1 जुलाई 2019 को हैदराबाद के राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ने डिजी यात्रा (DY) के तत्वावधान में फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम का ट्रायल शुरू किया. डिजी यात्रा एक केंद्रीय योजना जिसका वादा है कि “लोगों की यात्रा के हर बिंदु पर बिना किसी दिक़्क़त के, काग़ज़ रहित सेवा का अनुभव” मिलेगा. हैदराबाद के बाद बेंगलुरु, कोलकाता, वाराणसी, पुणे और विजयवाड़ा को 2019 में इस सेवा को लागू करना था लेकिन कुछ देरी के साथ डिजी यात्रा घरेलू उड़ान के लिए दिल्ली, बेंगलुरु और वाराणसी में अंतत: दिसंबर 2022 में शुरू हुई.
भारत विश्व में सबसे तेज़ गति से बढ़ते नागरिक उड्डयन बाज़ार के तौर पर उभरा है और उम्मीद जताई जा रही है कि 2024 तक यूनाइटेड किंगडम (UK) को पीछे छोड़कर भारत वैश्विक स्तर पर हवाई यात्रियों का तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार बन जाएगा. वित्तीय वर्ष 2019 में भारत में हवाई यात्रियों की संख्या लगभग 34.5 करोड़ रही. हालांकि उसके बाद के वर्षों में कोविड से जुड़ी पाबंदियों के कारण यात्रियों की संख्या में तेज़ गिरावट दर्ज की गई लेकिन ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि भारत 2023 तक कोविड से पहले की यात्रियों की संख्या के स्तर को छू लेगा. यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी ने भारत के बड़े हवाई अड्डों पर दबाव बढ़ा दिया है. केवल मुंबई और दिल्ली हवाई अड्डे यात्रियों की कुल संख्या का लगभग एक-तिहाई बोझ ढोते हैं. हवाई अड्डों पर ज़रूरत से ज़्यादा बोझ होने के तथ्य की गवाही वहां अक्सर मौजूद लंबी कतार और उड़ानों में देरी देती हैं. दिसंबर 2022 में दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 3 पर ऐसी ही लंबी-लंबी कतार देखी गई.
यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी ने भारत के बड़े हवाई अड्डों पर दबाव बढ़ा दिया है. केवल मुंबई और दिल्ली हवाई अड्डे यात्रियों की कुल संख्या का लगभग एक-तिहाई बोझ ढोते हैं.
चित्र: दिल्ली हवाई अड्डे के टर्मिनल 3 पर सुरक्षा जांच की कतार (स्रोत: इंडिया टुडे)
भारत के हवाई यात्रियों के लिए डिजी यात्रा के प्लैटफॉर्म का आकर्षण निर्विवाद है क्योंकि अलग-अलग चेक प्वाइंट पर लगातार अपने दस्तावेज़ प्रस्तुत करने और लंबी लाइन में खड़े होने के बदले डिजी यात्रा की आईडी के लिए रजिस्टर कराके आप तुरंत हवाई जहाज़ में सवार हो सकते हैं.
साजो-सामान से जुड़ी चुनौतियां तक़नीक पर आधारित समाधान के लिए दलील की बुनियाद बनती हैं. डिजी यात्रा के तहत सेवाओं का उद्देश्य हवाई अड्डों को भविष्य के लिए तैयार करना, मैनुअल प्रक्रियाओं को डिजिटाइज़ करना, यात्रियों के आने-जाने को आसान बनाना और सुरक्षा चेक प्वाइंट की वजह से आई रुकावट को हटाना है.
अच्छा, बुरा और बेकार
चित्र: डिजी यात्रा नीति, 2018 के तहत डिजी यात्रा की धारणा
डिजी यात्रा की धारण पूरी तरह सीधी है. यूज़र DY आईडी के लिए डिजी यात्रा ऐप के ज़रिए रजिस्टर करा सकता है या हवाई अड्डे पर मौजूद कियोस्क जाकर रजिस्टर करा सकता है. आईडी जेनरेट करने के लिए यूज़र को आधार का इस्तेमाल करके अपनी सारी जानकारी सत्यापित करने की ज़रूरत होगी और अपनी एक तस्वीर ख़ुद अपलोड करनी होगी. इसके बाद यूज़र को अपनी एयरलाइंस के बोर्डिंग पास को अपनी DY आईडी के साथ जोड़ना होगा. इसके बाद वो हवाई अड्डे में प्रवेश कर सकता है और फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी (FRT) का इस्तेमाल करके निर्धारित गेट से गुज़रकर सुरक्षा जांच पूरी कर सकता है.
