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Published on Apr 22, 2025 Updated 0 Hours ago

घरेलू मांग, तकनीकी आत्मनिर्भरता और रियल एस्टेट में सुधार को बढ़ावा देने के साथ-साथ महत्वपूर्ण खनिजों पर नियंत्रण से लाभ उठाकर चीन अमेरिकी व्यापार युद्ध के ख़िलाफ़ नए सिरे से कमर कस चुका है.

ट्रंप 2.0 के व्यापार युद्ध से निपटने को तैयार चीन

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दुनिया की दो शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध के ख़त्म होने के संकेत नहीं मिल रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आयात पर टैरिफ, यानी सीमा शुल्क धीरे-धीरे बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया है, जिसके जवाब में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया है. इस बढ़ते व्यापार युद्ध को देखते हुए, चीनी नेताओं ने घरेलू खपत में सुधार, औद्योगिक व्यवस्था के आधुनिकीकरण और तकनीकी आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया है.

इस रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया है कि चीन बढ़ती बाहरी और भीतरी चुनौतियों से जूझ रहा है. अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध से मौजूदा समस्याएं बढ़ सकती हैं या फिर नई परेशानियां पैदा हो सकती हैं.

नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के दौरान पेश की गई प्रीमियर ली कियांग की कार्य-रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था को फिर से उभारने के प्रयास किए गए हैं. ट्रंप के टैरिफ युद्ध को ध्यान में रखते हुए, इस रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया है कि चीन बढ़ती बाहरी और भीतरी चुनौतियों से जूझ रहा है. अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध से मौजूदा समस्याएं बढ़ सकती हैं या फिर नई परेशानियां पैदा हो सकती हैं. देश में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ‘शून्य-कोविड नीति’ के कारण उपभोक्ताओं में अविश्वास बढ़ा है, क्योंकि इसमें मनमाने ढंग से लॉकडाउन लगाया जाता है, और फिर रियल एस्टेट के क्षेत्र में कर्ज़ को कम करने की कोशिश करने की बात भी रिपोर्ट में कही गई है.

चीन की रणनीति

दरअसल, साल 2020 से, नए नियमों ने डेवलपर्स के लिए बैंकों से कर्ज़ लेना मुश्किल बना दिया है, जिसके कारण कुछ प्रोजेक्ट को उन्होंने छोड़ दिया है. डेवलपर्स के इस कर्ज़ संकट ने ख़रीदारों को भी प्रभावित किया है और वे समय पर अपने अपार्टमेंट पा नहीं सके हैं. अग्रिम भुगतान देकर होने वाली घरों की बिक्री साल 2024 में बीते दो दशकों के अपने निचले स्तर पर पहुंच गई, क्योंकि रियल एस्टेट कंपनियों ने अपने प्रोजेक्ट को अधूरा छोड़ दिया. अपार्टमेंट बनने से पहले फ्लैट्स की होने वाली खरीदारी, यानी ‘प्री-सेल’ से डेवलपर्स और ख़रीदार, दोनों को फ़ायदा होता है. इसमें डेवलपर्स जहां अपने निवेश को तेज़ी से वापस पा सकते हैं, जिस कारण वे नई परियोजनाओं में पैसे लगाने में सक्षम होते हैं. वहीं, मकान ख़रीदारों को प्री-सेल में छूट और प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद संपत्ति की क़ीमतों में वृद्धि के रूप में लाभ मिलता है. प्री-बुकिंग चीन में फ्लैट ख़रीदने का एक महत्वपूर्ण तरीका बन गया था और इसने मकानों की संख्या ख़ासा बढ़ा दी. मगर अब बड़े डेवलपर्स तनाव से गुज़र रहे हैं. रियल्टी सेक्टर में एक बड़ा नाम रखने वाले चाइना वैंके ग्रुप को 2024 में 49.5 अरब युआन (6.8 अरब अमेरिकी डॉलर) का घाटा हुआ है, जो 1990 के दशक की शुरुआत में सार्वजनिक बनने के बाद से उसका पहला इतना विनाशकारी नुकसान है.

