Published on Nov 23, 2020 Updated 0 Hours ago

महामारी ने हालांकि स्वास्थ्य के नज़रिये से अफ़्रीका को एशिया, यूरोप और अमेरिका के कुछ हिस्सों जैसी चोट नहीं पहुंचाई है लेकिन इसका अफ़्रीकी अर्थव्यवस्थाओं को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाना जारी है जो दशकों की प्रगति को कमज़ोर कर रहा है

कोविड-19 के बाद अफ़्रीका: आर्थिक प्रगति के लिए ज़रूरी हैं पॉलिसी प्राथमिकताएं

अफ़्रीका जब इस दशक में दाख़िल हुआ था, तब अगर वहां भविष्य के लिए जोश नहीं था तो भी कम से कम भविष्य को लेकर एक आशावादी सोच तो ज़रूर थी. महाद्वीप की कई अर्थव्यवस्थाओं की प्रगति में निरंतरता थी और ग़रीबी लगातार घट रही थी. कोविड-19 महामारी ने इन हालातों को नाटकीय ढंग से बदल दिया है.

महामारी ने हालांकि स्वास्थ्य के नज़रिये से अफ़्रीका को एशिया, यूरोप और अमेरिका के कुछ हिस्सों जैसी चोट नहीं पहुंचाई है, लेकिन इसका अफ़्रीकी अर्थव्यवस्थाओं को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाना जारी है, जो दशकों की प्रगति को कमज़ोर कर रहा है और यह आर्थिक बदलावों सहित दीर्घकालिक लक्ष्यों में रुकावट डाल रहा है. 25 साल की लगातार आर्थिक तरक़्क़ी के बाद महाद्वीप को पहली बार मंदी का सामना करना पड़ रहा है.

25 साल की लगातार आर्थिक तरक़्क़ी के बाद महाद्वीप को पहली बार मंदी का सामना करना पड़ रहा है. अफ़्रीकन डेवलपमेंट बैंक के अनुसार यहां जीडीपी में —1.6 से —3.4 फ़ीसद के बीच की संभावित गिरावट आ सकती है. 

अफ़्रीकन डेवलपमेंट बैंक के अनुसार यहां जीडीपी में —1.6 से —3.4 फ़ीसद के बीच की संभावित गिरावट आ सकती है. कुछ ज़्यादा गंभीर अनुमानों में वस्तुओं की मांग में भारी गिरावट, बड़े पैमाने पर मुद्रा अवमूल्यन और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में गिरावट से 50 फ़ीसद तक संभावित नौकरी के नुकसान और 20 से 30 फ़ीसद सरकारी राजस्व में गिरावट का अनुमान लगाया गया है.

यह सुनिश्चित करने के लिए कि अफ़्रीका का परिवर्तनकारी एजेंडा हमेशा के लिए पटरी से न उतर जाए, अफ़्रीकी सरकारों और उनके विकास सहयोगियों को कोविड-19 संकट को ध्यान में रखते हुए नीतियों में सार्थक बदलाव करना चाहिए जो न केवल तात्कालिक रूप से मदद करे बल्कि अफ़्रीका के उबरने के दीर्घकालिक प्रयासों को भी मज़बूत करे.

इसे हासिल करने के लिए अफ़्रीकन सेंटर फॉर इकोनॉमिक ट्रांसफॉर्मेशन (ACET) ने जून 2020 में एक नीति सार पेश किया, जिसमें महामारी के बाद के अफ़्रीका के लिए महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी नीति प्राथमिकताओं पर चर्चा की गई है. ये निश्चित रूप से नई सिफारिशें नहीं हैं; कई मामलों में, इन पर मौजूदा संकट से पहले भी अच्छी तरह से काम करने की ज़रूरत थी. लेकिन अब अगर इन पर अमल किया जाता है, तो ये आर्थिक “वापसी” के उपायों के रूप में काम कर सकते हैं, जो आने वाले वर्षों में ज़्यादा तेज़ी से और स्थायी विकास के लिए स्थिति मज़बूत करने में मदद करेगा.

राजस्व वृद्धि — पेशेवर ऑडिट

उदाहरण के लिए, कोविड-19 पर समुचित स्वास्थ्य और आर्थिक प्रतिक्रिया के लिए सक्षम संसाधन जुटाना और प्रबंधन के माध्यम से वित्तीय उपलब्धता तैयार करना ज़रूरी है. अधिकांश देशों में उद्योग की बदहाली और कोविड-19 प्रतिक्रिया पैकेज से संबंधित कर-माफ़ी के अतिरिक्त बोझ के साथ राजस्व सृजन काफ़ी मुश्किल हो जाएगा.

