Author : Ayjaz Wani

Published on Sep 18, 2021 Updated 0 Hours ago

बीआरआई की शुरुआत के बाद शिनजियांग में वीगर मुसलमानों पर सांस्कृतिक आक्रमण को राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का समर्थन प्राप्त है

चीन: शिनजियांग में अल्पसंख्यक वीगर मुसलमान और राष्ट्रपति शी जिनपिंग

कुनमिंग में कुछ साल पहले बड़े पैमाने पर चाकूबाज़ी की घटना के बाद चीन ने शिनजियांग में रह रहे मुसलमानों के प्रति अपना रुख कड़ा कर लिया. मार्च 2014 में घटी इस घटना में कुनमिंग रेलवे स्टेशन पर 31 लोगों की मौत हुई थी और क़रीब 150 घायल हुए थे.

सितंबर 2020 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वीगर चरमपंथियों की बग़ावत के बाद शिनजियांग में अप्रैल 2014 से अपनाई गई रणनीति की सफलता की प्रशंसा की थी. शिनजियांग में अपनी इस रणनीति के तहत शी ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की तानाशाही के अंगों का इस्तेमाल मानवाधिकार उल्लंघन की डोर में ढील देने के लिए किया. इसके साथ ही अशांत उत्तर पश्चिमी प्रांत में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय की उच्च तकनीकी निगरानी भी की गई.

एक अनुमान के अनुसार क़रीब 15 लाख तथाकथित वीगर चरमपंथियों को  पुनर्शिक्षा और उनकी राजनीतिक सोच ठीक करने के लिए बंदी शिविरों में रखा गया. जातीय अल्पसंख्यकों के इस उत्पीड़न यानी वीगर मूल के लोगों के प्रति इस रवैये ने व्यवस्थित रूप से उनके ‘दानवीकरण’ को जन्म दिया है और चीन के भीतर एक निरंकुश जनवादी के रूप में शी की स्थिति को मज़बूत बनाया है. 

एक अनुमान के अनुसार क़रीब 15 लाख तथाकथित वीगर चरमपंथियों को  पुनर्शिक्षा और उनकी राजनीतिक सोच ठीक करने के लिए बंदी शिविरों में रखा गया. जातीय अल्पसंख्यकों के इस उत्पीड़न यानी वीगर मूल के लोगों के प्रति इस रवैये ने व्यवस्थित रूप से उनके ‘दानवीकरण’ को जन्म दिया है और चीन के भीतर एक निरंकुश जनवादी के रूप में शी की स्थिति को मज़बूत बनाया है. वीगर मुसलमानों की अलगाववाद की प्रवृत्तियों को खत्म करने के लिए शिनजियांग की रणनीति को एक सुरक्षा अभियान के रूप में सार्वजनिक प्रशंसा मिली. हालांकि, मानवाधिकारों के व्यापक हनन और जबरन सांस्कृतिक आत्मसात कराने के लिए वैश्विक स्तर पर शी के कार्यों की आलोचना हुई. कुछ पश्चिमी लोकतांत्रिक देशों ने भी शी की नीतियों को नरसंहार करार दिया.

सीसीपी के पहले के नेता जहां अस्थिर शिनजियांग के सामाजिक-आर्थिक विकास पर ज़ोर देते थे वहीं शी ने बिना किसी हिचक के ‘जनता के लोकतांत्रिक तानाशाही के हथियार’ (weapons of the people’s democratic dictatorship) का इस्तेमाल किया. वीगर मुस्लिमों के गढ़ शिनजियांग का चीन के लिए बेहद खास भू-रणनीतिक महत्व है. इस क्षेत्र से चीन का मध्य एशिया, पश्चिम एशिया और यूरोप के बाजारों तक सीधा संपर्क बनता है. इस कारण क्षेत्र को चीन के बेल्ट एंड रोड इनेशिएटिव (बीआरआई) का दिल कहा जाता है. इतना ही नहीं विवादित और संवेदनशील चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (सीपेक) की शुरुआती भी शिनजियांग से होती है. सीपेक, बीआईआई की सबसे अहम पहल है. हालांकि, सदियों पुराने विवादित इतिहास, जातीय कलह और चीन की हान आबादी द्वारा समृद्ध हाइड्रोकार्बन संसाधनों के दोहन ने शिनजियांग को हिंसा और अलगाववादी गतिविधियों के मुफ़ीद बना दिया है.

