Author : Ayjaz Wani

Expert Speak Raisina Debates
Published on May 21, 2024 Updated 0 Hours ago

भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट को लेकर हुए समझौते के कारण भारत को यूरेशिया तक पहुंच हासिल करने में सहायता होगी. इसके अलावा यह समझौता इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते हुए प्रभाव को संतुलित भी करेगा

चाबहार बंदरगाह: चीन के BRI प्रोजेक्ट का पुख़्ता भारतीय जवाब

13 मई को भारत के बंदरगाह, शिपिंग एवं जल परिवहन राज्य मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बलूचिस्तान प्रांत स्थित सिस्तान पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण समझे जाने वाले चाबहार बंदरगाह को संचालित तथा विकसित करने के लिए दस वर्षों के समझौते पर हस्ताक्षर किए. इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) इस बंदरगाह पर लगभग 120 मिलियन US$ का निवेश करेगा. इसके साथ ही 250 मिलियन US$ का ऋण देकर मध्य एशिया, अफ़गानिस्तान, साउथ कॉकस और ग्रेटर यूरेशियन क्षेत्र तक भारत की पहुंच को नई मजबूती देगा. विश्व स्तर पर हो रहे भू-राजनीतिक संघर्षों और रेड सी में बढ़ रही अशांति के बीच यह समझौता भारत की यूरेशिया तक पहुंच हासिल करने की लंबे समय से चली रही इच्छा को भी पूरा करेगा. इस पहुंच की वज़ह से आर्थिक उन्नति के साथ-साथ लचीले संपर्क मार्ग भी उपलब्ध होंगे. इसके अलावा इस समझौते की वज़ह से भारत को चीन-पाकिस्तान गठबंधन तथा चीन के प्रसिद्ध बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के मुकाबले अधिक प्रभावी स्थिति के साथ रणनीतिक वजन भी हासिल होगा. इस योजना के कारण भारत को यूरेशिया तक पहुंच हासिल करने के लिए पाकिस्तान की आवश्यकता नहीं होगी. पाकिस्तान ने हमेशा ही पूर्व में बीजिंग के सत्तावादी और उग्र प्रभाव का उपयोग करते हुए यूरेशिया तक पहुंच स्थापित करने की नई दिल्ली को कोशिशों को अटकाने का काम किया है

 

इस समझौते की वज़ह से भारत को चीन-पाकिस्तान गठबंधन तथा चीन के प्रसिद्ध बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के मुकाबले अधिक प्रभावी स्थिति के साथ रणनीतिक वजन भी हासिल होगा.

यूरेशिया तक पहुंचने का भारतीय प्रवेशद्वार

 

वैसे तो भारत ने रणनीतिक चाबहार बंदरगाह में निवेश करने की योजना 2003 में ही बना ली थी, लेकिन इसे लेकर नई दिल्ली तथा तेहरान के बीच नियमानुसार समझौते पर 2015 में हस्ताक्षर किए गए, तेहरान की अपनी 2016 की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चाबहार बंदरगाह के निर्माण पर 500 मिलियन US$ निवेश करने का वचन दिया तो चाबहार बंदरगाह के काम ने तेजी पकड़ी. 2018 में बंदरगाह का शहीद बेहिश्ती टर्मिनल काम करने लगा. इस टर्मिनल में IPGL ने 25 मिलियन US$ का निवेश किया था. 2019 से इस बंदरगाह पर 90,000 TEUs तथा 8.4 मिलियन टन जनरल कार्गो का काम संभाला जा चुका है. इसके लिए IPGL ने यहां पर 100 से 140 टन क्षमता वाली छह मोबाइल क्रेन स्थापित की है

 

इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) का उपयोग करते हुए मुंबई से यूरेशिया तक जाने के लिए चाबहार बंदरगाह एक मुख्य कड़ी है. 7,200 किलोमीटर में फ़ैले INSTC में समुद्री मार्ग, रेल और रोड मार्ग शामिल है, जो मुंबई को यूरेशिया तथा मध्य एशिया से जोड़ते हैं. इसका प्रस्ताव सितंबर 2000 में भारत, रूस तथा ईरान के बीच हुए एक समझौते में आया था. उसके बाद से INSTC समझौते को 13 देशों, जिसमें रूस, भारत, ईरान, तुर्किए, अज़रबैज़ान, बेलारूस, बुल्गारिया, अर्मेनिया, सेंट्रल एशियाई रिपब्लिक्स, यूक्रेन और ओमान शामिल हैं, ने मंजूरी दे दी है. अनुमान है कि सुएज कैनाल के मुकाबले INSTC परिवहन के लिए लगने वाले समय को 45-60 दिनों से कम करते हुए 25-30 पर ले आएगा और कीमत में भी 30 प्रतिशत की कमी आएगी. वैसे भी सुएज कैनाल मार्ग क्षेत्रीय संघर्ष की वज़ह से प्रभावित ही रहा है

 एक बार यह रेल मार्ग बन जाएगा तो भारत को यूरेशियाई बाज़ार, मुख्यत: मध्य एशिया, का बड़ा हिस्सा उपलब्ध हो जाएगा. यह हिस्सा उसे INSTC के ईस्टर्न और वेस्टर्न कॉरिडोर के माध्यम से मिलेगा.

2016 में नई दिल्ली और तेहरान ने स्पष्ट रूप से 628 किलोमीटर लंबाई वाली चाबहार-ज़ाहेदान रेल लिंक स्थापित करने के समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए थे. यह रेल लिंक चाबहार बंदरगाह को INSTC से जोड़ती है. लेकिन 2018 में अमेरिका (US) ने अचानक ही जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) से अपने स्तर पर ही अलग होने का निर्णय लेते हुए ईरान पर पहले से भी कड़े प्रतिबंध लगा दिए. इन प्रतिबंधों की वज़ह से ईरानी अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई, जिसने ईरानी रेलवे प्रणाली से चाबहार को जोड़ने वाली इस महत्वपूर्ण रेल लाइन के निर्माण कार्य को झटका दिया

 

कूटनीतिक चतुरता दिखाते हुए नई दिल्ली ने 2018 में चाबहार बंदरगाह के विकास समेत अन्य बुनियादी विकास योजनाओं के लिए US से छूट हासिल कर ली. यह हासिल करने के बाद भारत ने चाबहार बंदरगाह के विकास बजट में पहले तय की गई 2020-21 की 5.5 मिलियन US$ से दो गुना करते हुए 2022-23 में 12.3 मिलियन US$ करने का निर्णय ले लिया. भारत के इस आगे बढ़कर काम करने की इच्छा के बावजूद प्रतिबंधों के कारण पैसा मिलने में होने वाली देरी, अंतर-क्षेत्रीय विवाद और प्रशासन की देरी ने चाबहार-ज़ाहेदान रेलवे लाइन के काम को धीमा कर दिया. इस वज़ह से 2023 तक योजना का 65 प्रतिशत काम ही हो सका था. एक बार यह रेल मार्ग बन जाएगा तो भारत को यूरेशियाई बाज़ार, मुख्यत: मध्य एशिया, का बड़ा हिस्सा उपलब्ध हो जाएगा. यह हिस्सा उसे INSTC के ईस्टर्न और वेस्टर्न कॉरिडोर के माध्यम से मिलेगा.

 

भू-आर्थिक तथा भू-रणनीतिक कारण

 

भारत इस वक़्त दुनिया की तेजी से बढ़ती हुई विकासशील अर्थव्यवस्था है, जो आने वाले 2 वर्षों में 5-ट्रिलियन US$ की अर्थव्यवस्था बनने को तैयार है. विकास की इस गति को बनाए रखने और 2030 तक भारत को विश्व का केंद्रीय मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए नई दिल्ली को एक लचीली, भरोसेमंद और विविध आपूर्ति श्रृंखला को विकसित करने के साथ यूरेशिया में सारी दिशाओं तक जाने वाली पहुंच हासिल करनी होगी. 2030 तक भारत के पास 1 ट्रिलियन US$ की निर्यात क्षमता होगी. इसके लिए ग्रेटर यूरेशिया तक पहुंच बढ़ाने के लिए नए जोशपूर्ण मार्ग ही उसे स्थिर आर्थिक उन्नति और संपन्नता की ओर ले जाएगा. चाबहार बंदरगाह और उसका विकास भारत तथा मध्य एशिया के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करेगा, जिसमें 200 बिलियन US$ के द्विपक्षीय व्यापार की क्षमता है

 

