ग्लोबल क्लाइमेट टेक स्टार्टअप्स में वेंचर इन्वेस्टमेंट यानी इक्विटी के बदले पूंजी के निवेश से संबंधित मामलों में तेज़ी से इज़ाफ़ा हो रहा है. दुनिया भर में जनवरी 2023 तक 83 क्लाइमेट टेक यूनिकॉर्न्स थे, जिनका कुल मिलाकर मूल्य 180 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. अमेरिकी मार्केट ने वर्ष 2022 में जलवायु से संबंधित तकनीक़ी कंपनियों में 87 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था, वहीं चीनी बाज़ार ने 48 बिलियन अमेरिकी डॉलर और भारत ने 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था. ख़ास बात यह है कि वर्ष 2022 में 3,300 डील संपन्न हुईं और इन समझौतों में सबसे प्रमुख सेक्टर, जिनमें सबसे ज़्यादा पूंजी जुटाई गई थी, वे ऊर्जा भंडारण, नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा वितरण और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी सेक्टर थे. इसके अतिरिक्त, वर्ष 2022 में भारत में वेंचर कैपिटल (VC) फंडिंग में ज़बरदस्त बढ़ोतरी दर्ज़ की गई. इससे यह साबित होता है कि भारतीय नियामकों, नीति निर्माताओं, कॉर्पोरेट्स और निवेशकों को लगता है कि घरेलू एवं वैश्विक क्लाइमेट टेक स्टार्टअप्स में वेंचर इन्वेस्टमेंट के लिहाज़ से भारत नेतृत्वकारी भूमिका निभाने की काबिलियत रखता है.
वर्ष 2022 में 3,300 डील संपन्न हुईं और इन समझौतों में सबसे प्रमुख सेक्टर, जिनमें सबसे ज़्यादा पूंजी जुटाई गई थी, वे ऊर्जा भंडारण, नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा वितरण और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी सेक्टर थे.
2 . ब्लूमवेंचर्सकाक्लाइमेटटेकशोधपत्र
हमारे क्लाइमेट टेक निवेश पोर्टफोलियो को बनाने की हमारी पूरी यात्रा का विवरण नीचे दिया गया है:
ब्लूम वेंचर्स ने वर्ष 2011-13 के दौरान अपने पहले फंड की शुरुआत में कार्बन उत्सर्जन कम करने एवं नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अपना निवेश शुरू किया था. पिछले दशक में, हमने ऊर्जा क्षमता बढ़ाने वाली प्रौद्योगिकियों और सर्कुलर प्लेटफार्मों में भी निवेश किया है. वर्ष 2018 में जब हमने अपना तीसरा फंड लॉन्च किया, तो हमने इलेक्ट्रिक वाहन (EV) सेक्टर के बारे में गहनता से सोचना शुरू किया. इलेक्ट्रिक वाहन सेक्टर की जिस बात ने हमें अत्यधिक उत्साहित किया, वह यह थी कि यह सेक्टर आने वाले दिनों में न केवल पूरी ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में उथल-पुथल मचाने की क्षमता रखता है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने एवं नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन की दिशा में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है. यही वो प्रेरणा थी, जिसने हमें कई ऐसी EV कंपनियों में निवेश करने के लिए प्रेरित किया, जो कहीं न कहीं अत्याधुनिक टेक्नोलॉजियों को बढ़ावा देने में जुटी हुई हैं. पिछले 5 से अधिक वर्षों में हमने युलु, यूलर मोटर्स, बैटरी स्मार्ट, इलेक्ट्रिक और वेकमोकॉन जैसी 5 EV कंपनियों में निवेश किया है.
