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शी जिनपिंग के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में जो सफ़ाई अभियान चलाया जा रहा है, उससे चीन की सेना की पुरानी समस्याएं उजागर हो गई हैं
Image Source: Getty
28 नवंबर 2024 को ख़बरें आईं कि चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग (CMC) के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी एडमिरल मियाओ हुआ को अनुशासन तोड़ने के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार कर लिया गया है. भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को अनुशासन तोड़ने का नाम दिया जाता है. एडमिरल मियाओ, चीन की सेना के चौथे बड़े अधिकारी हैं, जिनके ख़िलाफ़ शी जिनपिंग के भ्रष्टाचार निरोधक अभियान के तहत कार्रवाई की गई है. इसी साल की शुरुआत में पूर्व रक्षा मंत्रियों ली शांगफू और वेई फेंघे के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की गई थी और अफ़वाहें तो यहां तक फैली है कि चीन के मौजूदा रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जुन के विरुद्ध भी भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच चल रही है. बर्ख़ास्त किए जाने से पहले ली शांगफू केवल सात महीने तक रक्षा मंत्री रह पाये थे. वहीं, इस बात की कम ही उम्मीद है कि वर्तमान रक्षा मंत्री डोंग जुन अपने पद पर 11 महीने पूरे कर पाएंगे. भ्रष्टाचार के इल्ज़ाम में गिरफ़्तारियों और मुक़दमों की वजह से चीन की सेना में बार-बार जो बदलाव होते दिख रहे हैं, वो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की गहरी जड़ों वाली समस्याओं और सेना के भीतर चल रहे सत्ता के संघर्ष को रेखांकित करते हैं. ये बातें पीएलए की युद्ध लड़ने की क्षमता, सेना की ताक़त पर शी जिनपिंग के भरोसे और इसकी वजह से चीन की व्यापक सुरक्षा और विदेश नीति को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े कर रही हैं.
इस बात की कम ही उम्मीद है कि वर्तमान रक्षा मंत्री डोंग जुन अपने पद पर 11 महीने पूरे कर पाएंगे. भ्रष्टाचार के इल्ज़ाम में गिरफ़्तारियों और मुक़दमों की वजह से चीन की सेना में बार-बार जो बदलाव होते दिख रहे हैं, वो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की गहरी जड़ों वाली समस्याओं और सेना के भीतर चल रहे सत्ता के संघर्ष को रेखांकित करते हैं.
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं और इनका ताल्लुक़ चीन की उस बहुत पुरानी सोच से है कि सेना को आत्मनिर्भर होना चाहिए और अर्थव्यवस्था में भी मदद करनी चाहिए. इस सोच की वजह से चीन की सेना अपने खाने की चीज़ें खुद पैदा करती थी. जानवर पालती थी. अपनी वर्दियां भी ख़ुद तैयार करती थी. और, 1980 तक खेती की 656 हज़ार एकड़ ज़मीन चीन की सेना के क़ब्ज़े में थी. सेना तब हर साल पांच लाख टन अनाज, साढ़े छह लाख टन सब्ज़ियां और एक लाख चार हज़ार टन मांस का उत्पादन कर रही थी.[1]
1978 से 1980 के दौरान चीन में आर्थिक सुधार कर रहे डेंग जियाओपिंग ने रक्षा बजट में काफ़ी कटौती की थी. इसके बाद 1985 में डेंग के निर्देश पर जनरल लॉजिस्टिक्स डिपार्टमेंट (GLD) ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की इकाइयों को इस बात का अधिकार दे दिया कि वो छोटे, मध्यम और बड़े स्तर के कारोबार शुरू कर सकती हैं. इसके लिए ज़रूरत पड़ने पर सेना को बुनियादी रक़म क़र्ज़ के तौर पर मुहैया कराई जाएगी. इस नीति की वजह से पीएलए के चार सामान्य विभागों और सेवाओं ने कई बड़े उद्योग स्थापित किए. इनमें पॉली ग्रुप, कैली कॉरपोरेशन, शिनजिंग कॉर्पोरेशन और चाइना यूनाइटेड एयरलाइंस जैसे बड़े उद्योग शामिल थे. इनमें से बहुत सी कंपनियों की कमान कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ अधिकारियों के बेटे या बेटियों के पास थी. ख़बरों के मुताबिक़, पॉली ग्रुप में ख़ुद डेंग जियाओपिंग की बेटी की काफ़ी बड़ी हिस्सेदारी थी. आम तौर पर चीनी सेना के इन उद्योगों पर नाममात्र के लिए दस फ़ीसद टैक्स लगाया जाता था. हालांकि, उनके मुनाफ़े का एक बड़ा हिस्सा विदेशी खातों में भेज दिया जाता था, जिसकी वजह से संस्थागत भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता था. चीन के राजनीतिक नेतृत्व और सेना के ऊंचे अफ़सरों के इस गठजोड़ ने आपसी निर्भरता और व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार के एक दुष्चक्र को स्थापित किया था.
