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Published on Oct 24, 2024 Updated 0 Hours ago

चीन और ताइवान के बीच नैरेटिव की जंग में बढ़त हासिल करने के लिए ताइपे ने अपनी कोशिशें तेज़ कर दी है. उसने "ताइवान बनाम चीन" के इस संघर्ष को चीन की विस्तारवादी नीति और दादागीरी के विरोध में बदल दिया है.

ताइवान जलसंधि में चीन के ‘युद्धाभ्यास’ से बढ़ रहा है तनाव

 

ये “चाइना क्रॉनिकल्स” सीरीज़ का 165वां लेख है

ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने राष्ट्रीय दिवस के भाषण में चीन को लेकर जो बातें कहीं, उसके बाद ताइवान जलसंधि में तनाव फिर बढ़ गया है. अपने संबोधन में लाई ने कहा था कि किसी देश की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता और चीन को ताइवान का प्रतिनिधित्व करने का कोई अधिकार नहीं है. लाई की इस स्पीच का चीन ने 'ज्वाइंट स्वॉर्ड 2024बी' सैन्य अभ्यास के साथ जवाब दिया है. चीन की सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का कहना है कि ये संयुक्त अभ्यास समुद्री और हवाई युद्ध की तैयारी पर केंद्रित है. इस दौरान महत्वपूर्ण बंदरगाहों की नाकेबंदी और नियंत्रण, समुद्री और भूमि लक्ष्यों पर हमले और व्यापक नियंत्रण पर फोकस किया जाएगा. इसके अलावा युद्धक्षेत्र में सेनाओं की वास्तविक युद्ध क्षमताओं का परीक्षण करना भी इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य है.

चीन के विमानवाहक पोत 'लियाओनिंग' ने भी इस अभ्यास में भाग लिया. ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि उसने 14 अक्टूबर को 125 चीनी विमानों का पता लगाया गया था. इनमें से 90 एयरक्राफ्ट ताइवान के वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में प्रवेश कर गए. इस तरह ये एक ही दिन में ताइवान के एरियल ज़ोन में चीन की सबसे बड़ी हवाई घुसपैठ बन गई. अभ्यास के दौरान ताइवान के आसपास 17 चीनी युद्धपोत और इतनी ही संख्या में तटरक्षक जहाज देखे गए थे.

चीन का मानना है कि लाई ने राष्ट्रीय दिवस पर अपने पहले संबोधन में जो बातें कहीं, उनका उद्देश्य चीन और ताइवान की बीच संबंधों को ख़त्म कर स्वतंत्रता की तरफ कदम बढ़ाना है. पीएलए डेली में प्रकाशित एक लेख में लाई चिंग-ते पर "दो-राज्य सिद्धांत" को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया गया है.

चीन का मानना है कि लाई ने राष्ट्रीय दिवस पर अपने पहले संबोधन में जो बातें कहीं, उनका उद्देश्य चीन और ताइवान की बीच संबंधों को ख़त्म कर स्वतंत्रता की तरफ कदम बढ़ाना है. पीएलए डेली में प्रकाशित एक लेख में लाई चिंग-ते पर "दो-राज्य सिद्धांत" को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया गया है. पीएलए डेली में एक अन्य लेख में ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास को उचित ठहराया गया. इस लेख में कहा गया है कि "ताइवान की स्वतंत्रता" की दिशा में होने वाले किसी भी काम का परिणाम युद्ध है. ऐसे में अलगाववादी गतिविधियों को रोकने और उन्हें हराने के लिए सैन्य क्षमताओं का निर्माण किया जाना ज़रूरी है. चीन ने ताइवान की सैन्य क्षमताओं का मज़ाक उड़ाने की भी कोशिश की है. लेख में ताइवान की सैनिक क्षमताओं की तुलना एक बड़े पेड़ को उखाड़ने की कोशिश करने वाली चींटियों से की गई है. पीपुल्स डेली के एक लेख में "ताइपे को स्वतंत्रता की ओर धकेलने" में वॉशिंगटन की भूमिका पर भी सवाल उठाया गया है. लेख में कहा गया कि अमेरिका के अधिकारियों ने जिस तरह लाई के भाषण को "संयमित" और "उदारवादी" बताया, ये ताइवान के अलगाववादी उद्देश्य को अमेरिका के समर्थन का प्रदर्शन है. लेख में ये आरोप लगाया गया है कि चीन पर नियंत्रण के लिए अमेरिका एक साज़िश के तहत ताइवान कार्ड का इस्तेमाल कर रहा है. चीन ने भारत में हुए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम को भी इससे जोड़ने की कोशिश की है. ताइवान ने हाल ही में भारत के साथ अपने जुड़ाव को गहरा करते हुए मुंबई में एक और प्रतिनिधि कार्यालय खोला है. चीन के विदेश मंत्रालय ने इस पर अपनी चिंता व्यक्त की है और ताइपे के साथ किसी भी आधिकारिक संपर्क स्थापित करने के ख़िलाफ़ भारत को चेतावनी दी है. 