 एक रणनीति के तहत इस क्षेत्र की जनसांख्यिकी में बड़ा बदलाव किया गया. इस क्षेत्र में वर्ष 2010 में चीन के हान समुदाय के लोगों की आबादी 40 फीसदी तक पहुंच गई जबकि 1945 में उनकी आबादी केवल 6 फीसदी थी

एक रणनीति के तहत इस क्षेत्र की जनसांख्यिकी में बड़ा बदलाव किया गया. इस क्षेत्र में वर्ष 2010 में चीन के हान समुदाय के लोगों की आबादी 40 फीसदी तक पहुंच गई जबकि 1945 में उनकी आबादी केवल 6 फीसदी थी. इस क्षेत्र में रोजगार के मोर्चे पर देखें तो 65 फीसदी चीनी हान लोग सेकेंड्री और टेरिटोरी सेक्टर (secondary and territory sector) में काम करते हैं जबकि 81 फीसदी मूल आबादी कृषि से जुड़े कामों में लगी है. जनसांख्यिकी में बदलाव और आर्थिक शोषण में वृद्धि के कारण जातीय कलह में वृद्धि हुई, जिसका आरोप सीसीपी अलगाववाद, हिंसक अतिवाद और आतंकवाद पर लगाता है. वीगर मुस्लिम, शी की ‘सदी’ बीआरआई की शुरुआत के बाद खासतौर पर निशाने पर आए. क्षेत्र में हिंसा के इतिहास को देखते हुए सीसीपी ने महसूस किया कि शिनजियांग में बीआरआई परियोजना के तहत व्यापक निवेश पर खतरा बना रहेगा. इसलिए शी के नेतृत्व वाली सीसीपी ने ‘आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद की तीन बुराइयों’का बहाने के रूप में इस्तेमाल किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसका निवेश सुरक्षित है.

वीगर के प्रति शी जिनपिंग और चीन की बदलती नीति

राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वर्ष 2014 में अशांत शिनजियांग का दौरा किया और प्रभावशाली हान संस्कृति के साथ वीगर को मिलाने के लिए दूसरे ‘स्ट्राइक हार्ड कैंपेन’ की शुरुआत की. शी ने ‘परिवार नियोजन के नियमों’ (family planning regulations) के जरिए वीगर के एकीकरण पर जोर दिया. यह जनसांख्यिकीय बदलाव लाने और जातीय आबादी की समृद्ध सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने और उनकी अधीनता सुनिश्चित करने के बीजिंग के एजेंडे को पूरा करता है. वीगर महिलाओं और उनके परिवार को तीसरा बच्चा होने पर भी 2000 से 6000 युआन का जुर्माना भरने के लिए मजबूर किया जाता है. गर्भावस्था के किसी भी समय पर जबर्दस्ती गर्भपात करा दिया जाता है. बावजूद इसके कि प्रांतीय नियम में तीसरे बच्चे को कानूनी मंजूरी दी गई है. सीसीपी ने दमनकारी चीनीकरण (Sinicisation) शुरू किया और जबरन नसबंदी व गर्भपात का सहारा लिया. इसके परिणामस्वरूप वीगर की प्राकृतिक जनसंख्या वृद्धि दर में 84 प्रतिशत की गिरावट आ गई. वर्ष 2015 और 2018 के बीच दक्षिणी शिनजियांग के दो वीगर बहुल क्षेत्रों काशगर और खोतान में जनसंख्या वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत से घटकर 0.26 प्रतिशत पर आ गई. इस अभियान के लिए सीसीपी ने कथित तौर पर करोड़ों डॉलर खर्च किए हैं.

बेहद हाई टेक निगरानी के तहत सीसीपी ने वीगर की अनिवार्य स्वास्थ्य जांच के ज़रिए डीएनए प्रोफाइलिंग भी की है. सैन्य अधिकारी से राजनेता बने पार्टी के सचिव चेन क्वांगू (Chen Quanguo) को 2016 में शिनजियांग भेजा गया. उनको उनकी तिब्बत में अल्पसंख्यक विरोधी नीतियों के लिए जाना जाता है. एक जातीय नीति निर्माता (ethnic policy innovator) चेन ने एक साल के भीतर ही सुरक्षाकरण की रणनीति (securitisation strategy) अपनाई और शिनजियांग को चीन का एक सबसे अधिक सैन्यकृत ज़ोन (most militarised zone) बना दिया.

