Published on Dec 14, 2020 Updated 0 Hours ago

पारंपरिक भारतीय कृषि-रासायनिक कंपनियां स्थानीय किसानों के उत्पाद बढ़ाने के लिए हमेशा से पश्चिम से नई तकनीकी का आयात करती रही हैं, लेकिन उनके द्वारा स्थानीय किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए नए अणुओं और उत्पादों के आविष्कार की दिशा में सीमित अनुसंधान ही हुए हैं.

सी-6 एनर्जी- सतत और टिकाऊ जैवीक-उत्पादों के लिए विश्व का पहला महासागर-आधारित तंत्र

ओआरएफ- एक ऐसे समय में जब दुनिया का ध्यान जैविक ऊर्जा पर है आपने सी-6 के वैल्यू प्रोपोजिशन को कैसे दूसरों से अलग बनाया और उत्पाद सूचिका को कैसे तैयार किया?

श्री शैलजा नोरी और सौम्या बालेंदिरन- हमने आईआईटी मद्रास के छात्रों और प्रोफेसरों के एक समूह के रूप में काम शुरू किया था. शुरुआत में हमने सूक्ष्म शैवालों से जैविक ऊर्जा तैयार करने पर ध्यान लगाया, जल्दी ही हमने ये समझ लिया कि ये समाधान तकनीकी तौर पर तो मुमकिन है लेकिन मुख्य़ मुद्दा आर्थिक रूप से लाभकारी बनते हुए कच्चे माल (जैव पदार्थ) को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर पाने की हमारी क्षमता है. भारत में हमेशा से उपजाऊ ज़मीन और पानी की कमी रही है. ज़्यादातर जैव ईंधन तकनीकी ज़मीन के एक बड़े टुकड़े पर जैव ईंधन तैयार करने को ध्यान में रखकर तैयार की जाती है. इसमें बड़ी मात्रा में पानी की भी दरकार होती है. लेकिन हमारी बढ़ती आबादी और सीमित संसाधनों के मद्देनज़र हमने समझा कि हमें कोई क्रांतिकारी समाधान लेकर आना पड़ेगा.

भारत में हमेशा से उपजाऊ ज़मीन और पानी की कमी रही है. ज़्यादातर जैव ईंधन तकनीकी ज़मीन के एक बड़े टुकड़े पर जैव ईंधन तैयार करने को ध्यान में रखकर तैयार की जाती है. इसमें बड़ी मात्रा में पानी की भी दरकार होती है.

इसी मकसद से हम जैव-ऊर्जा के अक्षय भंडार के रूप में महासागर की ओर देखने को प्रेरित हुए. इस विचार ने ‘भोजन बनाम ईंधन की बहस’ के मुद्दों को एक नई दिशा में मोड़ा और बड़े पैमाने पर स्वचालित खेती की संभावनाओं को बढ़ावा दिया. सी6 एनर्जी महासागरीय कृषि तकनीक और समुद्री वनस्पतियों के इस्तेमाल से एक विविधतापूर्ण उत्पाद समूह तैयार करने में अग्रणी भूमिका में आ गई. हमने खेती के लिए नए उत्पादों से कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए और फसलों पर कीड़ों के हमले से किसानों को होने वाले नुकसान पर नियंत्रण के लिए नए उत्पादों का विकास किया. वर्तमान में हम खाद्य सामग्रियों, खाद्य उत्पादों, बायोप्लास्टिक और महासागरीय जैव-भंडार पर आधारित जैव-ईंधन के विकास की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. सी6 एनर्जी को फिलहाल चार पेटेंट हासिल हैं और भविष्य के उत्पाद पोर्टफोलियो के लिए तीन अतिरिक्त पेटेंट दाखिल किए गए हैं.

ओआरएफ- आप अपने अनोखे महासागरीय ऑपरेटिंग प्लैटफॉर्म और किसी भी महासागर के बीचोंबीच जैव ईंधन तैयार करने वाले हार्वेस्टर के बारे में बताइए

नोरी और बालेंदिरन- सी-कंबाइन को समंदर में रहते हुए उष्ण-कटिबंधीय लाल शैवाल को माकूल तरीके से लगाने और उसकी कटाई के हिसाब से तैयार किया गया है. पारंपरिक रूप से खेती से जुड़े ज़्यादातर क्रियाकलाप ज़मीन पर ही होते रहे हैं जिससे परिवहन की लागत और समय बढ़ती है. इतना ही नहीं, इस प्रक्रिया में समुद्री शैवाल बिना वजह काफी देर तक पानी से बाहर भी रहता है जिससे उसकी गुणवत्ता में गिरावट आती है. हमारे स्वामित्व वाले उपकरण के इस्तेमाल से हम समुद्र में रहते हुए भी खेती का काम कर सकते हैं, इससे श्रम की उत्पादकता तो बढ़ती ही है साथ ही किसानों को समंदर के एक बड़े क्षेत्र में खेती के मौके भी मिलते हैं.

