Published on Nov 02, 2022 Updated 0 Hours ago

G20 जहां डिजिटल बदलाव के लिए समावेशी दृष्टिकोण और अंतरराष्ट्रीय विकास सहयोग की अगुवाई कर सकता है, वहीं एक नए भविष्य का निर्माण करने के लिए बहुपक्षवाद को भी मज़बूती दे सकता है.

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ प्रतिरोध क्षमता का निर्माण

आजकल अस्थिरिता बेहद सामान्य सी बात हो गई है. जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी और यूक्रेन में चल रहे युद्ध की वजह से तेज़ी से बिगड़ते हालातों और उनके प्रभावों के चलते संकटों का एक चक्र सा बन गया है, जिसमें कई देश स्वास्थ्य, शिक्षा और खाद्य सुरक्षा को लेकर विनाशकारी दुष्प्रभावों का सामना कर रहे हैं.

पूरी दुनिया में ग़रीबी, खाद्य असुरक्षा और भूख यानी भोजन की कमी में ज़बरदस्त बढ़ोतरी हुई है, इसके साथ ही शिक्षा बाधित होने की वजह से निरक्षरता में भी वृद्धि हुई है. ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट के मुताबिक़ अकेले महामारी के पहले वर्ष में मौतों में औसतन 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लोगों का मानसिक स्वास्थ्य ख़राब हुआ है और साथ ही समाज में विभाजन बढ़ गया है. महामारी ने हमारे समाज के भीतर पहले से मौजूद कमज़ोरियों को भी सामने ला दिया है, क्योंकि पहले से ही हाशिये पर रहने वालों की स्थिति और भी बदतर हो गई है. संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के अनुसार, “वर्ष 2020 की शुरुआत से कोविड-19 की महामारी के कारण होने वाले वैश्विक संकट, सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की उपलब्धि को प्रभावित कर सकते हैं और इसके फलस्वरूप SDG के कार्यान्वयन की प्रक्रिया धीमी पड़ सकती है, या फिर उलट भी सकती है.”

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के अनुसार, “वर्ष 2020 की शुरुआत से कोविड-19 की महामारी के कारण होने वाले वैश्विक संकट, सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की उपलब्धि को प्रभावित कर सकते हैं और इसके फलस्वरूप SDG के कार्यान्वयन की प्रक्रिया धीमी पड़ सकती है, या फिर उलट भी सकती है.”

आने वाले कई वर्षों तक मानव कल्याण पर इसका प्रभाव महसूस किया जाएगा, लेकिन सभी देश या फिर सभी लोग उन प्रभावों का एक समान अनुभव नहीं करेंगे. अभी तक जो देखा गया है कि इसके प्रभाव अलग-अलग रहे हैं. लेकिन उनमें एक बात ज़रूर समान है कि अमीरी और ग़रीबी के फासले की परवाह किए बिना, जिन देशों ने डिजिटल तौर पर स्वयं को अधिक तैयार कर रखा था, वे इन प्रभावों का सामना करने में ज़्यादा सक्षम रहे हैं.

संकट के दौरान डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की भूमिका

यह स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि वैश्विक संकटों से निपटने के लिए, फिर चाहे वे संकट स्वास्थ्य से संबंधित हों, या ग्लोबल वार्मिंग और आर्थिक मंदी से जुड़े संकट हों, या फिर इसी तरह के अन्य संकट, इनसे तेज़ और प्रभावी तरीक़े से निपटने के लिए मज़बूत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे यानी डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) की आवश्यकता है. डीपीआई उन समाधानों और प्रणालियों के बारे में बताता है, जो सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में पूरे समाज के लिए आवश्यक कार्यों और सेवाओं के प्रभावी प्रावधान को सक्षम बनाते हैं. इसमें आईडी और सत्यापन, नागरिक पंजीकरण, भुगतान (डिजिटल लेनदेन और पैसों का हस्तांतरण), डेटा आदान-प्रदान और सूचना तंत्र के डिजिटल रूप शामिल हैं, लेकिन एक और अहम बात यह है कि ये प्रावधान यहीं तक सीमित नहीं हैं.

