Published on Sep 19, 2023 Updated 0 Hours ago

सैन्य-शाही लोगों के हस्तक्षेप से अगला प्रधानमंत्री बनने की पिटा लिमजारोएनराट के प्रयासों में बाधा आ रही है, जिस वजह से थाईलैंड की लोकतांत्रिक प्रगति के लिए गंभीर चुनौतियां पैदा हो रही हैं. 

थाईलैंड में प्रधानमंत्री पद को लेकर दुविधा बरकरार

थाईलैंड का शासन और स्थिरता पिछले एक महीने से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं, क्योंकि देश की राजनीतिक व्यवस्था पिछले एक महीने से निरंतर विवाद में है. 14 मई के चुनाव में मूव फॉरवर्ड पार्टी ने सैन्य-प्रभावित प्रशासन को समाप्त करने की मांग करने वाले युवा मतदाताओं के समर्थन से जीत हासिल की. हालाँकि, उनके राजनीतिक नेता पिटा लिमजारोएनराट को सैन्य और शाही वफादारों द्वारा राज्य का प्रमुख बनने से दो बार मना किया गया है, जिससे राजनीतिक अनिश्चितता और उलझन पैदा हो गई है.

देश की राजनीतिक व्यवस्था में निर्वाचित अधिकारियों और अनिर्वाचित संस्थानों, खासकर सेना और राजशाही, के बीच शक्ति का नाजुक संतुलन है.

देश की राजनीतिक व्यवस्था में निर्वाचित अधिकारियों और अनिर्वाचित संस्थानों, खासकर सेना और राजशाही, के बीच शक्ति का नाजुक संतुलन है. 1932 के बाद से थाईलैंड में 22 सैन्य हस्तक्षेप या तख्त़ापलट हुए हैं, जिनमें से 13 सफल रहे हैं. इससे शासन में काफी व्यवधान हुआ और देश का लोकतंत्र बढ़ गया. प्रत्येक तख्त़ापलट ने देश की राजनीतिक तस्वीर को बदलने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, अक्सर संविधान और शासन व्यवस्थाओं को बदलकर. 2017 में लागू हुआ वर्तमान संविधान, सेना को शक्ति देता है, जिससे गैर-निर्वाचित सीनेटर देश के भविष्य के प्रधानमंत्री को चुनने में सहायता करते हैं. नतीजतन, प्रधानमंत्री का चुनाव विवादों और जटिलताओं में घिरा हुआ है.

पिटा की अनिश्चित किस्मत 

लिबरल मूव फॉरवर्ड पार्टी को मई के चुनाव में शीर्ष स्थान हासिल करने और आठ दलों का गठबंधन बनाने के बावजूद, 500 सदस्यीय निचले सदन में 312 सीटों का बहुमत पाने के बाद भी, राज्य के नए प्रमुख के रूप में अपने उम्मीदवार को नियुक्त करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. इसके लिए निचले सदन और रूढ़िवादी 250 सदस्यीय सीनेट से बहुमत की आवश्यकता होती है.

13 जुलाई को पिटा के पहले भाषण और शुरुआती बोली में सिर्फ 13 सीनेटरों ने समर्थन दिया था, जिससे वह 50 से अधिक मतों से पीछे रह गये. उन्हें प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के लिए फिर से नामांकन करने से रोकने के लिए संसद ने मतदान किया, इसके अगले सप्ताह उन्हें दूसरा प्रयास करने से भी रोका गया. हाल के फैसले में उम्मीदवार को प्रारंभिक समर्थन के आधार पर नामित करने पर काफी ज़ोर दिया गया है, जो बाद की बातचीत के लिए बहुत कम अवसर देता है. 

3 अगस्त को, संवैधानिक न्यायालय ने घोषणा की कि पिटा को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नामित करने से रोकने के संसद के फैसले की संवैधानिकता पर सवाल उठाने वाली राज्य के लोकपाल की याचिका को स्वीकार करने पर विचार-विमर्श करने में अतिरिक्त समय लगेगा.

इसके अलावा, यह इस बात की ओर भी इशारा करता है कि उदार विचारधारा रखने वाले उम्मीदवारों को राजनीतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण पदों को हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. पिछले सैन्य प्रशासन द्वारा नियुक्त सीनेटरों की एक बड़ी संख्या ने, थाई आपराधिक संहिता की विवादास्पद धारा 112, जिसे लेसे- मैजेस्टे भी कहा जाता है और जो राजशाही की मानहानि के लिए, एक गंभीर दंडस्वरूप व्यवस्था है, उसमें संशोधन किये जाने पर पिटा के रुख़ के बारे में अपनी आपत्ति व्यक्त की है, और एक राजनीतिक उपकरण के रूप में इसके कथित दुरुपयोग के लिए भी इसकी व्यापक रूप से आलोचना की गई है. 

3 अगस्त को, संवैधानिक न्यायालय ने घोषणा की कि पिटा को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नामित करने से रोकने के संसद के फैसले की संवैधानिकता पर सवाल उठाने वाली राज्य के लोकपाल की याचिका को स्वीकार करने पर विचार-विमर्श करने में अतिरिक्त समय लगेगा. संसद की एक संयुक्त बैठक 18 या 19 अगस्त को यह तय करने के लिए निर्धारित की गई है कि क्या प्रधानमंत्री पद के लिए मूव फॉरवर्ड नेता के पुनः नामांकन के संबंध में याचिका पर विचार किया जाए या चयन प्रक्रिया को निलंबित किया जाए. 

