Published on Nov 06, 2023 Updated 0 Hours ago

कम कार्बन उत्सर्जन करने वाली अर्थव्यवस्था के निर्माण 2070 तक नेट ज़ीरो का लक्ष्य हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करने के कारण नए सेक्टर भी उभर रहे हैं. 

बिजली ग्रिड के लिए डिजिटल मूलभूत ढांचे के प्लेटफॉर्म का निर्माण
  • बिजली उद्योग के क्षेत्र में संरचनात्मक सुधारों की ज़रूरत

हमारे सामने तो बराबर के मज़बूत नैरेटिव हैं, जो भारत के ऊर्जा परिवर्तन को परिभाषित करते हैं.

एक तरफ़ तो भारत का 2030 तक नवीनीकरण योग्य ऊर्जा के स्रोतों से 500 गीगावाट (GW) बिजली पैदा करने की क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है. ये महत्वाकांक्षी लक्ष्य 15 प्रतिशत सालाना की दर से आगे बढ़ रहा है. इससे स्थायी तरीक़ों से बिजली बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव हो रहा है. इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कई तरह की सब्सिडी दी जा रही हैं, ताकि उपयोगिता पर आधारित टेंडर और कारोबारी एवं औद्योगिक क्षेत्रों (C&I) को मुक्त रूप से उपलब्ध परियोजनाओं के ज़रिए क्षमता निर्माण को बढ़ावा दिया जा सके. हर औद्योगिक समूह C&I और सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी (CTU) ग्रिड और ओपेन एक्सेस मार्केट के ज़रिए अपनी ऊर्जा परिवर्तन की योजनाओं को रफ़्तार दे रहा है. कम कार्बन उत्सर्जन करने वाली अर्थव्यवस्था के निर्माण 2070 तक नेट ज़ीरो का लक्ष्य हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करने के कारण नए सेक्टर भी उभर रहे हैं. मिसाल के तौर पर, ऐसी बहुत सी स्टार्ट-अप और कॉरपोरेट हैं, जो जलवायु के लिए उपयुक्त इनोवेटिव तकनीकें विकसित कर रहे हैं, ताकि ज़्यादा कार्बन उत्सर्जन वाले उन उद्योगों में उत्सर्जन कम किया जा सके, जहां ऐसा करना मुश्किल है. इसके अलावा फास्ट मूविंग कंज़्यूमर गुड्स (FMCG) की प्रोडक्ट श्रृंखला में हाइड्रोकार्बन का उपयोग कम करने के लिए ग्रीन केमिस्ट्री का इस्तेमाल किया जा रहा है और निर्माण क्षेत्र के उद्योगों में केमिकल बर्नर्स की जगह ग्रीन हाइड्रोन के उपयोग को तरज़ीह दी जा रही है.

वहीं दूसरी ओर, बिजली वितरण कंपनियां (Discoms) पहले ही 6.11 अरब डॉलर के घाटे के साथ कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं. पिछले दस वर्षों के दौरान, सरकारी बिजली वितरण कंपनियां लगातार दबाव में रही हैं. इसकी वजह, नियमों के विपरीत बिजली वितरण कंपनियों का कुल तकनीकी कारोबारी और वसूली (ATC&C) के उच्च स्तर के घाटे में रहना है. पूरे देश में इस घाटे का औसत 24 प्रतिशत के आस-पास है; बिजली आपूर्ति की लागत की तुलना में बिजली की दरें (ख़राब बिजली आपूर्ति की वजह से ग्राहकों से नक़द वसूली में कमी) भी कम हैं. ओपेन एक्सेस के विकल्प तलाश रहे बड़े औद्योगिक घराने बिजली वितरण कंपनियों के घाटे और वित्तीय स्थिति को और बिगाड़ने का काम करेंगे और इनसे संपत्ति के उपयोग (कोयले से बिजली बनाने और वितरण) की पहले से बुरी स्थिति पर और भी विपरीत असर पड़ेगा.

जब हम इस समस्या की गहराई से पड़ताल करते हैं, तो हमें उन समाधानों पर भी नज़र डालनी चाहिए जो दोनों ही पक्षों की सहायता करके उनके बीच संतुलन स्थापित कर सकें. भारत में ऊर्जा परिवर्तन के प्रयास, बिजली वितरण कंपनियों की उस ख़राब वित्तीय स्थिति की अनदेखी नहीं कर सकते, जिनका आज हम सामना कर रहे हैं. एजग्रिड (EdgeGrid) में हमने, डेटा पर आधारित ऊर्जा परिवर्तन की अगुवाई करते हुए, बिजली वितरण कंपनियों ग्रिड को टिकाऊ बनाने का विकल्प चुना है.