कोविड-19 रिकवरी योजनाओं में सरकारी उपायों में ओवरलैपिंग ख़त्म करने, क्रियान्वयन को सुव्यवस्थित करने और सफ़ेद हाथी बन चुकी नौकरशाही से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. 

सरकारों को कर-प्रशासन की ख़ामियों को दुरुस्त करने के लिए तेज़ी से कदम उठाना चाहिए और ख़ासतौर से ग्लोबल कॉर्पोरेट्स व अमीर लोगों के लिए छूट और रियायतों को ख़त्म करना चाहिए. इसमें कर-आधार की कमी को रोकने और कंपनियों द्वारा एक ज्यूरिसडिक्शन से दूसरे में लाभ स्थानांतरण को रोकने के लिए कदम उठाना भी शामिल होगा. इसके साथ ही वैट नीति को आसान बनाकर, अनौपचारिक क्षेत्र में कर संग्रह को बढ़ाकर और भरोसेमंद निरीक्षण और पेशेवर ऑडिट के माध्यम से प्रवर्तन और संग्रह में सुधार करके कर राजस्व बढ़ाना मध्यम अवधि के उपाय हो सकते हैं.

व्यय और प्रशासन के मोर्चे पर पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने से कोविड-19 आपातकालीन पैकेजों को ठीक तरह से संचालित करने और प्रभावी तरीके लागू करने में मदद मिलेगी. कोविड-19 रिकवरी योजनाओं में सरकारी उपायों में ओवरलैपिंग ख़त्म करने, क्रियान्वयन को सुव्यवस्थित करने और सफ़ेद हाथी बन चुकी नौकरशाही से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. भ्रष्टाचार और बर्बादी रोकने पर ख़ास ध्यान देने के साथ, मंत्रालयों में तालमेल कर बजट प्रबंधन में सुधार करना ज़रूरी है. इसमें समझदारी भरे आर्थिक, तकनीकी और वित्तीय मानदंडों के आधार पर सरकारी परियोजनाओं की व्यापक पड़ताल शामिल है.

सरकारों को भी संकट के बाद प्रमुख क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए तेज़ी से कदम बढ़ाना चाहिए, खासकर बुनियादी ढांचा और मैन्युफ़ैक्चरिंग क्षेत्र में. 

तेज़ी और गहराई से ऑडिट व समीक्षा के लिए ऑडिटर जनरल की क्षमता को मज़बूत किया जाना चाहिए. जहां तक मुमकिन हो परिणाम-आधारित बजट जारी किया जाना चाहिए. अंतिम बात, यह राष्ट्रीय विकास रणनीतियों की समीक्षा करने और यह सुनिश्चित करने का एक मौक़ा है कि उनके पास आर्थिक रिकवरी के लिए काम करने योग्य रोडमैप के रूप में सेवा करने के लिए पर्याप्त फ़ाइनेंस हो.

अफ़्रीका में व्यापार और निवेश के माहौल में सुधार के बिना पोस्ट-कोविड टिकाऊ रिकवरी मुमकिन नहीं है. उदाहरण के लिए व्यापार क्षेत्र के फिर से उठ खड़े होने के लिए, कुछ अफ़्रीकी सरकारें कर, श्रम, ऋण की उपलब्धता और ऋण सेवाओं से संबंधित नई नीतियों को लागू कर रही हैं. ज़्यादातर देशों में इन उपायों में कारोबार और लोगों की नौकरी ख़त्म होने की अस्थायी प्रतिक्रिया के रूप में मदद शामिल है. अल्पकालिक उपायों से आगे बढ़ते हुए, नई फर्मों की स्थापना, कॉर्पोरेट विस्तार और बेहतर कंपनी पंजीकरण और कराधान नीति सहित, सुगम और तेज़ रफ़्तार से निजी क्षेत्र की गतिविधि का रास्ता बनाने के लिए अब असाधारण प्रयास किए जाने चाहिए.