यह लेख इस बात पर विस्तार से प्रकाश डालेगा कि डीपीआई क्षमताएं कैसे और क्यों महत्वपूर्ण हैं और साथ ही इनके माध्यम से सरकारें संकटों की स्थिति में किस प्रकार प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देती हैं और विपरीत हालातों का सामना करती हैं.

ये मूलभूत डिजिटल सिस्टम ना केवल विपरीत हालातों से मुक़ाबला करने का सामर्थ्य बढ़ा सकते हैं, बल्कि देखा जाए तो अक्सर संकट के समय क्रियाशील होते हैं. उदाहरण के लिए, कई अफ्रीकी देश जिनके पास कोविड-19 महामारी से पहले मजबूत डीपीआई था, उन्होंने वर्ष 2014-2016 के इबोला संकट का सामना करने के लिए सबसे पहले इन डिजिटल सिस्टम का निर्माण किया था और इनमें निवेश किया था. इसी प्रकार यूक्रेन का डीपीआई, जिसे साइबर सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ डिजिटल ट्रांसफोर्मेशन द्वारा विकसित किया गया है, अब युद्ध की वजह से भौतिक रूप से मौजूद इन्फ्रास्ट्रक्चर के छिन्न-भिन्न होने के बावज़ूद देश के नागरिकों को ज़रूरी सेवाएं प्रदान कर रहा है.

यह लेख इस बात पर विस्तार से प्रकाश डालेगा कि डीपीआई क्षमताएं कैसे और क्यों महत्वपूर्ण हैं और साथ ही इनके माध्यम से सरकारें संकटों की स्थिति में किस प्रकार प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देती हैं और विपरीत हालातों का सामना करती हैं.

डीपीआई एजेंडा में तेज़ी लाने के लिए क्यों है डिजिटल पब्लिक गुड्स की आवश्यकता

आमतौर पर देखने में आता है कि किसी देश के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में डिजिटल पब्लिक गुड्स (DPGs) समेत कई हितधारकों और/या ओपन-सोर्स समाधानों का कार्यान्वयन शामिल हो सकता है. डीपीजी ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर, ओपन डेटा, ओपन एआई मॉडल, ओपन स्टैंडर्ड और ओपन कंटेंट हैं, जो गोपनीयता और अन्य लागू क़ानूनों एवं सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करते हैं. डिजाइन से इनका कोई नुकसान नहीं होता है और यह एसडीजी हासिल करने में मदद करते हैं. ये डीपीआई-एजेंडे को तेज़ करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं.

डिजिटल पब्लिक गुड्स देशों को वेंडर लॉक-इन यानी गुणवत्ता की परवाह किए बगैर किसी उत्पाद या सेवा का उपयोग हर हालत में जारी रखने के लिए मज़बूर करने से बचने, मौजूदा समाधानों का लाभ उठाने और उन्हें स्थानीय आवश्यकतों के मुताबिक़ ढालने और विभिन्न प्लेटफार्मों एवं समाधानों के बीच पारस्परिक संचालन का सहयोग करने में मदद कर सकता है. ज़ाहिर है कि जब डिजिटल संप्रभुता एक प्रमुख चिंता का विषय है, तो इन सभी फायदों को ऐसे माहौल में बढ़ाचढ़ा कर पेश नहीं किया जा सकता है. आज हम तेज़ी से डिजिटल रूप से तो जुड़े हुए हैं, लेकिन अभी तक सूचनाओं और जानकारी के आदान-प्रदान एवं उसका उपयोग करने में पूरी तरह से सक्षम नहीं हो पाए हैं. उदाहरण के लिए, डीजीपी के प्रति एस्टोनिया का दृष्टिकोण इसकी डिजिटल कूटनीति और डिजिटल विदेश नीति का एक प्रमुख घटक बन गया है. इसमें वह कार्य भी शामिल हैं, जो एस्टोनिया ने अपनी डिजिटल संप्रभुता को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए किए हैं, साथ अपनी नीतियों और क़दमों को दूसरों के साथ साझा करने के लिए किए हैं. एस्टोनिया ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर DPG X-Road  को फंड देता है, जो संगठनों के बीच एकीकृत और सुरक्षित डेटा आदान-प्रदान करता है और नागरिकों के लिए सेवा उपलब्ध कराने में सुधार करता है. इसके साथ ही यह ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर फिनलैंड और आइसलैंड के साथ नॉर्डिक इंस्टीट्यूट फॉर इंटरऑपरेबिलिटी सॉल्यूशंस के माध्यम से डीपीजी के लिए वेंडर ट्रेनिंग और प्रमाणन से जुड़े दृष्टिकोण साझा करता है.