ताइपे ने बीजिंग के ख़िलाफ़ नैरेटिव को बदल दिया

 

राष्ट्रपति लाई ने अपने भाषण में वर्तमान काल में विश्व स्तर पर संघर्षों में वृद्धि का भी उल्लेख किया और ताइवान की स्थिति को निरंकुशता और अधिनायकवाद के विस्तार का विरोध करने वाला बताया. लोकतंत्र और अधिनायकवाद के "ताइवान बनाम चीन" टकराव की इस रूपरेखा का पूर्व राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन द्वारा भी प्रचार किया गया है. इसका जिक्र उन्होंने फोरम 2000 के वार्षिक सम्मेलन में किया. सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए यूरोप की अपनी हालिया यात्रा के दौरान त्साई इंग-वेन ने कहा कि ताइवान, तानाशाही के हमले का बहादुरी से सामना करते हुए लोकतंत्र की अग्रिम पंक्ति पर है. उन्होंने तानाशाही शासन द्वारा सूचना युद्ध और सैन्य दादागीरी के बढ़ते उपयोग के बारे में भी चेतावनी दी. त्साई इंग-वेन ने कहा कि दुनिया भर में राजनीतिक व्यवस्था के अपने प्रोटोटाइप को निर्यात करने के लिए तानाशाह शासक ऐसा कर सकते हैं.

चीन का मानना है कि मौजूदा तनाव दो शासन प्रणालियों के बीच का झगड़ा नहीं बल्कि एकीकरण और अलगाववाद के बीच संघर्ष है. हाल के दिनों में, ताइवान के राष्ट्रपति लाई ने 20वीं सदी की शुरुआत में चीन में हुई क्रांति से अपनी राजनीतिक वंशावली का पता लगाने की कोशिश की है.

फोरम 2000 कॉन्क्लेव की स्थापना पूर्व चेक राष्ट्रपति वाक्लाव हवेल ने की थी. इस सम्मेलन में मानवाधिकार, नागरिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए दुनियाभर के लोगों के प्रतिनिधि और कार्यकर्ता आते हैं. चीन और ताइवान दोनों ही मौजूदा स्थिति को कैसे देखते हैं, इसमें बहुत बड़ा अंतर है. चीन का मानना है कि मौजूदा तनाव दो शासन प्रणालियों के बीच का झगड़ा नहीं बल्कि एकीकरण और अलगाववाद के बीच संघर्ष है. हाल के दिनों में, ताइवान के राष्ट्रपति लाई ने 20वीं सदी की शुरुआत में चीन में हुई क्रांति से अपनी राजनीतिक वंशावली का पता लगाने की कोशिश की है. इस क्रांति में चीन के शाही किंग राजवंश को उखाड़ फेंका गया था. चीन ने 1 अक्टूबर को अपनी 75वीं सालगिरह मनाई, जबकि ताइवान अपना 113वां राष्ट्रीय दिवस मनाया. इतना ही नहीं लाई चिंग-ते ने हाल के दिनों में अपनी आक्रामकता भी बढ़ा दी है. ऐसा लगता है कि वो चीन और रूस के बीच दरार पैदा करना चाहते हैं. ताइवान के राष्ट्रपति ने तर्क दिया है कि अगर बीजिंग को लगता है कि ताइपे पर उसके दावों में दम है, तो उसे 19वीं सदी में शाही किंग राजवंश द्वारा रूसी साम्राज्य के हाथों खोए क्षेत्र को वापस पाने की भी कोशिश करनी चाहिए.

