Author : Shoba Suri

Expert Speak Health Express
Published on May 29, 2024 Updated 0 Hours ago

अफ्रीका में स्टंटिंग सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है. इसका बच्चों की सेहत, विकास और भविष्य की संभावनाओं पर दूरगामी असर है.

अफ्रीका के सामने बड़ी चुनौती: बच्चों में ‘स्टंटिंग’ यानी अवरुद्ध विकास की समस्या!

स्टंटिंग (नाटापन) अफ्रीका में एक व्यापक मुद्दा है. ये पूरे महादेश में बच्चों के स्वास्थ्य और कल्याण को निर्धारित करने वाले कारकों (फैक्टर) की जटिल परस्पर क्रिया को रेखांकित करता है. अफ्रीका में स्टंटिंग की दर अक्सर अधिक होती है जिससे लाखों बच्चे प्रभावित होते हैं. 2022 में दुनिया भर में पांच वर्ष से कम उम्र के लगभग 14.81 करोड़ बच्चे स्टंटिंग से पीड़ित थे यानी दुनिया भर में पांच में से एक बच्चा स्टंटिंग से प्रभावित था. अफ्रीका में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग की दर 30 प्रतिशत है जो 22.3 प्रतिशत के वैश्विक दर से बहुत ज़्यादा है. उत्तरी अफ्रीका और दक्षिणी अफ्रीका वैश्विक औसत के काफी नज़दीक है लेकिन अफ्रीका के दूसरे क्षेत्रों में स्टंटिंग की दर काफी ज़्यादा है. लगभग 37.4 प्रतिशत की स्टंटिंग दर के साथ मध्य अफ्रीका पर सबसे ज़्यादा बोझ है. 

अफ्रीका में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग की दर 30 प्रतिशत है जो 22.3 प्रतिशत के वैश्विक दर से बहुत ज़्यादा है. उत्तरी अफ्रीका और दक्षिणी अफ्रीका वैश्विक औसत के काफी नज़दीक है लेकिन अफ्रीका के दूसरे क्षेत्रों में स्टंटिंग की दर काफी ज़्यादा है. 

अफ्रीका के विभिन्न हिस्सों में स्टंटिंग की दर क्षेत्र और देश के हिसाब से अलग-अलग हैं (आंकड़ा 1). विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डेटा के अनुसार पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग का प्रसार कुछ देशों में 10 प्रतिशत से लेकर कुछ अन्य देशों में 40 प्रतिशत से ज़्यादा तक है. 2022 में 10 देशों में स्टंटिंग का बहुत अधिक फैलाव था जो 35 प्रतिशत के पार था. वहीं अल्जीरिया, काबो वर्डे, मॉरिशस, साओ टोम एंड प्रिंसिपे, सेशेल्स और ट्यूनीशिया समेत छह देशों में स्टंटिंग की दर 10 प्रतिशत से कम थी. 2000 से 2022 के बीच ज़्यादातर देशों ने स्टंटिंग को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की. हालांकि इरिट्रिया और लीबिया की स्थिति और भी ख़राब हुई और यहां 2022 में पांच वर्ष से कम उम्र के आधे से ज़्यादा बच्चे स्टंटिंग से पीड़ित थे. ये क्षेत्रीय असमानताएं सामाजिक-आर्थिक स्थिति, हेल्थकेयर एवं शिक्षा की उपलब्धता, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण की स्थिति जैसे कारकों से प्रभावित होती हैं. 

