Author : Arya Roy Bardhan

Published on Feb 17, 2024 Updated 0 Hours ago

वैसे तो अंतरिम बजट एक अस्थायी योजना होता है, लेकिन सरकार की प्राथमिकताओं और देश की आवश्यकताओं, दोनों का झुकाव समावेशी विकास की ओर बना हुआ है.

अंतरिम बजट पर एक और नज़र

भारत का केंद्रीय बजट आने वाले वित्तीय वर्ष में सरकार की आमदनी और ख़र्चे का ब्यौरा बताने वाला ख़ाका पेश करता है. बजट में एक तरफ़ तो पिछले वित्तीय वर्ष में हुई सामाजिक आर्थिक प्रगति की झलक होती है. लेकिन, इसका मुख्य मक़सद भारत की जनता को सरकार की वित्तीय योजनाओं और लक्ष्यों की जानकारी देना होता है. हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2024 को देश का अंतरिम बजट पेश किया था. ये अंतरिम बजट तब तक के लिए सरकार की वित्तीय गतिविधियों की एक अस्थायी योजना होता है, जब तक एक नई सरकार चुन नहीं ली जाती. इस लेख में हम अंतरिम बजट के उन प्रमुख क्षेत्रों पर नज़र डालेंगे, जिन पर इसका प्रमुख ज़ोर है और सरकार ने ग़रीबों, युवाओं, महिलाओं और किसानों को सशक्त बनाकर भारत के विकास की किस तरह की परिकल्पना तैयार की है.

इस लेख में हम अंतरिम बजट के उन प्रमुख क्षेत्रों पर नज़र डालेंगे, जिन पर इसका प्रमुख ज़ोर है और सरकार ने ग़रीबों, युवाओं, महिलाओं और किसानों को सशक्त बनाकर भारत के विकास की किस तरह की परिकल्पना तैयार की है.

सदी की उपलब्धियों को मज़बूती देना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं को एकजुट करने और भारत के विकास के पथ को मज़बूती देने के लिए उनकी आविष्कारक क्षमता का इस्तेमाल करने के लिए, 11 दिसंबर 2023 को विकसित भारत@2047: युवाओं की आवाज़ नाम से एक अभियान शुरू किया था. भारत की आज़ादी के एक सदी के भीतर भारत को विकास के शीर्ष पर पहुंचाने के इस लक्ष्य की गूंज हमें 2024 के अंतरिम बजट में भी सुनाई दी थी. बजट में भारत के ‘अमृत काल’ की लहर पर सवार होकर आबादी, लोकतंत्र और विविधता के बीच संतुलन बनाने के प्रति झुकाव दिखा. सरकार इस लक्ष्य को जन केंद्रित विकास के नज़रिए यानी अधिकतम संभव समावेश की मदद से टिकाऊ विकास के माध्यम से हासिल करने का इरादा रखती है.

वित्तीय समावेश के माध्यम के तौर पर डिजिटल तकनीकों की अहमियत को स्वीकार किया गया है. और इसके लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) को संगठित करने को प्राथमिकता दी गई है.

बजट ने तरक़्क़ी को बढ़ावा देने और देश के व्यापक विकास के लिए प्रमुख तरीक़ों को रेखांकित किया है. पहला, सभी तरह के यानी भौतिक, डिजिटल और सामाजिक मूलभूत ढांचों के विकास पर ज़ोर दिया गया है, और स्थायी विकास को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत सुधारों की ज़रूरत को रेखांकित किया गया है. दूसरा, वित्तीय समावेश के माध्यम के तौर पर डिजिटल तकनीकों की अहमियत को स्वीकार किया गया है. और इसके लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) को संगठित करने को प्राथमिकता दी गई है. तीसरा, गुड्स ऐंड सर्विसेज़ टैक्स (GST) के आकार बढ़ने के प्रभावों का इस्तेमाल सरकार की राजस्व आमदनी को बढ़ाने के लिए किए जाने पर बल दिया गया है. चौथा, गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज़ सेंटर (GIFT IFSC) को पूंजी और वित्तीय सेवाओं के वैश्विक द्वार के तौर पर और बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे अर्थव्यवस्था में लगभग दस लाख नौकरियों के अवसर पैदा होंगे. पांचवां, ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए महंगाई पर सक्रियता से क़ाबू पाने को प्राथमिकता दी जाएगी. इन सभी व्यवहारों में जन केंद्रित समावेशी विकास सर्वोच्च प्राथमिकता बना रहेगा.