पीएलए की तमाम कारोबारी इकाइयों ने अपनी आर्थिक गतिविधियों का विस्तार करते हुए इन्हें होटल, निर्माण उद्योग और अस्पतालों तक फैला लिया था. कुछ दुस्साहसी जनरल तो वेश्यावृत्ति के गिरोह, तस्करी के रैकेट और दूसरी आपराधिक गतिविधियां भी चलाने लगे थे. सैन्य ताक़त पर सेना का नियंत्रण इन अवैध गतिविधियों को पर्याप्त संरक्षण देता था. जिसकी वजह से पीएलए के भीतर भ्रष्टाचार, मुनाफ़ाख़ोरी, तस्करी, जुएबाज़ी और अवैध रूप से ख़रीद फ़रोख़्त जैसी अवैध गतिविधियों में बड़े पैमाने पर बढ़ोत्तरी हुई.
इसके बाद के बरसों में पीएलए की तमाम कारोबारी इकाइयों ने अपनी आर्थिक गतिविधियों का विस्तार करते हुए इन्हें होटल, निर्माण उद्योग और अस्पतालों तक फैला लिया था. कुछ दुस्साहसी जनरल तो वेश्यावृत्ति के गिरोह, तस्करी के रैकेट और दूसरी आपराधिक गतिविधियां भी चलाने लगे थे. सैन्य ताक़त पर सेना का नियंत्रण इन अवैध गतिविधियों को पर्याप्त संरक्षण देता था. जिसकी वजह से पीएलए के भीतर भ्रष्टाचार, मुनाफ़ाख़ोरी, तस्करी, जुएबाज़ी और अवैध रूप से ख़रीद फ़रोख़्त जैसी अवैध गतिविधियों में बड़े पैमाने पर बढ़ोत्तरी हुई. धीरे-धीरे इन हरकतों का असर सेना (PLA) की मुख्य ज़िम्मेदारी यानी देश की रक्षा तैयारियों पर भी पड़ने लगा. भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों की वजह से सेना में प्रमोशन और अच्छा पद पाने के लिए ख़रीद-फ़रोख़्त, प्रशिक्षण की झूठी रिपोर्ट तैयार करने और सैन्य संसाधनों का कारोबारी इस्तेमाल जैसे कि अवैध तरीक़े से टैंक और तोपख़ाने के तेल को बेचने जैसी गतिविधियां चलाई जाने लगीं.[2]
इस भ्रष्टाचार से निपटने के लिए चीन के नेतृत्व ने 1993 से 1995 के दौरान पीएलए की कारोबारी गतिविधियों पर कुछ पाबंदियां लगा दीं. और 1998-99 तक सेना के किसी तरह का कारोबार करने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी.[3] हालांकि, इस पाबंदी का कितना असर हुआ, इसको लेकर मतभेद हैं, क्योंकि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में भ्रष्टाचार तो अभी भी गहरी पैठ बनाए हुए है. 2015 तक पीएलए के कुछ रिटायर हो चुके जनरलों ने ये राज़ खोला था कि सेना के भीतर हर पद और हर पोस्टिंग की एक क़ीमत तय है और सभी अहम ओहदे, अधिकारियों के पसंदीदा लोगों के लिए रिज़र्व रखे जाते हैं, जिनमें से ज़्यादातर कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेताओं के बेटे बेटियां होते हैं. पीएलए में घूसख़ोरी बड़े पैमाने पर चल रही थी और अक्सर ये लेन-देन करोड़ों में होता था. मिसाल के तौर पर, ख़बरों के मुताबिक़ एक जनरल ने अपने प्रमोशन के लिए पूर्व उपाध्यक्ष शू काएहोऊ को 2.75 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी थी. इस भ्रष्टाचार की वजह से चीन की सेना की पेशेवराना तैयारियों पर बहुत गहरा असर पड़ा था.