आज हम तेज़ी से डिजिटल रूप से तो जुड़े हुए हैं, लेकिन अभी तक सूचनाओं और जानकारी के आदान-प्रदान एवं उसका उपयोग करने में पूरी तरह से सक्षम नहीं हो पाए हैं. उदाहरण के लिए, डीजीपी के प्रति एस्टोनिया का दृष्टिकोण इसकी डिजिटल कूटनीति और डिजिटल विदेश नीति का एक प्रमुख घटक बन गया है.

गैर-सरकारी संगठन (NGO) आईडी4अफ्रीका (ID4Africa) द्वारा वर्ष 2018 में कराए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक़ अफ्रीका में राष्ट्रीय पहचान प्राधिकरणों के मध्य वेंडर लॉक-इन एक सबसे बड़ी चिंता थी. वेंडर लॉक-इन के तहत लंबी अवधि के अनुबंधनों में जहां लचीलापन बहुत ही सीमित था, वहीं बड़े और कभी-कभी अप्रत्याशित शुल्क के साथ ही स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होना, गवर्नेंस और निर्णय लेने में नागरिकों की भूमिका को एकीकृत करने में असमर्थता और केवल कुछ कंपनियों के ईर्द-गिर्द ही बाज़ार को केंद्रीकृत करने जैसी बातें इसमें शामिल थीं. चूंकि डीजीपी ओपन सोर्स हैं, लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप बदल सकते हैं और स्थानीय ज़रूरतों के मुताबिक़ हैं, इसलिए वे इन चिंताओं का समाधान करने में मदद कर सकते हैं. इस प्रकार से यह देशों को अपनी डिजिटलीकरण प्रक्रियाओं पर रणनीतिक नियंत्रण बनाए रखने में भी सक्षम बनाते हैं. देखा जाए तो यह नए प्रकार के डिजिटल सहयोग को जन्म दे सकता है और दीर्घकालिक क्षमता को मज़बूत कर सकता है.

इस भरोसे को दुनिया के नेताओं द्वारा रेखांकित किया गया है, जो अधिक समावेशी समाजों के लिए आधार तैयार करते हुए प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के लिए डीपीआई को प्राथमिकता दे रहे हैं. सितंबर 2022 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और डिजिटल पब्लिक गुड्स एलायंस द्वारा आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा में दुनियाभर के देशों ने डीपीआई के कार्यान्वयन के लिए डीपीजी और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई थी. फंड देने वालों ने डीपीजी के साथ समावेशी डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को आगे बढ़ाने के लिए 295 मिलियन अमेरिकी डॉलर की भी दिए थे.

कोविड-19 के दौरान कैश ट्रांसफर प्राप्त करने के लिए डीपीआई विजन का उपयोग

महामारी के दौरान डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) उम्मीद से अधिक लाभदायक सिद्ध हुआ. आधारभूत डीपीआई जटिल और सभी सेक्टरों की चुनौतियों का समाधान करने की देश की क्षमता को मज़बूत करता है, जिसमें संस्थागत, क्षेत्रीय और भौगोलिक सीमाओं में डेटा का अधिक स्वतंत्र रूप से प्रवाह शामिल है. बड़ी संख्या में हितधारकों द्वारा सार्वजनिक और निजी नवाचार के लिए इसका लाभ उठाया जा सकता है. इस मामले में नकद हस्तांतरण जैसे सरकारी लाभ आधारभूत डीपीआई द्वारा समर्थित हैं.