मोटा-मोटी कहें तो, ऊर्जा परिवर्तन कुछ ज़्यादा ही बड़ी और वैश्विक कंपनियों पर केंद्रित रहा है. इसकी वजह से ‘आख़िरी कड़ी’ के बाज़ार और इस बाज़ार में 65 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले सेक्टर की अनदेखी की गई है. जलवायु के लिए मुफ़ीद अर्थव्यवस्था बनाने के लिए बिजली के बाज़ार की इस ‘आख़िरी कड़ी’ की अनदेखी बिल्कुल नहीं होनी चाहिए और ऊर्जा परिवर्तन प्रभावी और मुनाफ़ेवाला, दोनों ही होना चाहिए. जैसे जैसे, ऊर्जा परिवर्तन में इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया गाड़ियां अपनी भूमिका बढ़ा रही हैं और इसके बाद कारों के बेड़े चलाने वाले और कारोबारी गाड़ियां भी इस रास्ते पर चलेंगी, तो बिजली के उपभोक्ताओं की बढ़ी हुई तादाद (और उसके साथ) ‘आख़िरी कड़ी’ के बाज़ार में बिजली की मांग भी तेज़ी से बढ़ेगी. इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन से प्रभावी तरीक़े से निपटने के लिए केवल इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EV) को बढ़ावा देने से काम नहीं चलने वाला; इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए स्वच्छ और ऊर्जा के टिकाऊ स्रोतों (कोयले से पैदा होने वाली बिजली के बजाय नवीनीकरण योग्य स्रोतों) से बनी बिजली उपलब्ध कराना भी ज़रूरी होगा.

ग्राहक जिस तरह ग्रिड से लेन-देन करते हैं, वो बुनियादी तौर पर बदल रहा है. अब आपस में बिजली ख़रीद के सौदे और सरकार की अगुवाई में बिजली निर्माण के बजाय लोकतांत्रिक और बिना लाइसेंस के ऊर्जा तक पहुंच को बढ़ावा मिल रहा है, जहां कारोबारी, औद्योगिक और रिहाइशी लोग भी अपनी ख़ुद की बिजली बनाने के साथ साथ, उसे ख़रीद और बेच सकते हैं. इससे, एक नए समाधान के उभरने का अवसर पैदा होता है: ऐसा समाधान जो अंतिम छोर पर खड़े ग्राहकों के लिए लागत कम करे, ग्रिड में नवीनीकरण योग्य स्रोतों को जोड़े और सबसे अहम बात, टिकाऊ बिजली निर्माण और ऊर्जा से मुनाफ़े के मामले में ग्राहकों के लिए नए वित्तीय अवसरों का निर्माण करे.

2.Edgegrid का समाधान: वितरित ऊर्जा स्रोतों (DER) का डेटा के आधार पर एकीकरण

 Edgegrid में हम डिस्ट्रीब्यूटेड ग्रिड के लिए डिजिटल मूलभूत ढांचे का निर्माण कर रहे हैं, ताकि ज़ीरो कार्बन के भविष्य की ओर तेज़ी से क़दम बढ़ाया जा सके और, डेटा पर आधारित विद्युत परिवर्तन के ज़रिए अंतिम छोर के ग्राहक की ज़रूरतें भी पूरी की जा सकें. ऐतिहासिक रूप से ग्रिडों को इस तरह बनाया गया था कि बिजली निर्माण केंद्रीकृत हो और बिजली का प्रवाह एक ही दिशा में हो. ये काम मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन के ज़रिए किया जा रहा था. हालांकि, नवीनीकरण योग्य ऊर्जा के स्रोतों से बिजली बनाने की लागत में गिरावट, इलेक्ट्रिक गाड़ियों की आमद और डिस्ट्रीब्यूटेड एनर्जी रिसोर्सेज़ (DERs) के उभार के साथ ही एक बड़ा बदलाव हो रहा है.

Edgegrid का विज़न इस विश्वास के इर्द-गिर्द विकसित किया गया है कि, ‘’सॉफ्टवेयर कार्बन को निगल सकता है’. इसका मतलब है कि ऊर्जा के प्रबंधन के लिए डेटा की एक परत और स्मार्ट सॉफ्टवेयर समाधान बनाने से ग्रिड और ग्राहकों की लागत अधिक टिकाऊ और कुशल बनाई जा सकती है.