आंकड़ा 1: अफ्रीका रीजन में स्टंटिंग का प्रसार

 

स्रोत: अफ्रीका- खाद्य सुरक्षा और पोषण की क्षेत्रीय समीक्षा 2023

कोविड-19 महामारी का अफ्रीका में स्टंटिंग से जुड़े रुझानों पर महत्वपूर्ण असर पड़ा. स्वास्थ्य देखभाल की सेवाओं में रुकावट, आर्थिक झटकों, फूड सप्लाई चेन की बाधाओं और स्कूल बंद होने से कुपोषण और स्टंटिंग से जुड़ी असुरक्षा में बढ़ोतरी हुई, विशेष रूप से पहले से ही हाशिए पर पड़ी आबादी के बीच. शहरीकरण और खान-पान के पैटर्न में तेज़ बदलाव अफ्रीका में स्टंटिंग के रुझान को प्रभावित कर रहे हैं. चूंकि शहरी क्षेत्रों में ज़्यादा लोग जा रहे हैं, इसकी वजह से ऐसे आहार की तरफ रुझान बढ़ रहा है जो अधिक प्रसंस्कृत (प्रोसेस्ड) हैं, जिनमें चीनी और वसा ज़्यादा है लेकिन जिनमें ज़रूरी पोषक तत्व कम हैं. इससे कुपोषण और अतिपोषण (ओवरन्यूट्रिशन) से जुड़ी समस्याओं जैसे कि स्टंटिंग और मोटापा में बढ़ोतरी हो रही है.  

अफ्रीका और उसके अलग-अलग क्षेत्रों में स्टंटिंग के प्रसार में 2000 के बाद से लगातार गिरावट हो रही है. फिर भी अलग-अलग क्षेत्रों में स्टंटिंग की दर में गिरावट एक समान नहीं रही है क्योंकि मध्य अफ्रीका, उत्तरी अफ्रीका और दक्षिणी अफ्रीका में हाल के वर्षों में प्रगति की रफ्तार सुस्त पड़ी है. दूसरी तरफ पूर्वी अफ्रीका ने सबसे महत्वपूर्ण गिरावट हासिल की है और यहां दूसरे क्षेत्रों की तुलना में 18.1 प्रतिशत प्वाइंट गिरावट आई है. इसके बावजूद अफ्रीका महादेश और उसके अलग-अलग क्षेत्र 2030 के वैश्विक पोषण लक्ष्य के साथ-साथ पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग कम करने के लिए सतत विकास लक्ष्य 2.2 को पूरा करने के मामले में पीछे हो रहे हैं. 

बच्चों में ‘अवरुद्ध विकास’

स्टंटिंग के दूरगामी नतीजे हैं जो शरीर के कद से आगे ज्ञान संबंधी विकास (कॉग्निटिव डेवलपमेंट), शैक्षणिक सफलता और समग्र कल्याण को प्रभावित करता है. ये संक्रमण एवं लंबी बीमारियों (क्रॉनिक डिज़ीज़) को लेकर असुरक्षा बढ़ाता है और इम्यून सिस्टम को बिगाड़ता है. इसकी वजह से बच्चों के बीच बीमारी और मृत्यु दर में बढ़ोतरी होती है. जो लोग बचपन में स्टंटिंग का सामना करते हैं वो बड़े होकर उत्पादकता, कमाई की क्षमता और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के मामले में पिछड़ जाते हैं. इससे ग़रीबी और असमानता का दुष्चक्र कायम रहता है. स्टंटिंग का असर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक रहता है क्योंकि कुपोषित माताओं के द्वारा कम वज़न वाले शिशुओं को जन्म देने की आशंका ज़्यादा होती है जिनमें स्टंटिंग का ख़तरा ज़्यादा होता है. इस तरह कुपोषण और स्वास्थ्य से जुड़े ख़राब नतीजों का दुष्चक्र जारी रहता है. 

स्टंटिंग का समाधान करने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है जो पोषण, स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता, शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक विकास को एकीकृत करता है. पोषण, हेल्थकेयर, स्वच्छता और शिक्षा को प्राथमिकता देने वाली नीतियों को तैयार करने और उन्हें लागू करने के साथ-साथ अलग-अलग क्षेत्रों के बीच तालमेल और साझेदारी को बढ़ावा देना स्टंटिंग का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए एक उपयुक्त माहौल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. 