पहचान का एक मॉड्युलर यानी आपस में जोड़ी जा सकने वाली छोटी-छोटी यूनिट्स और ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म MOSIP, पहचान पता करने की मूलभूत प्रणालियों के लिए एक ऐसी तकनीकी संरचना की तरह है, जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार की सरकारी और निजी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए किया जा सकता है. चूंकि MOSIP को खुले मानकों और एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस का उपयोग करके कार्यान्वित किया जाता है और इसे डिजिटल पब्लिक गुड (डीपीजी) के रूप में बरक़रार रखा जाता है, इसलिए “MOSIP राष्ट्रीय पहचान प्रणालियों को संदर्भ विशेष और स्थानीय क़ानूनों और निर्णयों के आधार पर अनुमति देता है… MOSIP आधारित सिस्टम कई प्रकर के प्रमाणीकरण यानी सत्यता जांचने के तरीक़ों को समायोजित कर सकता है…. कई वेंडरों या आपूर्तिकर्ताओं के उपकरणों का उपयोग एक ही सिस्टम के भीतर किया जा सकता है, …यह भविष्य के लिए सिस्टम को पुख्ता बनाता है और हार्डवेयर में अलग-अलग प्रावधानों को लेकर प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करता है”.

MOSIP जैसी डिजिटल तकनीकों का एक महत्वपूर्ण उपयोग महामारी के दौरान तमाम तरह की सब्सिडी का भुगतान करने के लिए किया गया है. जाहिर है कि यह भविष्य में सरकार की तरफ से नागरिकों के कल्याण के लिए कई सेवाएं उपलब्ध कराने हेतु बुनियादी ढांचे के निर्माण में सहायता करता है. फिलीपींस स्टैटिस्टिक्स अथॉरिटी का अनुमान है कि महामारी सहायता कार्यक्रम के बाद 18 मिलियन परिवारों तक सामाजिक लाभ पहुंचाने के लिए MOSIP का लाभ उठाया गया.

MOSIP जैसी डिजिटल तकनीकों का एक महत्वपूर्ण उपयोग महामारी के दौरान तमाम तरह की सब्सिडी का भुगतान करने के लिए किया गया है. जाहिर है कि यह भविष्य में सरकार की तरफ से नागरिकों के कल्याण के लिए कई सेवाएं उपलब्ध कराने हेतु बुनियादी ढांचे के निर्माण में सहायता करता है.

एक और सफल उदाहरण अफ्रीकी देश सिएरा लियोन की सरकार है, जिसने OpenG2P फ्रेमवर्क का का उपयोग किया. यह एक ऐसा फ्रेमवर्क है, जो सरकार द्वारा लोगों को भुगतान करने के लिए पारस्परिक संचालन योग्य और समावेशी प्रणालियों को लागू करने हेतु डीपीजी के समूह को एक साथ लाता है. OpenG2P ने कोविड-19 के बाद हालात पर नियंत्रण करने के लिए MOSIP के साथ भागीदारी निभाई है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के मुख्य डिजिटल अधिकारी रॉबर्ट ओप ने कहा, “इस सहयोग के माध्यम से हम लोगों को भुगतान करने की कुशलता और प्रभावशीलता में सुधार करने के लिए व्यापक डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के भीतर डिजिटल पहचान और सरकार से लोगों तक भुगतान तंत्र लागू करने की उम्मीद करते हैं. इसके साथ ही हम यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी पीछे नहीं छूट जाए, मानवाधिकार और निजता को हर हाल में बनाए रखने के दृष्टिकोण को केंद्र में रख रहे हैं.”

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, टाटा ट्रस्ट, ओमिडयार नेटवर्क्स और NORAD द्वारा वित्त पोषित, MOSIP को फिलीपींस, मोरक्को और टोगो द्वारा अपनाया जा रहा है. इसके अलावा श्रीलंका, इथियोपिया और गिनी में इसे पायलट के रूप में अपनाया जा रहा है. एक डीपीजी के तौर पर MOSIP डीपीजी के अपनाने योग्य, आपस में प्रचलन योग्य और पारदर्शी गुणों का प्रतिनिधित्व करता है, जो उन्हें देश के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के कार्यान्वयन में विशेष रूप से फायदेमंद बनाता है.

