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Published on Jun 01, 2024 Updated 0 Hours ago

भूटान में क्रिप्टो माइनिंग का विकास उचित मात्रा में लाभ और चुनौतियां लेकर आया है.

#Crypto भूटान का क्रिप्टो माइनिंग पर लगा दांव: क्या होगा आर्थिक व विदेश नीति पर असर?

मई 2024 की शुरुआत में मीडिया रिपोर्ट से पता चला कि भूटान ने जुलाई 2021 से जुलाई 2023 के दौरान क्रिप्टो माइनिंग के केंद्रों पर लगभग 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था. ये क्रिप्टो माइनिंग के सेक्टर में भूटान की बढ़ती दिलचस्पी दिखाता है. हिमालय में बसा भूटान एक निम्न मध्य आय वाला देश है जहां बहुत कम आर्थिक विविधता है और यहां के प्राइवेट सेक्टर का विकास शुरुआती स्थिति में है. हाइड्रोपावर (जलबिजली), पर्यटन और कृषि क्षेत्रों पर बहुत ज़्यादा निर्भरता के साथ राजस्व के स्रोतों में विविधता लाना और राजस्व का एक स्थिर आधार विकसित करना अक्सर राष्ट्रीय महत्व की बहस रही है. अपनी अर्थव्यवस्था का विस्तार करने के लिए सरकार क्रिप्टो माइनिंग सेक्टर में निवेश कर रही है. ये लेख संक्षेप में भूटान में क्रिप्टो माइनिंग सेक्टर के विकास और इस तरह के विकास का उसकी अर्थव्यवस्था और विदेश नीति पर पड़ने वाले असर के बारे में बताता है. 

भूटान का क्रिप्टो माइनिंग सेक्टर

विशाल नवीकरणीय जलबिजली भंडार और माइनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के ठंडा पड़ने के लिए एक उपयुक्त जलवायु के साथ भूटान क्रिप्टो माइनिंग के लिए एक उचित जगह के रूप में उभरा है. वैसे तो खनन संचालन (माइनिंग ऑपरेशन) का ब्यौरा लोगों की जानकारी से बाहर है लेकिन रिपोर्ट से पता चलता है कि एक सरकारी बिटकॉइन माइन का अस्तित्व 2017 से है. क्रिप्टो माइनिंग पर ये ज़ोर दो कारणों से है: आर्थिक विविधता और देश में डिजिटल कायापलट को तेज़ करने के लिए क्रिप्टो माइनिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल.  

विशाल नवीकरणीय जलबिजली भंडार और माइनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के ठंडा पड़ने के लिए एक उपयुक्त जलवायु के साथ भूटान क्रिप्टो माइनिंग के लिए एक उचित जगह के रूप में उभरा है. 

क्रिप्टो माइनिंग को लेकर भूटान की आकांक्षाएं उस समय स्पष्ट हुईं जब भूटान के शाही मुद्रा प्राधिकरण (रॉयल मॉनेटरी अथॉरिटी या RMA) ने जनवरी 2019 में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग के लिए रेगुलेटरी सैंडबॉक्स फ्रेमवर्क की शुरुआत की. इस नीति को शुरू करने के प्रमुख उद्देश्यों में से एक था देश की कम लागत वाली बिजली और जलवायु को देखते हुए निवेश के रूप में क्रिप्टो माइनिंग की व्यावहारिकता का आकलन करना. इस फ्रेमवर्क में KYC, उपभोक्ता संरक्षण, ग्राहक पहचान और RMA से मंज़ूरी के अलग-अलग रूपों समेत क्रिप्टो माइनिंग के लिए शर्तें और परिभाषा है. ये लेख लिखते समय भूटान में क्रिप्टो माइनिंग के पांच केंद्र थे (नक्शा 1 देखिए). छठे केंद्र- जिगमेलिंग डेटा सेंटर- का निर्माण 2024 की पहली तिमाही के दौरान शुरू हुआ. 

