Published on May 19, 2020 Updated 0 Hours ago

जिस तेज़ी और साफ़-सुथरे तरीक़े से ये बदलाव शुरू हुए हैं उससे ये उम्मीद जगती है कि कोविड19 संकट ने विश्व को बदलने का एक अवसर दिया है और जी20 ने पहला क़दम उठाया है.

कोविड19: जी20 के नेताओं ने नौकरशाहों और चीन से अपना अधिकार छीना

दुनिया की नई व्यवस्था का आरंभ हो रहा है. कोविड19 संकट उसकी वजह, जी20 उसका ज़रिया और राजनीतिक नेतृत्व के प्रभावशाली चेहरे उसके खिलाड़ी हैं. ये शुरुआत सही दिशा में उठाया गया क़दम है. ये बड़ा बदलाव हो सकता है और इसकी वजह से वैश्विक शासन फिर से सामूहिक सरकारों के हाथ में आ सकता है. फिलहाल वैश्विक शासन पर बहुपक्षीय संस्थानों का कब्ज़ा है. सबसे ख़राब हालत में भी ये वैश्विक संस्थान प्रदर्शन करेंगे और अपने सिद्धांतों को लेकर ज़्यादा जवाबदेह होंगे. वहीं सर्वश्रेष्ठ हालात में नई वैश्विक व्यवस्था का जन्म होगा. इससे भी बढ़कर ये जी20 को नया जीवन, विश्वसनीयता और वैधता देगी. फिलहाल जी20 भीतर ही भीतर खौल रहा है और राष्ट्राध्यक्षों, वित्त मंत्रियों, केंद्रीय बैंकों के गवर्नर और शेरपा के लिए सैर-सपाटे का अड्डा बन गया है.

ऊपरी तौर पर देखें तो जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर की पहली बैठक में जो 14 पन्नों का संदेश जारी किया गया वो पहले की तरह घिसा-पिटा है. इसकी भाषा भी दिसंबर 2008 के संदेश की तरह है जब जी20 ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की कमान संभाली थी. आप वही शब्द, वही हाव-भाव देखेंगे- व्यापार को चलना चाहिए, ग़रीब देशों की मदद करनी चाहिए, नौकरियों की रक्षा कीजिए.

दिसंबर 2008 की वॉशिंगटन शिखर वार्ता में अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने का एलान करने के तुरंत बाद जी20 अपने रास्ते से भटक गया. अप्रैल 2009 की लंदन शिखर वार्ता में जी20 पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ विकास की बात करने लगा. सितंबर 2009 की पिट्सबर्ग शिखर वार्ता में क्लाइमेट चेंज की बात होने लगी. नवंबर 2009 की सियोल शिखर वार्ता में वैश्विक समुद्री पर्यावरण सुरक्षा की भूमिका लिखी गई. नवंबर 2015 की एंटेल्या शिखर वार्ता में आतंकवाद को जोड़ा गया जबकि चीन संयुक्त राष्ट्र में भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान के आतंक का समर्थन करता रहा. सिर्फ़ बड़ी-बड़ी बातें होती रही जबकि ज़मीनी काम नहीं हुआ. जी20 का यही मतलब रह गया है.

जी20 पर गैर-निर्वाचित, गैर-ज़िम्मेदार हल्ला करने वालों का कब्ज़ा हो गया है. ऐसे हालात में बदलने के लिए कोविड19 जैसे एक संकट की ज़रूरत थी. और ये अच्छी बात है कि सरकारों ने इस संकट को हाथों-हाथ लेते हुए सुधार के मौक़े में बदल दिया. जी20 का संदेश इस प्रकार है-

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) जी20 के निर्देश पर काम करेगा

वास्तव में जी20 ने बदनाम विश्व स्वास्थ्य संगठन को रिपोर्ट लिखने वाले संगठन में तब्दील कर दिया है. जी20 ने चीन के कब्ज़े वाले इस संस्थान से सबूतों पर आधारित जानकारी मांगी है. दूसरे शब्दों में कहें तो जी20 ने चीन से WHO को छीन लिया है और जिस तरह से हालात बदल रहे हैं उससे ऐसा लगता है कि जी20 इस नाकाम और विवादित संगठन को फिर से पटरी पर ले आएगा जैसा कि जी20 के संदेश की इन पंक्तियों को पढ़कर लगता है-