आज कारोबारियों के बीच अपने ऊर्जा प्रबंधन के लक्ष्य हासिल करने के लिए, ऊर्जा के वितरित संसाधनों जैसे कि स्थानीय सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और बैटरी के भंडारण के साथ साथ इलेक्ट्रिक गाड़ियों के चार्जर और माइक्रोग्रिड का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. हाल के वर्षों में DER की लागत में काफ़ी गिरावट आई है, जिससे ये संसाधन ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों को नीतिगत प्रोत्साहन के बग़ैर भी पछाड़ सकते हैं. औद्योगिक ग्राहकों द्वारा ऊर्जा प्रबंधन के लिए लगातार उन्नत व्यवस्थाओं को अपनाने के कारण बिजली वितरण कंपनियां, बिजली के उपभोग या मांग में असाधारण बढ़ोत्तर से निपटने के लिए इन संसाधनों का उपयोग कर सकती हैं और इस नए लचीलेपन का इस्तेमाल करके, बिजली की मांग को पूरा कर सकती हैं. क्योंकि बिजली बनाने में बड़े स्तर पर सौर और पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ रही है. (हालांकि इससे बिजली आपूर्ति अनियमित भी होती है).

Edgegrid का लक्ष्य इस औद्योगिक बदलाव का इस्तेमाल करके डेटा और बाज़ार का ऐसा प्लेटफ़ॉर्म विकसित करना है, जो ऊर्जा के वितरित स्रोतों (DERs) को एकजुट करके उसका प्रबंधन और अधिकतम प्रभावी इस्तेमाल कर सके, जिससे ये परिसंपत्तियां सामूहिक रूप से इलेक्ट्रिक ग्रिड में योगदान देते हुए अंतिम पायदान के ग्राहक को अधिक कुशलता से सुविधा दे सकें. एजग्रिड चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है:

  1. वितरित और बिना कार्बन वाली ऊर्जा: एजग्रिड की कामयाबी इस बात में निहित है कि वो ग्रिड के साथ सहयोग के लिए स्थानीय समुदायों और उनके बिजली निर्माण केंद्रों को सशक्त बनाती है, जिससे नवीनीकरण योग्य स्रोतों से बनी बिजली का निर्माण और प्रबंधन हो सके. छत पर और ऐसे वितरित सौर ऊर्जा केंद्रों तक पहुंच बनाकर, जो ग्राहकों के लिए फ़ायदेमंद हों, उससे ये मंच उपयोग करने वालों को बिजली बनाने और उसका ग्रिड से अलग हटकर प्रयोग करने का मौका देता है और फिर उन्हें एनर्जी क्रेडिट के रूप में एक दूसरे से लेन-देन का अवसर भी प्रदान करता है. ऊर्जा का ये लोकतांत्रीकरण डेटा पर आधारित है.
  2. मांग में लचीलापन या वर्चुअल बैटरी: मांग में लचीलापन आने से ग्राहकों को अपनी बिजली की खपत को वास्तविक समय की क़ीमत और ग्रिड के हालात के हिसाब से ढालने का मौक़ा मिलता है. एजग्रिड का डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर वर्चुअल बैटरी की परिकल्पना को साकार करता है, जहां पर बिजली की आपूर्ति के हिसाब से खपत को ढाला जा सकता है. इससे बिजली के भंडारण की ज़रूरत कम होती है और ग्रिड की स्थिरता में भी सुधार आता है.
  3. ऊर्जा का भंडारण या वास्तविक बैटरी: ऊर्जा के भंडारण के समाधान, रिन्यूएबल स्रोतों से बनी ज़रूरत से अधिक बिजली के भंडारण के लिए बेहद अहम हैं. इनसे कम बिजली निर्माण के समय भरोसेमंद आपूर्ति सुनिश्चित होती है. एजग्रिड का लक्ष्य है कि वो असली बैटरी के समाधानों को ऊर्जा के इकोसिस्टम से जोड़े, जिसेस ग्रिड का लचीलापन बढ़े और पीक डिमांड के समय ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों पर निर्भरता भी कम हो.
  4. ग्रिड का आधुनिकीकरण: भारत में ऊर्जा के बदलते हुए आयामों को देखते हुए ग्रिड का आधुनिकीकरण करना आवश्यक है. एजग्रिड का डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, ग्रिड के मौजूदा मूलभूत ढांचे को अपग्रेड करने और उसके अधिकतम उपयोग में मदद करेगा, जिससे वितरित ऊर्जा संसाधनों को उनसे बिना किसी बाधा के जोड़ा जा सके और ऊर्जा के वितरण में सुधार लाया जा सके.