चीन के राष्ट्रपति के तौर पर शी जिनपिंग ने भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अभियान को अपने प्रशासन का एक प्रमुख स्तंभ बनाया हुआ है. और, हाल के वर्षों में पीएलए के भीतर उनके ‘बाघों और मक्खियों’ को पकड़ने के अभियान में काफ़ी तेज़ी आती दिख रही है. पिछले एक साल के दौरान ही सेंट्रल कमीशन फॉर डिसिप्लिन इंस्पेक्शन (CCDI) ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के नौ जनरलों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है. इनमें चार तो सेना प्रमुख हैं और कई केंद्रीय सैन्य आयोग के सदस्य हैं. इसके अलावा रक्षा उद्योग के बड़े अधिकारियों को भी बर्ख़ास्त करके गिरफ़्तार किया गया है. मिसाल के तौर पर एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेश ऑफ चाइना (AVIC) के पूर्व चेयरमैन टैन रुइसॉन्ग को हाल ही में भ्रष्टाचार के इल्ज़ाम में बर्ख़ास्त कर दिया गया था. टैन रुइसॉन्ग पर इल्ज़ाम था कि वो घटिया सामान इस्तेमाल करके और निर्माण को अस्थायी कर्मचारियों को ठेके पर देकर गुणवत्ता से समझौता कर रहे थे, जिसकी वजह से ऐसे ख़राब कल-पुर्ज़े तैयार किए जा रहे थे, जिनके इस्तेमाल में जोखिम थे.
हाल के वर्षों में पीएलए के भीतर उनके ‘बाघों और मक्खियों’ को पकड़ने के अभियान में काफ़ी तेज़ी आती दिख रही है. पिछले एक साल के दौरान ही सेंट्रल कमीशन फॉर डिसिप्लिन इंस्पेक्शन (CCDI) ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के नौ जनरलों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है. इनमें चार तो सेना प्रमुख हैं और कई केंद्रीय सैन्य आयोग के सदस्य हैं. इसके अलावा रक्षा उद्योग के बड़े अधिकारियों को भी बर्ख़ास्त करके गिरफ़्तार किया गया है.
इस अभियान के तहत चीन की सेना के जिन वरिष्ठ अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई है, उनके नाम Table 1 में दिए गए हैं.
Table 1: Senior PLA Officers Prosecuted Under Corruption Charges
स्रोत: लेखक का अपना आंकड़ा
एडमिरल मियाओ हुआ के ख़िलाफ़ कार्रवाई शायद, राजनीतिक कार्य विभाग के मुखिया के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान पैसे लेकर प्रमोशन करने के आरोपों में हुई है. पीएलए में सभी तरह के प्रमोशन की ज़िम्मेदारी इसी विभाग के हाथ में होती है. इसी तरह एडमिरल डोंग जुन के ख़िलाफ़ कार्रवाई, एक्विपमेंट डेवेलपमेंट डिपार्टमेंट में उनकी भूमिका को लेकर हो सकती है. ये विभाग चीन की सेना में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा कहा जाता है.
हालांकि, सेना के भीतर भ्रष्टाचार निरोधक अभियान के तहत की जा रही इस सफ़ाई के दौरान भी शी जिनपिंग अब तक केंद्रीय सैन्य आयोग (CMC) में अपने ठीक नीचे काम करने वाले जनरल झैंग यूशिया के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने से परहेज़ करते दिख रहे हैं. जनरल झैंग यूशिया लंबे समय तक एक्विपमेंट डेवेलपमेंट डिपार्टमेंट और जनरल आर्मामेंट्स डिपार्टमेंट के मुखिया रह चुके हैं. जनरल झैंग यूशिया जनरल झैंग झोंगशुन के बेटे हैं, जो कम्युनिस्ट पार्टी के एक प्रमुख जनरल थे और वो जापान के ख़िलाफ़ युद्ध के साथ साथ चीन के गृह युद्ध में भी लड़े थे. शी जिनपिंग के साथ झैंग यूशिया के गहरे पारिवारिक संबंध है. दोनों के पिता फर्स्ट फील्ड आर्मी में साथ साथ काम कर चुके थे और, झैं और शी जिनपिंग दोनों ही एक ही सूबे से ताल्लुक़ रखने वाले राजनीतिक परिवारों के वारिस हैं. झैंग यूशिया, पीएलए के उन गिने चुने जनरलों में से एक हैं जिन्हें वास्तव में युद्ध लड़ने का कोई अनुभव है. इन सभी वजहों से वो अब तक कार्रवाई से बचे हुए हैं. हो सकता है कि शी जिनपिंग, झैंग यूशिया के शांति से अपना कार्यकाल पूरा करने का इंतज़ार करने को तरज़ीह दें.