  • हम अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, विशेषज्ञों की संस्था से अपील करते हैं कि वो विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व में सबूत आधारित रिपोर्ट पेश करें. इस रिपोर्ट में कोविड19 के लिए ज़रूरी वित्तीय कमियों का भी ज़िक्र हो.
  • हम जी20 के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन और दूसरे संगठनों की आने वाली रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे ताकि महामारी से तैयारी के लिए लंबे समय की योजना तैयार हो सके.
  • वास्तव में जी20 ने अर्थव्यवस्था में क्रेडिट फ्लो को आसान कर दिया है. ये क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के काम-काज करने के तरीकों में बदलाव लाएगा

बैंकिंग नियमों में ढील

छोटे बदलाव करके जी20 ने दुनिया भर के व्यावसायिक बैंकों के लिए बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के कठिन नियमों को आसान बना दिया है. फ़ाइनेंशियल स्टैबलिटी बोर्ड (FSB) के ज़रिए इसने ऐसा किया है. कोविड19 संकट से निपटने में बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता बनाये रखने का दबाव कम हो गया है. वास्तव में जी20 ने अर्थव्यवस्था में क्रेडिट फ्लो को आसान कर दिया है. ये क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के काम-काज करने के तरीकों में बदलाव लाएगा. इसके लिए संदेश में ये लिखा गया है-

  • हम FSB के सिद्धांतों का पालन करने के लिए वचनबद्ध हैं जिसमें कोविड19 से जुड़े जोखिमों की निगरानी करने और समय पर सूचना का आदान-प्रदान शामिल है. मौजूदा वित्तीय मानदंडों के मुताबिक़ जवाब देने का समर्थन किया जाएगा, कंपनियों पर बोझ को अस्थायी रूप से कम करने के अवसर तलाशे जाएंगे, अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के मुताबिक़ लगातार काम होंगे, सुधार से पीछे नहीं हटा जाएगा और अस्थायी क़दमों को भविष्य में खोलने पर समन्वय किया जाएगा.
  • हम FSB से अपील करते हैं कि वो कोविड19 का जवाब देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समन्वय में सूचनाओं के आदान-प्रदान, जोखिम की समीक्षा और नीतिगत मुद्दों पर समन्वय के ज़रिए समर्थन करे.

जान बचाने के लिए आंकड़ों की ज़रूरत

ऐसा करके भी चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन की सांठ-गांठ पर चोट लगी. कोविड19 पर दुनिया के अलग-अलग देशों से पारदर्शी डाटा मांगकर जी20 ने साफ़ किया है कि वो कठोर फ़ैसले लेने से पीछे नहीं हटेगा. चीन ने कोविड19 वायरस की उत्पति से लेकर फैलने तक डाटा छिपाया है और इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोई ध्यान नहीं दिया. आज भी चीन मरीज़ों की संख्या को लेकर विश्वसनीय डाटा नहीं दे रहा और जो डाटा चीन दे रहा है उस पर कोई यकीन नहीं करता. नीचे के तीन अनुच्छेद उसकी चालबाज़ी को ख़त्म कर सकते हैं-

  • हम इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशन्स (IHR 2005) का पूरी तरह पालन करने और समय पर पारदर्शी डाटा के आदान-प्रदान के लिए वचनबद्ध हैं.
  • हम कोविड19 से निपटने में उठाए गए क़दमों के बारे में ताज़ा सूचना और अनुभवों का आदान-प्रदान करेंगे.
  • इसमें मदद करने के लिए हम अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को डाटा, विश्लेषण और अर्थव्यवस्था को फिर से शुरू करने के लिए असरदार क़दमों के बारे में सूचनाओं के आदान-प्रदान में मदद करने का काम सौंपते हैं.