 

वर्तमान और भविष्य में क्रियान्वयन के मुख्य क्षेत्र

 

वैसे तो सभी क्षेत्रों में सरकार की तरफ़ से नीतिगत क़दमों वाले नज़रिए की ज़रूरत होगी. लेकिन, बजट ने कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अलग से रेखांकित किया है, जिन्होंने पिछले एक दशक के दौरान काफ़ी संभावनाएं दिखाई हैं. मिसाल के तौर पर डायरेक्टर बेनेफिट ट्रांसफर मिशन जिसकी स्थापना 2013 में कल्याणकारी योजनाओं के भुगतान में देरी और फ़र्ज़ीवाड़े को रोकने के लिए की गई थी, उसके ज़रिए अब तक 34.06 ट्रिलियन रुपयों का भुगतान सीधे सीधे लाभार्थियों को किया जा चुका है. इससे सरकार को 2.7 ट्रिलियन रुपयों की बचत भी हुई है, जिससे ये सरकार के लिए जनकल्याण का प्रमुख माध्यम बनकर उभरा है. इसके अलावा, तमाम कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने की वजह से, 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी ग़रीबी की रेखा से ऊपर उठाया गया है.

 

भारत की प्रगति में युवाओं को प्रमुख भूमिका आवंटित की गई है, जहां इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि युवा, आविष्कारों की अगुवाई करेंगे, जो टिकाऊ विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. हालांकि, युवाओं को इनोवेशन वाली भूमिकाओं की तरफ़ आगे बढ़ाने के लिए भारत में कौशल के क्षेत्र वाली खाई को पूरी तरह से मिटाना होगा. वैसे तो स्किल इंडिया मिशन के तहत 1.4 करोड़ युवाओं को पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है. लेकिन, अच्छी शिक्षा को जनहित का विषय बनाने की ज़रूरत है. इसको बढ़ावा देने के लिए, पीएम श्री स्कूल कार्यक्रम के लिए आवंटन को 40 अरब रुपए से बढ़ाकर इस अंतरिम बजट में 60.5 अरब रुपए कर दिया गया है. युवाओं में निवेश बिल्कुल सही समय पर अपनाई जा रही रणनीति है और भारत की आबादी का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए इनका दायरा और बढ़ाया जाना चाहिए.

दुनिया भर के कृषि क्षेत्र में भारत की प्रमुख हैसियत को देखते हुए, किसानों के कल्याण और कृषि की उत्पादकता पर लगातर ज़ोर देते रहना अनिवार्य है. देश में गेहूं और चावल की ख़रीद में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है,

दुनिया भर के कृषि क्षेत्र में भारत की प्रमुख हैसियत को देखते हुए, किसानों के कल्याण और कृषि की उत्पादकता पर लगातर ज़ोर देते रहना अनिवार्य है. देश में गेहूं और चावल की ख़रीद में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है, जिसकी एक वजह शायद इन वस्तुओं के निर्यात पर लगाई गई पाबंदियां हैं. हालांकि, इसका अभी भी ये मतलब है कि ख़रीद की सुविधाओं और मूलभूत ढांचों का विस्तार करने की आवश्यकता है, जिससे किसानों को अधिक संरक्षण प्राप्त हो सकेगा. कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों के लिए 2024-25 के वित्तीय वर्ष में आवंटन बढ़कर 60 अरब रुपए हो गया है. अलग अलग योजनाओं के ज़रिए किसानों को सीधे सहायता देने के अलावा, राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (e-NAM) ने एक केंद्रीकृत कृषि बाज़ार को खड़ा किया है, जिससे किसानों को आत्मनिर्भर बनने और वैल्यू चेन में मध्यस्थों पर निर्भरता को घटाने में मदद मिलेगी.