III.  इसे बड़े स्तर पर लागू करने की चुनौतियां और अहम भागीदारों के लिए सुझाव

  • बेरोक-टोक एकीकरण के लिए नियामक ढांचा: ऊर्जा परिवर्तन को गति देने के लिए ज़रूरी है कि रिन्यूएबल एनर्जी को ग्रिड से जोड़ने की राह में आने वाले जटिल नियमों के जाल को काटा जाए. एजग्रिड का तर्क है कि एक तरक़्क़ीपसंद नियामक ढांचा बनाया जाए, जो न केवल नवीनीकरण योग्य स्रोतों से बनी बिजली को अपनाने को बढावा दे, बल्कि उनके लिए प्रोत्साहन भी मुहैया कराए. ऐसी रूप-रेखा केवल सब्सिडी या इंसेंटिव पर निर्भर नहीं होनी चाहिए; इसके बजाया ऐसे ढांचे को बाज़ार के सिद्धांतों पर आधरित होना चाहिए, जो ऊर्जा सेक्टर में स्थायित्व और मुनाफे के बीच तालमेल बनाएं.
  1. ऊर्जा परिवर्तन के आधार के तौर पर बिजली वितरण कंपनियों की भूमिका: बिजली क्षेत्र के अन्य भागीदारों के साथ बिजली वितरण कंपनियों के साथ सक्रिय संवाद की भारी कमी है. एजग्रिड बिजली वितरण कंपनियों के साथ सहयोग को लेकर प्रतिबद्ध है, जिससे उन्हें इस परिवर्तन से होने वाले लाभों के प्रति जागरूक करने के साथ साथ, उनके साथ मिलकर ऐसे समाधान विकसित किए जा सकें, जिनसे वितरण कंपनियों की वित्तीय स्थिति सुधरे और पूरी ग्रिड के ऊर्जा परिवर्तन को और रफ़्तार दिया जा सके.
  2. वितरित ऊर्जा संसाधनों (DERs) को पूंजी उपलब्ध कराना: आख़िरी कड़ी के बाज़ार में अक्सर क़र्ज़ लेने लायक़ क्षमता का अभाव होता है, जिससे वित्तीय निवेशकों और बैंकों को क़र्ज़ देने के लिए प्रोत्साहन मिले. हालांकि, तमाम भागीदारों की तरफ़ से उचित दख़ल देने से इन परियोजनाओं को वित्तीय रूप से फ़ायदेमंद बनाया जा सकता है. एजग्रिड बाज़ार की एक ऐसी रूप-रेखा विकसित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है, जिसमें वितरित ऊर्जा संसाधनों वाली परियोजनाओं के लिए पूंजी आकर्षित करना आसान हो सके.

जब इन सघन प्रयासों और रणनीतिक पहलों के ज़रिए इन चुनौतियों से पार पा लिया जाएगा, तो इससे ऊर्जा के अधिक टिकाऊ और समावेशी इकोसिस्टम की दिशा में आगे बढ़ने की रफ़्तार अधिक तेज़ और आसान हो सकेगी.

निष्कर्ष

वितरित ग्रिड के लिए एजग्रिड का डिजिटल मूलभूत ढांचा, स्वच्छ ऊर्जा के लोकतांत्रीकरण का प्रयास कर रहा है, जिससे ग्राहकों को स्थायित्व वाले विकल्प मुहैया कराए जा सकें. जैसे जैसे रिन्यूएबल एनर्जी का निर्माण और उपयोग बढ़ेगा और ग्राहक टिकाऊ विकल्प तलाशेंगे, वैसे वैसे वितरित ग्रिड भविष्य की ऊर्जा की नुमाइंदगी करेगी. लागत में कमी लाकर, नवीनीकरण योग्य ऊर्जा के एकीकरण और कारोबारी, औद्योगिक एवं रिहाइशी ग्राहकों को सशक्त बनाते हुए, एजग्रिड आख़िरी पायदान पर मानव केंद्रित ऊर्जा परिवर्तन की राह आसान बना रही है, जिससे सबके लिए टिकाऊ ऊर्जा के भविष्य को बढ़ावा मिल रहा है.

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