Author : Manoj Joshi

Published on Apr 13, 2023 Updated 0 Hours ago

क्या यूक्रेन संकट के बाद अमेरिका-यूरोप के बीच बढ़ती नज़दीकी ने चीन में यूरोपियन यूनियन के हितों को प्रभावित किया है? 

यूरोप और चीन पर यूक्रेन संकट का प्रभाव!

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और यूरोपियन कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ शिखर सम्मेलन के लिए 5 से 7 अप्रैल के बीच बीजिंग का दौरा किया था. उनकी संयुक्त यात्रा का उद्देश्य अपने मेज़बानों यानी चीन के नेताओं को यह संकेत देना था कि यूरोपीय संघ (EU) एक टीम के रूप में काम करेगा.

यह यात्रा यूरोप द्वारा चीन के साथ अपने संबंधों को न सिर्फ़ बरक़रार रखने का, बल्कि उनमें जो भी उथल-पुथल मची है, उसे दूर करने का प्रयास है. ज़ाहिर है कि यूक्रेन में युद्ध, शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दों और अमेरिका-चीन तनाव की वजह से मची खींचतान जैसी घटनाओं के कारण चीन इन दिनों हर तरफ से घिरा हुआ है. हाल के महीनों में जर्मन चांसलर ओलाफ़ शोल्ज़ और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ द्वारा भी बीजिंग का दौरा किया जा चुका है.

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन राष्ट्रपति मैक्रों के निमंत्रण पर बीजिंग में थीं और जिस तरह से चीनी अपने देश में आने वाले विदेशी मेहमानों की यात्राओं को संभालाते हैं, उसमें एक स्पष्ट विरोधाभास दिखाई दिया था. एक तरफ़ फ्रांस के राष्ट्रपति को रेड-कार्पेट अगवानी मिली यानी उनका ज़बरदस्त स्वागत-सत्कार हुआ, वहीं वॉन डेर लेयेन के स्वागत में चीन की तरफ से कोई उत्साह नज़र नहीं आया. इसमें कोई संदेह नहीं है कि चीन के इस रवैये के पीछे वॉन डेर लेयेन के अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ मज़बूत रिश्ते थे, जो यूक्रेन युद्ध शुरू होने बाद दोनों के बीच दिखाई दिए थे.

अपनी तरफ से चीन ऐसे वक़्त में यूरोप के साथ संबंध सुधाने के लिए उत्सुक रहा है, जब संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) के साथ उसके संबंध रसातल में पहुंच रहे हैं और यूक्रेन संकट को लेकर चीन की गतिविधियां साफ़तौर पर संदेहास्पद रही हैं. इस साल की शुरुआत में चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी ने यूरोप का दौरा किया था और म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में भाषण दिया था. कॉन्फ्रेंस में उन्होंने यूक्रेन के लिए चीन की 12 सूत्री शांति योजना प्रस्तुत की और जासूसी बैलून मुद्दे के मद्देनज़र अमेरिका को एक संदेश दिए जाने की मांग की.

यूरोपियन कमीशन की अध्यक्ष वॉन डेर लेयेन ने अपनी बीजिंग यात्रा की पूर्व संध्या पर एक थिंक टैंक में दिए गए एक तीखे भाषण में पुतिन के साथ दोस्ताना संबंध बनाए रखने के लिए शी जिनपिंग की आलोचना की थी. चीनी शांति प्रस्ताव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी योजना जो यूक्रेनी क्षेत्र पर हमले के बारे में बात नहीं करती, उसे संबोधित नहीं करती, वो व्यवहारिक नहीं है. हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि अलगाव यूरोप के लिए एक व्यवहार्य रणनीति नहीं थी, लेकिन "राजनयिक और आर्थिक डी-रिस्किंग" यानी राजनयिक और आर्थिक तौर पर जोख़िम को प्रतिबंधित करने के बजाये उससे बचने की आवश्यकता थी. इसी रणनीति के हिस्से के रूप में यूरोपीय संघ को चीनियों के साथ असुविधाजनक मुद्दों को उठाने में संकोच नहीं करना चाहिए, साथ ही ऐसी नीतियों को अपनाना चाहिए, जो यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था और उद्योग को अधिक प्रतिस्पर्धी और लचीला बनाने वाली हों.