वीगर महिलाओं और उनके परिवार को तीसरा बच्चा होने पर भी 2000 से 6000 युआन का जुर्माना भरने के लिए मजबूर किया जाता है. गर्भावस्था के किसी भी समय पर जबर्दस्ती गर्भपात करा दिया जाता है. बावजूद इसके कि प्रांतीय नियम में तीसरे बच्चे को कानूनी मंजूरी दी गई है.

वर्ष 2017 के बाद शी ने अशांत शिनजियांग प्रांत में राष्ट्रीय एकता और एकजुटता की रक्षा के लिए “लोहे की दीवार” (great wall of iron)  बनाने का आह्वान किया. इसके तुरंत बाद पार्टी के संविधान में बीआरआई को शामिल कर लिया गया. लोहे की दीवार के तहत सीसीपी ने अपने अभियान को तेज किया और 10.8 करोड़ डॉलर से अधिक के निवेश पर 1200 ‘पुनर्शिक्षा शिविरों (re-education camps)’ की स्थापना की. शिनजियांग के प्रोडक्शन एंड कंस्ट्रक्शन कॉर्प (एक्सपीसीसी) की सहायता से 15 लाख से अधिक वीगर- और शिनजियांग में रह रहे कज़ाक, किर्गिज और उज्बेकों को ‘पुनर्शिक्षा शिविरों’ में भेजा गया और उन्हें सीसीपी के प्रति वफादारी का संकल्प लेने, मंदारिन सीखने और इस्लाम व उसकी संस्कृति की निंदा करने के लिए मजबूर किया गया. लीक हुए दस्तावेजों के मुताबिक ‘लंबी दाढ़ी रखने वाले’, ‘बुरका पहनने वाली’ या परिवार नियोजन के नियमों का उल्लंघन करने वालों को इन पुनर्शिक्षा केंद्रों में भेजा गया. हिरासत में रखे गए लोगों से जबर्दस्ती काम करवाया गया और यहां तक कि कोविड-19 के दौरान उन्हें देश के अन्य इलाकों में विनिर्माण पावर हाउसों में काम करने के लिए भेजा गया. सीसीपी ने ‘जरूरत पड़ने पर हत्या (kill-on-demand)’ की रणनीति को भी एक आपातकालीन उपाय के तौर पर अपनाया. इसके तहत वीगर बंदियों की हत्या कर उनके अंग निकालने की व्यवस्था थी, जिससे कि मुख्य चीन में कोरोना वायरस महामारी के दौरान बढ़ी मांग की पूर्ति की जा सके.

वर्ष 2019 में दो दर्जन लोकतांत्रिक देशों ने मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर शिनजियांग में मानवाधिकार हनन की जांच कराने की मांग की थी, लेकिन वे एक मौखिक चर्चा की मांग करने को लेकर अनिच्छुक थे. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने चुनाव पूर्व के रुख़ को दोहराया और वीगर के मसले पर चीन की आलोचना की. 

शी ने मुस्लिम देशों को चुप कराने के लिए बीजिंग के आर्थिक कौशल और आधिपत्य का इस्तेमाल किया. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि मुस्लिम दुनिया (कुछ पश्चिमी लोकतंत्रों को छोड़कर) काफी हद तक चीन की ज्यादतियों पर चुप रहे. वर्ष 2019 में दो दर्जन लोकतांत्रिक देशों ने मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर शिनजियांग में मानवाधिकार हनन की जांच कराने की मांग की थी, लेकिन वे एक मौखिक चर्चा की मांग करने को लेकर अनिच्छुक थे. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने चुनाव पूर्व के रुख़ को दोहराया और वीगर के मसले पर चीन की आलोचना की. उन्होंने जोर देकर कहा कि चीन के साथ अमेरिका के रिश्तों में मानवाधिकार निश्चित तौर पर अहम तत्व है. बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद कुछ पश्चिमी लोकतांत्रिक देश वीगर के मसले पर खुलकर बोल रहे हैं और उन्होंने यहां तक कि इसे एक जनसंहार कर दिया है. हालांकि यह तो केवल समय ही बताएगा कि क्या बाइडेन अपने लोकतांत्रिक साथियों और नाटो के साझेदारों का इस्तेमाल कर पूरी ताकत से जांच की मांग करते हैं, जिससे कि बचे हुए वीगर मुस्लिमों को बचाया जा सके. इस बीच, चीन को प्रतिकूल तरीके से अक्तूबर 2020 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद पैनल में नियुक्त कर लिया गया.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.