 

Figure 1: गेहूं और चावल की ख़रीद

 

 

वैसे तो उच्च शिक्षा में महिलाओं का नामांकन पिछले एक दशक में लगभग 28 प्रतिशत बढ़ गया है. लेकिन, अभी भी सुधार की काफ़ी गुंजाइश बाक़ी है. कामगारों में महिलाओं की भागीदारी (LFPR) तो बढ़ी है. लेकिन, पुरुष कामगारों की तादाद को देखते हुए ये अभी भी काफ़ी कम है. हालांकि, स्वयं सहायता समूहों (SHGs) ने महिलाओं की उद्यमिता को बढ़ावा देने में काफ़ी अहम भूमिका निभाई है और उन्होंने लगभग एक लाख महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनने (प्रति परिवार हर साल एक लाख की आमदनी) में क्रांतिकारी भूमिका अदा की है. सरकार ने लखपति दीदी बनाने के लक्ष्य को दो करोड़ से बढ़ाकर तीन करोड़ कर दिया है. महिलाओं की बेहतरी को बेहतर बनाने के लिए सरकार के प्रयासों पर ध्यान देने की ज़रूरत है. शिक्षा, रोज़गार और निवेश के अवसरों के रूप में सहायता से महिलाओं को एक सम्मानित और आत्मनिर्भर रहन सहन अपनाने का मौक़ा मिलता है, जिससे बिना किसी रोक-टोक के ऊपर उठने वाले माहौल को बढ़ावा मिलता है.

 

Figure 2: कामगार तबक़े में महिलाओं की भागीदारी की दर

 

 

स्थायी विकास वाला नज़रिया

 

‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफ़ॉर्म’ के सिद्धांत के आधार पर सरकार का इरादा, ऐसी रणनीतियों को लागू करने का है, जिससे प्रगति में नई जान पड़े और साथ ही साथ वो टिकाऊ भी बनी रहे. ऊपर जिन प्रगतियों और योजनाओं की चर्चा की गई है, वो स्थायी विकास के कई लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने की दिशा में बढ़ने वाले हैं. विशेष रूप से SDG 1 (कोई ग़रीबी नहीं), 2 (भुखमरी शून्य), 3 (अच्छी सेहत और भलाई), 4 (अच्छी शिक्षा), 5 (लैंगिक समानता) और 8 (सम्मानजनक काम और आर्थिक प्रगति) के लक्ष्य. वैसे तो ये सीधे लक्ष्यों वाले प्रमुख क्षेत्र यानी ग़रीब, महिलाएं और किसानों पर केंद्रित नीतियां हैं. लेकिन, अमृत काल के लक्ष्यों में स्थायी विकास के अन्य लक्ष्यों की दिशा में भी आगे बढ़ने की कोशिश की जा रही है. मिसाल के तौर पर ऊर्जा सेक्टर में छतों पर सोलर पैनल लगाने और मुफ़्त बिजली से SDG 7 (सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा) और 13 (जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय) हासिल करने में मदद मिलेगी. पिछले चार वर्षों के दौरान पूंजीगत व्यय में तीन गुने की बढ़ोत्तरी और मूलभूत ढांचे और आकांक्षी शहरों में निवेश में बढ़ोतरी ने SDG 9 (उद्योग, इनोवेशन और मूलभूत ढांचे) और 11 (टिकाऊ शहरों और समुदायों) को पाने में मदद मिलेगी. जलवायु के प्रति लचीली गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए दोबारा बहाल करने और परिवर्तन के अनुकूल ढालने के उपायों को तैयार किया जा रहा है, जो SDG 13 को हासिल करने में भारत के प्रदर्शन को बेहतर बनाएंगे.

 

वैसे तो अंतरिम बजट एक अस्थायी योजना है. पर, सरकार की प्राथमिकताओं और देश की आवश्यकताओं का झुकाव समावेशी विकास की तरफ़ बना हुआ है. वैसे तो अंतरिम बजट में टैक्स की दरों में कोई संशोधन नहीं किया गया है. लेकिन, इसमें असमानता घटाने के उपाय प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं. आख़िर में, जनता को मुफ़्त की रेवड़ी बांटने के पुराने चलन की तुलना में हम देखें, तो सरकार द्वारा उद्यमिता को बढ़ावा देने पर ज़ोर देना उल्लेखनीय है. देश और इसकी जनता, दोनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्पादकता और उद्योग को बढ़ावा देने वाली योजनाएं बेहद महत्वपूर्ण हैं.



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