चीन की भागीदारी

क्रिप्टो माइनिंग में भूटान के विकास को दो चरणों में बांटा जा सकता है- पहले चरण में, जिसकी शुरुआत संभवत: 2020 में हुई और जिसमें कर्ज़ एवं बॉन्ड के ज़रिए फंड मुहैया कराया गया, भूटान ने माइनिंग में लगभग 540 मिलियन अमेरिकी डॉलर (2021 की GDP का 21 प्रतिशत) का निवेश किया. इस दौरान RMA ने ड्रूक होल्डिंग एंड इन्वेस्टमेंट (DHI)- जो कि भूटान की शाही सरकार का वाणिज्यिक अंग है- की तरफ से जारी 3 साल के फॉरेन एक्सचेंज बॉन्ड को सबस्क्राइब किया. इस कर्ज़ का उद्देश्य क्रिप्टो माइनिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और उपकरणों का आयात था जिसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा चीन से आयात किया गया. 2021 और 2023 में 4 अरब भारतीय रुपये की कीमत का आयात किया गया जबकि 2022 में 12 अरब भारतीय रुपये की कीमत का आयात किया गया. 2022 का आयात सरकारी बजट के 15 प्रतिशत के बराबर था. इसके साथ-साथ चीन से भूटान का आयात 2020 से 2022 के बीच 2 अरब भारतीय रुपये से बढ़कर 15 अरब भारतीय रुपये हो गया. 

बिटडियर चीन के नागरिक वू जिहान की कंपनी है. DHI और बिटडियर के बीच समझौते का लक्ष्य भूटान में ग्रीन डिजिटल एसेट माइनिंग ऑपरेशन को विकसित करना है.

दूसरे चरण, जिसकी शुरुआत 2023 के आख़िर में हुई, में निजी निवेश और तकनीक का दबदबा है. इस चरण में भूटान के DHI ने सिंगापुर की कंपनी बिटडियर के साथ समझौता किया. बिटडियर चीन के नागरिक वू जिहान की कंपनी है. DHI और बिटडियर के बीच समझौते का लक्ष्य भूटान में ग्रीन डिजिटल एसेट माइनिंग ऑपरेशन को विकसित करना है. वो 2026 तक 600 MW माइनिंग फार्म का विस्तार करने के लिए उत्सुक हैं. इसके लिए बिटडियर फंड के तौर पर 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर इकट्ठा कर रही है. 100 MW के पहले केंद्र की शुरुआत सितंबर में हुई और यहां 30,000 माइनिंग मशीनें होंगी जिन्हें बिटडियर ने सीधे आयात किया है. इस चरण में भूटान उपकरणों के आयात में कम शामिल है और उसका उद्देश्य बिजली की बिक्री, ज़मीन को लीज़ पर देकर, इंफ्रास्ट्रक्चर की पेशकश और कानूनी रूप-रेखा के ज़रिए राजस्व पैदा करना और लाभ में एक हिस्सा हासिल करना है. 2024 की पहली तिमाही में भूटान के द्वारा केवल 4.8 करोड़ भारतीय रुपये की कीमत के IT उपकरणों का आयात किया गया है. 

भारत और हाइड्रोपावर की राजनीति 

क्रिप्टो माइनिंग समेत ऊर्जा केंद्रित उद्योगों में तेज़ी आने के साथ बिजली के लिए घरेलू मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है. 2014 और 2020 के बीच देश में घरेलू ऊर्जा की खपत 1,400 से 1,800 GWh के बीच रही है. लेकिन 2022 में भूटान में खपत की गई कुल ऊर्जा में काफी बढ़ोतरी हुई और ये 2,860 GWh पर पहुंच गई. खपत की गई ऊर्जा का ज़्यादातर हिस्सा भारत के सहयोग से तैयार मेगा-हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट से मिलता है. पहला नक्शा बिटकॉइन माइनिंग सेंटर और भारत के सहयोग से तैयार हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट की लोकेशन को लेकर सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध आंकड़ों (यहां और यहां) का इस्तेमाल ये दिखाने के लिए करता है कि ये माइनिंग सेंटर (साइट 1 को छोड़कर) हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के नज़दीक हैं और उम्मीद की जाती है कि वो इन प्रोजेक्ट से ऊर्जा की खपत कर रहे हैं. 