चीन की सैन्य दादागीरी के निहितार्थ

 

हाल के दिनों में ये तीसरा मौका है जब चीन ने ताइवान के संबंध में सैन्य दादागीरी के ज़रिए जवाब दिया है. 2022 में तत्कालीन यूएस हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा और हाल ही में राष्ट्रपति लाई के उद्घाटन भाषण के बाद चीन ने इसी तरह का युद्धाभ्या शुरू किया था. 2022 में नेशनल पार्टी कांग्रेस में अपने भाषण में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक बड़ी बात कही थी. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अगर ज़रूरी हो तो ताकत के दम पर ताइवान को एकजुट करने का विकल्प चीन के एजेंडे में था. उन्होंने अपने सैन्य कमांडरों को भी ये आदेश दिया कि सैनिकों को बेहतर और युद्ध की परिस्थितियों के लिए प्रशिक्षित किया जाए. इस साल की शुरुआत में, शी जिनपिंग ने चोंगकिंग में आर्मी मेडिकल यूनिवर्सिटी का भी निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने बेहतर युद्धक्षेत्र उपचार तकनीकों, मेडिकल यूनिवर्सिटीज़ और लॉजिस्टिक्स समर्थन में बेहतर तालमेल पर ज़ोर दिया.

चीन ने हाल ही में अपने तटरक्षक बल को इस बात के लिए अधिकृत कर दिया है कि अगर राष्ट्रीय संप्रभुता पर ख़तरा हो तो वो हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. इसके अलावा, चीन के तटरक्षक को "एक्सक्लूज़न ज़ोन" यानी बहिष्करण क्षेत्र के सीमांकन करने का भी अधिकार है जिसमें अन्य देशों के जहाजों को इस क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी.

ये ख़बरें उन रिपोर्ट्स के बाद आईं जिनमें कहा गया कि एलए ने झेजियांग प्रांत के समुद्र तट से दूर द्वीपों पर निकासी उपायों की प्रभावशीलता का पता लगाने के लिए अभ्यास किया था. इससे ये अटकलें तेज़ हो गई हैं कि क्या सैन्य अभ्यास का उद्देश्य ताइवान पर कब्जा करने के संभावित कदम की स्थिति में पीएलए की युद्ध तैयारी का आकलन करना था. चीन की सेना बार-बार नाकेबंदी का अभ्यास कर रही है. कहा जा रहा है कि इसके ज़रिए चीन ये जानना चाहता है कि अगर ताइवान पर हमले की सूरत में अमेरिका ने हस्तक्षेप किया तो उसका मुकाबला कैसे किया जाएगा. ताइवान के आसपास के समुद्र में युद्धाभ्यास कर चीन अपनी क्षमता में सुधार कर रहा है. चीन ने हाल ही में अपने तटरक्षक बल को इस बात के लिए अधिकृत कर दिया है कि अगर राष्ट्रीय संप्रभुता पर ख़तरा हो तो वो हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. इसके अलावा, चीन के तटरक्षक को "एक्सक्लूज़न ज़ोन" यानी बहिष्करण क्षेत्र के सीमांकन करने का भी अधिकार है जिसमें अन्य देशों के जहाजों को इस क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी. नतीजतन, ताइवान जलसंधि के आसपास ऐसे सैन्य अभ्यासों में उनकी बढ़ती भागीदारी से दुर्घटना की स्थिति में वृद्धि का ख़तरा बढ़ जाता है. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि बार-बार की जाने वाली इस तरह की सैन्य दादागीरी का सामान्यीकरण और इस पर अन्य देशों की धीमी प्रतिक्रिया ने चीन का मनोबल बढ़ाया है. दूसरे देशों का ये उदासीन रुख़ भविष्य में चीन को पहले अपनी सेना को युद्धाभ्यास के लिए जुटाने और फिर तेज़ी से इसे आक्रमण में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है. इसलिए चीन के ग्रे-ज़ोन युद्ध पर करीबी नज़र रखने की ज़रूरत है.


(कल्पित ए मनकिकर ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में फेलो हैं).

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