कई अफ्रीकी देशों में स्कूल में खाना देने का कार्यक्रम चलाया जाता है जिसका उद्देश्य स्कूल में पोषक आहार मुहैया कराके बच्चों के पोषण और शैक्षणिक नतीजों को बेहतर बनाना है. सरकारें तेज़ी से ऐसी कृषि नीतियां अपना रही हैं जो विविध एवं पोषक खाद्य के उत्पादन एवं खपत को बढ़ावा देती हैं और खाद्य उपलब्धता, ख़रीदने का सामर्थ्य एवं पहुंच जैसे मुद्दों का समाधान करती हैं.

स्टंटिंग का समाधान करने के लिए अफ्रीका में कई पहल और कार्यक्रम चल रहे हैं. इनमें राष्ट्रीय पोषण योजनाएं, सामुदायिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों (NGO) एवं अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के बीच साझेदारी शामिल हैं. अफ्रीकन यूनियन का एजेंडा 2063 अफ्रीका के सामाजिक-आर्थिक कायापलट के लिए एक रणनीतिक रूप-रेखा है जिसमें पोषण, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े लक्ष्य शामिल हैं. अफ्रीका के कई देश SUN (स्केलिंग अप न्यूट्रिशन) मूवमेंट का हिस्सा हैं जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा समेत बहु-पक्षीय दृष्टिकोण के माध्यम से पोषण में सुधार लाना है. अफ्रीका के कई देशों ने खाद्य सुरक्षा और पोषण पर विशेष रूप से केंद्रित राष्ट्रीय नीतियां बनाई हैं जिनमें पोषक खाद्य की उपलब्धता को बेहतर बनाने और कुपोषण का समाधान करने के लिए रणनीतियां तैयार की गई हैं. साथ ही समुदाय आधारित पोषण कार्यक्रम निचले स्तर पर पोषण में सुधार लाने पर ध्यान देते हैं. इनमें अक्सर सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों को शामिल किया जाता है. कई अफ्रीकी देशों में स्कूल में खाना देने का कार्यक्रम चलाया जाता है जिसका उद्देश्य स्कूल में पोषक आहार मुहैया कराके बच्चों के पोषण और शैक्षणिक नतीजों को बेहतर बनाना है. सरकारें तेज़ी से ऐसी कृषि नीतियां अपना रही हैं जो विविध एवं पोषक खाद्य के उत्पादन एवं खपत को बढ़ावा देती हैं और खाद्य उपलब्धता, ख़रीदने का सामर्थ्य एवं पहुंच जैसे मुद्दों का समाधान करती हैं. ध्यान दीर्घकालीन स्थिरता एवं सामर्थ्य निर्माण; जलवायु के हिसाब से स्मार्ट खेती (क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर), सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों, शिक्षा की प्रणाली और सामुदायिक सशक्तिकरण पहल पर है जो स्टंटिंग के लिए ज़िम्मेदार कारणों का समाधान करती हैं और समग्र विकास को बढ़ावा देती हैं. हालांकि चुनौतियां बनी हुई हैं जिनमें सीमित फंडिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर की बाधाएं, राजनीतिक अस्थिरता और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव शामिल हैं जो खाद्य असुरक्षा और कुपोषण को बढ़ा सकते हैं.    

स्टंटिंग अफ्रीका में सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है जिसका बच्चों की सेहत, विकास और भविष्य की संभावनाओं पर दूरगामी असर है. इस जटिल मुद्दे का समाधान करने के लिए लगातार प्रतिबद्धता; सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों, हेल्थकेयर प्रोफेशनल, शिक्षा देने वालों एवं समुदायों के बीच तालमेल; और पोषण, स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता, शिक्षा और ग़रीबी उन्मूलन को प्राथमिकता देने वाले समग्र दृष्टिकोण में निवेश करना ज़रूरी है. 


शोभा सूरी ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में सीनियर फेलो हैं.

Shoba Suri is a Fellow at the Observer Research Foundation

[1] refers to impaired growth and development that occurs in children due to chronic malnutrition, inadequate healthcare, and poor sanitation

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