बॉस कौन हैजी20

वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए जी20 ने विश्व बैंक और IMF से ताक़त ले ली है. एक अनुच्छेद में जी20 ने रिपोर्ट करने का तरीक़ा अपनी तरफ़ मोड़ दिया है. अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से कहा गया है कि वो साथ मिलकर काम करें और नियमित तौर पर उसे रिपोर्ट करे. अंदरुनी तौर पर इन बहुपक्षीय संस्थानों में शायद ही कोई बड़ा बदलाव हो लेकिन उनके पास अब ज़्यादा अधिकार नहीं रहेंगे और वो पहले से ज़्यादा ज़िम्मेदारी निभाने के लिए मजबूर होंगे. वर्ल्ड बैंक ग्रुप और IMF के साझा बयान से ये ज़ाहिर होता है: “वर्ल्ड बैंक ग्रुप और IMF जी20 के अनुरोध पर इन देशों के साथ मिलकर नज़दीकी तौर पर काम करेंगे.

हम सभी अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के स्तर पर नीति और काम-काज में समन्वय का समर्थन करते हैं ताकि जहां संसाधनों की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, वहां सही वक़्त पर मदद मिल सके. हम इन सभी अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ख़ासतौर पर IMF, वर्ल्ड बैंक और क्षेत्रीय विकास बैंकों से अपील करते हैं कि वो साथ मिलकर काम करते रहें और हमें नियमित तौर पर रिपोर्ट करें.

चीन ने स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDR) के रूप में 500 अरब डॉलर के फंड का प्रस्ताव दिया है. इस फंड में IMF के सदस्य देश इस तरह से योगदान करेंगे कि सबसे ग़रीब देशों को पैसा मिले. ये सभी देश चीन के BRI (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) के हिस्से हैं

आख़िर में एक टिप्पणी के ज़रिए जी20 ने चीन के एक प्रस्ताव को धक्का दिया है. दूसरी बातों के अलावा चीन ने स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDR) के रूप में 500 अरब डॉलर के फंड का प्रस्ताव दिया है. इस फंड में IMF के सदस्य देश इस तरह से योगदान करेंगे कि सबसे ग़रीब देशों को पैसा मिले. ये सभी देश चीन के BRI (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) के हिस्से हैं. इसका मतलब ये हुआ कि सभी देश ग़रीब देशों की मदद करके चीन का कर्ज़ चुकाएंगे. अमेरिका, चीन, यूरोप या जापान के लिए ये योगदान उनके देशों की करेंसी में होगा. लेकिन भारत जैसे देशों को ये योगदान मुश्किल से हासिल डॉलर में करना होगा. दूसरे शब्दों में कहें तो पूरी दुनिया चीन के कर्ज़ को चुकाएगी. लेकिन जी20 के सदस्यों ने कह दिया कि ये मंज़ूर नहीं है.

जी20 के इंटरनेशनल फ़ाइनेंशियल आर्किटेक्चर वर्किंग ग्रुप ने स्पेशल ड्रॉइंग राइट (SDR) की संभावनाओं पर भी चर्चा की. हालांकि इस पर सहमति नहीं बन पाई.

लेकिन ज़्यादा उत्साह में नहीं आना चाहिए. ये सिर्फ़ पहला क़दम है, शुरुआत है. यहां के बाद संकट कैसे आगे बढ़ेगा उससे भविष्य के क़दम तय होंगे. हो सकता है कि चीन नहीं माने. भरपूर पैसा होने की वजह से वो अपना कब्ज़ा आगे भी बढ़ा सकता है. हो सकता है कि बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार नहीं हो. संकट ख़त्म होने के बाद दुनिया फिर से पहले की तरह हो सकती है. जी20 के इस संदेश से नई विश्व व्यवस्था शुरू होने की उम्मीद भी नाकाम हो जाए. ये सब कुछ हो सकता है. लेकिन जिस तेज़ी और साफ़-सुथरे तरीक़े से ये बदलाव शुरू हुए हैं उससे ये उम्मीद जगती है कि कोविड19 संकट ने विश्व को बदलने का एक अवसर दिया है और जी20 ने पहला क़दम उठाया है. किस तरह से ये शुरुआत वास्तविकता में बदलती है ये देखना होगा. दुनिया को निश्चित तौर पर सतर्क रहना चाहिए.

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