G20 प्रतिरोध क्षमता का निर्माण करने और वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य करने योग्य ओपन-सोर्स प्रौद्योगिकियों के उपयोग की वकालत करके भविष्य के लिए एक उदाहरण भी स्थापित कर सकता है.

G20 क्या कर सकता है

G20 जैसे मंच जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए वैश्विक दृष्टिकोण समेत डीपीआई को अपनाने और इसे ताक़त देने के लिए क्या कर सकते हैं? विश्व की लगभग 60 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते हुए G20 बार-बार सामने आने वाले संकटों के समय में देश, क्षेत्रीय और वैश्विक लचीलेपन को मज़बूत करने के लिए डीपीआई की आवश्यकता को लेकर एक सशक्त पैरोकार बन सकता है. इसके साथ ही डीपीजी को तीव्र और बेहतर ढंग से कार्य करने के विकल्प के रूप में प्रचारित-प्रसारित किया जा सकता है. G20 प्रतिरोध क्षमता का निर्माण करने और वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य करने योग्य ओपन-सोर्स प्रौद्योगिकियों के उपयोग की वकालत करके भविष्य के लिए एक उदाहरण भी स्थापित कर सकता है.

G20 सदस्य कुछ कार्रवाईयों पर विचार कर सकते हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी और चल रहे जलवायु संकट के मद्देनज़र ठोस उदाहरणों के माध्यम से आगे बताई गई हैं:

  • डेटा तक सभी की पहुंच के लिए प्रतिबद्धता

सॉफ्टवेयर जैसे डिजिटल समाधान तब सबसे ज़्यादा प्रभावी होते हैं, जब इन्हें प्रासंगिक और उच्च-गुणवत्ता वाले डेटा द्वारा संचालित किया जाता है. सरकारों, गैर सरकारी संगठनों और बहुपक्षीय लोगों को चुनौतियों का सामना करने में मदद करने के लिए डेटा तक पहुंच और प्रसार बेहद महत्त्वपूर्ण है. डेटा एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने वाले संगठनों को निर्बाध और निशुल्क पहुंच प्रदान करके और इसे प्रोत्साहित करके उदाहरण पेश किया जाना चाहिए. उदाहरण के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन तक सभी की पहुंच सर्वोच्च प्राथमिकता थी. हालांकि, उन वैक्सीनों से संबंधित आंकड़े,  महामारी पर काबू पाने के लिए देश के लिए बहुत ज़रूरी थे और नई वैक्सीन निर्मित करने के लिए भी महत्वपूर्ण थे.

जमैका ने कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए डिमागी द्वारा विकसित एक डीपीजी, कॉमकेयर (CommCare) का उपयोग करने का विकल्प चुना, जिसे पहले मोबाइल एप्लिकेशन के रूप में ऑफलाइन इस्तेमाल किया गया था. टीकाकरण से पहले, टीकाकरण के दौरान और बाद में ग्राहकों को ट्रैक करने और उनकी मदद करने के लिए इसका उपयोग किया जाता था. उनकी तकनीक ने सुविधाओं और स्वास्थ्य कर्मियों को टीकाकरण वितरण के लिए तैयार करने, विश्लेषण प्रदान करने और वैक्सीन वितरण की प्रगति की निगरानी के लिए पूरा खाका तैयार करने में मदद की. जमैका ने तब कॉमकेयर द्वारा प्राप्त डेटा तक खुली पहुंच यानी सबकी पहुंच पर भरोसा किया था ताकि जिन्हें टीका लगाया गया था, उनके बारे में एक अन्य डीपीजी, जैसे DIVOC के माध्यम से बिना किसी परेशानी के पहचान प्रदान की जा सके.

