Author : Shairee Malhotra

Published on Oct 31, 2023 Updated 0 Hours ago

चूंकि 2024 में अमेरिका और यूरोपीय संघ दोनों जगह चुनाव होने हैं. ऐसे में नेतृत्व में संभावित बदलाव से पहले रिश्तों को स्थिर करने और लंबे समय से चले आ रहे तनावों को दूर करने की अहमियत बनी हुई है.

यूरोपीय संघ और अमेरिका का शिखर सम्मेलन: जहां व्यापार, भू-राजनीति से ज़्यादा उलझा हुआ है

20 अक्टूबर को यूरोपीय संघ और अमेरिका के शिखर सम्मेलन के लिए यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स माइकल, वाशिंगटन  में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से मिले थे.

इससे पहले का EU-अमेरिका शिखर सम्मेलन जून 2021 में हुआ था, उस वक़्त सबसे ज़्यादा ज़ोर अमेरिका और यूरोपीय संघ की साझेदारी को मज़बूत करने पर दिया गया था, क्योंकि ट्रंप प्रशासन के दौरान रिश्तों में बहुत उथल-पुथल देखने को मिली थी. उसके बाद से यूक्रेन के संघर्ष ने अटलांटिक के आर-पार के गठबंधन को नई मज़बूती दी है. दोनों पक्ष, आपसी तालमेल के साथ प्रतिबंधों, हथियारों की आपूर्ति और दूसरे क़दमों से रूस के आक्रमण का मुक़ाबला कर रहे हैं. इस साल का शिखर सम्मेलन बुनियादी तौर प पूरी तरह से बदले हुए वैश्विक परिदृश्य में हुआ, जब दुनिया दो घातक संघर्षों का सामना कर रही है. ऐसे में ये मौक़ा EU और अमेरिका की एकजुटता दिखाने का था.

इस साल का शिखर सम्मेलन बुनियादी तौर प पूरी तरह से बदले हुए वैश्विक परिदृश्य में हुआ, जब दुनिया दो घातक संघर्षों का सामना कर रही है. ऐसे में ये मौक़ा EU और अमेरिका की एकजुटता दिखाने का था.

भूराजनीति के मोर्चे पर एकजुट

निश्चित रूप से दोनों पक्ष आज के दौर के प्रमुख भू-राजनीतिक मसलों को लेकर एकजुट मोर्चेबंदी पेश करने में सफल रहे. आठ पन्नों के व्यापक साझा बयान में, ‘यूक्रेन को दूरगामी राजनीतिक, वित्तीय, मानवीय और सैन्य मदद देने का अटल वादा’ करने के साथ साथ, नैटो को केंद्र में रखकर ‘यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच सहयोग बढ़ाने और सुरक्षा एवं रक्षा के मामले में संवाद को गहरा करने’ का वादा किया गया. बयान में पश्चिमी एशिया में बढ़ती हिंसा के बीच इज़राइल के आत्मरक्षा के अधिकार पर भी मुहर लगाई गई.

चीन के मामले में साझा बयान में पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर, ताइवान जलसंधि और तिब्बत व शिनजियांग  में मानव अधिकारों की स्थिति को लेकर चिंता जताते हुए, ‘सकारात्मक और स्थिर संबंध’ कायम करने पर ज़ोर दिया गया. बयान में अहम चीज़ों को लेकर निर्भरता कम करने और आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने पर सहमति जताई गई.

फिर भी जहां साझा बयान में भू-राजनीतिक मसलों पर व्यापक सहमति दिखाई दी. वहीं, आर्थिक सहयोग को लेकर जारी बयान में इस बात की कमी दिखी. इस पर हैरानी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि, व्यापार नीतियों पर तालमेल बिठाना यूरोपीय संघ और अमेरिका के रिश्तों की एक प्रमुख बाधा बन चुका है.

विवाद के आर्थिक मुद्दे

दुनिया भर में स्टील और एल्युमिनियम उद्योग कुल मिलाकर कुल कार्बन उत्सर्जन के दसवें हिस्से के लिए ज़िम्मेदार हैं. यूरोपीय संघ और अमेरिका के व्यापारिक संबंध, 2018 से ही चले आ रहे व्यापारिक विवाद में अटके हुए हैं, जब ट्रंप प्रशासन ने यूरोपीय संघ से स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर व्यापार कर लगाया था. वैसे तो बाइडेन प्रशासन ने ये टैक्स दो साल के लिए निलंबित कर दिए थे. लेकिन, इनको दोबारा लागू करने से रोकने के लिए 31 अक्टूबर की समयसीमा तय की गई थी. हालांकि, शिखर सम्मेलन के दौरान इस पर समझौता नहीं हो सका. इसकी बड़ी वजह, क्षमता से अधिक उत्पादन और स्वच्छ स्टील को बढ़ावा देने के लिए चीन जैसे ग़ैर बाज़ारी अर्थव्यवस्थाओं पर व्यापार कर लगाने संबंधी विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का पालन करने से जुड़ी चिंताओं को लेकर यूरोपीय संघ की तरफ़ से अनिच्छा ज़ाहिर करना रही.