नई दिल्ली ने हाइड्रोकार्बन-संपन्न और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यूरेशियाई क्षेत्र तक सीधी पहुंच स्थापित करने के लिए एक साहसी और सक्रिय रवैया अपनाते हुए चाबहार बंदरगाह तथा INSTC का उपयोग किया है. इस रवैये में क्षेत्रीय एकजुटता और प्रधानता को ऊपर रखा गया है. इसी वज़ह से यह योजना BRI एवं चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) से अलग है. मध्य एशियाई देश भारत की अगुवाई में बन रहे कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट् को क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर मानते हैं. ये देश INSTC तथा चाबहार के माध्यम से अपना व्यवसाय बढ़ाने का निश्चय कर चुके है, क्योंकि यह व्यवस्था इन देशों की चीन पर निर्भरता को कम करते हुए इससे जुड़ी भू-राजनीतिक चेतावनियों को भी कम करने में सहायक साबित होगी, नई दिल्ली की यूरेशिया एवं मध्य एशिया के साथ क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को 2020 में उस वक़्त प्रोत्साहन मिला जब उज़्बेकिस्तान की पहल पर भारत और ईरान के त्रिस्तरीय कार्य समूह की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य चाबहार, INSTC तथा 2016 के अश्गाबात समझौते पर तेजी से आगे बढ़ना था.

 भारतीय नीति निर्माताओं को चाबहार बंदरगाह तथा INSTC में होने वाले निवेश को क्षेत्र में बढ़ रहे भू-राजनीतिक विवादों के बीच चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए रणनीतिक दांव मान सकते है.

इसी प्रकार 2022 में पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन में पांच मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रपतियों ने रणनीतिक चाबहार बंदरगाह को INSTC के साथ जोड़ने पर जोर दिया था, ताकि दोनों भौगोलिक क्षेत्रों के बीच व्यापार एवं वाणिज्यिक गतिविधियों की राह को आसान बनाकर बढ़ावा दिया जा सके. इसे आगे बढ़ाते हुए अप्रैल 2023 में भारत, ईरान और मध्य एशिया ने एक संयुक्त कार्य समूह (JWP) का गठन किया. यह कार्य समूह चाबहार बंदरगाह के काम में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था. BRI की सत्तावादी प्रकृति को लेकर उठने वाली आशंकाओं के बीच मध्य एशियाई देशों एवं भारत ने हमेशा ही एक साथ काम कर रहे देशों की सत्ता और क्षेत्रीय अखंडता को सर्वोच्च स्थान दिया है.

 

भविष्य की राह

बंदरगाह संचालन को लेकर सदैव ही कम वक़्त वाले समझौते करने की भारत की आदत के कारण भारतीय निवेशक एवं जहाज़ से माल भेजने वाले चाबहार बंदरगाह में निवेश करने को लेकर हिचकिचा रहे थे. लेकिन 13 मई को ईरान के साथ 10 वर्षीय समझौते पर हस्ताक्षर होने से अब निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा. यह समझौता भारतीय विदेश नीति के निश्चय और सक्रिय पहलू को, ख़ासकर महामारी की वज़ह से विश्व की आपूर्ति श्रृंखलाओं में आयी रुकावटों, यूक्रेन संघर्ष तथा मध्य पूर्व संकट के संदर्भ में, भी उज़ागर करता है. इसके अलावा नई दिल्ली, INSTC के वेस्टर्न रुट के माध्यम से ट्रांस-कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट रुट (TITR), जिसे कभी-कभी मिडिल कॉरिडोर भी कहा जाता है, का उपयोग करते हुए पूर्वी यूरोपियन बाज़ारों, कैस्पियन क्षेत्र और आगे तक पहुंच पा सकता है. भारतीय नीति निर्माताओं को चाबहार बंदरगाह तथा INSTC में होने वाले निवेश को क्षेत्र में बढ़ रहे भू-राजनीतिक विवादों के बीच चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए रणनीतिक दांव मान सकते है. इस बात को ध्यान में रखकर चाबहार बंदरगाह को लेकर हुए 10 वर्षीय समझौते को अवसर मानने वाले निजी निवेशकों को करों में छूट दी जानी चाहिए.


एजाज़ वानी, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटेजिक स्टडीज्प्रोग्राम के फेलो हैं.

 

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