ज़ाहिर है कि G20, CommCare और DIVOC जैसी टेक्नोलॉजी को पूरी दुनिया में पहुंचाने और देशों के डीपीआई का एक अभिन्न अंग बनाने में मदद कर सकता है.

  • निजी और सरकारी समावेशी सहयोग को बढ़ावा

सूचना पर अमल करने की, या कहें कार्रवाई करने की तत्काल आवश्यकता है. डीपीआई के लिए एक खुला और समावेशी दृष्टिकोण अपनाने से उद्यमिता, नवाचार और उत्पादक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिल सकता है. लेकिन निजी क्षेत्र को भी डीपीआई के उत्पादन और योगदान में अपनी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए. युगांडा का UGHub इसका एक सटीक उदाहरण है. यह सरकारी सेवाओं को अकेली एकीकृत प्रणाली के रूप में कार्य करने, ई-सेवाओं तक पहुंच को सरल बनाने, तमाम तरह के बंधनों को तोड़ने और युगांडा के नागरिकों पर प्रशासनिक बोझ को कम करने को लेकर सहूलियत प्रदान करता है. UGHub की सबसे बड़ी सफलता अपने प्लेटफॉर्म पर निजी क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ समन्वय और एकीकरण रहा है, जिसने विश्वविद्यालयों, बैंकों और दूससे संस्थानों के साथ डेटा साझा करने को सुव्यवस्थित करने में सहायता की है.

युगांडा सरकार एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म के तौर पर निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में अपने डिजिटल इकोसिस्टम के हिस्सेदारों का फायदा उठाते हुए एवं दूसरों के लिए इसे एक मिसाल के रूप में पेश करने और इससे सीखने के लिए स्थानीय रूप से UGHub को बरक़रार रख सकती है. G20 के सभी देशों की सरकारों को समान रूप से सिविल सोसाइटी, निजी सेक्टर के संगठनों और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर पारस्परिक संचालन के ढांचे के मुताबिक़ डेटा का आदान-प्रदान करना चाहिए. इस डेटा का आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए आसानी से दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है.

 

  • संयुक्त डीपीआई के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के समर्थन और फंडिंग में बढ़ोतरी

सरकारों को डीपीआई में मिलजुलकर निवेश करना चाहिए और इसके लिए समर्पित गवर्नेंस की स्थापना में मदद करनी चाहिए. कहने का अर्थ यह है कि एक ऐसा शासन स्थापित करना चाहिए, जो जलवायु परिवर्तन के कम करने जैसे क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय  प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक है. ऐसा करने से, सभी क्षेत्रों (निजी, सार्वजनिक और सिविल सोसाइटी) के साथ नजदीकी समन्वय में वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए आवश्यक सहयोग और पहले से जारी बातचीत को आगे बढ़ाते हुए विभाजन और दोहराव से बचने में मदद मिल सकती है.

G20 ने अपनी ‘जलवायु परिवर्तन कम करने में निवेश’ रिपोर्ट में भी इस चुनौती को प्रमुखता से जगह दी है. “[ए] के मौजूदा अनुमानों से संकेत मिलता है कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रति वर्ष 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की आवश्यकता है, जिसमें ना सिर्फ़ नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश, बल्कि ऊर्जा दक्षता और स्वच्छ कोयले का उपयोग और कार्बन कैप्चरिंग एवं भंडारण जैसी जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के साथ-साथ आवश्यक मानकों वाली अन्य प्रौद्योगिकियां भी शामिल हैं.” सभी के उपयोग के लिए खुला, सुलभ और सभी क्षेत्रों में कार्य करने के लिए सक्षम डीपीआई जलवायु परिवर्तन और अन्य संकटों के साथ-साथ समुदायों और क्षेत्रों के निर्माण से जुड़ी लागतों को कम करने में मदद कर सकता है.