हालांकि, हमारी यह यात्रा आसान नहीं रही है, हम एक ऐसे समाधान की तलाश में रहे हैं जो समुद्र में आसानी से इस्तेमाल हो और साथ ही समुद्र की विभिन्न वनस्पतियों को संभाल सके. इस सिलसिले में हमने कई विविध तरीके अपनाए क्योंकि समुद्री शैवाल विभिन्न इलाकों और अलग-अलग मौसमों में अलग व्यवहार करते हैं. इस वजह से हमें कई तरह के डिज़ाइन बनाने पड़े. हालांकि, जो फाइनल डिज़ाइन बनी वो काफी कारगर है और विभिन्न इलाकों और मौसमों में बेहतर परिणाम देने वाला है. इस तकनीक से किसान समंदर में कई हेक्टेयर तक प्रभावी तरीके से खेती कर सकते हैं, जबकि पहले के सिस्टम से कुछ वर्ग मीटर से ज़्यादा में खेती संभव नहीं होती थी. इस तरह से हमें बड़े पैमाने पर जैव ईंधन प्राप्त करने का रास्ता प्राप्त हुआ.

इस तकनीक से किसान समंदर में कई हेक्टेयर तक प्रभावी तरीके से खेती कर सकते हैं, जबकि पहले के सिस्टम से कुछ वर्ग मीटर से ज़्यादा में खेती संभव नहीं होती थी. इस तरह से हमें बड़े पैमाने पर जैव ईंधन प्राप्त करने का रास्ता प्राप्त हुआ. 

ओआरएफ- एक ऐसे क्षेत्र में जिसमें भारत पारंपरिक तौर पर पेटेंट किए हुए उत्पादों का आयात करता आ रहा है आप लोगों ने अपने पेटेंट किए उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग कैसे की?

नोरी और बालेंदिरन- भारत की पारंपरिक कृषि रासायनिक कंपनियों ने हमेशा से पश्चिम से तकनीकी का आयात किया और स्थानीय किसानों तक पहुंचाया ताकि वो अपने कृषि उत्पादों को बढ़ावा दे सकें. बहरहाल, स्थानीय किसानों के हित के लिए नए उत्पादों की खोज में भारतीय कंपनियों द्वारा सीमित प्रयास ही हुए हैं. साथ ही उच्च गुणवत्ता वाले जैविक/जैव-वैज्ञानिक समाधानों के शोध पर कम ही ध्यान रहा है.

जब सी-6 ने किसानों पर प्रभाव डालने वाले उपायों पर गौर करना शुरू किया तो हमने समझा कि किसानों को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित जैविक उत्पादों की ज़रूरत है जो उनकी कृषि उपज बढ़ा सकें. इसिलिए हमने इस क्षेत्र में पांच साल तक अपना अनुसंधान जारी रखा और पौधों को बढ़ावा देने वाले पेटेंटेड उत्पाद एग्रोगेन को लॉन्च किया. आज की तारीख़ में हम शैवाल-आधारित जैव-शक्तिवर्धक उत्पाद का पेंटेट हासिल करने वाली इकलौती कंपनी हैं.

हमने दुनिया की अग्रणी शोध संस्थानों और कॉन्ट्रैक्ट अनुसंधान केंद्रों के साथ मिलकर अपने उत्पाद को साबित करने के लिए बहुस्तरीय ट्रायल जारी रखे. इसके साथ ही अपने उत्पाद के उपयोग और प्रभाव के लिए हमने मज़बूत वैज्ञानिक प्रमाण हासिल किए. 

हमारी कंपनी को एग्रो अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ जैविक उत्पाद श्रेणी में विशेष उल्लेख पुरस्कार मिला और ऐसा सम्मान पाने वाली हमारी कंपनी पहली भारतीय कंपनी बनी. इतना ही नहीं हमने दुनिया की अग्रणी शोध संस्थानों और कॉन्ट्रैक्ट अनुसंधान केंद्रों के साथ मिलकर अपने उत्पाद को साबित करने के लिए बहुस्तरीय ट्रायल जारी रखे. इसके साथ ही अपने उत्पाद के उपयोग और प्रभाव के लिए हमने मज़बूत वैज्ञानिक प्रमाण हासिल किए.

अपने गुणवत्तापूर्ण उत्पाद के साथ हमने विश्व बाज़ार में धाक जमा चुकी कंपनियों जैसे एफएमसी कॉरपोरेशन और समिट एग्रो (सुमिटोमो ग्रुप) से संपर्क किया और उनके साथ विश्व बाज़ार में अपने उत्पादों के विक्रय के लिए गठजोड़ किया. हम आज यूएस समेत कई देशों में अपने उत्पादों का निर्यात करते हैं.

ओआरएफ- कृषि क्षेत्र में शोध के लिए भारत ने ज़बरदस्त बुनियादी ढांचा खड़ा किया है. आपने इसका किस तरह से इस्तेमाल किया और आपके विचार से इस क्षेत्र में विश्व गुरु बनने और दुनिया को समाधान मुहैया कराने के लिए सरकार को और किन-किन ढांचों में निवेश करना चाहिए?