वर्ष 2021 की शुरुआत से ही दोपहिया (2W) वाहनों के लिए मूल उपकरण बनाने वाली (OEM) कई कंपनियों यानी कि ऐसी कंपनियां जिनके उपकरणों का उपयोग अन्य कंपनी द्वारा अपने उत्पादों के निर्माण में किया जाता है, द्वारा हमसे संपर्क किया गया था और अपनी कार्यप्रणाली एवं प्रोडक्ट्स के बारे में जानकारी दी गई थी. ऐसी 50 से अधिक कंपनियों का मूल्यांकन करने के बाद हमने विचार किया कि मार्केट में इन कंपनियों के प्रसार के पीछे की वजह का पता लगाया जाए. जब हमने इसकी जानकारी एकत्र की तो इन कंपनियों में कुछ समानताएं दिखाई दीं:
इन कंपनियों ने एक उच्च गुणवत्ता वाले बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (BMS) विकसित करने का दावा किया था;
ये सभी कंपनियां 10 से 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने की कोशिश कर रही थीं;
ये सभी कंपनियां प्री-प्रोडक्शन कार्यों से संबंधित थीं, यानी प्लानिंग और डिजाइनिंग जैसे कार्यों में संलग्न थीं और इसलिए इनका बिजनेस से कोई ख़ास लेना-देना नहीं था, यानी ये कंपनियां प्री-कॉमर्शिलाइजेशन स्टेज की थीं.
टू व्हीलर के लिए मूल उपकरण बनाने वाली कंपनी (2W-OEM) के सहयोग करने को लेकर पहले हम बहुत दुविधा में थे. यह दुविधा इसलिए नहीं थी कि ये कंपनियां इस सेक्टर में पहले से मौज़ूद कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगी, बल्कि ये दुविधा इसलिए थी, क्योंकि 2W-OEM कंपनी खड़ी करना कोई बड़ी बात नहीं थी और ऐसा करने में कोई ख़ास अड़चन का सामना नहीं करना पड़ता था. इसके अतिरिक्त, जब हमने ऐसी 2W-OEM कंपनियों की आपूर्ति से संबंधित गतिविधियों पर गहनता के साथ ध्यान दिया, तो हमें इस बात का अनुभव हुआ कि मार्केट में गुणवत्तापूर्ण EV उपकरणों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों की संख्या बेहद कम थी. इतना ही नहीं सरकार द्वारा देश में निर्मित उपकरणों के उपयोग के लिए शासनादेश जारी किया गया है और कई नियम भी बनाए गए हैं. इसका अर्थ यह है अगर इन 2W-OEM कंपनियों को FAME II सब्सिडी का फायदा उठाना है, तो आयात करने के बजाए, स्थानीय स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाले घटकों के इस्तेमाल से ही मैन्युफैक्चरिंग करनी होगी. यह देखा जाए तो दोहरी परेशानी थी, यानी एक तरफ बड़ी संख्या में बेहतर क्वालिटी के कंपोनेंट उपलब्ध थे और दूसरी तरफ स्थानीय स्तर पर कंपोनेंट उपलब्ध थे.
जब हमने ऐसी 2W-OEM कंपनियों की आपूर्ति से संबंधित गतिविधियों पर गहनता के साथ ध्यान दिया, तो हमें इस बात का अनुभव हुआ कि मार्केट में गुणवत्तापूर्ण EV उपकरणों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों की संख्या बेहद कम थी.
जहां तक मांग पक्ष की बात है, तो वहां भी हालात कोई बहुत अच्छे नहीं दिखाई दे रहे थे. मार्केट में 2W EV ब्रांड एक के बाद एक बड़ी संख्या में उतर रहे थे, यानी कि उपभोक्ताओं के लिए बाज़ार में दोपहिया इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के तमाम विकल्प मौज़ूद थे. ऐसे में ज़ाहिर तौर पर 2W-OEM कंपनियों के समक्ष यह मज़बूरी थी कि वे अपने उत्पादों की क़ीमत अधिक नहीं रख सकती थीं और इस प्रकार से वे अधिक मुनाफ़ा नहीं कमा सकती थीं. इस वजह से आपूर्ति और मांग दोनों पक्षों पर ही 2W-OEM ब्रांड का मुनाफ़ा बहुत कम था और नतीज़तन इस बिजनेस मॉडल में किसी भी लिहाज़ से फायदा नज़र नहीं आ रहा था. ऐसे में हम इस नतीज़े पर पहुंचे कि यह एक ऐसा बिजनेस है, जो कि हमारे वेंचर कैपिटल के फ्रेमवर्क के मुताबिक़ नहीं है और इसीलिए हमने 2W-OEMs के समूचे सेक्टर में निवेश नहीं करने का फैसला लिया.