 

  • लोगों की सुरक्षा के लिए वैश्विक मानदंड और मानक का निर्धारण

डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और अन्य डिजिटल सिस्टम, डेटा साइलोज को तोड़कर और साझा प्रौद्योगिकी इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाकर, इनोवेटिव यानी नए-नए समाधानों की सहूलियत के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करके उसे उपयोग के लिए उपलब्ध करा सकते हैं. हालांकि, वे नागरिकों को निजता के उल्लंघन, डेटा-संचालित व्यवहार में हेरफेर, पहचान की चोरी और धोखाधड़ी के साथ आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं से दूर करने जैसे ज़ोख़िमों को लेकर भी जागरूक कर सकते हैं. यही कारण है कि नॉर्वे की मिनिस्ट्री ऑफ फॉरेन अफेयर्स और डिजिटल पब्लिक गुड्स एलायंस की रॉकफेलर द्वारा जारी 2021 की रिपोर्ट ने डीपीआई के लिए एक विजन को रेखांकित किया है, जो समावेश, विश्वास, प्रतिस्पर्धा, सुरक्षा और निजता की रक्षा करता है. रिपोर्ट का यह दृष्टिकोण सार्वजनिक मूल्यों और निजी सशक्तिकरण के लिए डीपीआई में डेटा का उपयोग करता है, साथ ही विशेष रूप से इसे लागू करने वाले देशों में निजी और सार्वजनिक क्षमता का निर्माण करता है.

यही वजह है कि G20 में वैश्विक डिजिटल सहयोग के लिए केंद्रीय प्राथमिकता के रूप में समावेशी डीपीआई को डिजाइन करने, लागू करने और समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. इसके साथ ही न्याय, खाद्य सुरक्षा और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए डिजिटल व्यापार जैसे क्षेत्रों के लिए डीपीआई दृष्टिकोण पर G20 से विचारशील नेतृत्व सामने आना चाहिए और इस पर रिसर्च भी होना चाहिए.

निष्कर्ष

महामारी ने जहां एक तरफ एसडीजी हासिल करने में देरी की है, वहीं हमारे समाज पर भी असर डाला है और सामाजिक-आर्थिक विभाजन की खाई को और बढ़ा दिया है. हालांकि, इसने यह भी साबित कर दिया है कि पूरे समाज के नज़रिए को अपनाने, अच्छे डीपीआई को लेकर क्षेत्रीय सहयोग स्थापित करने और उसे बढ़ावा देने एवं सतत प्रौद्योगिकियों में निवेश कर हम अपनी मंशा के बारे में स्पष्ट तौर पर बता सकते हैं कि मौजूदा समय की चुनौतियों और भविष्य में आने वाली चुनौतियों का हम किस प्रकार से सामना कर सकते हैं.

डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर जब सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखते हुए सभी के लिए समान रूप से लागू किया जाता है, तो संकट की स्थिति में यह देश को संभालने, उसे फिर से खड़ा करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है. कोविड-19 के दौरान इसको बखूबी अनुभव किया गया है.

डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर जब सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखते हुए सभी के लिए समान रूप से लागू किया जाता है, तो संकट की स्थिति में यह देश को संभालने, उसे फिर से खड़ा करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है. कोविड-19 के दौरान इसको बखूबी अनुभव किया गया है. हमें डीपीजी और डीपीआई के निर्माण और साझाकरण को अपवाद नहीं रहने देना चाहिए. इसका उपयोग केवल विपरीत परिस्थियों में ही नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इसे एक ज़रूरी मानक बनाना चाहिए.

G20 में वैश्विक डिजिटल सहयोग के लिए समावेशी डीपीआई पर ध्यान केंद्रित करना सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए. G20 व्यापक डिजिटल बदलाव के लिए समावेशी नज़रिए को आगे बढ़ाने, अंतरराष्ट्रीय विकास सहयोग को निर्देशित करने और एक नए भविष्य के लिए बहुपक्षवाद को मज़बूत करने में एक अहम और नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकता है. एक ऐसी भूमिका जिसमें बहुपक्षवाद के हिमायती मानकों और प्रोटोकॉल के लिए मुक्त, समावेशी, अभिनव और ओपन डीपीआई, लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए हों और वैश्विक स्तर पर व्यापक जन कल्याण के लिए हों.

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