चीन में दोनों यूरोपीय नेताओं ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक की और साथ ही 6 अप्रैल को एक त्रिपक्षीय बैठक में भी उनसे भेंट की. बैठक से पहले राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ खड़े मैक्रों ने कहा कि वह यूक्रेन के मुद्दे पर "रूस को दोबारा विचार करने के लिए राजी करने और सभी पक्षों को बातचीत की मेज पर वापस लाने के लिए" चीन पर भरोसा कर रहे हैं. मैक्रों के साथ बैठक के बाद शांति वार्ता को सुविधाजनक बनाने और यूक्रेन संकट के राजनीतिक समाधान के प्रति चीन की प्रतिबद्धता की राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तसदीक़ की और कहा कि चीन इस मकसद के लिए फ्रांस के साथ एक साझा प्रयास करने के लिए तैयार है. ध्यान देने वाली बात यह है कि उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि नागरिकों की सुरक्षा की ज़रूरत के अलावा, "परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और परमाणु युद्ध नहीं लड़ा जाना चाहिए." शांति वार्ता को फिर से शुरू करने का आह्वान करते हुए बयान में कहा गया है कि उन्हें "सभी पक्षों के वैध सुरक्षा हितों को समायोजित करना चाहिए, राजनीतिक समझौता करना चाहिए और एक संतुलित, प्रभावी एवं टिकाऊ यूरोपीय सुरक्षा संरचना को बढ़ावा देना चाहिए."

शी जिनपिंग और वॉन डेर लेयेन की बैठक के एक चाइनीज रीड आउट में देखा गया कि शी जिनपिंग ने अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति में एक रणनीतिक फोर्स के रूप में यूरोपियन यूनियन की भूमिका पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि "चीन और यूरोपियन यूनियन को आपसी मतभेदों को समझना चाहिए, उनका सामना करना चाहिए, उन्हें दूर करने की कोशिश करनी चाहिए और एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए." अपनी तरफ से यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष वॉन डेर लेयेन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और क्षेत्रीय विवादों के राजनीतिक समाधान जैसे मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच बेहद महत्त्वपूर्ण आपसी सहमति बनी है. उन्होंने कहा कि यूरोपियन्स ने "अलगाव" के विचार को स्वीकार नहीं किया और साथ ही उन्होंने चीन के साथ अपनी रुकी हुई बातचीत के दोबारा शुरू होने की उम्मीद जताई.

यूक्रेन विवाद पर मतभेद

लेकिन बाद में शाम के समय यूरोपियन यूनियन के ऑफिस में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन द्वारा रूस के युद्ध के प्रयासों का समर्थन करने को लेकर वॉन डेर लेयेन ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा, "यह निश्चित रूप से यूरोपीय संघ और चीन के बीच के संबंधों को काफ़ी नुक़सान पहुंचाएगा." हालांकि, उन्होंने इस पर विशेष रूप से ध्यान दिया कि रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है और यूरोपियन यूनियन ने चीन से "अपनी भूमिका निभाने और यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने वाली शांति को बढ़ावा देने" की अपेक्षा की.

इन बैठकों और विभिन्न घोषणाओं में अच्छी-अच्छी बातें तो खूब हुईं, लेकिन जहां तक यूक्रेन का संबंध है, तो उस लिहाज़ से व्यावहारिक तौर पर शायद ही कुछ विशेष हासिल हुआ है. यूक्रेन विवाद पर चीन की स्थिति के संबंध में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के रुख में कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं आया है.

जैसी उम्मीद थी कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी हालिया रूस यात्रा के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से टेलीफोन पर बातचीत करेंगे, वो ग़लत साबित हुई. वॉन डेर लेयेन ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को शी जिनपिंग के समक्ष उठाया था, तो इस पर उनकी प्रतिक्रिया थी कि जब "परिस्थितियां सही होंगी और वक़्त ठीक आएगा" तो वह इस विषय पर बोलेंगे.