लेकिन संयोग की बात यह है कि उसी दौरान हमारा संपर्क वेकमोकॉन (VECtor, MOtion, CONtroller का संक्षिप्त नाम) नाम की कंपनी के साथ हुआ, जो कि 2W-OEM वैल्यू चेन में शीर्ष स्तर पर स्थापित कंपनी थी. वेकमोकॉन कंपनी अच्छी गुणवत्ता वाले कंपोनेंट्स को डिजाइन कर रही थी और उनका निर्माण कर रही थी, साथ ही इन घटकों को OEMs को सप्लाई कर रही थी. इलेक्ट्रिक व्हीकल के इतना लोकप्रिय होने से काफ़ी पहले से ही वर्ष 2015 से वेकमोकॉन में पीयूष असाती, आदर्शकुमार बालारमन और शिवम वानखेड़े के नेतृत्व वाली टीम इस मॉडल पर काम कर रही है. वे तमाम OEMs को विभिन्न कंपोनेंट्स की आपूर्ति कर रहे थे और उनके पास बड़ी संख्या में कंपोनेट्स की सप्लाई के लिए ऑर्डर थे, साथ ही उनकी कंपनी मुनाफ़े में भी थी. कहने का मतलब यह है कि उनमें संभावित रूप से भारत में जो 200 से अधिक दोपहिया इलेक्ट्रिक व्हीकल के ब्रांड तेज़ी से उभर रहे थे, उन्हें कंपोनेंट्स आपूर्ति करने की क्षमता थी और वे इसे एक व्यापक व टिकाऊ बिजनेस बना सकते थे. इन सारी चीज़ों का अवलोकन करने के बाद हमें यह पूरा भरोसा हो गया कि यह बिजनेस वेंचर कैपिटल निवेश के लिए मुफ़ीद है और इसमें कोई दिक़्क़त नहीं है. इसके बाद, हमने टाइगर ग्लोबल (Tiger Global) के साथ मिलकर वेकमोकॉन में 5.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया.
हमें लगता है कि भविष्य में वेकमोकॉन इलेक्ट्रिक वाहनों के तमाम सेगमेंट्स, जैसे की 2W, 3W, 4W और बसों के लिए अत्याधुनिक और नेक्स्ट जनरेशन कंपोनेंट्स का निर्माण कर सकती है. सहायक कंपोनेंट्स की इंडस्ट्री बहुत बड़ी है (भारत और वैश्विक स्तर पर) और जिस तरह से इलेक्ट्रिक व्हीकल का सेक्टर तीव्र गति से प्रगति कर रहा है, उससे हमें यह उम्मीद है कि आने वाले दिनों में वेकमोकॉन अपने उत्पादों के बल पर न केवल इस उद्योग में क्रांति ला सकती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर अग्रणी कंपनी भी बन सकती है. यही कारण है कि वेकमोकॉन कंपनी में निवेश के पश्चात न सिर्फ़ हमने इलेक्ट्रिक व्हीकल की संपूर्ण वैल्यू चेन पर गंभीरता से नज़र डाली, बल्कि इसने हमें EV सेक्टर की तमाम दूसरी तकनीक़ों का भी सहयोग करने और उन्हें प्रोत्साहित करने का साहसिक फैसला लेने के लिए भी प्रेरित किया.