चीन की सेना में बड़े पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार और संगठन की कमज़ोरियां जूनियर अधिकारियों, सैनिकों और उनके वरिष्ठ अधिकारियों के बीच भरोसे को कमज़ोर कर सकती हैं. क्योंकि इनमें से बहुत से लोगों ने अपने पद पैसे और रिश्वत देकर, या फिर अपने ख़ानदानी विशेषाधिकार या संपर्कों की वजह से हासिल किए हैं. अधिकारियों और सैनिकों के बीच भरोसे की ये कमी, सेना के हौसले को बहुत कमज़ोर कर सकती है. और, सवाल तो ये भी उठ सकते हैं कि क्या चीन के आम सैनिक भ्रष्ट अधिकारियों के इस गिरोह के आदेश पर अपनी जान देने के लिए तैयार होंगे?
अधिकारियों और सैनिकों के बीच भरोसे की ये कमी, सेना के हौसले को बहुत कमज़ोर कर सकती है. और, सवाल तो ये भी उठ सकते हैं कि क्या चीन के आम सैनिक भ्रष्ट अधिकारियों के इस गिरोह के आदेश पर अपनी जान देने के लिए तैयार होंगे?
पीएलए के निचले स्तर के अधिकारियों द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के ख़िलाफ़ अनुशासन के ज़िम्मेदार अधिकारियों से शिकायत करने का भी कोई फ़ायदा नहीं होता. क्योंकि सेना के भ्रष्ट अधिकारी जांच रोकने के लिए एक दूसरे से हाथ मिला लेते हैं. इस समस्या से निपटने के लिए सेंट्रल कमीशन फॉर डिसिप्लिन इंस्पेक्शन (CCDI) को सीधे केंद्रीय सैन्य आयोग (CMC) की निगरानी में रखा गया था. इसके बाद से ही सेना के बड़े अधिकारी आशंका में पड़े रहते हैं. क्योंकि, उनकी तरक़्क़ी और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई, शी जिनपिंग और उनके वफ़ादार लोगों के साथ नज़दीकी पर निर्भर होती है. ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में भी भेदभाव होता है और अक्सर आरोपी अधिकारी को बर्ख़ास्त करने के साथ साथ उसकी पारिवारिक संपत्ति तक ज़ब्त कर ली जाती है, और उससे फ़ायदा लेने वाले सारे नेटवर्क का सफ़ाया कर दिया जाता है.
शी जिनपिंग ने 2015-16 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के हाई कमान में सुधारों की शुरुआत की थी. इन सुधारों का मक़सद एक दशक के भीतर सेना में संरचनात्मक स्थिरता लाना था. हालांकि, कोविड-19 की वजह से शी जिनपिंग की ये सुधार योजना पटरी से उतर गई, जिसने पीएलए को अधर में लटका दिया. 2023 जिनपिंग ने पीएलए की रॉकेट फोर्स को पूरी तरह से ख़त्म कर दिया और इसके सारे बड़े अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया था. वहीं, 2024 में जिनपिंग ने स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स का भी विघटन कर दिया और इसके पूर्व कमांडर जू शियानशेंग के ख़िलाफ़ जांच शुरू करा दी थी. एडमिरल मियाओ और डोंग जुन के ख़िलाफ़ अभी जो जांच चल रही है उससे संकेत मिलता है कि भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ पिछले 12 साल से लगातार अभियान चलाने के बावजूद, शी जिनपिंग न तो पीएलए के संरचनात्मक सुधारों को लेकर संतुष्ट हैं और न ही उसके नेतृत्व पर उन्हें अटूट विश्वास है.
युद्ध के लिए सदैव तैयार रहने वाली किसी भी सेना की बुनियाद भरोसे पर टिकी होती है. लेकिन, ऐसा लगता है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में भ्रष्टाचार ने इसकी बलि ले ली है और अब चीन की सेना के भीतर विश्वास का पूरी तरह से अभाव है. भ्रष्टाचार और इस अविश्वास से पीपुल्स लिबरेशन के भीतर अंदरूनी तालमेल और उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते हैं. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की इन बड़ी कमज़ोरियों की वजह से ये बात स्पष्ट नहीं है कि क्या शी जिनपिंग किसी भी क्षेत्र में युद्ध का मोर्चा खोल पाने की स्थिति में होंगे.
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Atul Kumar is a Fellow in Strategic Studies Programme at ORF. His research focuses on national security issues in Asia, China's expeditionary military capabilities, military ...
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