त्रिपक्षीय बैठक के चाइनीज़ रीड आउट के मुताबिक़ यूरोप के संबंध में चीन का उद्देश्य यूरोप के लिए अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बरक़रार रखना, आपूर्ति श्रृंखला की सुरक्षा को बढ़ाना और अलगाव से बचना है. इस रीड आउट के अनुसार शी जिनपिंग ने कहा है कि "चीन-ईयू संबंध किसी तीसरे पक्ष को लक्षित नहीं करता है और न ही इन संबंधों को किसी तीसरे पक्ष पर निर्भर या उसके ज़रिए निर्देशित किया जाना चाहिए." उन्होंने उन लोगों पर निशाना साधा, जिन्होंने "लोकतंत्र बनाम तानाशाही" के नैरेटिव को चलाने की कोशिश की, जो कि एक नए शीत युद्ध को भड़काने का काम कर रहा था.

यूरोपियन यूनियन में चीन के राजदूत फू कांग ने बुधवार को एक इंटरव्यू में कहा कि फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध की पूर्व संध्या पर रूस-चीन के साझा बयान में की गई घोषणा कि उनके संबंधों की "कोई सीमा नहीं" है, को ग़लत तरीके से पेश किया गया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संबंधों की 'कोई सीमा नहीं' वाला वक्तव्य बयानबाज़ी के अलावा और कुछ नहीं है. ज़ाहिर है कि फू की बातों का मकसद वॉन डेर लेयेन की टिप्पणियों पर पलटवार करना था.

यूरोपीय संघ और चीन के बीच अन्य अहम मतभेद

यूक्रेन को लेकर चीन के रुख़ के अलावा, तमाम दूसरे मुद्दे भी हैं, जो चीन और ईयू के बीच मतभेद की वजह हैं. इनमें से एक प्रमुख मुद्दा शिनजियांग प्रांत में उइगरों के साथ ग़लत बर्ताव है, जिसके कारण वर्ष 2021 में कुछ चीनी अधिकारियों और संस्थाओं पर यूरोपीय संघ द्वारा प्रतिबंध लगाए गए थे और बीजिंग ने यूरोपीय संसद के सदस्यों के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाकर इसका जवाब दिया था. देखा जाए, तो तभी से एक प्रमुख ईयू-चीन निवेश समझौता अधर में लटका हुआ है. ताइवान को प्रतिनिधित्व दफ़्तर खोलने की मंज़ूरी देने के लिए लिथुआनिया पर बीजिंग के प्रतिबंधों से भी यूरोप के लोगों में नाराज़गी है.

ज़ाहिर है कि चीन और यूरोपीय संघ के मध्य अहम व्यापारिक ताल्लुकात हैं. वर्ष 2022 में चीन, यूरोपियन यूनियन से होने वाले निर्यात का तीसरा सबसे बड़ा गंतव्य देश था और यूरोपीय संघ का सबसे बड़ा निर्यातक था. बीजिंग में हाल के दिए गए बयानों से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के साथ सहयोगात्मक संबंध बनाए रखने में अपने लिए लाभ को देखते हैं. ये संबंध कितने उपयोगी हो सकते हैं, वो इस यात्रा के दौरान फ्रांस और चीन द्वारा चर्चा एवं हस्ताक्षर किए गए अरबों यूरो क़ीमत वाले कई समझौतों से स्पष्ट हो जाता है. इन समझौतों में 160 एयरबस यात्री विमानों की बिक्री शामिल है, जिनमें से कई विमान टियांजिन में एयरबस की फैक्ट्री में एक नई असेंबली लाइन में निर्मित किए जाएंगे.