अदालत के फैसले के बावजूद, पिटा लिमजारोएनराट के फिर से प्रधानमंत्री पद के लिए नामित होने की काफी क्षीण संभावना दिखाई पड़ रही है. मूव फॉरवर्ड पार्टी को कई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसे उसके समर्थक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए इस्तेमाल की जा रही रणनीति के रूप में देखते हैं. इनमें से एक मामले में पिटा पर पद के लिए चुनाव लड़ते समय कथित रूप से एक मीडिया कंपनी में शेयर रखकर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है. इन कानूनी मुद्दों के कारण, उन्हें अपने दूसरे नामांकन पर बहस के दौरान संसद से निलंबित कर दिया गया था. 

नए गठबंधन का गठन 

फीउ थाई पार्टी, आठ दलों के गठबंधन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी, ने मूव फॉरवर्ड पार्टी के बिना आगे बढ़ने का निर्णय लिया है क्योंकि पार्टी के सामने बढ़ते चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. यह निर्णय मुख्य रूप से शाही मानहानि से संबंधित कानून में सुधार की वकालत से हुआ है, जिससे अन्य दलों और सीनेट से पर्याप्त समर्थन मिलना मुश्किल हो गया. 7 अगस्त को हुए चुनाव से पहले, फीउ थाई पार्टी ने तीसरी सबसे बड़ी पार्टी भूमजाइथाई के साथ गठबंधन करके 212 सीटों प्राप्त किए, लेकिन फिर भी नई सरकार बनाने के लिए आवश्यक 162 वोटों से पीछे रह गई. इस तरह, सेना और सीनेट के सदस्यों के साथ अपने विचारों को एकजुट करने से थाईलैंड की सरकार को एक नया नेतृत्व देने में मदद मिल सकती है.

वर्तमान में जारी राजनीतिक दुविधा थाईलैंड में लोकतांत्रिक संस्थानों को और भी मजबूत करने और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए व्यापक सुधारों और समावेशी संवाद की आवश्यकता को रेखांकित करती है.

फेउ थाई, रियल एस्टेट टाइकून श्रेथा थाविसिन को अपने उम्मीदवार के रूप में नामित करने का इरादा रखता है, जो व्यापारिक समुदाय से अपील करने और उन्हें मध्यम उदार सिद्धांतों के प्रतिनिधि के रूप में चित्रित करने के उनके प्रयास को दर्शाता है. स्रेथा आर्थिक और सामाजिक असमानता को संबोधित करने के महत्व पर जोर देते हैं क्योंकि ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर तत्काल ध्यान दिए जाने और समाधान की आवश्यकता है. उनके पास शासन में बेशकीमती अनुभव, एक व्यापक दृष्टि और उत्कृष्ट संचार कौशल है जो युवा जनसांख्यिकी सहित जनता के साथ अच्छी तरह से तारतम्य स्थापित करता है. बहुसंख्यक दलों के बीच स्पष्ट समझ के बिना नए गठबंधन बनाने का निर्णय पार्टी की गतिशीलता को और जटिल बनाता है, क्योंकि मूव फॉरवर्ड पार्टी की 151 सीटें गंवाने से गठबंधन सरकार बनाने के लिए फीउ थाई के विकल्प सीमित हो सकते हैं. यह फीउ थाई को एक जटिल और अनिश्चित स्थिति में छोड़ देता है, हालांकि वे अभी भी आशान्वित हैं. 

इसके अलावा, फीउ थाई पार्टी को उनके जेहन में पहले से ही स्थित, अन्य दो उम्मीदवारों के बारे में भी सतर्क रहने की आवश्यकता है – पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनवात्रा की बेटी पेटोंगटार्न शिनवात्रा, जिन्हें 2006 के सैन्य तख्त़ापलट से बेदखल कर दिया गया था; और पार्टी के मुख्य रणनीतिकार चैकासेम नित्सिरी-यदि श्रेथा थाविसिन का उनका पहला विकल्प अप्रभावी हो जाता है. थाईलैंड में थाकसिन की अगस्त या सितंबर में नियोजित वापसी के साथ पार्टी का जुड़ाव राजनीतिक पटल को और अधिक प्रभावित कर सकता है. 

निष्कर्ष

वर्तमान में जारी राजनीतिक दुविधा थाईलैंड में लोकतांत्रिक संस्थानों को और भी मजबूत करने और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए व्यापक सुधारों और समावेशी संवाद की आवश्यकता को रेखांकित करती है. वर्तमान में, ये महत्वपूर्ण तत्व नदारद हैं. तख्त़ापलट के चक्र से मुक्त होने और एक स्थिर लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए दूरदर्शी नेतृत्व और लोकतांत्रिक मूल्यों और कानून के शासन के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है. पिटा का न चुना जाना, देश में चली आ रही राजनीतिक बाधाओं का एक वसीयतनामा है. 

अपने इतिहास के इस संवेदनशील मोड़ पर, थाईलैंड में सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करने, राजनीतिक मतभेदों को दूर करने और लोकतांत्रिक संस्थानों को सशक्त बनाने के वास्तविक प्रयासों के साथ एक अधिक मजबूत और स्थिर राष्ट्र के रूप में उभरने की क्षमता है. हालांकि, सैन्य-शाही राजनीतिक वातावरण में प्रभाव और प्रभुत्व का प्रयोग करना जारी रख सकते हैं, जो स्थायी स्थिरता और लोकतांत्रिक प्रगति प्राप्त करने के लिए गंभीर चुनौतियां पेश कर सकते हैं. 

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