नोरी और बालेंदिरन- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तत्वाधान में कृषि और पशु विज्ञान के क्षेत्र में शोध के लिए भारत के पास गुणवत्तापूर्ण संस्थानों का एक नेटवर्क है. जब सी6 एनर्जी ने समुद्री वनस्पतियों से प्राप्त उत्पादों के कृषि में उपयोग को लेकर संभावनाएं तलाशने का काम शुरू किया तो हमें इस क्षेत्र में दख़ल रखने वाले आईसीएआर के कई संस्थानों के साथ शोध परियोजनाओं को स्पॉन्सर करने और उनके नेटवर्क का इस्तेमाल करने का मौका मिला. इन विशेषज्ञ संस्थानों के साथ हमने फसल-आधारित शोध और फसलों की सेहत बढ़ाने वाले जैव-शक्तिवर्धक उत्पादों पर गहन अनुसंधान किया.

उद्योग और शिक्षा जगत मिलकर मौजूदा दौर की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित कर उनके समाधान ढूंढ सकें इसके लिए सरकार को साझा केंद्रों या क्लस्टरों का निर्माण करना चाहिए. खेतों तक आधुनिक तकनीक की पहुंच हो सके लिए नीतिगत उपाय किए जाने चाहिए. 

पशु विज्ञान के क्षेत्र में शोध करने वाले संस्थानों के साथ मिलकर सी6 एनर्जी ने झींगा, पोल्ट्री और मवेशियों के बेहतर स्वास्थ्य और पालन के लिए समुद्री वनस्पतियों के प्रयोग का तरीका विकसित किया. सी6 से जुड़े हम जैसे लोगों का कृषि या पशुविज्ञान से कभी कोई नाता नहीं रहा और न ही हमें ज़्यादा जानकारी रही पर इन संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिकों से बातचीत के ज़रिए हमने कई अहम जानकारियां हासिल कीं.

उद्योग और शिक्षा जगत मिलकर मौजूदा दौर की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित कर उनके समाधान ढूंढ सकें इसके लिए सरकार को साझा केंद्रों या क्लस्टरों का निर्माण करना चाहिए. खेतों तक आधुनिक तकनीक की पहुंच हो सके लिए नीतिगत उपाय किए जाने चाहिए. शुरुआती दौर के लिए तो सरकार की ओर से आर्थिक सहायता उपलब्ध है लेकिन स्टार्टअप्स के लिए अपनी तकनीकी के व्यापारिक प्रसार के लिए कोई विकासोन्मुख फंड उपलब्ध नहीं है. स्टार्ट-अप्स के फलने फूलने के रास्ते में अभी भी कई बाधाएं मौजूद हैं.

ओआरएफ- बड़े स्तर पर जैव उत्पाद की प्रक्रिया में महारत हासिल करने के बाद अब आपलोगों को अगला लक्ष्य क्या है? आपलोग अपने अब तक के अनुभव और बड़े पैमाने पर मौजूद जैव-उत्पाद को विभिन्न बाज़ारों में किस तरह विस्तार देंगे?

नोरी और बालेंदिरन- समुद्री वनस्पतियों में एक साल में प्रति हेक्टेयर 100 टन से ज़्यादा की उत्पादन क्षमता होती है और इस तरह वो उद्योग जगत की विभिन्न ज़रूरतों के लिए एक शानदार कच्चे माल के रूप में देखे जाते हैं. हम चाहते हैं कि हम समुद्री वनस्पति की इस क्षमता को सतत जैव-आर्थिकी विकास के लिए इस्तेमाल करें.

अब जबकि हमने समुद्री वनस्पतियों से प्राप्त जैव-शक्ति वर्धक और पौधों के स्वास्थ्य से जुड़े उत्पादों का पारंपरिक खेती के तरीकों के साथ व्यापारिक तौर पर इस्तेमाल शुरू किया है वहीं हमने समुद्री वनस्पतियों को खाद्यपदार्थों, पशुचारे, प्लास्टिक और ईंधन में बदलने के तरीकों का भी प्रदर्शन किया है. सड़नशील प्लास्टिक और जैव-ईंधन बड़े पैमाने पर उत्पाद किए जाने वाली चीज़ें हैं और उनके निर्माण में लाखों टन कच्चे माल की ज़रूरत होती है और हमारी सी-कंबाइन तकनीकी इसमें मदद करती है.

अगले तीन से पांच वर्षों में सी-6 एनर्जी अपने महासागरीय कृषि कार्यों का विस्तार करेगी और सड़नशील प्लास्टिक के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करेगी. बाद में इनका व्यापारिक उद्देश्य से प्रयोग होगा. हमलोग खाद्य पदार्थों और पशुस्वास्थ्य के क्षेत्र में सतत विकास सुनिश्चित करने वाले उत्पाद भी बाज़ार में उतारेंगे.

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