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Published on May 24, 2024 Updated 0 Hours ago

आर्मेनिया व भारत में बढ़ते रक्षा सहयोग और नए हथियार सौदों से लग रहा है कि आर्मेनिया को भारत के साथ रणनीतिक रूप से गहरी और व्यापक साझेदारी स्थापित करनी चाहिए.

भारत-आर्मेनिया सैन्य सहयोग का समानांतर स्तर पर तेज़ी से विकास की समीक्षा!

पिछले तीन सालों में भारत और आर्मेनिया के बीच सहयोग की प्रबलता लगातार बढ़ी है, जो बढ़ती रक्षा और सुरक्षा साझेदारी की स्थापना से और मज़बूत हुई है. रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने की आर्मेनिया की कोशिशों को लेकर भारत का योगदान बढ़ने और आर्मेनिया की रणनीतिक और सैन्य वृद्धि का समर्थन करने की इसकी क्षमता को देखते हुए, भारत विदेश नीति और सैन्य सहयोग में आर्मेनिया के लिए एक उभरता हुआ मूल्यवान भागीदार बन गया है. 

आर्मेनिया-भारत सैन्य सहयोग की दृष्टि से देखें तो 2020-2024 काफी महत्वपूर्ण अवधि रही है, क्योंकि इस चरण में कई घटनाएं हुई हैं, बैठकें की गई हैं, सैन्य संपत्ति ख़रीदी गई है और विभिन्न सैन्य रक्षात्मक धाराओं में आपसी सहयोग किए गए हैं. 

ऐतिहासिक और राजनीतिक समीक्षा

आर्मेनिया और भारत के मैत्रिपूर्ण संबंधों का एक लंबा इतिहास है. 1794 में मद्रास (चेन्नई) में प्रकाशित आर्मेनियाई भाषा की पत्रिका, अज़दरार, दुनिया भर में कहीं भी प्रकाशित होने वाली पहली आर्मेनियाई पत्रिका थी. अज़दरार की 200 वीं वर्षगांठ के अवसर पर 1994 में एक विशेष आर्मेनियाई डाक टिकट जारी किया गया था. 1773 में, एक प्रमुख आर्मेनियाई राष्ट्रवादी, शाहमीर शाहमीरियन ने भविष्य के आर्मेनियाई राष्ट्र के बारे में मद्रास में अपना दृष्टिकोण प्रकाशित किया था, जिसे आर्मेनियाई लोगों ने एक स्वतंत्र आर्मेनिया के संविधान का मसौदा तैयार करने के पहले प्रयास के रूप में स्वीकार किया.

आर्मेनिया और भारत के बीच राजनयिक संबंध 1991 से ही हैं, जब आर्मेनिया एक स्वतंत्र राष्ट्र बना था. आर्मेनिया और भारत के बीच लंबे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों की वजह से इनमें घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंध विकसित हुए हैं. इस साझेदारी का अब रक्षा, व्यापार और संस्कृति सहित अन्य क्षेत्रों में भी विस्तार हो गया है. 

आर्मेनिया और भारत के बीच राजनयिक संबंध 1991 से ही हैं, जब आर्मेनिया एक स्वतंत्र राष्ट्र बना था. आर्मेनिया और भारत के बीच लंबे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों की वजह से इनमें घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंध विकसित हुए हैं. 

विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने और बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के बीच कई समझौते किए गए हैं. 2010 में, आर्मेनिया और भारत ने संस्कृति, शिक्षा और विज्ञान में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू- मैमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग) पर हस्ताक्षर किए. दोनों देशों ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के साधन के रूप में सांस्कृतिक आदान-प्रदान और बातचीत को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया है. 2018 में हुए एक उल्लेखनीय समारोह में, आर्मेनिया ने एक सप्ताह तक चले भारतीय सांस्कृतिक उत्सव की मेज़बानी की, जिसमें भारतीय संगीत, नृत्य और व्यंजनों के जीवंत और विविधतापूर्ण  पहलुओं को प्रदर्शित किया गया. इसी तरह, भारत में भी कई आर्मेनियाई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिनसे भारतीय आबादी के बीच आर्मेनियाई संगीत, नृत्य और कला की समझ ठीक-ठाक बढ़ने की संभावना बनी है. इन सांस्कृतिक आदान-प्रदानों ने भारत और आर्मेनिया के बीच आपसी समझ को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक संबंधों को गहरा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 

उभरते रक्षा संबंध

इस पृष्ठभूमि में, अक्टूबर 2021 में भारतीय विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर की येरेवन यात्रा देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी. ऐसा इसलिए क्योंकि 1992 में जबसे दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए, उसके बाद से किसी भारतीय विदेश मंत्री की आर्मेनिया की पहली यात्रा थी.

यह बैठक एक शुरुआती बिंदु बन गई और इसने आर्मेनिया-भारत के बीच सैन्य-राजनीतिक संबंधों के एक नए युग की शुरुआत की क्योंकि मंत्रियों ने पारस्परिक हित के क्षेत्रों, विशेष रूप से उच्च प्रौद्योगिकी, रक्षा, स्वास्थ्य सेवा, परिवहन, फ़ार्मास्युटिकल उद्योग, लोगों से लोगों के आदान-प्रदान, वायु संचार, संस्कृति और पर्यटन में सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्यक्रमों को लागू करने और नई पहलों के लिए उत्साह जताया. इस संबंध में हालांकि 2022 से, आर्मेनिया-भारत संबंधों के एक नए चरण और सैन्य सहयोग का एक नया स्तर दर्ज हुआ है. 2022 में, आर्मेनिया के रक्षा मंत्री, सुरेन पापिक्यन ने भारत की अपनी कामकाजी यात्रा के संबंध में भारतीय रक्षा मंत्री, राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी.

दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग के कई मुद्दों पर चर्चा हुई. भारतीय वायु सेना अब रणनीतिक हितों के लिए विदेशों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए तैयार है और अपने अधिकारियों को आर्मेनिया में अतिरिक्त रक्षा अताशे (Defence Attachés) के रूप में तैनात करेगी इधर आर्मेनिया का भारत में अपने दूतावास में एक रक्षा अताशे को नियुक्त करने का निर्णय कथित तौर पर सरकारी संस्थानों, निजी संगठनों और सैन्य-औद्योगिक परिसर में कंपनियों के हाल ही में रुचि दिखाने के आधार पर किया जा रहा है. नई दिल्ली में आर्मेनियाई सैन्य अताशे मौजूदा भारत-आर्मेनिया रक्षा कार्यक्रमों का समन्वय करेंगे और नई पहलों के लिए प्रस्ताव देंगे. यह निर्णय पिछले वर्ष येरेवन के भारतीय हथियार निर्माताओं के साथ कई रक्षा अनुबंध किए जाने के बाद सामने आया है. 

आर्मेनिया-भारत की बीच नए सैन्य सहयोग का अर्थ है सैन्य परेड, सैन्य अभ्यास, सैन्य आवाजाही, हथियारों की प्रदर्शनियों और सैन्य उपकरणों में पारस्परिक भागीदारी. 

सामान्य तौर पर, हम आर्मेनिया-भारत सैन्य सहयोग और संबंधों के गहराए जाने के इस नए दौर में आर्मेनिया-भारत सैन्य सहयोग को निम्नलिखित धाराओं में बांट सकते हैं, जिसके कई अलग-अलग घटक हैं:

आर्मेनिया-भारत की बीच नए सैन्य सहयोग का अर्थ है सैन्य परेड, सैन्य अभ्यास, सैन्य आवाजाही, हथियारों की प्रदर्शनियों और सैन्य उपकरणों में पारस्परिक भागीदारी. 

दोनों देशों के रक्षा विभाग ज़्यादा सक्रियता के साथ मिलकर काम करेंगे, सैन्य क्षेत्र में नए गुणवत्तापूर्ण साझेदारी संबंध बनेंगे और सैन्य-तकनीकी सहयोग के अवसरों का विस्तार होगा. 

महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत ने क्षेत्र में दोनों के एक जैसे रणनीतिक हितों को देखते हुए दक्षिण काकेशस में येरेवन के साथ साझेदारी करने की स्पष्ट इच्छा व्यक्त की है. 

भारत के साथ द्विपक्षीय और आर्मेनिया-भारत-ईरान और आर्मेनिया-भारत-फ्रांस-ग्रीस जैसी बहुपक्षीय व्यवस्थाओं में सहयोग करके आर्मेनिया को उस क्षेत्र में एक रणनीतिक साझेदार हासिल हो जाता है जिसे अन्यथा तुर्की के प्रभाव का मुक़ाबला करना पड़ता है. 

इसके अलावा, भारत के साथ रक्षा सहयोग में शांति स्थापना, संयुक्त अभ्यास, भारतीय सेना द्वारा सैन्य प्रशिक्षण और भारतीय सैन्य अधिकारियों द्वारा तकनीकी और तार्किक सुधारों पर सलाह भी शामिल होनी चाहिए. 

आर्मेनिया के लिए, भारत के साथ घनिष्ठ साझेदारी उसकी सैन्य क्षमता और साझेदारी में विविधता लाने में मदद करती है और भारत के लिए, यह अपनी विदेश नीति में विविधता लाने में सफल होना है.

आर्मेनिया के पारंपरिक और नए दोनों सुरक्षा साझेदारों के साथ मित्रतापूर्ण देश होने के नाते, भारत के पास इसके किसी भी साझेदार को उकसाए बिना आर्मेनिया की रक्षा क्षमताओं में सुधार करने की प्रभावशाली क्षमता है. 

आर्मेनिया के लिए, भारत के साथ घनिष्ठ साझेदारी उसकी सैन्य क्षमता और साझेदारी में विविधता लाने में मदद करती है और भारत के लिए, यह अपनी विदेश नीति में विविधता लाने में सफल होना है. भारत को अपने राष्ट्रीय विकास को और बढ़ावा देने के लिए इस मौके का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए और ऐसी गतिविधियां शुरू करनी चाहिएं जिनसे दोनों देशों का फ़ायदा हो. हालांकि आर्मेनिया-भारत रक्षा सहयोग और नए हथियार सौदों के रुझान आशाजनक हैं, फिर भी आर्मेनिया को भारत के साथ अधिक रणनीतिक और व्यापक साझेदारी स्थापित करनी चाहिए, जिसकी शुरुआत समग्र रक्षा सहयोग के साथ हो. आर्मेनिया-भारत सहयोग आर्मेनिया की रणनीतिक क्षमता को बढ़ाने का भी एक बड़ा अवसर है.

वैश्विक सुरक्षा संरचना में बदलाव आने के साथ ही, दुनिया अशांति के एक युग में प्रवेश कर रही है जो दशकों तक बना रह सकता है. इस संदर्भ में, आर्मेनिया-भारत संबंधों का विकास और उनका रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक उठना पारस्परिक रूप से फ़ायदेमंद साबित होगा.


(सिरानुश मेलिक्यान (पीएचडी) येरेवन स्टेट यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर हैं.

 

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