हमें यह उम्मीद है कि आने वाले दिनों में वेकमोकॉन अपने उत्पादों के बल पर न केवल इस उद्योग में क्रांति ला सकती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर अग्रणी कंपनी भी बन सकती है.
वर्तमान समय की बात की जाए तो हमारे EV निवेश पोर्टफोलियो में यूलर मोटर्स (Euler Motors) भी शामिल है. यूलर मोटर्स कंपनी हल्के वाणिज्यिक इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण करती है, यानी ऐसे वाहनों का निर्माण करती है, जो किसी शहर के भीतर एक सीमित क्षेत्र में माल ढुलाई का काम करते हैं, जैसे कि इन हल्के ईवी का उपयोग ई-कॉमर्स या किसी दूसरी चीज़ों की सप्लाई में किया जाता है. इसके अलावा हमने इलेक्ट्रिक पे (Electric Pe) कंपनी में भी निवेश किया है. यह एक EV चार्जिंग प्लेटफॉर्म है, जिसकी हज़ारों की संख्या में स्वतंत्र चार्ज पॉइंट ऑपरेटरों के साथ साझेदारी है. हमने युलु (Yulu) में भी निवेश किया है. युलु कंपनी भारत के बड़े शहरों में डॉकलेस बाइक और इलेक्ट्रिक स्कूटर सर्विस उपलब्ध कराती है. इसके साथ ही हमने बैटरी स्मार्ट (Battery Smart) कंपनी में पैसा लगाया है. यह कंपनी बैटरी की अदला-बदली करने वाले स्टेशनों यानी बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों का एक नेटवर्क है, जो इलेक्ट्रिक तिपहिया रिक्शा चालकों को 2 मिनट के भीतर बैटरी बदल कर देती है.
3.प्रमुखकिरदारोंकेलिएसिफ़ारिशें
भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री इसलिए तेज़ी के साथ फलफूल रही है, क्योंकि भारत में ऐसी नीतियां और नियम-क़ानून बनाए गए हैं, जो EVs और स्वच्छ ऊर्जा समाधान अपनाने को प्रोत्साहित करने वाले हैं. इस पूरे परिदृश्य का वर्णन EV सेक्टर में “पॉलिसी-लेड-ग्रोथ” (PLG) यानी नीति आधारित विकास के तौर पर किया जा सकता है. हालांकि, पर्याप्त मात्रा में वित्त पोषण नहीं होना, भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल एवं दूसरे क्लीन एनर्जी सॉल्यूशन्स को व्यापक स्तर पर अपनाने में एक सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है. ज़ाहिर है कि EV और स्वच्छ ऊर्जा के ये जितने भी विकल्प हैं, वे कहीं न कहीं नए हैं और तुलनात्मक रूप से हार्डवेयर हैवी होने के साथ-साथ इनमें अधिक पूंजी ख़र्च करने की ज़रूरत होती है. इन्हीं वजहों से इन समाधानों के बारे में आंकलन करना एवं भविष्य में इनसे होने वाले लाभ-हानि के बारे पता लगाना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है. ऐसे में सरकारी बॉन्ड के ज़रिए और प्राइवेट बैंकों के प्राथमिकता वाले ऋणों में इसे शामिल करके एवं मिश्रित फाइनेंस उपकरणों के माध्यम से EV एवं स्वच्छ एनर्जी साधनों को अपनाने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जा सकता है.