नक्शा 1. माइनिंग साइट और भूटान में भारतीय हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट 

 

नोट: नीले निशान भारत की सहायता वाली हाइड्रोपावर परियोजनाओं और पीले निशान बिटकॉइन माइंस के बारे में बताते हैं 

स्रोत: लेखक के द्वारा संकलित 

भूटान की घरेलू ऊर्जा खपत में इस बढ़ोतरी के कारण भारत को हाइड्रोपावर के निर्यात में कमी आई है. भारत भूटान का महत्वपूर्ण विकास साझेदार हैं और वो कर्ज़ और अनुदानों के ज़रिए भूटान में मेगा-हाइड्रोपावर परियोजनाओं को विकसित करता है. परियोजनाओं की शुरुआत के बाद भारत एक निर्धारित दर पर भूटान से हाइड्रोपावर का आयात करता है. इससे भूटान को राजस्व मिलता है और उसके निर्यात में बढ़ोतरी होती है. अतीत में इन निर्यातों में सरप्लस ऊर्जा का सबसे बड़ा हिस्सा था लेकिन बढ़ती घरेलू मांग के साथ अब इसमें कमी आई है. नीचे दी गई तालिका 1 से पता चलता है कि 2020 के बाद से- जब भूटान में बिटकॉइन माइनिंग की शुरुआत हुई- हाइड्रोपावर के निर्यात और कुल निर्यात राजस्व में काफी कमी आई है. 

तालिका1: भारत को भूटान का हाइड्रोपावर निर्यात



परियोजना

2017 में 

MU

2018 में 

MU

2019 में 

MU

2020 में 

MU

2021 में

MU

2022 में 

MU


2023 में 

MU

टैरिफ प्रति यूनिट

चूखा

1,388

1,484

1,673

2,040

1,835

1,625

967

2.55

कुरिछू

80

91

94

94

47

20

26

2.23

ताला

2,999

2,598

2,688

3,389

2,762

2,385

1,225

2.23

दागाछू

455

362

393

513

486

468

378

3.4

मांगदेछू

-

-

1,298

3,171

2,945

2,773

2,436

4.12

कुल निर्यात

5,372

4,535

6,146

9,206

8,076

7,270

5,073

-

कुल निर्यात 

मूल्य (मिलियन में)

11, 983

10,578

16, 237

27, 523

24, 435

22,475

16, 675

-

 

स्रोत: वित्त मंत्रालय

नोट: मांगदेछू प्रोजेक्ट का काम 2019 में शुरू हुआ

भूटान को आर्थिक रूप से ये फायदेमंद लगा कि वो कम टैरिफ वाली हाइड्रोपावर परियोजनाओं की ऊर्जा की खपत घरेलू स्तर पर करे और अधिक टैरिफ वाली परियोजनाओं से ऊर्जा का निर्यात करे (तालिका 1 देखें). इसलिए ताला, चूखा और कुरिछू प्रोजेक्ट से पैदा होने वाली 53 प्रतिशत बिजली की घरेलू खपत होती है और बाकी 47 प्रतिशत का निर्यात किया जाता है. दूसरी तरफ मांगदेछू प्रोजेक्ट की 77 प्रतिशत बिजली का निर्यात होता है और 23 प्रतिशत की घरेलू खपत होती है. 