लेकिन अमेरिका और यूरोप में चीन की बदली हुई रणनीति की वजह से कई सारे मतभेद पैदा होते हैं. वर्ष 2017 में अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटजी ने चीन को "रणनीतिक प्रतिस्पर्धी" घोषित किया था. इसके दो साल बाद वर्ष 2019 में यूरोपियन कमिश्नर्स ने एक साझा कम्युनिकेशन को अपनाया, जिसने चीन को "तक़नीकी अगुवाई की तलाश में जुटा एक आर्थिक प्रतिस्पर्धी एवं गवर्नेंस के वैकल्पिक मॉडल को बढ़ावा देने वाला एक व्यवस्थात्मक प्रतिद्वंद्वी" करार दिया. आज, यूरोपीय संघ केवल "व्यवस्थात्मक प्रतिद्वंद्वी" का मतलब पता करने के लिए जूझ रहा है. 

रूस का समर्थन करने के अपने फैसले के माध्यम से आज का चीन यूरोपियन यूनियन के समक्ष एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक चुनौती पेश करता है. चीनी राष्ट्रपति के पिछले महीने मास्को की यात्रा के बाद पुतिन के लिए की गई शी जिनपिंग की विदाई टिप्पणी में “कोई सीमा नहीं" वाली साझेदारी निहित थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि "अभी जो बदलाव दिख रहे हैं, उन्हें हमने 100 वर्षों से नहीं देखा है और वो हम ही हैं, जो इन परिवर्तनों को एक साथ लाने के लिए काम कर रहे हैं.”

इस यात्रा में China-EEurope और ChinaU का डायनैमिक साफ तौर पर दिखाई दिया. जहां यूरोपीय संघ ने एक संयुक्त मोर्चा पेश करने की मांग की, वहीं चीनी ने वॉन डेर लेयेन को नीचा दिखाते हुए मैक्रों के स्वागत में रेड-कार्पेट बिछाकर अपने मंसूबों को स्पष्ट कर दिया. यूरोप में चीन की रणनीति 27 सदस्य देशों के बीच मतभेदों को बढ़ाने की रही है. उदाहरण के लिए, वांग यी ने फरवरी के दौरे के समय फ्रांस, जर्मनी, इटली और हंगरी जैसे देशों का दौरा किया, जिन्हें बीजिंग का दोस्त माना जाता है.

हाल के दिनों में, चीन ने चाइना एंड सेंट्रल एंड ईस्टर्न यूरोपियन कंट्रीज (CEEC) समूह को बढ़ावा दिया है, जिसे अक्सर 16+1 और 17+1 समूह के रूप में भी जाना जाता है. लेकिन पहले यह समूह लुथिआनिया के मुद्दे पर और अब यूक्रेन युद्ध के मसले पर बेमतलब साबित हुआ है, ज़ाहिर है कि यूक्रेन के मुद्दे पर चीन की पॉलिसी ने विशेष रूप से पूर्वी यूरोप में काफ़ी बेचैनी पैदा की है.

इस सब के बीच में यूरोप के लिए बड़ा मुद्दा यह है कि क्या उसने यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका के बहुत नज़दीक आकर अपनी कुछ रणनीतिक स्वायत्तता खो दी है. कुछ यूरोपियन गलियारों में इसको लेकर चिंता जताई जा रही है कि ग्रुप बनाने से कुछ ज़रूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया दिख सकती हैं और नतीज़तन चीन में यूरोपीय संघ के हित प्रभावित हो सकते हैं. लेकिन दूसरी ओर यह भी एक सच्चाई है कि यूरोपियन यूनियन और अमेरिका ने अपने मतभेदों को अलग रख कर कड़ी मेहनत की है और एकजुट होकर यूक्रेन की सहायता के लिए कार्य किया है. ऐसे में जबकि फिर से मज़बूत और एकीकृत हुआ NATO सुरक्षा मोर्चे पर सामना कर रहा है, नई यूएस-ईयू ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने, उभरती प्रौद्योगिकियों पर सहयोग, लचीली सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देने के लिए एक नया फ्रेमवर्क बनाने की मांग कर रही है, साथ ही निर्यात पर नियंत्रण एवं निवेश की जांच-पड़ताल के माध्यम से उनकी सुरक्षा बढ़ाने में जुटी हुई है.

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Manoj Joshi

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Manoj Joshi is a Distinguished Fellow at the ORF. He has been a journalist specialising on national and international politics and is a commentator and ...

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