इसके अतिरिक्त, EV के उपयोग को लेकर लोगों में जागरूकता लाना भी बेहद अहम है और इसके लिए सरकार को पुरज़ोर कोशिश करनी चाहिए. जिस प्रकार से हाल के वर्षों में सरकार की ओर से “म्यूचुअल फंड सही है” अभियान चला गया है और इसके माध्यम से देशवासियों को नए एवं तेज़ी से बढ़ते मार्केट में निवेश करने के फायदों (और जोख़िमों) के बारे में जानकारी दी गई है, उसी प्रकार से सरकार द्वारा EVs एवं स्वच्छ ऊर्जा के प्रति जागरूकता लाने के लिए भी अभियान चलाया जा सकता है. जितना अधिक EVs एवं स्वच्छ ऊर्जा साधनों को अपनाया जाएगा, ज़ाहिर है कि उतना ही अधिक इस उद्योग का विस्तार होगा. वर्तमान में भारत में EV उद्योग अपनी शुरुआती अवस्था में हैं और निसंदेह तौर पर कई मुश्किलों से जूझ रहा है, ज़ाहिर है कि इससे निजात दिलाने के लिए ठोस प्रयास किए जाने की जरूरत है.
इस सबसे अलावा भारत को इस EV सेक्टर में अनुसंधान और विकास (R&D) से जुड़ी गतिविधियों में भी समुचति निवेश करना चाहिए. R&D गतिविधियों में यह निवेश कई तरीक़ों से किया जा सकता है, जैसे कि सरकारी अनुदान देकर, नवाचार से जुड़ी चुनौतियों को दूर करके, सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित रिसर्च लैबोरेटरीज़ की स्थापना करके, इनोवेशन पार्कों का निर्माण करके और वर्ल्ड क्लास उपकरणों एवं प्रणालियों की सुविधाएं मुहैया कराके यह निवेश किया जा सकता है. अगर इस तरह के निवेश को बढ़ावा दिया जाता है, तो निश्चित तौर पर देश में इनोवेशन से जुड़े कार्यों में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि होगी, साथ ही इस सेक्टर से जुड़े विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग को भी प्रोत्साहन मिलेगा. इसके अलावा, नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के दौरान सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान तलाशने में जनभागीदारी की भी बेहद अहम भूमिका है.
अगर इस तरह के निवेश को बढ़ावा दिया जाता है, तो निश्चित तौर पर देश में इनोवेशन से जुड़े कार्यों में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि होगी, साथ ही इस सेक्टर से जुड़े विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग को भी प्रोत्साहन मिलेगा.
संक्षेप में कहा जाए, तो नवाचार के लिए उचित इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना, नीतियों एवं वित्त पोषण के ज़रिए वर्तमान स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को प्रोत्साहित करना और आम लोगों में इनके उपयोग को लेकर जागरूकता बढ़ाना, भारत के लिए अपने नेट-ज़ीरो उत्सर्जन के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु अत्यंत ज़रूरी क़दम हैं.
4. निष्कर्ष
हम इलेक्ट्रिक व्हीकल एवं व्यापक क्लाइमेट टेक सेक्टर में अपनी मौज़ूदगी को लगातार बढ़ाने में जुटे हुए हैं और ऐसे में हम उन सभी उद्यमियों के प्रति अपना आभार जताते हैं, जो भारत के नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने एवं जलवायु अनुकूल ऊर्जा परिवर्तन में मदद करने के लिए अपनी अलग-अलग प्रौद्योगिकियों का विकास करने एवं उन्हें आगे बढ़ाने में संलग्न हैं. हालांकि, फिलहाल भारत में EV मार्केट अपने शुरुआती चरण में है, लेकिन हमारा मानना है कि धीरे-धीरे मज़बूती के साथ आगे बढ़ते हुए भारत निश्चित तौर पर आने वाले दिनों में इलेक्ट्रिक व्हीकल अपनाने के मामले में न केवल ग्लोबल लीडर बनेगा, बल्कि इस EV क्रांति में सबसे आगे और सबसे प्रमुख किरदार उद्यम-वित्त पोषित स्टार्टअप्स (venture-funded startups) होंगे.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.
Akhilesh Sati is a Programme Manager working under ORFs Energy Initiative for more than fifteen years. With Statistics as academic background his core area of ...
Vinod Kumar, Assistant Manager, Energy and Climate Change Content Development of the Energy News Monitor Energy and Climate Change.
Member of the Energy News Monitor production ...