बिजली के निर्यात में कमी आने के साथ भारत से बिजली के आयात में बढ़ोतरी हुई है जिससे व्यापार घाटे में और बढ़ोतरी हुई है. पारंपरिक रूप से भूटान भारत से केवल तीन महीनों के लिए बिजली का आयात करता था जब ठंड के दौरान उसकी जलबिजली परियोजनाओं की क्षमता कमज़ोर हो जाती थी. लेकिन हाल के वर्षों में भूटान से मांग में बढ़ोतरी देखी जा रही है. 2024 में ये मांग बढ़कर चार महीनों के लिए हो जाएगी जो उसके व्यापार संतुलन को और अधिक प्रभावित करेगी. विश्व बैंक का आकलन है कि 2022-2023 के बीच दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे में 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. 2020 में, जब मांगदेछू परियोजना ने पूरी क्षमता के साथ काम करना शुरू किया था, आयात-निर्यात का अंतर 7 अरब भारतीय रुपये था. लेकिन 2023 तक ये अंतर बढ़कर 42 अरब भारतीय रुपये हो गया.    

जलबिजली के निर्यात और राजस्व में ये कमी भूटान की GDP और भारत के साथ व्यापार संतुलन को प्रभावित करती है और दोनों देशों के बीच हाइड्रोपावर के क्षेत्र में सहयोग के फायदेमंद पहलू के लिए नई चुनौती पेश करती है. 

जलबिजली के निर्यात और राजस्व में ये कमी भूटान की GDP और भारत के साथ व्यापार संतुलन को प्रभावित करती है और दोनों देशों के बीच हाइड्रोपावर के क्षेत्र में सहयोग के फायदेमंद पहलू के लिए नई चुनौती पेश करती है. 

क्रिप्टो माइनिंग का असर और भविष्य

भूटान में क्रिप्टो माइनिंग का विकास उचित मात्रा में लाभ और समस्याएं भी लेकर आया है. निवेश के पहले चरण ने सरकार को 2023 में सरकारी कर्मियों के वेतन में बढ़ोतरी पर खर्च किए गए 4 अरब भारतीय रुपये जमा करने में सक्षम बनाया है. गेदू में दूसरे चरण के माइनिंग केंद्र ने लाभ, माइनिंग की गतिविधियों और उत्पादन में पहले ही बढ़ोतरी की है. 

हालांकि क्रिप्टो माइनिंग की तरफ कदम भूटान के मौजूदा संबंधों पर महत्वपूर्ण असर डालता है. दूसरे चरण (600 MW) को पूरी तरह अमल में लाने के लिए पूरे देश की कुल मांग की तुलना में ज़्यादा ऊर्जा की ज़रूरत होगी. ये जलबिजली की खपत में बढ़ोतरी करेगा, भूटान के घटते राजस्व एवं निर्यात पर असर डालेगा. इसके अलावा बहुत ज़्यादा पारदर्शिता के बिना दूसरे चरण के लिए फंड इकट्ठा करने से चीन के निवेशक और बिटकॉइन माइनिंग करने वाले आकर्षित होंगे. इस तरह ये भूटान में चीन (निजी) के निवेश का पहला संकेत होगा. 

क्रिप्टो माइनिंग के उपकरण के बहुत अधिक आयात के कारण अंतर्राष्ट्रीय भंडार में महत्वपूर्ण कमी आई है और वित्त वर्ष 2022-23 में चालू खाते का घाटा (CAD) बढ़कर GDP का 34.3 प्रतिशत हो गया है. इसके अलावा क्रिप्टो माइनिंग सेक्टर की अनिश्चितता की वजह से भविष्य में उम्मीद से कम लाभ मिलने की आशंका है. पर्यावरण से जुड़े मूलभूत ख़तरों और जलबिजली प्लांट जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे से क्रिप्टो माइनिंग केंद्रों की नज़दीकी को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं. ये देखा जाना अभी बाकी है कि क्रिप्टो माइनिंग पर भूटान का दांव लंबे समय में उसकी अर्थव्यवस्था और विदेश नीति को फायदा पहुंचाएगा या नहीं.   


आदित्य गोदारा शिवामूर्ति ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं. 

बासु चंदोला ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं. 

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