इस मुद्दे पर कोई ठोस प्रगति न होने की वजह से साझा बयान में सिर्फ़, ‘ग़ैर बाज़ारी बहुतायत क्षमता के स्रोत की पहचान करने’ और ‘स्टील व एल्युमिनियम उद्योग से कार्बन उत्सर्जन को कम करने के संसाधनों को लेकर समझ बढ़ाने’ को लेकर प्रगति को ही दोहराया गया. इस मामले में ये शिखर सम्मेलन, हाथ में आया मौक़ा गंवाने वाला रहा. क्योंकि, 2024 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में इस बात की उम्मीद कम ही है कि जो बाइडेन, ओहायो और पेंसिल्वेनिया जैसे स्टील बनाने वाले अहम स्विंग राज्यों को नाराज़ करने का जोखिम लेंगे. इसके अलावा, यूरोपीय संघ और अमेरिका, चीन से पैदा होने वाले ख़तरों को लेकर सहमत ज़रूर हैं. लेकिन, वो चीन से निपटने के तौर-तरीक़ों को लेकर हमेशा एक जैसा नज़रिया नहीं रखते हैं. यूरोपीय संघ (EU) चूंकि अभी भी चीन पर आर्थिक रूप से बहुत निर्भर है, इसलिए वो चीन पर खुलकर निशाना साधने को लेकर हिचकता रहा है.

यूरोपीय संघ (EU) चूंकि अभी भी चीन पर आर्थिक रूप से बहुत निर्भर है, इसलिए वो चीन पर खुलकर निशाना साधने को लेकर हिचकता रहा है.

एक और मसला जिसके समाधान का इंतज़ार है, वो अहम खनिजों से जुड़ा है, जिससे यूरोपीय संघ को बाइडेन के 370 अरब डॉलर वाले महंगाई घटाने के क़ानून (IRA) के तहत राहत मिलेगी. IRA का मक़सद, हरित ऊर्जा को अपनाने के लिए अमेरिकी कंपनियों को सब्सिडी देना है. लेकिन, यूरोपीय कंपनियों को आशंका है कि ये सब्सिडी अमेरिका के कारोबारियों को तो मदद करेगी, मगर इलेक्ट्रिक वाहन बेचने वाले यूरोप के कार निर्माताओं पर भी असर डालेगी. EU में निकाले गए या प्रसंस्कृत क्रिटिकल मिनरल्स को लेकर समझौते का मक़सद, IRA के तहत यूरोप की कार कंपनियों को क्लीन व्हीकल क्रेडिट देना और दोनों ओर की कंपनियों को मुक़ाबले का बराबर अवसर देना है.

व्यापार नीति में तालमेल बिठाना

ये कोई छुपी हुई बात नहीं है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ के रिश्ते आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्र में अपनी संभावनाओं पर पूरी तरह खरे नहीं उतर सके हैं.

आर्थिक सुरक्षा को मज़बूती देने के लिए ‘समान विचारधारा वाले’ देशों के साथ आर्थिक रिश्तों को विस्तार देने की होड़ लगाने के बावजूद, यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच प्रस्तावित, ट्रांस अटलांटिक, ट्रेड ऐंड इन्वेस्टमेंट पार्टनरशिप (TTIP) समझौता, 2013 से 2016 के दौरान चली लंबी बातचीत के बाद भी नाकाम रहा था. इस वक़्त दोनों पक्षों की तरफ़ से व्यापार में बाधाएं खड़ी किए जाने की वजह से इस समझौते को दोबारा ज़िंदा करने की संभावनाएं कम ही हैं. ये बात उस वक़्त ज़ाहिर हो गई थी, जब जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के व्यापार समझौते को लेकर बातचीत दोबारा शुरू करने के प्रस्ताव का यूरोपीय संघ की तरफ से कड़ा विरोध किया गया था.

अमेरिका और यूरोपीय संघ मिलाकर 80 करोड़ नागरिकों और 7.1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के प्रतिनिधि हैं. दुनिया में लगातार बढ़ रही उथल-पुथल ने साफ़ तौर पर दिखाया है कि भू-राजनीति को अर्थशास्त्र से अलग कर पाना असंभव है.

आने वाले दिसंबर में अमेरिका-EU के बीच ट्रेड ऐंड टेक्नोलॉजी की बैठक होने वाली है. इस व्यवस्था का मक़सद व्यापार और तकनीक के आपसी विवादों को निपटाना है. ऐसे में ये देखना होगा कि क्या दोनों पक्ष इन असहमतियों को दूर करने में कोई बड़ी कामयाबी हासिल कर पाते हैं. पर चूंकि 2024 में यूरोपीय संघ और अमेरिका दोनों जगह चुनाव होने हैं, ऐसे में नेतृत्व में किसी संभावित बदलाव से पहले आपसी रिश्तों को स्थिर करने और मौजूदा तनावों को दूर करना अहम है.

अमेरिका और यूरोपीय संघ मिलाकर 80 करोड़ नागरिकों और 7.1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के प्रतिनिधि हैं. दुनिया में लगातार बढ़ रही उथल-पुथल ने साफ़ तौर पर दिखाया है कि भू-राजनीति को अर्थशास्त्र से अलग कर पाना असंभव है. ऐसे में यूरोपीय संघ और अमेरिका के लिए उपयोगी होगा कि वो अपने आर्थिक संबंधों में गहराई लाने के लिए विवाद के लिए लगातार विवाद पैदा करने वाले मुद्दों का निपटारा करें.

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