कंट्री गार्डन जैसी दूसरी कंपनी विदेशी संस्थानों के माध्यम से लिए गए कर्ज़ की देनदारी अब नए तरीके से करना चाह रही है, क्योंकि 2023 के अंत तक उस पर यह कर्ज़ बढ़कर 16.4 अरब डॉलर हो चुका था. चीन के 100 सबसे बड़े रियलटर (रियल एस्टेट के डेवलपर्स) ने पिछले साल कुल मिलाकर 4.35 ट्रिलियन युआन (609 अरब डॉलर) मूल्य के घर बेचे, जो 2023 के मुकाबले 30 प्रतिशत कम थे. चूंकि आवास और बैंकिंग क्षेत्र आपस में मज़बूती से जुड़े हुए हैं, इसलिए लोगों का भरोसा घटने के कारण कर्ज़ स्थिर हो गया है और बैंकों के सामने भी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. चीन के चार बड़े कर्ज़दाताओं- इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना, चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक, एग्रीकल्चर बैंक ऑफ चाइना और बैंक ऑफ चाइना के गैर-निष्पादित कर्ज़ (जिन कर्ज़ में उधार लेने वाला व्यक्ति उधार चुका नहीं पा रहा) 2024 में 82 अरब युआन (11.26 अरब डॉलर) बढ़कर 1.3 ट्रिलियन युआन (182 अरब अमेरिकी डॉलर) हो चुके थे.

यही कारण है कि कार्य-रिपोर्ट में ज़मीनों के अधिग्रहण, निर्माण, बिना बिके घरों की ख़रीद और स्थानीय सरकारों द्वारा व्यवसायों के बकाये के निपटान के लिए 4.4 ट्रिलियन युआन (करीब 609 अरब डॉलर) के विशेष बॉन्ड जारी करके रियल एस्टेट क्षेत्र को पुनर्जीवित करने का प्रस्ताव दिया गया है. इससे पहले, बॉन्ड का इस्तेमाल बड़ी बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं में आर्थिक मदद देने के लिए किया जाता था. 1.3 ट्रिलियन युआन (लगभग 182 अरब डॉलर) के विशेष ट्रेजरी बॉन्ड की एक और क़िस्त जारी की जाएगी, जिसमें से 500 अरब युआन (करीब 69 अरब डॉलर) की रकम बड़े सरकारी वाणिज्यिक बैंकों को अपनी पूंजी बढ़ाने के लिए दी जाएगी.

चीन ने बड़ी मात्रा में पूंजी निवेश करके विकास को बढ़ावा देने की ख़ास रणनीति अपनाई है. इसके कारण मांग से अधिक उत्पादन होने की समस्या पैदा हो गई है.

बीते कुछ वर्षों में, चीन ने बड़ी मात्रा में पूंजी निवेश करके विकास को बढ़ावा देने की ख़ास रणनीति अपनाई है. इसके कारण मांग से अधिक उत्पादन होने की समस्या पैदा हो गई है. मार्च में लगातार दूसरे महीने उत्पादों की कीमतें गिरी हैं, क्योंकि बढ़ते व्यापार युद्ध ने बिना बिके निर्यात की बढ़ती संख्या को लेकर चिंता बढ़ा दी है. माना जा रहा है कि इससे घरेलू क़ीमतें और कम हो सकती हैं. ऐसे में, ‘अपस्फीति’ (शून्य से नीचे महंगाई दर) की आशंकाओं से निपटने के लिए, 500 अरब युआन (लगभग 69 अरब डॉलर) राशि का उपयोग उन प्रयासों पर किया जाएगा, जो लोगों को ख़र्च के लिए प्रेरित करती हैं. ‘ट्रेड-इन प्रोग्राम’ ऐसी ही एक पहल है, जिसमें लोगों को पुरानी वस्तुओं और गाड़ियों को बदलकर नई ख़रीदने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. उम्मीद की जा रही है कि इस ट्रेड-इन प्रोग्राम द्वारा अतिरिक्त आपूर्ति की समस्या का हल निकल जाएगा, घरेलू खपत को बढ़ावा मिलेगा और टैरिफ हमले का प्रभाव कम होगा.