दुनिया भर के हवाई अड्डों पर इसी तरह की प्रक्रिया को लेकर प्राइवेसी पर आधारित आलोचनाएं की गई हैं. कुछ आलोचकों ने ये बात उठाई है कि बायेमेट्रिक पहचान से बाहर होने का विकल्प डिज़ाइन की वजह से जटिल बना दिया गया है. कुछ अन्य ने इसकी वैधानिकता पर सवाल उठाए हैं जबकि दूसरों ने सरकारों और प्राइवेट वेंडर्स के द्वारा फेशियल रिकॉग्निशन डेटा के दुरुपयोग को लेकर सावधान किया है.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यात्रियों के बायोमेट्रिक डेटा की सुरक्षा को लेकर चिंताओं को दूर करने की कोशिश की है. नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने DY की शुरुआत के मौक़े पर ये बयान दिया कि व्यक्तिगत पहचान की सूचना को किसी भी केंद्रीय भंडार में जमा नहीं किया जाएगा बल्कि उसे यूज़र की डिवाइस पर स्थानीय रूप से जमा किया जाएगा. ऑपरेटर के साथ साझा किए गए किसी भी डेटा को एनक्रिप्ट किया जाएगा और इस्तेमाल के 24 घंटे के बाद उसे अपने-आप हटा दिया जाएगा. इसके अलावा, मौजूदा DY नीति में कहा गया है कि DY आईडी के लिए रजिस्टर करना स्वैच्छिक है.
लेकिन आधार- जिसके माध्यम से DY का सत्यापन होगा- की कमियों के लिखित प्रमाण के अलावा डेटा संरक्षण क़ानून की लगातार अनुपस्थिति DY आईडी की क्षमता को लेकर भरोसा नहीं बढ़ाती है. अंत में, डिजी यात्रा ऐप के प्ले स्टोर पेज पर लोगों की नाराज़गी से भरी समीक्षा पूरी तरह से स्पष्ट करती है कि सत्यापन की प्रक्रिया सहज होने से दूर है, इसमें स्थायी कमियां हैं, डिजिलॉकर (दस्तावेज़ों का वॉलेट जो कि इंडिया स्टैक का हिस्सा है) से जोड़ने में एरर है और DY की जानकारी को बोर्डिंग पास से मिलान करने में समस्याएं हैं. हवाई यात्रियों को प्रवेश के लिए डिजी यात्रा के बाद भी बोर्डिंग पास को स्कैन करने की ज़रूरत पड़ती है और यूज़र्स ने पहले ही फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी के गेट को लेकर समस्याओं के बारे में जानकारी दी है. साथ ही, डिजी यात्रा ऐप की वर्तमान में कोई प्राइवेसी नीति नहीं है, जब लोग प्राइवेसी के लिंक तक पहुंचना चाहते हैं तो इसमें सिर्फ़ इतना लिखा होता है कि “जल्द आ रही” है.
सैर-सपाटे का भविष्य अधर में है
फिलहाल के लिए DY का आकर्षण लंबी कतार से पीछा छुड़ाना है. लेकिन इसका कारण ये सिस्टम नहीं है बल्कि शुरुआती दिनों में इसको अपनाने वाले लोगों की कम संख्या और इसके बारे में सीमित जागरुकता है. वास्तव में, कोई सवाल उठा सकता है कि क्या DY के लिए बायेमेट्रिक पहचान की ज़रूरत है भी या नहीं. घरेलू उड़ान के दौरान भीड़ में फंसने का मुख्य कारण सुरक्षा जांच है जिसे डिजी यात्रा लंबे समय में दूर नहीं करेगी, विशेष तौर पर जब ज़्यादातर यात्री रजिस्टर कराना शुरू कर देंगे. अगर DY को अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए लागू किया जाता है तो हमें इमिग्रेशन को भीड़ में फंसने के दूसरे कारण के रूप में जोड़ना होगा. ये एक अन्य समस्या है जिस पर मौजूदा रूप में इस सिस्टम का बेहद कम या नहीं के बराबर असर होगा.
DY के साथ डेटा की सुरक्षा से जुड़ी अपनी अलग चिंताएं हैं लेकिन इस सिस्टम की मदद करने के लिए ज़रूरी एयरपोर्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत होना होगा, उसे साइबर हमलों या दूसरी रुकावटों का शिकार नहीं होना चाहिए.
DY के साथ डेटा की सुरक्षा से जुड़ी अपनी अलग चिंताएं हैं लेकिन इस सिस्टम की मदद करने के लिए ज़रूरी एयरपोर्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत होना होगा, उसे साइबर हमलों या दूसरी रुकावटों का शिकार नहीं होना चाहिए. हवाई अड्डों पर कर्मियों की समस्या (विशेष रूप से सुरक्षा कर्मियों की कमी जिसका नतीजा किसी ख़ास समय पर सुरक्षा जांच के लिए मौजूद कुल गेट में से कुछ ही के खुले होने के रूप में निकलता है) को दूर करने के लिए पर्याप्त क़दम उठाए बिना और कतार के प्रबंधन एवं तक़नीक की नाकामी होने पर विकल्पों का उपाय किए बग़ैर नागरिक उड्डयन मंत्रालय को तक़नीक पर निर्भरता को लेकर सावधान होना चाहिए.
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