वर्ल्ड बैंक ग्रुप के पब्लिकेशन डूइंग बिजनेस 2020 के अनुसार, उप-सहारा अफ़्रीकी अर्थव्यवस्थाओं ने ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस (कारोबार की सहूलियत) में पिछले साल सिर्फ़ 1 प्रतिशत अंक की बढ़त दर्ज की; उद्यमशीलता का ऐसा वातावरण कारोबार के विकसित होने और फलने-फूलने में मददगार नहीं होगा और बहुत ज़रूरी रोज़गार पैदा करने में मददगार नहीं होगा. सरकारों को भी संकट के बाद प्रमुख क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए तेज़ी से कदम बढ़ाना चाहिए, खासकर बुनियादी ढांचा और मैन्युफ़ैक्चरिंग क्षेत्र में. इन उपायों के साथ ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस में सुधार से अफ़्रीका संकट के बावजूद वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ी मात्रा में लेटेंट कैपिटल (सामने नहीं आई पूंजी) को आकर्षित करने में कामयाब होगा, जो दुनिया भर में निवेश योग्य प्रोजेक्ट की तलाश में लगी है.

डिजिटल अर्थव्यवस्था — इनोवेशन

अफ़्रीका में दीर्घकालिक आर्थिक रिकवरी और विकास के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था में तेज़ी लाने और व्यापक इनोवेशन को बढ़ावा देने की ज़रूरत है. निवेश बढ़ाने के लिए, अफ़्रीकी सरकार को वेंचर कैपिटल फ़ंडिंग फ़ाइनेंस को प्रोत्साहित करने के लिए टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में आंत्रप्रन्योरशिप यानी उद्यमिता और विकास को बढ़ावा देना चाहिए. अफ़्रीकी डिजिटल स्टार्टअप ने 2018 में भारत में 7 अरब डॉलर और चीन में 70 अरब डॉलर की तुलना में मात्र 1.1 अरब डॉलर का फ़ंड जुटाया. वेंचर कैपिटल में बढ़ोत्तरी से अफ़्रीकी देशों को व्यापार और आर्थिक गतिविधि बढ़ाने में मदद मिलेगी, ख़ासतौर से टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में.

देशों को उद्यमियों और टेक्नोलॉजी हब, फ़ंड-दाताओं व विकास साझीदारों, नीति निर्माताओं और दूसरी सरकारी एजेंसियों के बीच ज़्यादा मज़बूत और परस्पर संबंधित इनोवेशन इको-सिस्टम को प्राथमिकता देनी चाहिए. 

देशों को उद्यमियों और टेक्नोलॉजी हब, फ़ंड-दाताओं व विकास साझीदारों, नीति निर्माताओं और दूसरी सरकारी एजेंसियों के बीच ज़्यादा मज़बूत और परस्पर संबंधित इनोवेशन इको-सिस्टम को प्राथमिकता देनी चाहिए. इनोवेशन और आंत्रप्रन्योरशिप को बढ़ावा देने वाली इन कोशिशों को एक व्यापक राष्ट्रीय इनोवेशन नीति द्वारा अच्छी तरह से पोषित किया जा सकेगा, जो रोज़गार सृजन में मदद करने क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं और चुनिंदा क्षेत्रों के साथ तालमेल रखती हो.

अंत में, ये सभी या कोई भी नीतिगत पहल केवल वहीं तक जाएगी जहां तक देश के नेता इन्हें ले जाना चाहेंगे. कोविड-19 ने पूरे अफ़्रीका महाद्वीप में गहरी और संभावित रूप से विनाशकारी आर्थिक चुनौतियां पैदा की हैं, और यहां बताए उपायों को लागू करने में नीति निर्माताओं को कभी-कभी तकलीफ़देह समझौते भी करने की ज़रूरत पड़ सकती है. इस संदर्भ में बदलाव लाने में सक्षम राजनीतिक नेतृत्व — स्पष्ट नज़रिया, निस्वार्थ शासन की इच्छा, नागरिकों के बीच भरोसा कायम करने, राजनीतिक इच्छाशक्ति बनाए रखने वाला — पहले से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है. उन्हें इसका श्रेय दिया जाना चाहिए कि कई अफ़्रीकी नेताओं और राष्ट्राध्यक्षों ने महामारी का फैलाव रोकने और लोगों की जान बचाने के लिए तेज़ी से प्रतिक्रिया की. उन्हें अर्थव्यवस्थाओं को बचाने और अफ़्रीका के परिवर्तनकारी एजेंडे की अंतिम सफलता सुनिश्चित करने के लिए ऐसा पुरुषार्थ ही दिखाना होगा.

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