इस नीति का संभावित असर प्रौद्योगिकी-आपूर्ति श्रृंखलाओं पर पड़ सकता है, जिस कारण वाशिंगटन में एक दबाव समूह बन सकता है. जाहिर है, अब सबकी नज़रें उस देश पर होंगी, जो सबसे पहले पहल करेगा.

दूसरी बड़ी प्राथमिकता प्रौद्योगिकी में स्थानीय नवाचार को बढ़ावा देना है, ताकि अमेरिका द्वारा प्रौद्योगिकी देने से मना किए जाने के बावजूद व्यवस्था बनी रहे. उल्लेखनीय है कि तकनीकी कौशल में भी अमेरिका और चीन के बीच मुक़ाबला चल रहा है और वॉशिंगटन ने बीजिंग को उन्नत प्रौद्योगिकी देने से मना कर दिया है. ऐसे में, चीन अपने देश में विकसित नवाचार के साथ आगे बढ़ना चाहता है. यहां उसकी दो ख़ास उपलब्धियों का ज़िक्र ज़रूरी है- एक, चांग ई-6 अंतरिक्ष मिशन, जिसमें चंद्रमा के सुदूर हिस्से से सफलतापूर्वक नमूने वापस लाए गए, और दूसरी, पहला महासागर ड्रिलिंग पोत ‘मेंगजियांग’ की शुरुआत. ये उपलब्धियां बताती हैं कि चीन ने भविष्य के उद्योगों के साथ-साथ ‘डीप-सी टेक्नोलॉजी’ (गहरे समुद्र में कामकाज से जुड़ी प्रौद्योगिकियों) में आगे बढ़ने का फ़ैसला किया है. उसने वेंचर कैपिटल (स्टार्टअप में निवेश) के माध्यम से बायो-मैन्युफैक्चरिंग, क्वांटम टेक्नोलॉजी, एआई और 6जी टेक्नोलॉजी में विशेष फंडिंग का फ़ैसला किया है. शी जिनपिंग ‘चीन इंक’ (सरकारी कंपनियों और सरकार समर्थित संस्थाओं के लिए इस्तेमाल किया जाना वाला शब्द) को एकजुट कर रहे हैं और अलीबाबा के संस्थापक जैक मा भी फिर से सार्वजनिक तौर पर दिखने लगे हैं, जो सरकार की आलोचना करने के बाद सरकारी कार्रवाइयों का शिकार बने थे. अब एक ‘एकीकृत राष्ट्रीय बाजार’ बनाकर और कर व कारोबार को आसान करके निजी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और व्यापारिक विश्वास में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं.

आगे की राह

अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जाने-माने विद्वान केनेथ वाल्ट्ज के चिंतन की शुरुआत इसी विश्वास के साथ होती है कि अराजक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और नियमों को लागू करने वाली बड़ी सत्ता के न होने से, देशों को संतुलन बनाकर अपने अस्तित्व की संभावना बढ़ानी होगी. कहा जाता है कि जब देश संसाधनों के विवेकपूर्ण प्रबंधन के माध्यम से घरेलू आर्थिक क्षमता का लाभ उठाना चाहते हैं, तो वे आंतरिक संतुलन का विकल्प चुनते हैं. इसीलिए, अस्तित्व ही कुंजी है और राज्य अपने टिके रहने की संभावनाओं को अधिक से अधिक बढ़ाने के लिए सब कुछ करते हैं. फिर भी, ऐसा नहीं है कि व्हाइट हाउस के पास ही सारे पत्ते हैं. लॉफेयर, यानी कानूनी तंत्रों के रणनीतिक इस्तेमाल की नीति के तहत, चीन ने ऐसा कानून बनाया है, जिसका उद्देश्य दुर्लभ धातुओं और महत्वपूर्ण खनिजों के व्यापार को नियंत्रित करना है. इस नीति का संभावित असर प्रौद्योगिकी-आपूर्ति श्रृंखलाओं पर पड़ सकता है, जिस कारण वाशिंगटन में एक दबाव समूह बन सकता है. जाहिर है, अब सबकी नज़रें उस देश पर होंगी, जो सबसे पहले पहल करेगा.


(कल्पित ए मनकीकर ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में स्ट्रैटेजिक स्टडीज प्रोग्राम के फेलो हैं)

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