्यूरालिंक, सिंक्रॉन और ब्लैकरॉक न्यूरोटेक जैसे शोध संगठनों के लिए उचित सीमाएं या समर्थन स्थापित करना चाहिए. 

निश्चित रूप से ज़रूरतमंद लोगों में बुनियादी क्षमताओं को बहाल करने के लिए ब्रेन चिप्स को दवा के साथ एकीकृत करने की क़वायद, एक विशिष्ट संदर्भ में संभावनाओं से भरी है. फिर भी टेक्नोलॉजी का इंसानी जीवन के साथ विलय करने के व्यापक निहितार्थ, विभाजनकारी हैं. इस घटनाक्रम को आगे ले जाने वाली नीतियों की स्थापना बेहद अहम है, क्योंकि ये क़वायद या तो मानवता और टेक्नोलॉजी के कल्पना-लोक वाले सामंजस्य को जन्म दे सकती है या मनुष्य की बुनियादी बोध प्रक्रियाओं में चुनौतियां खड़ी कर सकती है. 


आर्यन कौशल ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में इंटर्न हैं

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